Religion : यह कैसा धर्म संकट है जिसे समझ पाना सोच से परे है. एक तरफ सरकार मुसलमानों को ईद पर सौगात दे रही है तो दूसरी तरफ नवरात्रि पर मीट की दुकानों पर ताला लगाने की बात करती है. ईद पर बीजेपी 32 लाख मुसलमानों के घर मोदी की सौगात ले कर जा रही है. उन्हें यह दिखाना चाहती है की हमसब एक हैं लेकिन दूसरी तरफ उन की तौहीन करने पर जुटी हुई है. अगर बीजेपी के नेता दिनरात मुसलमानों के खिलाफ बयान देना बंद नहीं करते हैं तो फिर ऐसी सौगात का क्या मतलब.
एक तरफ ईद के मौके पर मीट की दुकानों पर ताला लगाया जा रहा है उन की रोजीरोटी को बंद किया जा रहा है तो कहीं सौगात बाटी जा रही है. बड़ी असमंजस की बात है कि आखिर मोदी सरकार कर क्या रही है. यह तो साफ है कि अपने देश के मुसलमानों को तो खुश करने का विचार इस में प्रतीत नहीं होता है लेकिन लगता है अरब देशों को वो दिखाना चाहते हैं कि भारत में कितना भाईचारा है. बड़ा ही दुविधाभरा विचार लग रहा है बीजेपी सरकार का मानो उन्हें खुद ही नहीं पता कि गले लगाएं या उन्हें समाज से अलग बनाएं.
उत्तर प्रदेश सरकार में राज्य मंत्री कपिलदेव अग्रवाल ने हापुड़ क्षेत्र में नवरात्रि के दौरान मीट की दुकानों को बंद रखने के आदेश दिए हैं, उन का कहना है कि नवरात्रि के 9 दिनों में मीट की दुकानों को खोलना गलत है और इस से हिंदुओं की आस्था का अपमान होता है, वहीं उत्तर प्रदेश में रमजान के पूरे महीने में शराब की दुकानें खुली रहीं और साथ ही इन्हीं दिनों में ही शराब के ठेकों पर एक के साथ एक शराब फ्री बाटी जा रही है. क्या इस से इसलाम का अपमान नहीं हो रहा, जहां इसलाम में मदिरापन को सख्त वर्जित बताया गया है लेकिन मुसलमानों ने तो शराब की दुकानों को बंद करने की मांग नहीं की. क्या ये नवरात्रों में शराब का फ्री बांटना सनातन धर्म का अपमान नहीं? और क्या बीजेपी बड़ेबड़े होटलों में भी इन 9 दिनों में मीट का बनना बंद कर सकेगी या यह सिर्फ रेहड़ी या छोटे ढाबों वालों के पेट पर लात मारने का एक तरीका अपना रही है? क्यों शिवरात्रि या नवरात्रि पर ही इस तरह के फरमान जारी करने पर जोर दिया जाता है?