नीट परीक्षा पर उठे सवालों के बीच सब से अधिक चर्चा एनटीए की हो रही है. एनटीए यानी नैशनल टेस्टिंग एजेंसी. जिस की स्थापना 2017 में हुई थी, जो मानव संसाधन मंत्रालय के अधीन आती है. यह देश के उच्च शिक्षण संस्थानों में प्रवेश और कई सरकारी नौकरियों के लिए परीक्षा आयोजित करती है. इस एजेंसी का मुख्य काम उच्च शिक्षा और विभिन्न सरकारी संस्थानों में प्रवेश के लिए राष्ट्रीय स्तर पर कुशल, पारदर्शी और अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप परीक्षाएं आयोजित करना है.

नैशनल टेस्टिंग एजेंसी की स्थापना भारतीय संस्था पंजीकरण अधिनियम 1860 के तहत हुई थी. ये स्वायत्त संस्था है जो देश के उच्च शिक्षण संस्थानों में प्रवेश और छात्रवृत्ति के लिए एंट्रेंस एग्जाम आयोजित करती है. इस एजेंसी के चेयरपर्सन प्रो. प्रदीप कुमार जोशी हैं जोकि यूपीएससी के भी पूर्व अध्यक्ष रह चुके हैं. इस के महानिदेशक आईएएस सुबोध कुमार सिंह हैं. इस के अलावा कई संस्थानों के निदेशक और कुछ विश्वविद्यालयों के कुलपति भी एनटीए की गवर्निंग बौडी में आते हैं.

नैशनल टेस्टिंग एजेंसी के पास एजुकेशन एडमिनिस्ट्रेटिव, एक्सपर्ट्स, रिसर्चर और असैसमेंट डेवलपर की टीम होती है. नैशनल टेस्टिंग एजेंसी पर कई बड़ी परीक्षा कराने का जिम्मा है. एजेंसी की तरफ से कौमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट, जौइंट एंट्रेंस एग्जामिनेशन मेन्स के अलावा एजेंसी यूजीसी नेट परीक्षा का आयोजन करती है. मैडिकल फील्ड की बड़ी परीक्षा नैशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट-अंडर ग्रेजुएट नीट का आयोजन कराती है.

इस के साथसाथ राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी कौमन मैनेजमेंट कम एडमिशन टेस्ट, इंडियन इंस्टीट्यूट औफ फौरेन ट्रेड एंट्रेंस टेस्ट, नैशनल इंस्टीट्यूट औफ फैशन टैक्नोलौजी एंट्रेंस एग्जाम, जौइंट इंटीग्रेटेड प्रोग्राम इन मैनेजमेंट एडमिशन टेस्ट, औल इंडिया आयुष पोस्ट ग्रेजुएट एंट्रेंस टेस्ट, जैसी परीक्षाओं का आयोजन भी करती है. इन में से कुछ परीक्षा वर्ष में एक बार तो कुछ साल में दो आयोजित की जाती हैं.

नीट एग्जाम में हुई गड़बड़ी के चलते एनटीए यानी नैशनल टेस्टिंग एजेंसी पर जिस तरह से सवाल उठ रहे हैं उस के लिए गवर्निंग बौडी जिम्मेदार है. 24 लाख छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ करने के अपराध पर इन के ऊपर मुकदमा चलना चाहिए. हरियाणा के शिक्षक भर्ती घोटाले के जिम्मेदार ओम प्रकाश चैटाला सहित अन्य लोगों के साथ ऐसा हो चुका है. एनटीए की गर्वनिंग बौडी में 10 लोग शामिल हैं. इस के अध्यक्ष हैं प्रो. (सेवानिवृत्त) प्रदीप कुमार जोशी. यह यूपीएससी के पूर्व अध्यक्ष भी रहे हैं. सदस्यों में पहला नाम सुबोध कुमार सिंह आईएएस है. एनटीए के महानिदेशक हैं.

इस के अलावा आईआईटी के 3 निदेशक इस के सदस्य हैं. एनआईटी के 2 निदेशक, कैट के वर्तमान और पूर्ववर्ती अध्यक्ष के रूप में आईआईएमएस के 2 निदेशक सदस्य हैं. आईआईएसईआर पुणे के निदेशक, रोटेशन आधार पर आईआईएसईआर का प्रतिनिधित्व करते हुए एनटीए के सदस्य हैं.

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के कुलपति केंद्रीय विश्वविद्यालयों का प्रतिनिधित्व रोटेशन के आधार पर करते हुए सदस्य हैं. इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय (इग्नू) के कुलपति सदस्य हैं. राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद (एनएएसी) बेंगलुरु के अध्यक्ष सदस्य हैं. इस के साथ ही साथ दा. हरीश शेट्टी जो एमडी (मनोचिकित्सा) दा. एलएच हीरानंदानी अस्पताल पवई, मुंबई में हैं वह भी एनटीए के सदस्य हैं.

लापरवाही के मामलों में ऐसे तमाम उदाहरण मौजूद हैं जिन पर मुकदमें चले हैं उन को सजा भी मिली है. हरियाणा के शिक्षक भर्ती घोटाले में पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चैटाला और उन के पुत्र अजय चैटाला को अदालत ने 10 साल कैद की सजा सुनाई है. पूर्व सचिव विद्याधर और आईएएस अधिकारी संजीव कुमार को भी 10 साल की सजा सुनाई गई है. 1999-2000 में हरियाणा के 18 जिलों में 3206 जेबीटी शिक्षकों की अवैध भर्ती के मामले में सजा मिली. अदालत ने 53 अन्य को भी इस घोटाले में भारतीय दंड संहिता व भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत दोषी पाया.

आईपीसी व पीसीए की 120-बी (आपराधिक षडयंत्र), 420 (धोखाधड़ी), 467 (जालसाजी), 468 (धोखाधड़ी के लिए जालसाजी) और 471 (वास्तविक की जगह जाली दस्तावेज का इस्तेमाल) धाराओं के तहत आरोप तय किए थे. सीबीआई ने साल 2004 में मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला समेत 62 आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज किया था. अदालत में हुई गवाहियों से ये साबित हुआ कि जेबीटी भर्ती के लिए उम्मीदवारों से 3 से 5 लाख रुपए तक की रिश्वत ली गई थी.

यह कोई मामूली गड़बड़ी नहीं है, बल्कि मैडिकल लाइन से जुड़ी गड़बड़ी है जिस पर देश की स्वास्थ्य संरचना टिकी हुई है. नीट एग्जाम देने के बाद छात्र अलगअलग मैडिकल पेशे में डाक्टर बनते हैं. जिन के ऊपर करोड़ों लोगों के स्वास्थ्य की जिम्मेदारी होती है, उन पर मैडिकल क्षेत्र में नएनए रिसर्च की जिम्मेदारी होती है. ऐसे में यदि यहां गड़बड़ी पाई जाती है तो इस का दूरगामी प्रभाव देखने को मिलता है जो देश के लिए खतरनाक ही साबित होगा. ऐसे में जांच के साथ गवर्निंग बौडी पर मुकदमा चलाए जाना जरूरी है.

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