हमेशा की तरह सुकेश मुंबई के नरीमन पौइंट स्थित अपने औफिस 11:15 बजे पहुंचा जबकि औफिस पहुंचने का समय 10:45 बजे था।
रोज देरी से औफिस पहुंचने के कारण बौस सुकेश से नाराज रहते थे, लेकिन सुकेश, बौस के निर्देशों को एक कान से सुन कर दूसरे कान से निकाल देता था।
महानगर होने की वजह से यहां औफिस पहुंचने का समय दूसरे शहरों से अलग था, क्योंकि मुंबई में 10 बजे सभी के लिए औफिस पहुंचना संभव नहीं था। नरीमन पौइंट के आसपास निम्न व मध्यवर्ग के लोगों के लिए किराए से या खुद के मकान में रहना असंभव था। इसलिए, अपनी सैलरी के हिसाब से कोई कर्मचारी विरार रहता था तो कोई खारगर।
अमूमन, सुकेश औफिस पहुंचते ही चाय पीता था, उस के डेस्क के सामने ही चायकौफी की मशीन लगी हुई थी। वह चाय की चुसकी ले ही रहा था कि तभी एचआर का मसेंजर डाक रिसीव करने वाले कलर्क से बोला, “विभाग में सुकेश सर कहां बैठते हैं, उन्हें चिट्ठी देनी है।” सुकेश अपना नाम सुन कर बोला, “मैं ही सुकेश हूं, दे दो चिट्ठी।”
चिट्ठी पढ़ते ही सुकेश के होश उड़ गए, क्योंकि उसे बैंक की सेवा से बर्खास्त कर दिया गया था और उस की बर्खास्तगी आज से ही प्रभावी थी। कारण था 5 सालों से वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट में लगातार ‘सी’ ग्रेड दिया जाना।
बौस इस हद तक चला जाएगा, सुकेश को उम्मीद नहीं थी। बौस के खिलाफ सुकेश कुछ भी नहीं कर सकता था, फिर भी उस के मन में बौस के प्रति नफरत और क्रोध की चिनगारी भड़कने लगी। सुकेश बौस पर अपशब्दों की लगातार फाइरिंग कर रहा था। जब इस से भी मन नहीं भरा तो उस ने बौस को 2 थप्पड़ जड़ दिए। जब शोरगुल बढ़ गया तो विमल भी चेंबर के अंदर आ गया। विभाग में एचआर विमल ही देखता था।
विमल ने बौस और सुकेश को शांत करवाने की पुरजोर कोशिश की, लेकिन वह कामयाब नहीं हो सका। सुकेश का चेहरा गुस्से से लाल हो गया था। चिल्लाने के कारण वह खांसने भी लगा था, फिर भी वह लगातार बोले जा रहा था। उस के गले के नस तने हुए थे और मुंह से थूक लगातार निकल रहा था। चूंकि, उस के पास अब खोने के लिए कुछ भी नहीं था, इसलिए वह बहुत ज्यादा आक्रामक हो गया था।
अंत में बौस को सिक्योरिटी औफिसर को बुलाना पड़ा। उस के हस्तक्षेप के बाद भी सुकेश बड़ी मुश्किल से चेंबर से बाहर आया, लेकिन, “बौस को मार दूंगा, किसी को नहीं छोङूंगा, कोर्ट जाऊंगा…” आदि उस के द्वारा बड़बड़ाना जारी रहा।
जब ऊर्जा खत्म हो गई और हलक प्यास से सूखने लगा तो हताशा और निराशा की स्थिति में वह अपनी सीट पर बैठ कर पानी पीने लगा। हालांकि, मन के अस्थिर होने की वजह से वह अपने सिर के बालों पर बारबार उंगलियां फिरा रहा था साथ ही साथ चेहरे को दोनों हथेलियों से हलकाहलका दबा भी रहा था।
कुछ देर सुकेश शांत रहा, फिर अचानक से वह विमल से उलझ गया। विमल शांत रहा, चुपचाप सुकेश का अनर्गल प्रलाप सुनता रहा। जब सुकेश की चिल्लाने की तीव्रता कम हुई तो विमल बोला, “भाई, तुम अर्थशास्त्री हो, खुद को विद्वान मानते हो और आज कह रहे हो कि तुम्हें यह नियम पता नहीं था। तुम्हारे इस तर्क को कौन मानेगा, किसी को लगातार 5 बार वार्षिक रिपोर्ट में सी ग्रेड मिलने पर उसे नौकरी से बर्खास्त कर दिया जाता है, यह तुम्हें अच्छी तरह से पता है। मैं विगत 3 सालों से इस खतरे के बारे में तुम्हें बता रहा हूं, पिछले साल बौस से माफी मांगने के लिए भी मैं ने तुम से कहा था। मैं ने यह भी कहा था कि बड़ी मछली हमेशा छोटी मछली को खा जाती है, फिर भी तुम अड़ियल टट्टू बने रहे।”
जब विमल का स्वर तल्ख और तेज हुआ तो सुकेश के जबान पर ताला लग गया। विमल की बातों को सुनने के बाद भी सुकेश का मन और भी अशांत हो गया। कुछ देर तक सामने की वीआईपी लिफ्ट की तरफ निर्लिप्त भाव से एकटक ताकता रहा, फिर अचानक से उठ कर डीजीएम लौ से इस उम्मीद में मिलने चला गया ताकि उसे उस की समस्या का कोई समाधान मिल सके।
डीजीएम लौ ने कहा, “बैंक में वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट की ग्रेडिंग के आधार पर बर्खास्त करने के प्रावधान को 2015 में लागू किया गया था, लेकिन यह अपवाद जैसा है, क्योंकि इस के पहले कभी इस वजह से बैंक की सेवा से किसी को बर्खास्त नहीं किया गया है। चूंकि, इस प्रावधान को अधिकारी संवर्ग की सेवा शर्तों में शामिल किया जा चुका है, इसलिए अदालत में तुम इस केस को शायद ही जीत पाओगे।”
डीजीएम लौ के यहां से लौटते समय सुकेश के कदमों में भारीपन को देखते ही विमल समझ गया कि बात नहीं बनी। विमल मन ही मन सोच रहा था कि कितना वेबकूफ और घमंडी है सुकेश? अर्थशास्त्री है, खुद को विद्वान समझता है, पढ़ाईलिखाई विदेश से की है, फिर भी उस की अक्ल हमेशा घास खाने गई हुई होती है। इतना अकड़ू है कि कभी भी सीधे मुंह बात नहीं करता है। बौस और सुकेश के बीच मनमुटाव का कारण सिर्फ अहम है। मैं…मैं…और सिर्फ मैं… सुकेश की बर्खास्तगी का मूल कारण है।
सुकेश का पिछले 5 सालों से बौस के साथ खटपट चल रहा था। पहले बौस का रोज सुकेश से बकझक होता था, लेकिन जैसे ही बौस को पता चला कि अगर किसी भी कर्मचारी को वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट में लगातार 5 सालों तक सी ग्रेड दी जाए तो बैंक उसे सेवा से बर्खास्त कर देता है, बौस ने सुकेश के साथ बहस करना बंद कर दिया और उसे हर साल सी ग्रेडिंग देनी शुरू की।
चूंकि, समीक्षा पदाधिकारी के साथ बौस हमेशा तालमेल बना कर रखते थे, इसलिए बौस की दी हुई ग्रेडिंग को समीक्षा पदाधिकारी भी हमेशा यथावत रखते थे।
बर्खास्तगी के बाद सुकेश को गृह एवं कार ऋण तत्काल प्रभाव से बंद करना होगा या फिर दूसरी नौकरी करनी होगी, ताकि वह हर महीने घर और कार की किस्त और ब्याज जमा कर सके। अभी वह बैंक द्वारा आवंटित मकान में रहता है, उसे भी उसे तुरंत खाली करना पड़ेगा। फर्नीचर, फिक्सचर की कीमत भी उसे बैंक को तुरंत चुकानी होगी।
पत्नी, हाउसवाइफ है, बेटा भी 3 महीने का है, तुरंत नौकरी मिल जाएगी, यह आसान नहीं होगा, क्योंकि निजी और सरकारी नौकरियों की कार्य संस्कृति में जमीनआसमान का अंतर होता है। साथ में, अब उस पर बर्खास्तगी का कलंक भी लग चुका है।
इंसान जानता है कि इस दुनिया में किसी की कोई औकात नहीं। सभी रंगमंच के पात्र हैं और एक दिन सभी को अपनी भूमिका अदा कर के इस दुनिया से रुखसत होना है। कोई यहां अमर बन कर नहीं आया है। बावजूद इस के, सुकेश ने सिर्फ अपने झूठे दंभ को पोषित करने के चक्कर में अपने परिवार को सड़क पर ले कर आ गया। यह सब सोचतेसोचते विमल का मन बोझिल सा हो गया।

 

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