Hindi Poetry : घनघोर अंधेरा छाया था.
मन मेरा अत्यधिक घबराया था.
जब कहने सुनने को,
मेरे हिस्से अनगिनत चुनौतियाँ आयी थीं.
जब मेरे अंदर ही अंधकार व्याप्त था,
तो खुद से ही रोशनी की किरण ढूंढने का वक्त आया था.
जब खुद के अलावा किसी और का साया ना दिख पाया था,
तो समझ का ताला तभी तो मिल पाया था.
पंख खोलने का तभी वक्त आया था, जब मेरा ही प्रतिबिम्ब मुझे दिख पाया था,
तभी तो समय का प्रवाह, कर्म के पथ से मिल पाया था.
सूरज की रोशनी का प्रतिबिंब तभी मिल पाया था,
हार और जीत में जीत का होना संभव हो पाया था.
सही मायनों में मेरे जीवन का अर्थ,
उद्देश्य मिल पाया था.
लेखिका : अनुपमा आर्या
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