Ahmedabad Plane Crash : अहमदाबाद विमान हादसे के बाद सब से अधिक चर्चा बोइंग 787 ड्रीमलाइनर की है. यह सब से आरामदायक यात्री विमान माना जाता है. क्या है इस की खासियत ?
अहमदाबाद से लंदन जाने वाला एयर इंडिया का जो विमान सरदार वल्लभभाई पटेल अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे से उड़ान भरने के कुछ ही देर बाद दुर्घटनाग्रस्त हो गया, वह बोइंग 787 ड्रीमलाइनर विमान था. जिस में 2 पायलट और चालक दल के सदस्यों सहित 242 लोग सवार थे. एयर इंडिया विमान का बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर सब से ज्यादा बिकने वाला यात्री विमान है. ड्रीमलाइनर को ‘भविष्य का विमान’ कहा जाता है. इस में विशाल केबिन और बड़ी खिड़कियां होती हैं. ड्रीमलाइनर एक चौड़े शरीर वाला जेट है जिसे लंबी दूरी की दक्षता के लिए डिजाइन किया गया है. विमान जब गिरा तो वह केवल 625 फीट की ऊंचाई पर पहुंचा था.
बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर विमान को सब से उन्नत यात्री विमानों में से एक माना जाता है. बोइंग 787 से जुड़ी यह पहली इतनी बड़ी घटना है. यह विमान 2014 में एयर इंडिया के बेड़े में शामिल हुआ था. बोइंग ने 2007 में लंबी दूरी के जेट के रूप में 787 को पेश किया था. पहले यह बोइंग 777 का सुधरा मौडल था. इस को बोइंग 767 को बदलने के लिए भी बनाया गया था. इस की पहली परीक्षण उड़ान दिसंबर 2009 में हुई थी. पहली कमर्शियल उड़ान बोइंग 787 ने 2012 में भरी थी.
बोइंग 787 में क्या था खास
ड्रीमलाइनर एक वाइड बौडी जेट है जिसे लंबी दूरी की दक्षता के लिए डिजाइन किया गया है. इस में कार्बन फाइबर कंपोजिट संरचना है, जो इसे पुराने एल्युमीनियम विमान बौडी की तुलना में हल्का बनाती है. यह अपने पहले के बोइंग की तुलना में 25 फीसदी कम ईंधन का उपयोग करता है. बोइंग ने 787 ड्रीमलाइनर को अपना सब से ज्यादा बिकने वाला यात्री विमान कहा है क्योंकि इस में आरामदायक कौकपिट के साथसाथ विशाल केबिन और बड़ी खिड़कियां होती हैं. पुराने विमानों की तुलना में इस में केबिन का दबाव कम है और हवा में नमी भी ज्यादा है. इस के 3 मौडल हैं 787-8, 787-9 और 787-10.
इस की खिड़कियां इलैक्ट्रौनिक डिमिंग फीचर के साथ आती हैं. यात्री बटन दबा कर खिड़की को धुंधला या साफ कर सकते हैं, जिस से बाहर का नजारा और आरामदायक हो जाता है. ड्रीमलाइनर का केबिन प्रेशर 6,000 फीट की ऊंचाई के बराबर रखा जाता है, जबकि सामान्य विमान 8,000 फीट पर होते हैं. इस से यात्रियों को कम थकान और सिरदर्द की शिकायत होती है.
इस के इंजन और डिजाइन की वजह से यह विमान कम शोर करता है, जिस से यात्रियों को शांत और आरामदायक अनुभव मिलता है. ड्रीमलाइनर 14,000 किलोमीटर तक की उड़ान भर सकता है. जो इसे लंबी दूरी की अंतर्राष्ट्रीय उड़ानों के लिए आदर्श बनाता है. उदाहरण के लिए, यह दिल्ली से न्यूयौर्क तक बिना रुके उड़ सकता है.
बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर 4 अलगअलग कंपनियां बनाती हैं. 2003 में इस का नाम ड्रीमलाइनर रखने को ले कर एक विश्व स्तर पर औनलाइन प्रतियोगिता का आयोजन किया गया था. जिस में 5 लाख वोट पड़े थे. जिन में सब से अधिक लोगों को ड्रीमलाइनर नाम पंसद आया था. बोइंग 787 ड्रीमलाइनर को बनाने में केवल बोइंग कंपनी अकेले काम नहीं करती. इस विमान को तैयार करने में 4 प्रमुख कंपनियां अपने अपने विशेष पार्ट्स बनाती हैं.
बोइंग ड्रीमलाइनर की डिजाइन और अंतिम असेंबली का जिम्मा संभालती है. इस के दो प्रमुख असेंबली प्लांट हैं. एक सिएटल, वाशिंगटन में और दूसरा चाल्र्सटन, साउथ कैरोलिना में. बोइंग विमान के मुख्य ढांचे, जैसे फ्यूजलाज (प्लेन की मेन बौडी) और आखिरी असेंबलिंग का काम करता है. मित्सुबिशी हेवी इंडस्ट्रीज नामक जापानी कंपनी ड्रीमलाइनर के पंखों को बनाती है. ड्रीमलाइनर के पंख इस की सब से बड़ी खासियत हैं, क्योंकि ये कार्बन फाइबर कम्पोजिट से बने होते हैं, जो इसे हल्का और फ्यूल एफिशिएंट बनाते हैं.
एयरबस ड्रीमलाइनर के कुछ हिस्सों, जैसे टेल सेक्शन और कुछ इंटीरियर पार्ट्स को बनाने का काम करती है. रोल्स रोयस और जनरल इलैक्ट्रिक नामक दोनों कंपनियां ड्रीमलाइनर के इंजन बनाती हैं. ड्रीमलाइनर दो प्रकार के इंजनों के साथ आता है. रोल्स रोयस ट्रेंट 1000 और जनरल इलैक्ट्रिक इंजन. यह न केवल शक्तिशाली हैं बल्कि ईंधन की खपत को 20 फीसदी तक कम करते हैं. इस के अलावा छोटेछोटे पार्ट्स जैसे लैंडिंग गियर, एवियोनिक्स, और इंटीरियर फिटिंग्स के लिए दुनिया भर की अन्य कंपनियां भी शामिल होती हैं. कुल मिला कर ड्रीमलाइनर का निर्माण 50 से ज्यादा देशों की 100 से अधिक कंपनियों का संयुक्त प्रयास है.
20 हजार करोड़ होती है ड्रीमलाइनर की कीमत
दुर्घटनाग्रस्त होने वाला विमान 787-8 का मौडल था, जो 248 यात्रियों को ले जा सकता है. यह 13,530 किलोमीटर की दूरी तय कर सकता है. यह 57 मीटर लंबा है और इस के पंखों का फैलाव 60 मीटर है. यह ट्रेंट 1000 इंजन से लैस है. ड्रीमलाइनर अपनी सुरक्षा को ले कर चर्चा में था. 2013 में भारत सहित दुनिया भर के उड़ान सुरक्षा नियामकों ने बोइंग 787 ड्रीमलाइनर के पूरे बेड़े को उड़ान भरने से रोक दिया था. उस समय, एयर इंडिया (तब सरकारी स्वामित्व वाली) के पास छह 787 विमान थे. ड्रीमलाइनर्स के अलावा बोइंग को 2018 और 2019 में अपने 737 मैक्स विमान की दो घातक दुर्घटनाओं के बाद से अपने जेट की सुरक्षा को ले कर बढ़ती जांच का सामना करना पड़ रहा है.
बोइंग 787-8 की औसत कीमत लगभग 248.3 मिलियन डौलर यानी करीब 20,000 करोड़ रुपए है. बोइंग 787-9 मौडल थोड़ा बड़ा और ज्यादा उन्नत है, जिस की कीमत लगभग 292.5 मिलियन डौलर करीब 24,000 करोड़ रुपए है. बोइंग 787-10 यह सब से बड़ा मौडल है, जिस की कीमत 338.4 मिलियन डौलर करीब यानी 28,000 करोड़ रुपए तक जाती है. इस की खरीददारी में भी छूट मिलती है.
थोक और्डर पर भारी डिस्काउंट मिलता है. अगर कोई एयरलाइन 50 ड्रीमलाइनर खरीदती है, तो बोइंग 20 से 30 फीसदी तक डिस्काउंट दे सकती है. इस के अलावा, कई एयरलाइंस विमान खरीदने की बजाय लीज पर लेती हैं, जिस से लागत और कम हो जाती है. लीजिंग का खर्च मासिक या वार्षिक आधार पर 1 से 2 मिलियन डौलर तक हो सकता है, जो विमान के मौडल और लीज की शर्तों पर निर्भर करता है.
भारत में बोइंग 787 ड्रीमलाइनर का उपयोग मुख्य रूप से एयर इंडिया करती है. यह विमान लंबी दूरी की अंतर्राष्ट्रीय उड़ानों, जैसे दिल्ली-लंदन या मुंबई-न्यूयौर्क, के लिए पसंदीदा है. भारतीय यात्रियों को इस की बड़ी खिड़कियां, आरामदायक सीटें, और शांत केबिन काफी पसंद आते हैं. हालांकि, हाल के हादसों ने भारतीय उड्डयन प्राधिकरण को सतर्क कर दिया है, और इस की सख्त निगरानी की जा रही है.
कैसे बने उड़ने वाले जहाज
17 दिसंबर 1903 में पहली बार उत्तरी कैरोलिना के किटी हौक में ओरविल और विल्बर राइट ने विमान से इतिहास की पहली सफल उड़ान भरी. ओरविल ने गैसोलीन से चलने वाले इस टू सीटर विमान का संचालन किया. जो अपनी पहली उड़ान में 12 सेकंड तक हवा में रहा और 120 फीट की दूरी तय की. इस को राइट ब्रदर्स की पहली उड़ान माना जाता है. ओरविल और विल्बर राइट ओहियो के डेटन में पलेबढ़े और 1890 के दशक में जरमन इंजीनियर औटो लिलिएनथल की ग्लाइडर उड़ानों के बारे में जानने के बाद विमानन में रुचि विकसित हुई. अपने बड़े भाइयों के विपरीत, औरविल और विल्बर ने कौलेज में पढ़ाई नहीं की, लेकिन उन के पास असाधारण तकनीकी क्षमता और यांत्रिक डिजाइन में समस्याओं को हल करने के लिए एक परिष्कृत दृष्टिकोण था.
दोनों भाइयों ने प्रिंटिंग प्रेस का निर्माण किया और 1892 में एक साइकिल बिक्री और मरम्मत की दुकान खोली. जल्द ही, वे अपनी खुद की साइकिलें बनाने लगे और इस अनुभव ने उन के विभिन्न व्यवसायों से लाभ के साथ मिल कर, उन्हें दुनिया का पहला हवाई जहाज बनाने के अपने सपने को सक्रिय रूप से आगे बढ़ाने की अनुमति दी.
1900 में परीक्षण किए गए उन के पहले ग्लाइडर ने खराब प्रदर्शन किया, लेकिन 1901 में परीक्षण किए गए एक नए डिजाइन ने अधिक सफलता प्राप्त की. उस वर्ष के अंत में दोनों ने विभिन्न आकृतियों और डिजाइनों के लगभग 200 पंखों और एयरफ्रेम का परीक्षण किया. किल डेविल्स हिल्स में अपने 1902 ग्लाइडर में सैकड़ों सफल उड़ानें भरीं.
उन के बाइप्लेन ग्लाइडर में एक स्टीयरिंग सिस्टम था, जो एक चलने योग्य पतवार पर आधारित था. मशीनिस्ट चार्ल्स टेलर की सहायता से 12-होर्सपावर का इंटरनल कम्बशन इंजन डिजाइन किया और इसे रखने के लिए एक नया विमान बनाया. उन्होंने 1903 में अपने विमान को दो टुकड़ों में किट्टी हौक पहुंचाया. 14 दिसंबर को ऑरविल ने उड़ान का पहला प्रयास किया. उड़ान भरने के दौरान इंजन बंद हो गया और विमान क्षतिग्रस्त हो गया. उन्होंने इसे ठीक करने में 3 दिन बिताए. फिर 17 दिसंबर को सुबह 5 गवाहों के सामने विमान उडाया. विमान एक मोनोरेल ट्रैक से नीचे हवा में उड़ गया, 12 सेकंड तक हवा में रहा और 120 फीट ऊपर उड़ा. इस के साथ ही आधुनिक विमानन युग का जन्म हुआ.
राइट बंधुओं ने अपने हवाई जहाजों को और विकसित किया, लेकिन अपनी उड़ान मशीनों के लिए पेटेंट और अनुबंध हासिल करने के लिए अपनी सफलताओं के बारे में कम जानकारी दी. 1905 तक उन के विमान जटिल युद्धाभ्यास कर सकते थे और एक बार में 39 मिनट तक हवा में रह सकते थे. 1908 में उन्होंने फ्रांस की यात्रा की और अपनी पहली सार्वजनिक उड़ान भरी. जिस से व्यापक सार्वजनिक उत्साह पैदा हुआ.
1909 में अमेरिकी सेना के सिग्नल कोर ने एक विशेष रूप से निर्मित विमान खरीदा और भाइयों ने अपने विमान बनाने और बाजार में लाने के लिए राइट कंपनी की स्थापना की. 1913 में पहली कमर्शियल हुई. तब से अब तक उडने वाले विमानों की तकनीति में बहुत बदलाव हुए. इस के बाद भी होने वाले हादसे हमें यह सोचने पर मजबूर करते हैं कि हम अपनी सब से सुरक्षित यात्रा कब कर सकेंगे जब किसी हादसे का खतरा नहीं होगा.