Loan : गरीबों को गरीब करने की सरकारी (कु)नीति पूरी तरह सफल हो रही है. एक तरफ लोगों का पैसा धर्मकर्म में लगवाओ, उन्हें तीर्थों में भेजो, उन से दानपुण्य कराओ, उन्हें पूजापाठ करने व दानदक्षिणा देने के लिए उकसाओ और दूसरी तरफ उन की नौकरियां छीनो, कामधंधे बंद करो, जमीनें हड़पो, मकान गिराओ की सम झीबू झी साजिश अब काम कर रही है.
बैंकों के आंकड़े बता रहे हैं कि महातीर्थ के पिछले 9 महीनों के दौरान 30 लाख लोगों के बैंक अकाउंट्स को कर्ज न चुका पाने की वजह से फ्रीज किया जा चुका है. जिन अकाउंटों में बैंक का कर्ज 3,000 रुपए से ज्यादा है उन्हें बंद कर दिया गया है और ठीकठाक ब्याज दर पर मिलने वाला कर्ज अब मिलना बंद हो गया है.
यह कौन देखेगा कि आखिर कर्ज बढ़ क्यों रहा है, लोग कर्ज चुका क्यों नहीं पा रहे जबकि भारत की अर्थव्यवस्था सब से तेज बढ़ रही है और हम दुनिया की 5वीं सब से बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुके हैं.
मार्च 2024 में जहां 8.7 करोड़ लोगों ने 4.4 लाख करोड़ रुपए कर्ज लिया हुआ था, बैंकों ने सख्ती कर के 31 दिसंबर, 2024 को कर्ज लेने वालों की गिनती कम कर दी 8.4 करोड़ यानी पहले से 30 लाख कम कर्ज लेने वाले लोग बैंकों का फायदा उठा पाए. उन को दिया गया कर्ज भी घटा कर 3.9 करोड़ रुपए कर दिया गया.
अगर लोगों में खुशहाली आ रही होती तो बात दूसरी होती. अब या तो लोगों ने अपने खर्चों में कटौती की है या ये लोग 20 से 40 फीसदी का ब्याज दे कर कर्ज ले रहे हैं. जिन लोगों ने किसी बैंक का कर्ज नहीं चुकाया तो वे कहीं और से कर्ज नहीं ले सकते, कभी भी. बैंकों ने सरकार से मिल कर खाताधारकों के आधार कार्ड और पैन कार्ड को उन के अकाउंटों से जुड़वा दिया और ये सारे सिबिल स्कोर से जुड़े हैं. एक तरह से हर कर्जदार हमेशा के लिए काली सूची में आ जाता है.
माइक्रोक्रैडिट सभी बैंकों के लिए अच्छा धंधा है क्योंकि कम मेहनत से छोटाछोटा कर्ज दे कर वे कर्जदारों से खासा ब्याज और पैनल्टी वसूल लेते हैं. उन की आय का बड़ा जरिया यही है. बट्टे खाते में गए कर्जों के बावजूद अगर बैंकों के प्रौफिट ऊंचे हैं तो उन में छोटे कर्जदारों का बड़ा हिस्सा है.
सोने के दाम बढ़ने से बैंकों ने गोल्ड लोन के जरिए गरीबों से सोना छीनने का काम जम कर किया है. शूद्र, दलित, पिछड़े और सवर्ण औरतों के हाथों में पैसा न बचे, इस के लिए ऐसी साजिश की गई है कि उन से सारा पैसा खींच लिया जाए, गरीब से पैसे और मेहनत दोनों लिए जा रहे हैं. वहीं, अमीर से भी टैक्सों से पैसा लिया जा रहा है, यह कह कर कि उसे गरीब सेवक सस्ते में दिए जा रहे हैं. यानी, धर्म और सरकार की साजिश पूरी तरह जारी है.