यह गीत तो आप ने सुना ही होगा- ‘कुछ तो लोग कहेंगे लोगों का काम है कहना…’ यह गीत अभिनेता व राजनेता शत्रुघ्न सिन्हा की बेटी सोनाक्षी सिन्हा पर एकदम सटीक बैठता है. अभिनेत्री सोनाक्षी सिन्हा अपनी शादी की वजह से सुर्खियों में हैं. वे ऐक्टर जहीर इकबाल के साथ 23 जून को शादी के बंधन में बंधने जा रही हैं. इस कपल की शादी का कुछ लोग विरोध कर रहे हैं. सोशल मीडिया पर शादी को ले कर उन्हें काफी ट्रौल किया जा रहा है.

ट्रौल करने का कारण क्या है

मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो सोनाक्षी सिन्हा और जहीर इकबाल की शादी का विरोध इसलिए किया जा रहा है क्योंकि उन के होने वाले पति जहीर मुसलिम हैं. इस को ले कर बहुत बातें की जा रही हैं, जैसे ‘अब सोनाक्षी का नंबर है’, ‘अब देखो कितने टुकड़ो में अटैची में वे लौट कर आती हैं’ और न जाने क्याक्या कहा जा रहा है.

सिर्फ यही एक कारण नहीं है और भी बातें हैं जिन की वजह से उन की शादी का विरोध हो रहा है, जैसे कि जहीर सोनाक्षी के मुकाबले एक फ्लौप ऐक्टर हैं. जहीर इकबाल के पास फिल्म इंडस्ट्री में फिलहाल कोई काम नहीं है. फिल्म ‘डबल एक्सेल’ के बाद से उन्हें इंडस्ट्री में कोई दूसरी फिल्म नहीं मिली है. वहीं नैटवर्थ के मामले में भी सोनाक्षी, अपने होने वाले पति जहीर से काफी आगे हैं. ऐसे न जाने कितने रीजन हैं जिन वजहों से आम पब्लिक ने उन्हें कठघरे में खड़ा किया हुआ है जबकि इस मैटर से सीधेतौर पर उन का कोई लेनादेना नहीं है.

हालांकि, सोनाक्षी की फैमिली को इस शादी से कोई दिक्कत नहीं है. इस शादी पर उन के पिता ने कहा है, “अगर सोनाक्षी अपनी पसंद के लड़के से शादी करेगी तो मैं नाराज क्यों होंऊंगा. मैं ने खुद 40 वर्षों पहले अपनी पसंद की लड़की से शादी की थी. मैं ने भी अपना लाइफपार्टनर खुद चूज किया. बच्चों से अनरियलिस्टिक एक्सपैक्टेशन नहीं होनी चाहिए.”

37 साल की उम्र में सोनाक्षी ने शादी करने का फैसला लिया है तो कुछ सोचसमझ कर ही लिया होगा. सोनाक्षी ने एक इंटरव्यू के दौरान कहा भी है कि, “सोशल मीडिया पर हर वक्त मेरी शादी को ले कर मुझे ट्रौल किया जाता है पर मैं ये बातें एक कान से सुन कर दूसरे कान से निकाल देती हूं.”
उन का कहना है, “सब से पहले तो इस से किसी को कोई मतलब नहीं होना चाहिए. यह मेरी लाइफ है और इस के साथ मैं जो मरजी करूं. दूसरे, यह मेरी अपनी पर्सनल चौइस है. पता नहीं लोगों को इस की इतनी चिंता क्यों है. मेरे पेरैंट्स से ज्यादा तो लोग मेरी शादी के बारे में जानना चाहते हैं और मुझ से तरहतरह के सवाल करते हैं. यह सब मुझे बहुत फनी लगता है और अब मुझे इस की आदत हो गई है. मैं कर ही क्या सकती हूं. लेकिन फिर भी सोशल मीडिया पर मुझे ट्रौल करने वालों की कमी नहीं है.”

शादी को दे रहे धार्मिक रंग

कुछ लोगों का कहना है कि शत्रुघ्न के बेटों का नाम लव, कुश हैं. उन के बंगले का नाम रामायण है. लेकिन बंगले का नाम रामायण रख देने से उस में रघुकुल के संस्कार नहीं आ सकते. शत्रुघ्न अपने बच्चों को संस्कार देने में पूरी तरह से विफल रहे हैं. इस का रीजन देते हुए लोगों का कहना है कि सोनाक्षी को शादी करने के लिए एक मुसलिम ही मिला था.

अब भाई यह तो दिल का मामला है. इस में हिंदूमुसलिम कहां से आ गया. सोनाक्षी को जिस से प्रेम हुआ, जो उन्हें पसंद आया वे उसी से शादी कर रही हैं. लेकिन यह बात धर्म के ठेकेदार बने इन दोगले लोगों को कौन समझाए. धर्म के ठेकेदारों को राम-शूर्पणखा संवाद और लंका विजय के बाद राम-सीता संवाद पढ़ने चाहिए. रावण पौराणिक कथाओं के अनुसार विधर्मी तो नहीं था पर उच्चकुल के राम के बराबर नहीं था तभी तो उस पर जीत की कहानी के पात्रों को ले कर हंगामे आज भी किए जाते हैं. भीम ने हिडिंबा से विवाह क्यों किया? शायद इसलिए कि तब ट्रौलर्स नहीं थे.

मैच्योरिटी से लिया हुआ डिसीजन

सोनाक्षी ने जहीर के साथ 7 साल डेटिंग करने के बाद यह फैसला लिया है तो सोचसमझ कर ही लिया होगा. 37 साल की उम्र में वे इतनी परिपक्व तो हो गई होंगी कि अपना अच्छाबुरा समझ सकें. इस उम्र में कोई भी लड़की अपना फैसला खुद ले सकती है. ऐसे में उन के फैसले पर सवाल उठाना किसी भी लिहाज से सही नहीं है. वैसे भी, वह लड़का उन के लिए सही है या नहीं, यह देखने का काम उन के परिवार का है न कि समाज का.

शादी न करने पर भी सवाल उठाते हैं लोग

शादी न करने पर भी यही लोग बातें बनाते हैं कि इतनी उम्र हो गई, अभी तक शादी नहीं की. शादी की एक उम्र होती है और भी न जाने क्याक्या बोलते हैं. और अब कर रही है, तो भी सवाल उठा रहे हैं. जबकि इन लोगों को अब तो खुश होना चाहिए कि, देर से सही, वे शादी कर तो रही हैं. लेकिन इन लोगों का कुछ नहीं हो सकता.

शादी करना मौलिक और मानवीय अधिकार है

अपनी पसंद के साथी से शादी करना संविधान से मिला मौलिक अधिकार है. मानव अधिकार की सार्वभौमिक घोषणा के अनुच्छेद 16 (1) के अनुसार : बालिग स्त्रीपुरुषों को बिना किसी जाति, राष्ट्रीयता या धर्म की रुकावटों के आपस में विवाह करने और परिवार को स्थापन करने का अधिकार है. उन्हें विवाह के विषय में वैवाहिक जीवन तथा विवाहविच्छेद के विषय में समान अधिकार है. विवाह करने का अधिकार आंतरिक विषय है. इस अधिकार को संविधान में मौलिक अधिकारों के अंतर्गत सुरक्षा प्रदान की गई है. फिर इस पर कोई भी कैसे सवाल उठा सकता है?

दखलंदाजी करना गलत है

जिस को जिस से शादी करनी है, वो करे. यह उस की अपनी आजादी है. लेकिन ट्रौल करने वाले ये लोग वही हैं जिन के अपने बच्चे शादी के बाद मातापिता को बताते हैं कि उन्होंने शादी कर ली है और ये लोग तब चाह कर भी कुछ नहीं कर पाते. शायद यही वजह है कि इन का गुस्सा और फ्रस्ट्रेशन सोशल मीडिया पर निकलता है.

सलाह

ऐसी आंटियां और अंकल से हमारा यही कहना है कि दूसरों पर उंगली उठाने से पहले जरा आप अपने घर की सुध ले लें. कहीं आप के बच्चे ही तो आप को सरप्राइज देने की तैयारी न कर रहें हो. इसलिए जरा बाहर ताकझांक बाद में कर लेना, पहले अपना घर संभालें.

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