Suicide : दुनियाभर में हर साल कोई 8 लाख लोग आत्महत्या करते हैं और इस सवाल का जवाब ढूंढ़ पाना आसान नहीं है कि क्यों कोई आत्महत्या करता है और इस के पहले सिर्फ और सिर्फ यही क्यों सोचता रहता है कि इसे कैसे अंजाम देना है. क्यों नहीं वह अपने मन की भड़ास किसी से शेयर कर पाता?
‘आत्महत्या मनोवैज्ञानिक नहीं बल्कि सामाजिक समस्या है’, प्रसिद्ध फ्रैंच समाजशास्त्री एमाइल दुर्खीम द्वारा 1897 में प्रकाशित फ्रैंच भाषा की पुस्तक, ‘ले सुसाइड: एट्यूड डे सोशियोलौजी’ में यह बात कही गई है. आज जैसेजैसे वास्तविक दुनिया से कट कर लोग सोशल मीडिया की गिरफ्त में फंसते जा रहे हैं वैसेवैसे वे डिप्रैशन और फ्रस्ट्रेशन के शिकार भी होते रहे हैं.
हैरत की बात यह है कि अधिकतर आत्महत्याएं अचानक कम बल्कि सुनियोजित तरीके से ज्यादा हो रही हैं. इन्हें रोका तो नहीं जा सकता लेकिन कम तो किया जा सकता है बशर्ते विक्टिम के पास कोई सही सलाह देने वाला हो. लेकिन, वह है कौन? आइए देखते हैं-
राजधानी दिल्ली के भारत नगर इलाके में 12 मई को एक दंपती और उन के 2 बच्चों ने सुबह कैमिकल पी लिया. इस घटना में पति व दोनों बच्चों की इलाज के दौरान मौत हो गई. पुलिस की शुरुआती जांच में आर्थिक तंगी की वजह से खुदकुशी करने की बात सामने आई.
पुलिस के मुताबिक 45 वर्षीय हरदीप सिंह, पत्नी हरजीत कौर और 2 बच्चों के साथ चंदर विहार में रहते थे. परिजनों के मुताबिक, हरदीप पत्नी और बच्चों सहित रात से ही गायब थे. सुबह वे संगम पार्क स्थित अपनी दुकान में पहुंचे. वहां जंग रोकने वाला कैमिकल रखा हुआ था जिसे चारों ने पी लिया. जब उन की तबीयत बिगड़ने लगी तो बेटे ने अपनी बूआ अवनीत कौर को फोन कर आत्महत्या करने की बात बताई.
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