Hindi Story : चाय की ट्रे हाथों में थामें समीरा ने कमरे में जैसे ही प्रवेश किया उसकी नज़रें सुवित से मिलीं जिसे देखते ही धड़कनें बेतहाशा धड़कने लगीं. एक क्षण के लिए दिमाग ने काम करना ही बंद कर दिया. नीरजा ने कहा था कि उसके ब्वॉयफ्रेंड से मिलकर होश उड़ जाएंगे मगर यह सब सचमुच होगा इस बात का ज़रा भी इल्म न था.
“मेरे होश उड़ाने वाला शख़्स इस संसार से कूच कर चुका है” उस वक़्त उसे ख़ामोश कर दिया था मगर उसका अतीत इस तरह से सामने आ टपकेगा ये कहाँ जानती थी. फटाफट रसोई में आ गई. कहीं उसके चेहरे की सफ़ेदी उसका हाल-ए-दिल बयां न कर दे.
सुवित नीरजा का रिश्ता लेकर आया था. इस बात पर पूरा परिवार बहुत खुश था. एनआरआई डॉक्टर स्वयं चलकर घर तक आया था. बिना किसी दान-दहेज़ की मांग के सामने से आया रिश्ता भला कौन छोड़ता. परिवार में बस दो भाई हैं सुवित और सक्षम. नीरजा व सक्षम फैशन टेक्नोलॉजी कर एक ही ऑफिस में साथ काम कर रहे हैं.
नीरजा ने सुबह ऑफिस जाने के पहले बस इतना ही बताया कि लड़के वाले रिश्ता लेकर आएंगे और अब दोनों ही परिवार आमने-सामने थे. जब सबको रिश्ता इतना ही पसंद था तो तय तो होना ही था इसमें समीरा भला क्या कर लेती मगर सुवित इस घर का दामाद बना तो वह अपने दिल को कैसे संभालेगी यही सब सोचती कचौरियाँ तले जा रही थी कि सुवित की आवाज़ ने चौंका दिया.
“वाशरूम किधर है?”
“इस ओर…… ”
“जाना किसे है.. तुमसे बात करनी है…तुम कैसी हो?”
“ये सही वक़्त नहीं….. ”
“सही वक़्त तो कभी न था तुम्हारे पास…. तब मायके में कचौरियाँ तलती थीं अब यहाँ……. ”
“कहना क्या चाहते हो?”
“शादी करना चाहता हूँ…”
“विधवा से?”
“अपने प्यार से…”
“और नीरजा का क्या होगा?”
“तुम अब भी वही हो…बिना जाने समझे कुछ भी सोच लेने की आदत गई नहीं….!”
हाँ वह पहले भी सुवित को अपनी सहेली के साथ बातें करते देख गलतफहमी का शिकार हो गई थी जबकि दोनो उसके जन्मदिन की पार्टी प्लान कर रहे थे. वह वाक़या याद आते ही सकुचा गई तो समीर आगे बढ़ा.
“बेवकूफ! वो मेरे छोटे भाई ‘सक्षम’ की गर्लफ्रैंड है…हम नीरजा के लिए सक्षम का रिश्ता लेकर आये हैं।”
“ओह!”
समीरा को गुलाबी पड़ते देख समीर की शरारत जाग गई.
“वैसे लगे हाथ अपनी बात भी कर लें…”
यह सुनते ही उसके कपोल गर्म हो गए. घबड़ा कर इधर-उधर देखने लगी. क्या कहती.. उसके पास कहने -सुनने के लिए कुछ रह ही नहीं गया था. आदित्य के जाने के बाद उसने खुद को ससुरालवालों की सेवा में झोंक दिया था. रात दिन बस यही सोचती कि भले ही उसने अपना पति खोया पर उन्होंने अपना बेटा और नीरजा ने भाई खोया है. आदित्य से जुड़े लोग और उनके प्रति फ़र्ज़ ही मानो उसके जीने का मक़सद बन गए थे. सुबह शाम नीरजा की भाई बन जाती और उसके ऑफिस जाने के बाद सास ससुर का बेटा. वह भी नीरजा पर खूब स्नेह लुटाते. उसे कभी नाम से नहीं बल्कि बेटा ही कहकर पुकारते. कहना अतिशयोक्ति न होगी समीरा अपने ससुराल की ही होकर रह गई थी कि उसकी तपस्या भंग करने सुवित आ पहुँचा. उसे इस गुस्ताख़ी से बात करते देख जैसे जम गई हो. उसकी मन: स्थिति महसूस कर सुवित वापस लिविंग रूम में आकर बैठ गया.
“आपकी बेटी नीरजा लाखों में एक है..सक्षम और वह एक-दूसरे से प्यार करते हैं…एक- दूसरे को अच्छी तरह जानते- समझते हैं पर यहाँ मैं आपकी बहू समीरा के लिए अपने बड़े बेटे ‘सुवित’ का रिश्ता लेकर आया हूँ. मैं पहले समीरा के घर गया था पर उन लोगों का कहना है कि समीरा के जीवन के सभी फैसले उसके ससुराल वालों पर निर्भर करते हैं. उसने बड़े दुःख देखे हैं, शादी के एक वर्ष के भीतर ही कार एक्सीडेंट में पति को खोने के बाद स्वयं को सबसे दूर कर लिया है. जबकि उसकी उम्र ही क्या है? अगर आपकी व समीरा की ‘हाँ’ है तो एक ही मंडप में दोनों शादियाँ निपटा लें? आप इस विषय में क्या सोचते हैं? मैं आपके जवाब की प्रतीक्षा करूँगा.” सुवित के पिताजी यह कह कर चले गए।
समीरा कहाँ तैयार थी? शादी उसके लिए जितना ही सुखद था उतना ही दुखद भी. बस ननद नीरजा ने ही उसे संभाला था. जाने क्या था ननद में कि उसमें उसकी जान बसती थी. तुरंत उसे फ़ोन मिलाया. जबकि वह लगातार हँसे जा रही थी.
“भाभी जान! देखा! होश ग़ुम हो गए न मिलकर? हम साथ- साथ हैं..साथ जियेंगे-साथ मरेंगे!” समीरा को छेड़ते हुए बोली.
“अच्छा.. ये सब आपको पता था तो पहले क्यों न बताया?”
“कम ऑन भाभी..पहले बताती तो क्या आप सुवित भैया को घर बुलाते? आप सभी के इंकार शुरू हो जाते. घरवालों से भी सारे डिटेल्स इसलिए ही छुपाए.
सुवित भैया और आप एक -दूसरे को जानते हैं,ये बात सक्षम ने ही मुझे बताया. जब सुवित भाई ने मेरे फ़ेसबुक पर हम दोनों की साथ की फोटोज देखीं तो उन्होंने पूरी कहानी सक्षम को बताई कि आपकी मर्ज़ी जाने बिना आपकी शादी कर दी गई तो वह भी USMLE देकर अमेरिका में सेटल हो गए मगर दूरियाँ भी दूरियाँ न ला सकीं. आपके लिए उनकी चाहत अभी भी वैसे ही बरक़रार है यह जानने के बाद ही हमने यह योजना बनाई. सक्षम की बात सुनते ही वह फ़ौरन इंडिया आ गए. आपकी मर्ज़ी जाने बिना रिश्ता करना उन्हें मुनासिब नहीं लगा. अब तो सारे शंकाओं का समाधान हो गया न भाभी! अब प्लीज़ आप न मत कहना!”
समीरा निशब्द थी. उसकी ननद,उसकी सच्ची सहेली बन गई थी और सास -ससुर माता-पिता. उन्होंने भी इस रिश्ते को सहर्ष स्वीकार कर लिया क्योंकि उनके बाद समीरा अकेली न पड़ जाए यही चिंता उन्हें भी खाए जा रही थी.
फिर क्या था? शुभ मुहूर्त देख कर दोनों जोड़े ब्याहे गए. ससुर के हाथों कन्यादान होता देख सबकी आँखे भर आईं. एक और हाथ आशीर्वाद दे रहे थे जिसे बस समीरा महसूस कर रही थी और मन ही मन आदित्य को धन्यवाद दे रही थी.
लेखिका – आर्या झा