कुछ लड़के-लड़कियां अकसर पैसों के लिए शादी करते हैं. उन्‍हें कोई फर्क नहीं पड़ता कि उन का होने वाले जीवनसाथी से मेंटल लेवल मैच करता भी या नहीं, उन के परिवार कैसे है वे इस पर धयान नहीं देते. लड़की संस्‍कारी है या नहीं. इस से कोई लेनादेना नहीं होता. अब लड़के वालों को लड़की बड़े घर की चाहिए ताकि दहेज मिल सके और लड़की वालों को लड़का अमीर चाहिए ताकि लड़की को घर का कोई काम न करना पड़े. वे अपनीअपनी लाइफस्टाइल अपग्रेड करने के लिए एकदूसरे का साथ चाहते हैं क्योंकि यही उन की जरुरत है.

पैसा देख कर हो रही हैं शादियां

एक जमाना था, अभी हाल ही में 1990 के आसपास जब भावनाओं का जोर था लोग अपनी भावनाओं के कारण अमीरगरीब सब तरह की लड़कियां लेने लगे थे लेकिन अब सब कमर्शियल हो गया है. लोग यह चाहते हैं कि मुझे बिना कमाई करे पैसे मिल जाएं. लड़का भी यही चाहता है और लड़कियां भी यही चाहती हैं. लड़कियों को लगता है लड़का अमीर है प्यार करें न करें पैसे वाला तो है. अब रिश्ते पैसों में तोले जा रहे हैं. जिस के पास पैसा है बड़ी गाड़ी है तो लड़की टिक जाती है और जिस दिन उस लड़के के पास पैसे खतम हो जाते हैं वो लड़की छोड़ के भाग जाती है. चाहे शादी हो चुकी हो या न हुई हो. यही समाज का सच है.

पहले प्यार पैसों का मोहताज नहीं था

पहले फर्स्ट नाइट पर पति अपनी पत्नी को जो भी उपहार देता था वह निजी होता था किसी को उस से कोई मतलब नहीं था फिर चाहे प्यार से दिया गुलाब का फूल हो या फिर गोल्ड की रिंग हो. लेकिन अब यह भी स्टेटस सिम्बल बन गया है. लड़की को अपनी सहेलियों और रिश्तेदारों को बताना होता है कि मुझे गिफ्ट में आई फोन मिला या डायमंड सेट मिला. यह अब एक स्टेटस सिम्बल बन गया है.

इसी तरह विवाह के बाद हनीमून पर जाना साथ में टाइम स्पेंड करने का मात्र एक बहाना था लेकिन अब यह भी स्टेटस सिम्बल हो गया है क्योंकि इस के पिक्स सोशल मीडिया पर शेयर किए जाते हैं. जो घूमने जितनी बड़ी इंटरनेशनल हौलिडे पर गया उतना ही ज्यादा उस महिला के पति ने उसे सर आंखों पर बैठाया हुआ है. अब सारा खेल पैसों का हो गया है जो ज्यादा पैसे वाला है वो ही प्यार करता है क्योंकि दुनिया और बीवी दिखावा देखती है भावनाए नहीं.

साल में 12 एनीवर्सरी मनाते हैं

पहले शादी की पहली वर्षगांठ का बहुत महत्त्व था. उस में बड़े बुजुर्गो का आशीर्वाद भी शामिल होता था. सब के लिए यह दिन खास होता था क्योंकि मन जाता था कि कपल हंसी खुशी अपनी शादी निभा रहे हैं लेकिन अब हर महीने ही शादी की फर्स्ट और सैकेंड एनीवर्सरी के नाम पर केक काटा जाता है और पिक्स सोशल मीडिया पर डाले जाते हैं.

अब पति अगर अपनी पत्नी के लिए जलेबी ले आए तो यह बात पत्नी को नहीं भाती, भले ही वह आप की मनपसंद चीज ही क्यों न हो. क्योंकि लड़की को केक काटते हुए फोटो सोशल मीडिया पर डालना है और जलेबी लो क्लास है. इसलिए वह अपने पति के द्वारा प्यार से लाए गए जलेबी को देख मुंह बना लेती है और केक का डिमांड करती है ताकि वह फोटो शेयर कर वाहवाही लूट सके.

खानदानी ज्वैलरी में भावनाएं थी

खानदानी जूलरी में भावनाएं थीं. लेकिन अब शादी से पहले ही लड़कियां उन्हें तुड़वा कर नए डिजाइन की ज्वैलरी बनवाने की डिमांड करने लगती है. ज्वैलरी पहले पीढ़ी दर पीढ़ी चलने वाली एक विरासत थी जिसे सास की सास ने उन्हें दी और अब सास अपने खानदानी जेवर बहु को चढ़ाती है. ये परंपरा इसी तरह से चली आ रही थी. लेकिन अब बहू पहले ही कह देती है कि ये पुराना डिजाइन मुझे नहीं चाहिए, फिर उस के लिए नए गहने खरीदें जाते हैं तो फिर वह ज्वैलरी अब खानदानी विरासत नहीं सिर्फ ज्वैलरी बन कर रह जाती है जिसे सिर्फ फैशन के लिए पहना जाता है.

लड़के को कमाऊं लड़की चाहिए

पहले शादी के लिए अच्छा परिवार, संस्कार, गुणी अधिक चाहिए थी लेकिन अब इन सब में वह कोम्प्रोमाइज भले ही कर ले. लेकिन लड़की कमाने वाली हो ताकि लाइफस्टाइल अपग्रेड हो सकें.

पहले शादी के लिए एक अच्छा परिवार और अच्छे लड़की की तलाश होती थी जिस से गृहस्थी की गाड़ी सुचारु और आसानी से चल सके. लेकिन अब गृहस्थी और बच्चे भले ही नौकरों के भरोसे हो जाएं लेकिन बीवी तो कमाऊं ही चाहिए.

और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...