Artificial Intelligence : आर्टिफिशियल इंटेलिजैंस को ले कर दुनिया भर में डर का हौव्वा खड़ा किया जा रहा है. माइक्रोसौफ्ट के को-फाउंडर बिल गेट्स ने भी कहा कि एआई अधिकांश नौकरियों को खत्म कर देगा और ग्लोबल इकोनोमी को पूरी तरह बदल देगा.

सवाल यह कि किसी टैकनोलौजी के आने से नौकरियों और अर्थव्यवस्था पर असर पड़ता है? जवाब है हां. दुनियाभर में रेडियो, कंप्यूटर, टेलीविजन, मोबाइल क्रान्ति हुई. इन के आने से फर्क पड़ा, कुछ तरह की नौकरियां खत्म हुईं पर कुछ तरह की नौकरियां पैदा भी हुईं. अर्थव्यवस्था उसी हिसाब से चली और ग्लोबल हुई. पर सभी पेशे खत्म हो जाएंगे यह मानना अतिश्योक्ति है.

जानिए जिन पेशों के खत्म होने की बात की जा रही है वह खत्म होंगे या नहीं –

कोडर्स: एआई को हमारी जरूरत

आप सोच रहे होंगे कि प्रोग्रामर्स की नौकरी सब से पहले खतरे में आएगी. पर ऐसा नहीं है. हालांकि एआई कोड लिख सकता है, लेकिन वह परफैक्ट नहीं है. गलतियों को सुधारने, मौनिटर करने के लिए इंसानों की जरूरत होगी. अभी भी हमें एआई की नहीं, एआई को हमारी जरूरत है.

एनर्जी एक्सपर्ट : एआई के लिए बहुत जटिल है यह क्षेत्र

तेल, परमाणु, नवीकरणीय ऊर्जा. यह क्षेत्र बहुत ही रणनीतिक और जटिल है, जिसे पूरी तरह मशीनों पर छोड़ना संभव नहीं. इंजीनियर्स, रिसर्चर्स और टैकनीशियनों की जरूरत हमेशा रहेगी, ताकि वे इंफ्रास्ट्रक्चर को संभाल सकें, चैलेंजेस को समझ सकें और नई खोजों को कर सकें.

बायोलौजिस्ट : इंसान की जरूरत

एआई बीमारियों का निदान कर सकता है, डीएनए सीक्वेंस का विश्लेषण कर सकता है और डाक्टर्स से बेहतर तरीके से बीमारियों का पता लगा सकता है मगर यह वह बिना इंसानी समझ और क्रिएटिविटी के नहीं कर सकता.

बात क्रिएटिव फील्ड की आती है तो एआई को सब से ज्यादा मारक बताया जा रहा है. मगर एआई वही जानकारी देता है जो आप चाहते हैं वो भी किसी जानकारी के आधार पर जो इंसान ने जुटाई हो. सही या गलत की समझ न होने के चलते अभी भी वह इंसानों पर ही निर्भर है.

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