Kesari Chapter 2 : 2025 की दूसरी तिमाही के तीन सप्ताह बाद भी बौलीवुड में मनहूसी छाई हुई है. तीसरे सप्ताह 18 अप्रैल को अक्षय कुमार की फिल्म ‘‘केसरी चैप्टर 2: अनटोल्ड स्टोरी औफ जलियांवाला बाग’’ रिलीज हुई. फिल्म का ट्रेलर देख कर इस फिल्म से काफी उम्मीदें बंधी थीं. 13 अप्रैल 1919 के दिन ब्रिटिश हुकुमत ने अमृतसर के जलियांवाला बाग मे रोएल्ट एक्ट का शांतिपूर्ण विरोध कर रहे हजारो निहत्थे निर्देशों पर गोलियां बरसाई थी, जिन में छोटे मासूम बच्चे भी मारे गए थे.

जलियावाला बाग कांड एक ऐसा जख्म है, जिस का दर्द आज भी रिस रहा है. आज भी जलियांवाला बाग कांड का नाम आते ही हर भारतीय का अंग्रेजों के खिलाफ खून खौल उठता है. इस वजह से भी इस फिल्म के ट्रेलर ने हर इंसान को प्रभावित किया था. लेकिन फिल्म के निर्माताओं (करण जोहर की धर्मा प्रोडक्शन और अक्षय कुमार की ‘कैप गुड फिल्मस’ ) ने फिल्म की एडवांस बुकिंग शुरू करने से पहले ही ऐसा हथकंडा अपनाया कि दर्शकों का इस फिल्म से मोहभंग हो गया और अब यह फिल्म बुरी तरह से डिजास्टर हो चुकी है.

वास्तव में अक्षय कुमार और करण जोहर ने अपनी फिल्म को राजनीतिक हथकंडा बना डाला. फिल्म के रिलीज से 4 दिन पहले 14 अप्रैल को हिसार की सभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सी शंकरन नायर व फिल्म की चर्चा की. फिर 15 अप्रैल को दिल्ली में हरदीप पुरी सहित कई मंत्रियों को फिल्म दिखा कर फिल्म का प्रचार कराया. 16 अप्रैल को दिल्ली, मुंबई, चंडीगढ़, अहमदाबाद,लखनऊ सहित कई शहरों में अक्षय कुमार के फैंस को फ्री में फिल्म दिखा कर उस के वीडियो यूट्यूब व सोशल मीडिया पर वायरल किए गए. इस का फिल्म के पक्ष में नहीं बल्कि नगेटिव असर हुआ.

दूसरी बात पर इंटरनेट, एआई ग्रोक व रेडिफ डोट काम सहित कई वेब साइट की माने तो फिल्म ‘केसरी चैप्टर 2’ में काल्पनिक इतिहास लिखने का प्रयास है. 13 अप्रैल 1919 के दिन जलियांवाला बाग मे हुए नरसंहार के बाद एक ब्रिटिश पत्रकार ने ही इस हादसे का पूरा विववरण छापा था, जिस से पूरे विश्व में ब्रिटिश हुकूमत की थूथू हुई थी. तब लीपापोती करने के लिए ब्रिटिश हुकुमत ने हंटर कमीशन बैठाया था. इस की जांच रपट के आधार पर जनरल डायर को उन की कमान से बाहर कर दिया गया था. उस के दो साल बाद सी शंकरन नायर ने एक किताब ‘गांधी एंड एनारकी’ लिखी थी, जिस में उन्होंने पंजाब के गर्वनर ओ डायर के खिलाफ कुछ लिखा था, इसी किताब को आधार बना कर ओडायर ने इंग्लैंड में सी शंकरण नायर के खिलाफ मानहानि का मुकादमा किया था, जिस में शंकरन नायर की बुरी तरह से हार हुई थी. और उन्हें जुर्माना भरना पड़ा था. इस सच ने आग मे घी डालने वाला ऐसा काम किया कि लोगों ने फिल्म‘ केसरी चैप्टर 2’ से दूरी बना ली. बाक्स आफिस आंकड़े दावे कर रहे हैं कि ‘केसरी चैप्टर 2’ ने एक हफ्ते यानी कि 7 दिन में साढ़े 43 करोड़ रूपए बाक्स आफिस पर एकत्र किए, इस में से निर्माता की जेब में महज 15 करोड़ रूपए ही जाएंगे.

अक्षय कुमार जैसे तथाकथित सुपरस्टार की फिल्म का बाक्स आफिस पर यह हश्र हो कहीं से भी सोभा नहीं देता. यह तो ऊंट के मुंह में जीरा वाली बात हो गई. केसरी चैप्टर 2 के सात दिन के आंकड़ों से यह बात साफ हो जाती है कि यह फिल्म अपनी लागत वसूल करने में बुरी तरह से नाकाम है. वैसे भी निर्माता फिल्म की लागत बताने को तैयार ही नहीं हैं. अक्षय कुमार हर फिल्म के लिए 120 करोड़ रूपए पारिश्रमिक राशि लेते हैं. लेकिन अब अक्षय कुमार दावा कर रहे हैं कि उन्होंने ‘केसरी चैप्टर 2’के लिए कोई फीस नहीं ली.

फिल्म ‘केसरी चैप्टर 2’ की असफलता से निर्माता को जो नुकसान हुआ, उस की भरपाई तो वह ऐन केन प्रकारेण कर लेगा..पर अहम सवाल यह है कि सिनेमाई स्वतंत्रता के नाम पर इतिहास के साथ छेड़छाड़ करने को भी अपराध माना जाए या न माना जाए?

देखिए, आज की पीढ़ी किताब कम पढ़ती है, पर सिनेमा देखती है और वह सिनेमा में वर्णित इतिहास को ही सच्चा इतिहास मान बैठती है. इस से उस का और देश दोनों का नुकसान हो रहा है. ऐसे में फिल्मकार व कलाकार की भी जिम्मेदारी बनती है कि वह ऐतिहासिक विषयों को उठाते समय सावधानी बरतें. कम से कम इतिहास को गलत ढंग से न पेश करें. पर यहां कौन किस की सुनने वाला. सभी को रातोंरात सब से ज्यादा धन जो कमाना है.

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