Artificial Intelligence : समाज में यह कहावत बहुत प्रचलित है कि ‘हलवाई नहीं खाता, अपनी बनाई मिठाई’. यह कहावत अमेरिका पर पूरी तरह से फिट बैठती है. एआई यानि आर्टीफिशियल का पूरी दुनिया में बोलबाला है. पूरी दुनिया एआई के पीछे भाग रही है. आर्टिफिशियल इंटेलिजैंस एआई शब्द खूब प्रचलन में है. स्कूली छात्र 400 शब्दों का निबंध तक इस से लिखवा रहे हैं. भविष्य में इस की मदद से कई सारे जरूरी काम आसानी से कर पाएंगे. आर्टिफिशियल इंटेलिजैंस का इस्तेमाल डेली लाइफ में बहुत कौमन हो चुका है.

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के जरिए एक ऐसा कंप्यूटर सिस्टम या रोबोटिक सिस्टम तैयार किया जाता है, जिसे उन्हीं तर्कों के आधार पर चलाने की कोशिश होती है जिस के आधार पर एक इंसान का दिमाग काम करता है. एआई की शुरुआत भले ही 1950 के दशक में हुई. अमेरिका के कम्प्यूटर साइंटिस्ट जौन मैकार्थी ने 1956 में इस के बारे में बताया था. इस की पहचान 1980 के दशक की शुरुआत में मिली. 1981 में जापान ने इस तकनीक का इस्तेमाल कर कप्यूटर की दुनिया में क्रांति ला दी.

इस का जनक अमेरिका को माना जाता है. लेकिन वहां के लोग एआई का प्रयोग कम करते हैं. अमेरिका के 18 फीसदी लोग ही एआई के प्रयोग करते हैं. एआई का सब से अधिक 49 फीसदी प्रयोग भारत के लोग कर रहे हैं. इस के बाद 47 फीसदी नाइजीरिया, 45 फीसदी वियतनाम, 35 फीसदी चीन के लोग करते हैं. अमेरिका को एआई के प्रयोग से होने वाले नुकसान का पता है. एआई का लगातार प्रयोग करने से युवाओं में प्रतिभा की कमी हो रही है.

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