Travelogue : बचपन में सब ने पढ़ा होगा कि व्हेल बड़े विचित्र जीव होते हैं, उन का मल अत्यंत सुगंधित होता है. व्हेल के बारे में और भी ऐसी जानकारियों के लिए दिल मचल रहा था. इसलिए निकल पड़े ऐसी यात्रा पर जहां बहुत सारे व्हेलों से रूबरू होने का मौका मिला.

व्हेल दुनिया का सब से बड़ा जीव माना जाता है. ये दुनिया के सभी महासागरों में घूमते हैं. इन का विशाल आकार हमें आश्चर्यचकित करता है. पूर्ण वयस्क ब्लू व्हेल की लंबाई लगभग 100 फुट और वजन लगभग 200 टन होता है, जो लगभग 33 हाथियों के बराबर होता है. पानी में रहने के बावजूद व्हेल मछली नहीं है. यह मनुष्य की तरह गरम खून वाला स्तनधारी जीव है, जो पानी की सतह पर आ कर हवा में सांस लेता है. इन की त्वचा पर ब्लबर नामक वसा की एक मोटी परत इन्हें ठंडे समुद्री पानी से बचाती है.

बचपन में मैं ने पढ़ा था कि व्हेल बड़ा विचित्र जीव है. इन का मल (पौटी) अत्यंत सुगंधित होता है. फ्रांस में बने बेशकीमती सैंट में व्हेलों के मल का उपयोग किया जाता है, सो व्हेल के मल का मूल्य लाखों में होता है. मुझे एक मित्र ने बताया था कि अंडमान प्रवास के दौरान उसे पता चला था कि समुद्र में मछुआरे बड़ी तत्परता से व्हेल की उलटी (एम्बरग्रीस) खोजते हैं.

अगर किसी मछुआरे को समुद्र में तैरती हुई व्हेल की उलटी मिल गई तो वह मालामाल हो जाता है, क्योंकि व्हेलों की उलटी सुगंध और औषधि बनाने के काम में आती है और बेशकीमती होती है. सो, बचपन से ही मुझे इस विशालकाय जीव के बारे में और ज्यादा जानने की जिज्ञासा थी.

पुराने जमाने से ही मनुष्य इन के स्वादिष्ठ मांस और त्वचा पर वर्तमान ब्लबर (जिस से औद्योगिक तेल बनाया जाता है) के लिए सारे विश्व में हारपून द्वारा व्हेलों का शिकार करते हैं जिसे व्हेलिंग कहते हैं. भारी संख्या में व्हेलिंग के कारण व्हेलों की कुछ प्रजातियां विलुप्त होने की कगार पर पहुंच गई थीं, इसलिए अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर वर्ष 1980 से व्हेलिंग पर पाबंदी लगा दी गई है.

व्हेल की आयु 70 से 100 साल तक होती है. व्हेल बड़ा विचित्र जीव है. कहते हैं कि स्वाभाविक मृत्यु से पहले व्हेल को उस की मृत्यु का आभास हो जाता है. वे समुद्र के बिलकुल नीचे चले जाते हैं, जहां सांस रुकने से उन की मृत्यु हो जाती है. उन के विशालकाय शरीर के मांस और अन्य अवशेष को समुद्री जीव वर्षों तक खा कर जिंदा रहते हैं.

मैं ने देशविदेश में कई समुद्र देखे हैं. समुद्र में 24-24 घंटे यात्रा भी की है. समुद्री क्रूज में रात भी बिताई है परंतु कभी इस विशालकाय जीव का दर्शन नहीं हुआ था. अभी हाल में मैं कनाडा गया था. वहां मुझे यह जान कर खुशी हुई कि गरम मौसम में क्यूबेक प्रांत के सैंट लौरेंस नदी के मुहाने में लोगों को व्हेलों के दर्शन करवाए जाते हैं और यह जगह विश्व के व्हेल दर्शन के सर्वश्रेष्ठ जगहों में से एक है.

अद्भुत सफर

वर्ष 2024 के अगस्त महीने में मैं सपरिवार व्हेलों के दर्शनार्थ क्यूबेक शहर से लगभग 200 किलोमीटर दूर टेडूसेक नामक स्थान पर सैंट लौरेंस मैरिन पार्क में दिन के लगभग 12 बजे पहुंच गया. यहां क्रोईसिरस नामक कंपनी अपनी जोडिएक (मोटरबोट) द्वारा दर्शकों को व्हेलों के दर्शनार्थ सैंट लौरेंस नदी के मुहाने पर ले जाती है. हम लोगों ने अपनी यात्रा के टिकट प्रति व्यक्ति कनाडाई डौलर 350 पहले से ही औनलाइन बुक करवा लिए थे.

क्रोईसिरस कंपनी के स्टाफ ने हमारा स्वागत किया. एक जोखिम फौर्म भरवाया. सभी लोगों को लाल रंग का एक पौलिथीन का पतलून, जैकेट और टोपी दी जिन्हें हम ने अपने कपड़ों के ऊपर पहन लिया ताकि यात्रा के दौरान हमारे कपड़े गीले न हों. क्रोईसिरस कंपनी के पीले रंग के जोडिएक में हम लोग लगभग 50 दर्शक सवार हो कर बैठ गए.

लाल परिधान में जोडिएक के कप्तान (पायलट) और फ्रैंच वयस्क महिला गाइड ने हमारा अभिवादन किया. सैंट लौरेंस नदी के तट से हमारी यात्रा लगभग 1 बजे दिन को शुरू हुई.

कनाडा के क्यूबेक प्रांत के अधिकतर निवासी फ्रैंच हैं. यह फ्रैंच प्रभुत्व वाला प्रांत है. यहां अधिकतर लोग फ्रैंच भाषा में बात करते हैं, इंग्लिश नहीं समझते हैं. जोडिएक में सवार अधिकतर दर्शनार्थी फ्रैंच थे. हमारी तरह कुछ लोग इंग्लिश समझने वाले थे. हमारी हंसमुख महिला गाइड दुभाषीय थी. उस ने पहले हमें फ्रैंच में, फिर इंग्लिश में संबोधित किया.

सैंट लौरेंस नदी के तट से काफी दूर मुहाने की ओर जाते हुए हमारे गाइड ने बताया कि व्हेल का दर्शन रोमांच की बात है. हमें 1 या 2 या 4 या 10 व्हेल दिख सकते हैं या व्हेल के दर्शन नहीं भी हो सकते हैं. उन्होंने हमें बताया कि एक व्हेल दिन में लगभग 500 किलो खाना (छोटी मछली, समुद्री जीव इत्यादि) खाती है और सैंट लौरेंस के मुहाने पर भोजन की कमी नहीं है, इसलिए गरम मौसम में व्हेलों के समूह हजारों किलोमीटर दूर समुद्र से माइग्रैट कर इस मुहाने में आते हैं और प्रजनन कर के अपने बच्चों के साथ सर्दी में वापस चले जाते हैं.

सैंट लौरेंस नदी के मीठे पानी का संगम यहां से लगभग 1,000 किलोमीटर दूर अटलांटिक महासागर के खारे पानी के साथ होता है. इसलिए सैंट लौरेंस के मुहाने का पानी हलका खारा है, परंतु मुहाना नदी के जैसा है, समुद्री लहरें नहीं हैं. लगभग 1 घंटे की यात्रा के बाद हम लोगों को पहला व्हेल का दर्शन हुआ. पहले उस का सिर (सांस लेने के लिए व्हेल पानी की सतह पर आया), फिर उस का विशाल काला शरीर, फिर पूंछ दिखाई पड़ी.

दर्शकों का मन आनंद से प्रफुल्लित हो उठा. सारे दर्शक व्हेल को देखने के लिए खड़े हो गए और हाथ हिला कर, सीटी बजा कर उसे प्रोत्साहित करने लगे. थोड़ी देर बाद 2 व्हेल तैरते हुए हमारे जोडिएक के बाईं तरफ बिलकुल करीब आ गए. गाइड ने हमें बताया कि ये मध्यम आकार वाले लगभग 15 फुट लंबे बेलुगा व्हेल हैं. अगर ये दोनों व्हेल हमारे जोडिएक को जोर से धक्का मार देते तो हमारा जोडिएक उलट जाता.

मेरे पूछने पर गाइड ने मुसकराते हुए बताया कि सैंट लौरेंस मुहाने के व्हेल बड़े शांत प्रकृति के होते हैं. वह 30 वर्षों से इस मुहाने में काम कर रही है, कभी किसी व्हेल ने किसी मनुष्य को या किसी नाव को नुकसान नहीं पहुंचाया. थोड़ी देर के बाद ये दोनों व्हेल हमारे जोडिएक के सामने दिखाई पड़े. कंपनी के यात्रियों से भरे हुए अन्य 5 जोडिएक भी हमारे जोडिएक के नजदीक आ कर व्हेलों को आनंद से देखने लगे.

कुछ दूरी पर एक तीनमंजिले क्रूज में सवार यात्रियों ने भी व्हेलों के दर्शन किए. गाइड ने हमें बताया कि सैंट लौरेंस का मुहाना इन बेलुगा व्हेलों को इतना पसंद है कि बहुत सारे बेलुगा व्हेल यहां स्थायी रूप से रहने लगे हैं. लगभग आधे घंटे की यात्रा के बाद हमें 2 मध्यम आकार के भूरे रंग के मिन्क व्हेल दिखाई पड़े. ये दोनों व्हेल सांस ले कर शोर करते हुए अपने नथुनों से पानी का लगभग 10 फुट ऊंचा फौआरा छोड़ रहे थे. यह देख कर हमें मजा आ गया.

थोड़ी देर बाद ये दोनों मिन्क व्हेल शोर कर के पानी का फौआरा छोड़ते हुए दोबारा दिखाई पड़े. मुझे ऐसा लगा कि हमें देख कर व्हेल भी खुश हुए हैं और हमारा स्वागत कर रहे हैं. गाइड ने बताया कि मुहाने में, जहां व्हेल साधारणतया रहते हैं और सांस लेने के लिए सतह पर आते हैं, वहां की गहराई लगभग 170 मीटर और पानी का तापमान लगभग 4 डिग्री है. वहां पानी काफी ठंडा है जबकि सैंट लौरेंस नदी के तट पर पानी गरम है, वहां का तापमान 20 डिग्री है.

हमारी वापसी की यात्रा लगभग 4 बजे शुरू हुई. वापसी के दौरान जोडिएक बहुत तेजी से चल रहा था. ठंडी हवा के साथसाथ मुहाने के हलके नमकीन पानी के झोंकों ने हमें भिगो दिया. वापसी के दौरान हमें एक काले रंग का हम्पबेक व्हेल दिखाई पड़ा जिस की काली पूंछ पर सफेद सुंदर चिह्न थे.

गाइड ने हमें बताया कि जो व्हेल हमें आज दिखाई पड़े उन को क्रोईसिरस कंपनी के स्टाफ पहचानते हैं क्योंकि वे हर साल यहां आते हैं और क्रोईसिरस कंपनी के स्टाफ ने प्यार से उन का अलगअलग नाम दे रखा है. तट के करीब आने पर पत्थरों के बीच हमें बहुत से छोटेछोटे भूरेसफेद रंग के समद्र्री सील धूप सेंकते हुए दिखाई पड़े.

पूरी यात्रा के दौरान आकाश में सूर्य चमक रहा था जो व्हेल के दर्शन में सहायक हुआ. हमारी गाइड ने बताया कि हम लोगों के लिए यह खुशी का समय है क्योंकि इस मौसम में पहली बार इतने सारे व्हेल एकसाथ दिखाई पड़े. लगभग 5 बजे शाम को तट पर आ कर हम लोगों ने जोडिएक के कप्तान और गाइड को धन्यवाद दिया और जोडिएक से उतर कर भीगे हुए पौलिथीन के कपड़ों को यथास्थान रख वापस चले आए. इस प्रकार हमारी व्हेल दर्शन की अभिलाषा बहुत आनंद और संतोषपूर्वक पूर्ण हुई.

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