Rap Song : आज हर गलीमहल्ले, स्कूलकालेजों में युवा रैप गाते हुए सुनाई देते हैं. रैप गानों का बड़ा प्रशंसक वर्ग है, खासकर इसे युवा खूब पसंद करते हैं. लेकिन जिस तरह के रैप गाने बनाए जा रहे हैं क्या वे सुनने लायक हैं भी?

माना जाता है कि रैप की शुरुआत सैकड़ों साल पहले हुई थी जब अफ्रीकी लोगों को बंधुआ मजदूरी के लिए अमेरिका लाया जाता था. अपनी तकलीफ और गुस्से का इजहार करने के लिए ये लोग यह गाते थे. आगे चल कर यह अमेरिकीअफ्रीकी समुदाय के बीच एक लोकप्रिय आर्ट फौर्म बन गया और धीमेधीमे इस ने म्यूजिक इंडस्ट्री में अपनी जगह बनाई. रैप कहें तो एक बेसुरे को आवाज देने का जरिया, जिस में धुनों, सुरों व तालों का कोई लेनादेना नहीं. शुरुआती समय में रैप मनोरंजन से कहीं ज्यादा सामाजिक समस्याओं के खिलाफ गुस्सा जाहिर करने का जरिया था.
दूसरे शब्दों में कहें तो रैपिंग की शुरुआत अफ्रीकीनअमेरिकी अल्पसंख्यकों पर अन्याय के विरोध के रूप में हुई थी. उन के रैप आम लोगों को जिंदगी के पाठ पढ़ाते थे. लेकिन अमेरिका समेत दुनियाभर में रैप गानों की थीम में गिरावट बड़ी तेजी से हुई. भारत में भी ये बहुत छिछले तक तक जा पहुंचे हैं, जैसे कि हनी सिंह, बादशाह, रफ्तार, लिलगोलू, एमिवे, किंग ये सब वे नाम हैं जिन्होंने इस विधा की मिट्टी पलीद कर दी है.
इन के गानों में सिर्फ सैक्स, गलियां, नशा, वौयलैंस, ऐयाशी, महिलाओं के लिए अश्लीलता ही भरी पड़ी है. ये अपने गानों में सिर्फ अपनी ‘मैं’ की बात करते हैं और अपनी निजी खुन्नस या किसी भी अनुभव को गाने के रूप में पेश कर देते हैं.
सवाल यह है कि इन की ‘मैंमैं’ से युवाओं का क्या लेनादेना? युवा ऐसे गाने सुन कर क्या सीख लेंगे? सीखना तो दूर, इन के गाने युवाओं को भ्रष्ट करने में कोई कसर नहीं छोड़ते.
ये अपने गानों में आपसी लड़ाई के किस्से जाहिर करते हैं. सालों पुराने झगड़ों को गानों में घसीटते रहते हैं और आर्ट की जगह सस्ते विवादों का सहारा ले कर गाना हिट कराते हैं. क्या यह दुकान चलाने का जरिया नहीं?

उलजलूल गाने

इस समय कुछ नामचीन रैपर्स का इस इंडस्ट्री में बोलबाला है. मगर इन के गाने सुनें तो ऊलजलूल हैं. विजुअल्स में बड़ी कार, बड़ा घर, बैकग्राउंड में लड़कियां होती हैं. पैसों का दिखावा करते हैं. इन के लिरिक्स सुनने लायक नहीं होते.
इन के लगभग सभी गानों में गलीगलौच चल रही होती है. वौयलैंस को ग्लोरिफाई किया जाता है. बड़ीबड़ी बंदूकें ले कर घूमते हैं. यो हनी सिंह का ‘बोनिता’ वाला गाना भी ऐसा ही है.
इस में वे कहते हैं- ‘सब से करीब मेरे तू ही है बनिता. औन स्पौट करती है मर्डर ये. जब वे करती सफाई निकलता आशिकों का मलबा. आजा बरसा दू तेरे हुस्न की बारिश.’
यानी, लड़की के इतने आशिक हैं कि घर की सफाई में उन का मलबा निकलता है. वाकई आप किसी के हुस्न की बारिश कर सकते हैं, हम ने तो नहीं देखी कभी ऐसी बारिश. इसी तरह हनी सिंह ने ‘मिलेनियल’ गाना बनाया है जिस में सिर्फ अमीरी का बखान है. हैरानी यह कि यह गाना वे सुन रहे हैं जो घोर गरीबी में जी रहे हैं.
ऐसा ही एक रैपर निशायर है, उस के बोल कुछ इस तरह हैं, ‘भाड़ में गई तू तेरा वो प्यार. तेरे लिए ली मैं ने किस्तों पे कार. सब ने कहा तू फेक है जब तू रहता है फोन पे वो बातें करें अननोन से. वो सगी नहीं बेटा किसी की. उस की नशीले आंखों ने घर हैं उजाड़े. तूने दिखा ही दी अपनी औकात प्रौमिस है मेरा, तू बरबाद होगी.’
यहां ऐसा लगता है जैसे सिंगर अपने ताजाताजा हुए ब्रेकअप की भड़ास निकाल रहा है. उस से युवा क्या सीख रहे हैं. वो बदला लेने की बात करता है, लड़की को बरबाद करने की बात करता है. क्या ऐसा करना और कहना सही है. यंग एज में जाने कितने ब्रेकअप होते हैं, लोग अपने ब्रेकअप को इस गाने से जोड़ कर देखेंगे और क्या इस सिंगर वाली फीलिंग खुद में ला कर नफरत करना ही सीखेंगे?
रैप सिंगर जो जो हिंद का एक गाना है (लड़की हरामी). इस में अश्लीलता की सारी हदें पार हो गई हैं.
इस गाने को सुन कर शर्म से आंख न झुक जाए तो कहना. यह गाना पूरी तरह सैक्स पर आधारित है. ‘लड़का कहता है मेरी जेब में है रौकेट, फ्लौवर उस का स्ट्रौबैरी हो या वनीला, फर्क नहीं पड़ता, मुझ को चरम सुख देदे…’ इस के आगे ऐसी बातें हैं जो कही नहीं जा सकतीं. अंत में वह कहता है- वो बंदी हरामी थी.
इस गाने में अश्लीलता का वह मंजर दिखाया है जिसे आप सिर्फ अकेले में ही सुन सकते हैं. सवाल यह कि वह गाना ही क्या जिस पर आप थिरक न सकें, जिसे सुनने के लिए बंद कमरे की जरूरत पड़े.
वन ‘बोटल डाउन’ में हनी सिंह कहते हैं- ‘मैं सोता हूं, दिन में पार्टी करूं या रात में. संडे हो या मंडे मैं तो डेली पीता हूं, सब को पता है मैं दारू पे ही तो जीता हूं.’
इस गाने में हनी युवाओं को बता रहा है कि आप को पढ़नेलिखने की कोई जरूरत नहीं है. आप दिन में सोएं और रात को इन के गानों पर नाचनाच कर पार्टी करें. रोज दारू पीने की सलाह भी ये देते हैं. क्या ऐसे नशेड़ियों को आईडियालाइज करना ठीक है? ये सिखा क्या रहे हैं युवाओं को? लड़कियों को चरित्रहीन और खुद बेचारा दिखाने के अलावा इन के गानों में क्या है? फिर ये अपने गानों में जम कर पार्टी करने और नशे करने की बातें करते हैं. अरे भाई, ऐसी हरकतें रहेंगी तो लडकियां छोड़ेंगी ही न.
रैपर बादशाह अपने ‘सनक’ गाने में कहता है, ‘प्यार इतना ज्यादा दिया कि वो रोने लगी, मानसिक संतुलन अपना खोने लगी, पहले गंदा किया फिर खुद ही धोने लगी. एक रात में ही लव उसे होने लगी.’
मतलब क्या लिरिक्स हैं? मानसिक संतुलन तो रैपर का हिला हुआ है. वास्तव में इस अलबम को सनक नाम दे कर सही ही किया है. कोई सनकी व्यक्ति ही ऐसा गाना लिख सकता है. कह रहा है कि अगर लड़की को ज्यादा प्यार दो तो वह अपना मानसिक संतुलन खो देगी. हाऊ रबिश.
रैप सिंगर मोनू का गाना दो कदम आगे है, ‘समस्तीपुर रोसड़ा में रहते हैं जान, बोले तो बीआर 33 है शान. चलचल बेटा तुझे घुमा दूं मैं बस्ती.’
मतलब, इस में रैपर कहना क्या चाह रहा है? लाखों इसे देख चुके हैं, कहीं का कुनबा कहीं का रोड़ा-
‘चले जब तू लटकलटक
लौंडो के दिल पटकपटक
सांसें जाएं अटकअटक
आता माझी सटकसटक
बम तेरा गोते खाये
कमर पे तेरी बटरफ्लाई
बौडी तेरी मक्खन जैसी
खाने में तू बस मटर खाए.’
भोजपुरी गाने तो योंही बदनाम हैं. असल गंद तो इन रैपर्स ने फैलाया हुआ है. वे बेचारे तो ड्योडी और पेटीकोट तक ही सीमित हैं, ये तो लड़कियों के ऐसेऐसे प्राइवेट पार्ट्स को इंग्लिश में बोल जाते हैं जैसे रेशमी जुल्फें और शरबती आंखों की ही बात हो, बस. दिक्कत यह है कि आर्टिस्टिक फ्रीडम के नाम पर ये किसी का भी गाना चुराने से परहेज नहीं करते.

बात सिर्फ रैप सौंग की नहीं

दिक्कत यह है कि इन रैपर्स के छोटेछोटे पोडकास्ट सोशल मीडिया पर काफी वायरल रहते हैं, जिन में ये एकदूसरे को कुछनकुछ बोल रहे होते हैं. ये रील्स बहुत वायरल होती हैं. यंगस्टर इसे खूब देखते हैं और काफी पसंद करते हैं.
यह बात इन्हें भी पता है कि जिस देश की जनता के पास जेसीबी की खुदाई देखने का समय हो वहां इन नौटंकियों के लिए तो समय होगा ही. इसलिए ये एकदूसरे पर कीचड़ भी उछालते हैं क्योंकि इन्हें पता है यहां से इन्हें पब्लिसिटी मिलेगी. जैसे हाल में एक पोडकास्ट में हनी सिंह ने अपनी बहुत सारे रैप सिंगर के साथ लड़ाई को जगजाहिर किया और उस पर काफी बातें कीं. उस ने बादशाह को अपना क्लाइंट बताया. इस के बाद बादशाह ने इस का जवाब दिया.
ये लोग ऐसा ही करते हैं. एक ने कुछ कहा तो दूसरा वैसे ही किसी पोडकास्ट में आ कर उस बात का जवाब देता है. इन लोगों की ऐसी बातें युवा खूब पसंद करते हैं.

वायरल का गेम

जनवरी 2025 में रैपर ओजी 2 लो ने इंटरनैट पर तहलका मचा दिया जब उस का एक वीडियो वायरल हुआ, जिस में वह गलती से अपने पैर में गोली मार लेता है. इस पर वह कहता है, ‘हर बार जब हम एकसाथ मिलते हैं तो इतिहास बनाते हैं. सो, मुझे लगता है कि हम ने अभी इतिहास बनाया है.’
जैसे ही वीडियो औनलाइन वायरल हुआ, लोगों ने रैपर की खूब आलोचना की. और उसे ऐतिहासिक पल नहीं बल्कि उस की लापरवाही बताया. ये लोग कई बार वायरल होने के लिए भी ऐसा करते हैं ताकि लोग इन्हें देखें और सुनें.
मशहूर होने के लिए ये घटिया गाने तक बनाते हैं. सिंगर और रैपर हनी सिंह को 10 साल पुराने विवादित गाने के मामले में राहत मिली. दरअसल कुछ साल पहले ‘मैं हूं बलात्कारी’ गाने को ले कर बवाल हुआ था. ये लोग इस तरह के विवादों में भी फंसते रहते हैं.

आपसी लड़ाई का दिखावा

यह पूरी दुनिया का ट्रैंड है. आप को मशहूर होना है तो विवाद छेड़ो. केंड्रिक लैमर और ड्रेक के बीच रैप विवाद ऐसा ही है. हिपहौप की दुनिया में यह एक बड़ा विवाद रहा है. इस विवाद में दोनों रैपर्स ने एकदूसरे पर कई गाने जारी किए. इस विवाद में ड्रेक ने लैमर पर पीडोफीलिया का आरोप लगाया था. वहीं, लैमर ने ड्रेक पर ‘गुप्त बेटी’ रखने का आरोप लगाया था.
ड्रेक ने लैमर के छोटे कद पर हमला करते हुए कई नासमझी भरे शब्द कहे थे. इस तरह के विवाद होना इन रैप सिंगर्स के बीच आम बात है. कई बार ये विवाद सच में ही हो जाते हैं और कई बार मिलीभगत से होते हैं ताकि इन के गाने को पौपुलैरिटी मिल सके और लोग विवाद के चलते इन के गानों को बारबार सुनें और गाना हिट हो जाए.
ये इसी चलते बस तूतूमैंमैं करते हैं, पीछे सब सैट होता है. ये लोग अपने रैप गानों में आपस में एकदूसरे के बारे में बोलते हैं, लिखते हैं. अपने को बड़ा बताते हैं, दूसरे को छोटा.
ऐसा ही विवाद हनी सिंह और बादशाह के बीच है, लेकिन यह विवाद से ज्यादा पीआर स्ट्रेटेजी जान पड़ती है. इन की आपस में क्रैडिट लेने की होड़ है, पब्लिकली खूब हल्ला मचाते हैं लेकिन कानूनन कुछ और बोलते हैं. ऐसा है तो मुकदमा करें.
इन सब का पैटर्न है, खेमेबंदी या पूछबंदी. खेमेबंदी में अलगअलग रैपर्स के खेमे बंटे हैं और एकदूसरे को गरियाते हैं, पूछबंदी में किसी का गाना रिलीज हो रहा होता है तो कुछ समय के लिए विवाद खड़े करता है. जैसे, हनी सिंह के गाने आएंगे तो वो बादशाह को सुनाएगा, बादशाह अपने गाने के समय जवाब देगा. रफ़्तार अपनी रिलीज के समय किसी को सुनाएगा. बस, यही चलता रहता है. ऐसे लगता है जैसे देश में राज्यों के चुनाव आ रहे हों, जहां चुनाव होने हैं वहां विवाद होने हैं.
इन की ये लड़ाइयां बहुत छोटीछोटी हैं जिन को ये बड़ा बना कर पेश करते हैं. इन के ये 10-15 साल पुराने झगडे हैं जिन्हें ये अभी तक भुना रहे हैं क्योंकि यूथ इन्हें देख रहा है. अंदर से इन का मार्केट बना रहे, यही सब का मकसद है.
सोशल मीडिया पर इन के फैन पेज हैं जो पीआर हैंडल करती हैं, वहां ये आपस में ट्रोल करते हैं. सो, इस तरह के लोगों को सपोर्ट करना अपना समय बरबाद करने जैसा है. दरअसल, इन का कोई झगड़ा है ही नहीं, सिर्फ इंगेजमैंट मिलती रहे, इसलिए बखेड़ा है.
यूथ को भी समझना चाहिए जिन रैपरों को वे सपोर्ट करते हैं उन की हकीकत है क्या. वे किस तरह के गाने बनाते हैं, क्या इस से उन के जीवन में कोई पौजिटिव चेंज आ रहा है? वे इन को सुन का किस तरह की सोच अपने दिमाग में भर रहे हैं.

शोध से खुलासा

शोध प्रमुख और यूटीहैल्थ्स स्कूल औफ पब्लिक हैल्थ के संकाय सहयोगी किमबर्ले जोनसन बेकर का कहना है, ‘रैप संगीत आप के उस विश्वास को बढ़ाता है कि आप के साथी क्या कर रहे हैं. यह हमें समझाता है कि कुछ चीजें करना ठीक है, जैसे शराब पीना या सैक्स करना. यह आप को यह सोच देता है कि हर कोई यही कर रहा है.’
जोनसन बेकर कहते हैं कि जितना आप इसे सुनते हैं, उतना आप इस पर यकीन करते हैं. सर्वेक्षण के नतीजों के मुताबिक, जो टीनएजर रोजाना 3 घंटे या उस से ज्यादा समय तक रैप गाने सुनते हैं, उन की सोच में बदलाव आते हैं.
सिर्फ यही नहीं, जितने भी रैप गाने होते हैं वे लगभग एक ही बीट या धुन पर बने रहते हैं. शब्द कुछ भी डाल दीजिए, कुछ भी फर्क नहीं पड़ता. सोचिए, इन का गाया एक भी रैप पूरा याद नहीं होता जबकि अर्थपूर्ण पुराने गाने आज भी कितने सारे याद रहते हैं.
लेकिन युवा रैप गाने बहुत पसंद करते हैं. लेकिन हमारे देश में रैप एक और कानफोड़ू, उत्तेजक संगीत के रूप में ज्यादा है, जिस में विलासिता, शराब, लड़कियां, गाड़ियां और बेतुकी पंक्तियां हैं.
रैप गानों का भविष्य कितना उज्ज्वल है, इस बारे में कहा जा सकता है कि ये गाने सिर्फ डिस्कोथिक में बजने के लिए बनाए जा रहे हैं, जहां लोग तेज बीट पर डांस कर सकें. गाने के बोल क्या हैं, यह कोई माने नहीं रखता.
नौर्थ कैरोलिना यूनिवर्सिटी में की गई एक स्टडी में यह खुलासा हुआ है कि प्रचलित रैप सौंग डिप्रैशन और खुदकुशी की वजह बनते जा रहे हैं. साथ ही, ये एक मानसिक बीमारी का भी रूप लेते जा रहे हैं.
कैरोलिना की रिसर्च यह बताती है कि रैप आर्टिस्टों के जरिए ही ये मैंटल हैल्थ की समस्या बढ़ रही है. नौजवान जिस तरह के रैप गाने आजकल सुन रहे हैं उस से उन के दिमाग पर सीधा असर पड़ रहा है. 18 से 25 साल के नौजवानों में यह समस्या सब से ज्यादा देखी जा रही है. वे स्ट्रैस की वजह से सुसाइड तक कर लेते हैं. क्रेसोविक कहते हैं कि 125 रैप सौंग्स गानेवाले कलाकारों की औसत आयु भी 28 साल तक की ही है.
शोधकर्ताओं ने जाना कि अमेरिका के 25 सब से ज्यादा पौपुलर रैप सौंग को 1998, 2003, 2008, 2013 और 2018 में बनाया गया. इन में से लीड रैप आर्टिस्ट जो कि काले लोग थे और जिन के एकतिहाई गानों में एंग्जाइटी, 22 फीसदी में डिप्रैशन और 6 फीसदी में सुसाइड वाली चीजें थीं.
हालांकि भारत में इस तरह के रैप सौंग अभी नहीं बं रहे लेकिन यह भी कम दिक्कत वाली बात नहीं कि है रैपर्स यूथ को बेहद घटिया स्तर के रैप परोस रहे हैं.

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