Crime : जुल्म की दुनिया में आएदिन नाबालिगों का दबदबा बढ़ता ही जा रहा है, फिर चाहे बात लूटपाट, मर्डर या रेप केस की हो. हाल ही में झारखंड के खूंटी, जिला रनिया थाना क्षेत्र में 5 नाबालिग आदिवासी लड़कियों से 18 नाबालिग लड़कों ने सामूहिक रेप किया.
ये सभी लड़कियां अपने रिश्तेदार के घर शादी से पहले होने वाली रस्म ‘लोटा पानी’ कार्यक्रम में शामिल होने आई थीं, जो रात को अपने घर वापस जा रही थीं. तभी ये 18 लड़के इन का पीछा करते हुए आए और इन्हें अपनी हवस का शिकार बना लिया. किसी तरह एक लड़की वहां से बच निकली. उस ने गांव पहुंच कर वारदात की सूचना गांव वालों को दी. तब कुछ लोग लड़की के साथ आए और बाकी 4 लड़कियों को बचाया.
सभी पीड़िता लड़कियों का मैडिकल चैकअप कराया गया, जिस में रेप की पुष्टि हो गई. मामले की जानकारी लेने के लिए जिला विधिक सेवा प्राधिकार की सचिव राजश्री अपर्णा कुजूर तोरपा पहुंचीं. सभी आरोपियों को विधिसम्मत बालसुधार गृह भेज दिया गया है.
हैरान कर देने की बात यह है कि हमारे देश में नाबालिगों द्वारा कितने भी जघन्य अपराध क्यों न हों, सजा के नाम पर 3 साल के लिए बाल सुधार गृह ही भेजा जाता है और अगर मामला ज्यादा गंभीर है, तो जुवैनाइल कोर्ट में उस नाबालिग को ‘बालिग’ मान कर मुकदमा चलाया जाता है और आईपीसी के तहत सजा सुनाई जाती है.
21 साल की उम्र के बाद नाबालिग को जेल में डाला जाता है, लेकिन किसी भी हालात में मौत की सजा या उम्रकैद की सजा नहीं सुनाई जा सकती, जिस का कई बार ये नाबालिग फायदा उठाते हैं और आपराधिक दुनिया में अपना दबदबा बढ़ाते जाते हैं.
रिकौर्ड्स के मुताबिक, 16 से 18 साल के नाबालिगों में आपराधिक सोच बीते 5 सालों में 43 फीसदी ज्यादा बढ़ी है, जिस के लिए जरूरी है कि कानून में संशोधन किया जाए और नाबालिगों की उम्र 18 साल से घटा कर 16 साल कर दी जाए.
वहीं, ऐसे लड़कों व इन के परिवारों का समाज से बौयकौट कर दिया जाए, क्योंकि ज्यादातर ऐसे लड़के बाल सुधार गृह से बाहर आते ही अपने ऐशोआराम की जिंदगी जीते हैं, लेकिन पीड़िता लड़की व उस के परिवार को सारी जिंदगी नफरत की नजरों से देखा जाता है. जिस वजह से ऐसे परिवारों का समाज बहिष्कार तक कर देता है. कई बार तो दुनिया के तानों से छुटकारा पाने के लिए पीड़िता खुदकुशी तक कर लेती है और वे मनचले लड़के बेखौफ किसी और को अपनी हवस का शिकार बनाने का रास्ता खोजते रहते हैं.