Raja Raghuvanshi Murder Case : सोनम जिस रास्ते गई थी उस से वापस इंदौर आ गई लेकिन ऐसे आई कि किसी को हवा भी नहीं लगी. खुद उस के अलावा चारों हत्यारे जानते थे कि सोनम गई तो सुहागिन थी लेकिन वापस विधवा हो कर आई है जिस की स्क्रिप्ट भी खुद उस ने ही लिखी थी.

29 वर्षीय राजा रघुवंशी और 25 वर्षीया सोनम दोनों इंदौर के रहने वाले थे. राजा पेशे से ट्रांसपोर्ट व्यवसायी थे और सोनम के पिता का प्लाइवुड का करोड़ों का जमाजमाया कारोबार था. दोनों की शादी रघुवंशी समाज की वैवाहिक पत्रिका के जरिए बीती 11 मई को धूमधाम से हुई थी. इस से पहले दोनों परिवार एकदूसरे से परिचित नहीं थे. उन के लिए यह रिश्ता इस लिहाज से भी सुखद संयोग था कि सजातीय होने के साथसाथ राजा और सोनम दोनों की जन्मकुंडली में मंगल था जिस से शादी में दिक्कत पेश आ रही थी.

इस दिन जब दोनों स्टेज पर बैठे आगंतुकों की बधाइयां और आशीर्वाद ले रहे थे तब उन के चेहरे की चमक और उल्लास देखने के काबिल थे, हर कोई उन के सुखमय खुशहाल दांपत्त्य जीवन और उज्ज्वल भविष्य की कामना कर रहा था. लेकिन किसी को रत्तीभर भी यह एहसास नहीं था कि भविष्य के गर्भ में क्या छिपा है और यह छिपा जब उजागर हुआ तो हर कोई सनाके में रह गया. बात कुछ थी भी ऐसी ही जिसे संक्षेप में सिलसिलेवार समझें तो कहानी कुछ यों सामने आती है.

शादी के बाद एक हफ्ता रीतिरिवाजों, मेहमानों आगंतुकों के आनेजाने और लोकल घूमनेफिरने में ही निकल गया. दोनों परिवारों में खुशी का माहौल था लेकिन सोनम शादी के पहले ही मन ही मन एक खतरनाक साजिश बुन चुकी थी. इसी दौरान दोनों ने हनीमून प्लान किया और बहुत सी जगहों में से आखिरकार सोनम के जोर देने पर मेघालय जाना तय किया.

राजा ने अपने पेशे के सिलसिले में बहुत से शहर घूम रखे थे. लेकिन पूर्वोत्तर भारत नहीं घूमा था इसलिए मेघालय के नाम पर मुहर लग गई. मेघालय जाने की जिद चूंकि सोनम की ही थी इसलिए पति की सहमति मिलते ही उस ने ही तुरंत 20 मई के रिजर्वेशन करा लिए थे. लेकिन नई बहू की असल मंशा कोई नहीं भांप पाया.

शादी के बाद धार्मिक स्थलों पर जाने का रिवाज भी उन्होंने निभाया और सब से पहले बेंगलुरु होते कामख्या मंदिर जा कर देवी का आशीर्वाद लिया. हर कोई जानता है कि असम के गुवाहटी में स्थित कामख्या मंदिर तांत्रिक क्रियाओं के लिए मशहूर है. 21 मई को दोनों शिलांग पहुंचे और वहां के बालाजी गेस्ट हाउस में ठहरे. लोकल घूमनेफिरने उन्होंने कीटिंग रोड की एक दुकान से एक्टिवा किराए पर ली और वापस गेस्ट हाउस आ कर सो गए. दूसरे दिन सुबह यानी 22 मई को दोनों ने बालाजी गेस्ट हाउस से चेकआउट कर दिया. लेकिन जातेजाते मैनेजर को कहा कि हम 25 मई तक वापस आ सकते हैं और जरूरत पड़ने पर फिर से कमरा ले सकते हैं.

सुबह दोनों ने होटल में नाश्ता नहीं किया और स्कूटर पर सवार हो कर शिलांग से चेरापूंजी के लिए रवाना हो गए. तब उन के साथ 2 बैग थे. दोपहर को दोनों मावलखियाट गांव पहुंचे और वहां से नोग्रियाट गांव स्थित लिविंग रूट ब्रिज देखने चले गए, जिस के लिए उन्हें कोई 3 हजार सीढ़ियां नीचे उतरना पड़ा. इस दौरान सोनम बेहद असहज थी और बारबार राजा से दूर जा कर किसी को मैसेज भेज रही थी दरअसल में वह लोकेशन शेयर कर रही थी.

शाम तक घूमफिर कर दोनों ने रात नोग्रियाट के ही शिपारा होम स्टे में गुजारी. 23 मई की सुबह दोनों ने शिपारा गेस्ट हाउस से भी चेक आउट कर दिया और ट्रैकिंग के लिए वेईसावडोंग झरने पर चले गए. इस दौरान दोनों फोन पर लगातार परिवारजनों के संपर्क में रहे और अपने घूमनेफिरने के बारे में बताते रहे. जिस से घर वाले बेफिक्र रहे कि दोनों एंजौय कर रहे हैं लेकिन हकीकत में दोनों में से कोई भी हनीमून एंजौय नहीं कर रहा था, हां राजा जरूर सोनम के इशारों पर नाचता जा रहा था.

इसी दिन दोपहर कोई डेढ़ बजे राजा ने अपनी मां उमा देवी से फोन पर बात की और उन्हें बताया कि वे चोटी पर पहुंच गए हैं और फल खा रहे हैं. इस के कुछ देर बाद ही सोनम ने भी अपनी सास को एक औडियो मैसेज भेजा जिस में कहा था कि हम लोग अभी चढ़ाई चढ़ रहे हैं बाद में बात करेंगे.

सोनम की आवाज से थकान साफ झलक रही थी. उमा देवी ने उसे याद दिलाया कि आज उस का ग्यारस का उपवास होगा. बातचीत में सोनम ने सास को यह भी बताया कि यहां उपवास का खानेपीने कुछ खास नहीं मिल रहा है कुछ देर पहले कौफी पी थी तो ऐसा लगा न जाने क्या पी रहे हैं.

इस के बाद घर वालों से उन का संपर्क ऐसा टूटा कि फिर स्थापित हुआ ही नहीं. दोनों के परिवारजन फोन पर फोन करते रहे लेकिन हर बार दोनों के ही मोबाइल बंद मिले तो सभी को स्वभाविक चिंता होने लगी. अपने ही शहर में किसी का फोन घंटे दो घंटे से ज्यादा न लगे तो भी घर वालों को फिक्र होने लगती है फिर ये दोनों तो कोई 2185 किलोमीटर दूर शिलांग के घने जंगलों में थे. एक अंदाजा यह लगाया गया कि नेटवर्क इशू हो सकता है इसलिए कौल नहीं लग पा रहा.

लेकिन इशू कुछ और ही था और इतना खतरनाक था कि जिस ने सुना वह सकते में आ गया. जब संपर्क हो ही नहीं पाया तो दोनों के घर वाले घबरा गए. तब तय यह हुआ कि घर के ही लोग शिलांग जा कर देखें कि आखिर हुआ क्या है. किसी अनहोनी की आशंका से मन ही मन सब कांप रहे थे. तुरंत ही राजा का भाई विपिन और सोनम का भाई गोविंद इमरजैंसी फ्लाइट ले कर शिलांग पहुंचे और दोनों की खोजबीन में जुट गए.

गूगल मैप के जरिए जब दोनों ने आसपास की लोकेशन ट्रेस की तो किराए पर एक्टिवा देने वाले की जानकारी मिल गई जिस से उन्हें अंधेरे में रौशनी की किरण नजर आई. किराए पर व्हीकल देने वाली एजेंसी ने इस बात की पुष्टि की कि दोनों ने उन्हीं के यहां से एक्टिवा ली थी और दोनों उस से ओसरा हिल्स की तरफ रवाना हुए थे. स्थानीय पुलिस का सहयोग उन्होंने लिया लेकिन दोनों के मुताबिक पुलिस ने कोई खास दिलचस्पी नहीं दिखाई.

इस की एक वजह भाषा की समस्या भी थी. रौशनी की जो किरण गोविंद और सचिन को दिखाई दी थी वह उस वक्त बुझ सी गई जब एक्टिवा पहाड़ी इलाके में लावारिस हालत में पड़ी मिली. इन दोनों ने इंदौर पुलिस कमिश्नर संतोष सिंह से बात कर मदद की गुहार लगाई. कमिश्नर साहब ने क्राइम ब्रांच के डीसीपी राजेश कुमार त्रिपाठी को जांच की जिम्मेदारी सौंप दी जो शिलांग पुलिस के लगातार संपर्क में रहे.

इंदौर के रघुवंशी दंपत्ति शिलांग में रहस्मय तरीके से गायब हैं और अब तक कोई सुराग उन का नहीं मिला है यह बात जंगल की आग की तरह इंदौर से मध्य प्रदेश होते पूरे देश में फैल गई. इंदौर में हर घंटे हर दिन सस्पेंस गहराता जा रहा था कोई नई बात जो दरअसल में पुरानी हो चुकी होती थी वह पता चलती थी तो सभी अपने अपने कयास लगाना और बताना शुरू कर देते थे.

परिचित, दोस्त और नातेरिश्तेदार यानी शुभचिंतक राजा और सोनम के घर हालचाल लेने और सहानुभूति प्रदर्शित करने जाने लगे थे. जिस से कम होने के बजाय दोनों परिवारों का ब्लड प्रेशर और तनाव दोनों बढ़ रहे थे.

इधर शिलांग में लावारिस हालत में पड़ी मिली एक्टिवा से कुछ ही दूर खाई में शाम को सर्चिंग के दौरान एक रेन कोट और दो बैग मिले. इंदौर में मीडिया को इस परिवार से जुड़े अर्पित चौहान ने बताया कि इस मामले में पुलिस अधिकारियों की मीटिंग चल रही है और इंदौर व शिलांग पुलिस से उन्हें सहायता मिल रही है.

मामला बहुत गंभीर मोड़ पर आ गया था जिस में अब तरहतरह की आशंकाएं ही बची थीं और सोशल मीडिया इस रहस्मय मसले से भरा पड़ा था. जिस के चलते मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने मेघालय के मुख्यमंत्री कानराड संगमा से फोन पर बात की और अपने अफसरों को मेघालय पुलिस के संपर्क में रहने की हिदायत दी. मध्य प्रदेश के ही एक और वरिष्ठ मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मदद के लिए आग्रह किया.

इधर शिलांग में सर्चिंग चल रही थी जो भारी बारिश और घने कोहरे के चलते व्यवधान तो डाल रही थी. सभी की दहशत उस वक्त और बढ़ गई जब स्थानीय लोगों ने यह बताया कि जिस इलाके में एक्टिवा मिली है वह कुख्यात इलाका है और गुंडे बदमाशों का अड्डा है. कहासुना यह भी गया कि यहां पहले भी कपल्स के गायब होने की वारदातें हो चुकी हैं. चूंकि स्थानीय लोग और पुलिस रघुवंशी परिवारों की उम्मीद के मुताबिक मदद नहीं कर रहे थे. इसलिए विपिन और गोविंद ने यूट्यूबर की मदद ली. एक यूट्यूबर को पैसे दे कर राजा और सोनम के फोटो व वीडियो वायरल करवाए गए. एक लोकल न्यूज चैनल को भी पैसे दे कर खबर चलवाई गई.

दूसरी तरफ पुलिस की सर्चिंग मुहिम जारी थी लेकिन तेज बारिश के चलते व्यवधान पड़ रहा था. मामला सुलझने के बजाय उलझता जा रहा था. राजा के परिवारजनों ने कपल की खबर देने वालों को 5 लाख नगद इनाम देने का एलान कर दिया.

शिलांग के खासी हिल्स जिले की सोहरा हिल्स जहां से राजा और सोनम लापता हुए थे बेहद खतरनाक ट्रेक है और दुनिया में सब से ज्यादा और तेज बारिश बाले इलाकों में से एक है. राजा को रोमांच से परहेज नहीं था लेकिन वह काफी एहतियात से चलने वाला युवक था. पूछताछ में दोनों के भाइयों को किसी ने बताया कि यहां किडनैप करने वालों की एक गैंग सक्रिय है. मुमकिन है उस ने ही इन दोनों का अपहरण कर लिया हो और एक्टिवा को दूर छोड़ दिया हो. वैसे भी इस इलाके में लूटपाट आम है जिस के चलते स्थानीय लोग भी अकेले आने से भी डरते हैं.

रघुवंशी परिवार की मदद की गरज से इंदौर के सांसद शंकर ललवानी भी शिलांग पहुंच कर पुलिस अधिकारियों से मिले जिस से पुलिस सर्च औपरेशन में और तेजी आई. लेकिन इस के बाद भी लापता कपल का कोई सुराग नहीं मिल रहा था. और जब सुराग मिला भी तो राजा की लाश की शक्ल में मिला.

सर्चिंग के दौरान ड्रोन की मदद से एक गहरी खाई में राजा की लाश पड़ी मिली, शव ऊपर लाया गया तो उसे पहचानना मुश्किल था क्योंकि वह गल चुका था. राजा के दाहिने हाथ पर बने टैटू से उसे पहचाना गया.

इसी जगह से एक लेडिज शर्ट, पैंटरा- 40 नाम की दवा, वीवो कंपनी के मोबाइल फोन की स्क्रीन और एक स्मार्ट घड़ी बरामद हुई. यह जगह उस जगह से कोई 25 किलोमीटर दूर थी, जहां एक्टिवा पड़ी मिली थी. राजा ने जो सोने की अंगूठियां पहन रखी थीं उन सहित उस के बैलेट के गायब होने से यह ख्याल पुख्ता हुआ कि यह कपल लूट का शिकार हुआ है.

राजा की मौत की खबर इंदौर पहुंची तो शहर में मातम पसर गया और देशभर में फिर चर्चाओं और अफवाहों का बाजार गर्म हो उठा. पोस्टमार्टम के बाद राजा का शव इंदौर ला कर उस का अंतिम संस्कार कर दिया गया. लेकिन सोनम का अभी भी कोई अतापता नहीं था कि वह जिंदा है भी या नहीं और है तो किस हाल में और कहां है यह सच सोनम सहित उस के प्रेमी राज कुशवाह और तीनों सुपारी किलर्स को ही मालूम था.

सोनम और राजा की गुमशुदगी के दौरान दोनों के घर वाले ज्योतिषियों और तांत्रिकों के चक्कर लगाते रहे जो उन्हें अपने पेशे के मुताबिक ब्लफ देते रहे. एक तांत्रिक के कहने पर सोनम की तस्वीर घर के बाहर उलटी लटका दी गई. एक और ज्ञानी ने आंख मूंद कर भविष्यवाणी कर दी कि दोनों का अपहरण किया गया है और उन्हें नीले रंग के मकान में रखा गया है. लेकिन चूंकि इस मामले का हल्ला बहुत मच चुका है इसलिए अपहरणकर्ता फिरौती के लिए संपर्क नहीं कर रहे हैं अब भला कौन इन पंडित जी को बताता समझाता कि राजा का अपहरण नहीं हुआ बल्कि हत्या हुई है जिस की सूत्रधार और कर्ताधर्ता पत्नी सोनम है.

गोविंद, विक्रम और दोनों के घर वाले मेघालय पुलिस को कोसते रहे लेकिन इन तांत्रिकों ज्योतिषियों की गिरहबान किसी ने नहीं पकड़ी जो इंदौर में बैठे भविष्यवाणियां कर रहे थे. अगर इन में कोई दम होता तो इन्होंने राजा की मौत की भविष्यवाणी क्यों नहीं की थी और सोनम के बाबत भी कुछ स्पष्ट नहीं बोल पाए लेकिन जब वह जिंदा मिली तो ये अपने उलटी तस्वीर वाले टोटके को इस का श्रेय देते नजर आए.

मीडिया वाले भी उस पंडित का इंटरव्यू लेते नजर आए जिन्हें कल तक उस का नाम पता भी नहीं मालूम था. कुछ दिन बाद सोनम सही सलामत मिल गई.

सोनम ने जानबूझ कर हनीमून के लिए उस दुर्गम जगह को चुना था जो उन के शहर इंदौर से कोई 2200 किलोमीटर दूर थी, जहां घने जंगल थे जंगली जीवजंतु थे, पहाड़ियां थीं, झरने थे लेकिन सब एकदम असुरक्षित होते हैं पर अब साबित हो रहा है कि पति की हत्या करने ये जगहें मुफीद साबित होती हैं.

यह राज तब खुला जब 9 जून को एकाएक ही सोनम प्रगट हो गई लेकिन इंदौर या मेघालय में नहीं बल्कि उत्तर प्रदेश के गाजीपुर के एक ढाबे से जिस से यह साबित हो गया कि मेघालय पुलिस इस मामले पर पूरी गंभीरता और मुस्तेदी से काम कर रही थी. जैसे ही सोनम के मिलने की खबर न्यूज चैनल्स पर आई वैसे ही टीवी से बिदकने वाले लोग भी टीवी देखने टूट पड़े खासतौर से महिलाओं को तो इस हत्याकांड से जुड़ी हर सनसनी देखने में पारिवारिक धारावाहिकों सरीखा बल्कि उस से भी ज्यादा आनंद मिल रहा था.

गाजीपुर के काशीपांन जायका ढाबे से गिरफ्तार सोनम बदहवास दिखने की असफल कोशिश कर रही थी. मेघालय पुलिस ने सोनम को गिरफ्तार करते बताया कि पति राजा की हत्या की साजिश उस ने ही रची थी और इस के लिए किराए के हत्यारे भी हायर किए थे 16 मई को इंदौर के सुपर कोरिडोर में सोनम राज से मिली और पूरा प्लान बनाया. हत्या के लिए राज ने अपने 3 दोस्तों आकाश राजपूत, आनंद कुर्मी और विशाल चौहान को भी साथ मिला लिया.

प्लान के मुताबिक ये चारों ट्रेन और सड़क मार्ग से शिलांग पहुंचे. इन्हें सोनम लगातार अपनी लोकेशन देती जा रही थी. 23 मई की सुबह जब राजा के साथ वह मावलखियात पहुंची तो ये चारों भी पीछे लग लिए. सोनम राजा को पहाड़ी पर सुनसान जगह ले गई और आरोपियों को इशारा कर दिए जो राजा के नजदीक पहुंच गए. पहुंच तो गए लेकिन उस की हत्या करने की हिम्मत इन की नहीं पड़ रही थी जिस से सोनम बौखला गई और चिल्लाई भी.
इस पर विशाल ने धारदार हथियार से राजा के सर पर पहला वार किया. आनंद ने राजा को पकड़ा और आकाश निगरानी करता रहा. सोनम थोड़ी दूर खड़ी राजा की मौत देखती रही. इस के बाद इन सभी ने बेसुध राजा को गहरी खाई में धक्का दे दिया.

प्लान की कामयाबी के बाद विशाल आकाश और राज इंदौर लौट आए और आनंद बीना चला गया. सोनम जिस रास्ते गई थी उस से वापस इंदौर आ गई लेकिन ऐसे आई कि किसी को हवा भी नहीं लगी. खुद उस के अलावा चारों हत्यारे जानते थे कि सोनम गई तो सुहागिन थी लेकिन वापस विधवा हो कर आई है जिस की स्क्रिप्ट भी खुद उस ने ही लिखी थी. अब ये सभी नातजुर्बेकार कम उम्र हत्यारे भी जेल में हैं जो इस खुशफहमी में थे कि उन्हें कोई नहीं पकड़ सकता लेकिन इन लोगों को रत्तीभर भी इल्म नहीं था कि मेघालय पुलिस 23 मई को ही सक्रिय हो गई थी जिस ने राजा हत्याकांड को औपरेशन हनीमून नाम दिया था इस मिशन में 120 पुलिसकर्मी लगातार जुटे रहे थे जिन्होंने बतौर सबूत 42 सीसीटीवी फुटेज और दूसरे साक्ष्य भी जुटा लिए थे, इन में से अहम हैं सभी के आनेजाने और ठहरने के सबूत और सोनम की 20 दिन में राज से मोबाइल फोन पर 242 बार हुई बातचीत के भी सबूत के अलावा ढेरों पुख्ता साक्ष्य अदालत में गवाही देंगे.

न्यूज चैनल्स टीआरपी बढ़ाने के लिए अभी भी इस हत्याकांड को भुना रहे हैं. पुलिस की थ्योरी और बयान टुकड़ों में आ रहे हैं लेकिन टीवी से चिपके दर्शकों ने सोनम के ढाबे पर मिलने के साथ ही साबित कर दिया कि सोनम ही हत्यारिन और साजिशकर्ता है.

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