Accident : दुर्घटना के बाद सही कदम उठाना आप के और दूसरों के लिए मददगार हो सकता है लेकिन आमतौर पर लोगों को इस की जानकारी कम होती है कि ऐसी परिस्थिति में वे क्या करें. जानिए यदि रास्ते में दुर्घटना हो जाए तो क्या करें.
आज की दौड़भाग वाली जिंदगी में हादसा कभी भी किसी के साथ भी हो जाता है. ऐसे समय कुछ सम झ नहीं आता कि क्या करें. हम अकेले होते हैं तो स्थिति बेहद खराब होती है. लेकिन हमारी हिम्मत ही हमें हर आपदा से बाहर निकाल सकती है. यदि हम घबरा गए तो शायद जिंदगी भी हम से प्यार नहीं करेगी.
निशा का एक्सिडैंट हुआ और उस का पैर टूट गया. पुलिस केस के कारण कोई भी सामने से मदद के लिए नहीं आता है. ऐसे में निशा घबरा गई उस के हाथपैर फूल गए और उस की घबराहट इतनी बढ़ गई कि वह पैनिक हो गई और उस की हालत बिगड़ती चली गई. लगभग 2 घंटे बाद उसे ट्रीटमैंट मिला, लेकिन खून ज्यादा बहने के कारण और उस के पैनिक होने से डाक्टर उसे बचा न सके.
प्रिया के घर में जोर से धमाका हुआ, कुकर फट गया था और आग लग गई. उस ने किसी तरह जा कर रसोई में देखा तो गैस को तुरंत बंद किया. सारे खिड़कीदरवाजे खोले और आग को बु झाने का प्रयत्न किया. जोर से चिल्ला कर आसपड़ोस के लोगों को भी बुला लिया, इस तरह एक बड़ा हादसा होतेहोते बच गया. अगर वह बिना सम झदारी के अपना आपा खो देती तो एक बहुत बड़ा हादसा उस के साथसाथ दूसरों को भी निगल लेता. यह हादसा भयानक दुर्घटना का रूप ले सकता था.
डिंपल सुबहसुबह वाक करने के बाद टूव्हीलर पर घर वापस आ रही थी तो पीछे से आती हुई कैब ने उसे जोर से टक्कर मार दी और एक्सिडैंट कर के उस का ड्राइवर भाग गया. एक्सिडैंट इतना भीषण था कि वह संभल न सकी. पिछला टूव्हीलर का पहिया जाम हो गया और और टूव्हीलर उस के पैरों के ऊपर जा कर गिरा. सीधे तरफ गाड़ी जाम हो कर ऐसी गिरी कि उस के सिर, कंधे और सीधे शरीर में बहुत मार लगी. काइनेटिक हौंडा पर रखा हुआ उस का पर्स, बैग, फोन सड़क पर इधरउधर बिखर गए?.
उस का टूव्हीलर उछल कर उस के पैरों पर गिरा और वह इतनी जोर से सड़क पर गिरी थी कि उस के कंधे की और पैर की हड्डी टूट गई. सिर पर मार के कारण सिर घूम रहा था, असहनीय दर्द के अतिरिक्त कुछ सम झ नहीं आया. उस से हिला भी नहीं जा रहा था दूसरी तरफ से आते हुए ट्रक को देख कर उस के हौसले पस्त होने लगे.
वह सहायता ढूंढ़ रही थी लेकिन कोई नजर नहीं आया. इक्कादुक्का लोग सड़क के किनारे वाक के लिए निकलते दिखे. आजकल लोग स्वयं किसी की मदद करने को आगे नहीं आते हैं. वे पुलिस के झं झटों से बचने का प्रयास करते हैं.
डिंपल ने खुद को हिलाने की कोशिश की, किंतु असमर्थ हुई. फिर उस ने अपने मन को मजबूत कर के मदद के लिए गुहार लगाई. जिस से एकदो लोग वहां आ गए. दूर से आते हुए ट्रक की गति भी कम हो गई. उन्होंने जल्दी से उस का टूव्हीलर उठा दिया और बोले, ‘‘मैडम, उठ जाओ.’’
डिंपल बोली, ‘‘मैं उठ नहीं सकती हूं, मेरी उठने में मदद करें.’’
उन दोनों का सहारा ले कर वह किसी तरह सड़क के किनारे बैठ गई. तब तक दर्द के अलावा कुछ सम झ नहीं आ रहा था. सुबह 7 बजे का वक्त था. सड़कों पर ज्यादा लोग नहीं थे. उसे सम झ नहीं आया कि वह क्या करे. मदद करने वाले लोग उसे किनारे पर छोड़ कर जा चुके थे.
उस ने देखा उस के पैर बुरी तरह छिल चुके हैं, हड्डी दिख रही है. पैरों से खून निकल रहा है. उस ने पैरों को दबा कर सहलाने की कोशिश की तो दर्द की तीखी लहर ने बहाल कर दिया. उस के घाव पर मक्खियां बैठने लगीं, कपड़े फट गए थे, हाथों, कोहनी, घुटने पैर के पंजे ज्यादा छिल गए. सीधा हाथ हिलाने में असमर्थ थी. उस ने कोशिश की लेकिन उठ नहीं सकी.
वह मदद के लिए घर पर फोन करना चाहती थी, लेकिन फोन उस के पास नहीं था. लोगों ने उस के बैग में सामान रख कर हौंडा पर रख दिया था. वह उठने में असमर्थ थी. तभी उस ने देखा एक बच्चा जो स्कूल बस का इंतजार कर रहा था वह उस के पास आया और बोला, ‘‘आंटी आप को चोट लगी है कुछ मदद करूं?’’
‘‘हां बेटा, सामने वह पर्स पड़ा है उसे मु झे पकड़ा दो.’’
उस ने अपने बैग से रुमाल निकाला और जहां पैरों में खून आ रहा था उस को बांध लिया.
तभी उस के पास एक कपल आया उन्होंने कहा कि आप को कहीं छोड़ दें?
डिंपल ने कहा, ‘‘मैं काफी देर से घर पर संपर्क करने की कोशिश कर रही हूं कोई फोन नहीं उठा रहा है. पीछे बिल्ंिडग में मेरा घर है आप वहां से किसी को बुला लाइए. मेरी हौंडा यहां है छोड़ कर नहीं जा सकती हूं, डैमेज है.’’
तब तक उस ने अपनेआप को शांत करने की कोशिश की. जहांजहां से खून निकल रहा था वहां अपनी चुन्नी को फाड़ कर बांध लिया. जब तक वह महिला परिवार वालों को बुलाने गई, वह लगातार अपने हस्बैंड से संपर्क करने की कोशिश करती रही. आखिरकार कोशिश सफल हुई. उस ने अपने हस्बैंड से कहा कि आप गाड़ी ले कर आएं मेरा एक्सिडैंट हो गया है और तुरंत अस्पताल जाना होगा.
इस तरह आधे घंटे के भीतर उसे अस्पताल जाने के लिए सहायता मिल गई. लेकिन इतना आसान नहीं था. एक्सिडैंट का केस था तो पुलिस कार्यवाही हुई. अस्पताल में पंचनामा किया गया. एक घंटे के भीतर उपचार शुरू हो गया.
समझदारी से काम लें
इसी तरह एक और किस्सा हुआ. महेश किसी काम से स्कूटर से शहर के बाहर गया था. वापसी में लौटते समय अंधेरे में एक सरिया लोहे का उस के पैर को भेद गया, गाड़ी फिसल कर गिर गई. पैरों से काफी खून आ रहा था क्योंकि हाईवे पर कोई मदद नहीं मिलती है. उस ने अपनी शर्ट उतारी और पैरों को कस कर बांध लिया और अपने घर वालों को फोन किया कि मैं जल्दी से घर पहुंचने वाला हूं डाक्टर को बुलाओ. किसी तरह तेजी से स्कूटर को तेज चला कर वह घर पहुंचा, आधे घंटे में काफी खून बह चुका था घर पहुंच कर वह बेहोश हो गया.
लेकिन उस ने फोन से घर वालों को सतर्क कर दिया था और डाक्टरी सहायता मिल गई, हालांकि रिकवरी में लंबा समय लगा, लेकिन यदि ऐसी सम झदारी नहीं दिखाई होती तो कुछ भी अनहोनी हो सकती थी.
दुर्घटना कहीं भी हो सकती है घर में हो सकती है, घर के बाहर हो सकती है, कोई भी दुर्घटना हो सकती है पर इस में घबराने की जगह संयम से उसे बाहर निकालने के उपाय सोचने चाहिए.
नीता के घर में सिलैंडर लीकेज हो गया. उस ने सम झदारी दिखाई और पूरे घर की खिड़कीदरवाजे खोल कर सब को घर से बाहर निकाल दिया और फायर ब्रिगेड को तुरंत सूचित किया. सम झदारी दिखाने से घटना टल गई.
दुर्घटना के वक्त यदि आप अकेले हैं. तो कुछ बातों का ध्यान रखें – प्राथमिक उपचार स्वयं करने का उपाय करें.
शांत रहें और घबराएं नहीं
घबराहट में क्योंकि हमारी मानसिक स्थिति बिगड़ जाती है और परिस्थितियों को बिगाड़ भी सकती है. ऐसे समय गहरी सांस लें और अपने दिमाग को सक्रिय करने की कोशिश करें जिस से क्या करना है वह आप निर्णय ले सकें.
अपनी चोट का आकलन करें
अपनी चोट का आकलन करें कि कहां चोट लगी है, यदि कहीं ज्यादा खून बह रहा है तो आप के पास जो भी है चुन्नीसाड़ी उसे फाड़ कर घाव को कस के बांध दें ताकि खून रुक जाए. प्राथमिक चिकित्सा खुद ही करने का प्रयास करें आप के पास जो कुछ भी है. ऐसे समय शरमाने की जरूरत नहीं है.
मदद के लिए कौल करें
आजकल स्वयं कोई मदद नहीं करता है, यदि आप के आसपास कहीं लोग दिख रहे हैं तो मदद के लिए लोगों को पुकारें, क्योंकि वही लोग पहले आप की मदद कर सकते हैं. यदि आप का फोन काम कर रहा है तो अपने परिवार और दोस्तों को सूचित करें, जिस से वह आप तक पहुंच सकें.
मदद के लिए इमरजैंसी हैल्पलाइन नंबर जैसे 108 पर तुरंत कौल करें या फिर अपने दोस्तों को फोन करें जिस से यदि उन का कोई परिचित उस एरिया में हो तो आप को मदद मिल सके.
अगर फोन तक नहीं पहुंच पा रहे हैं तो जोरजोर से चिल्ला कर लोगों का ध्यान आकर्षित करने की कोशिश करें जिस से मदद आप तक पहुंच सके.
यदि घातक दुर्घटना हुई है हड्डी टूट गई है तो ज्यादा जबरदस्ती न करें स्वयं को रिलैक्स करने की कोशिश करें, गहरी सांस लें. यदि आप अकेले हैं और परिवार बहुत दूर है तो हैल्पलाइन नंबर का उपयोग करें या आसपास जो भी दिख रहा है उस से कहें कि वह किसी भी गाड़ी में बैठा कर आप को अस्पताल पहुंचा दे.
मदद मांगने में संकोच न करें
यदि संभव हो तो प्राथमिक उपचार स्वयं करें, अगर आप के पास पानी है तो घाव को साफ कर लें ताकि मिट्टी और अन्य कीटाणु साफ हो जाएं.
हमारा जीवित रहना ज्यादा जरूरी है इसलिए मदद मांगने में संकोच न करें. मन को सकारात्मक रखें, आप की हिम्मत ही आप को मुसीबत से बाहर निकलने का रास्ता दिखाएगी. आजकल फोन की सुविधा बहुत अच्छी है, यदि आप अपने परिजनों से मदद के लिए बाहर हैं तो अपने लोकेशन की जानकारी दें जिस से वे आप को जल्दी ढूंढ़ कर मदद पहुंचा सकें.
सड़क पर कहीं बाहर एक्सिडैंट हुआ है तो आप अपने किसी व्हाट्सएप ग्रुप में अपनी लोकेशन डाल दें जिस से जो भी आसपास हो किसी तरह आप को मदद पहुंचा सके.
किसी भी परिस्थिति में मन को मजबूत करना बहुत जरूरी है जिस से आप का दिमाग सक्रिय होता है और आप सही निर्णय ले सकते हैं. जान है तो जहान है, पैनिक होने से न केवल आप का स्वास्थ्य बिगड़ जाएगा अपितु आप अपनी सोचनेसम झने की शक्ति भी खो देंगे. अपना ध्यान रखिए और किसी भी परिस्थिति में कमजोर न पड़ें. आप की हिम्मत आप को हर मुश्किल से बाहर निकलने का रास्ता बता देगी.