यूनीसेफ की एक रिसर्च में पाया गया कि अगर मातापिता बच्चे के लिए समय नहीं निकालते और उन की परेशानियों को सुनते नहीं तो ऐसे बच्चे अपने मातापिता या अन्य लोगों के साथ बदतमीजी करने लगते हैं और जिद्दी बन जाते हैं.

बढ़ते बच्चों के पेरैंट्स अकसर यह शिकायत करते हैं कि उन का बच्चा आजकल बदतमीजी करता है, बात नहीं मानता, जिद करता है या फिर बिलकुल उदासीन हो गया है. इस तरह की समस्याएं पेरैंट्स को परेशान करती हैं. बच्चों के जिद्दी और बदतमीज होने के पीछे का मुख्य कारण बच्चों में तनाव यानी स्ट्रैस होता है. जब बच्चों के आसपास तनावग्रस्त माहौल होता है या वे किसी से अपने मन की बात नहीं कह पाते या कोई बैठ कर समझाने वाला नहीं होता तो बच्चे जिद्दी और बदतमीज या मायूस हो सकते हैं.

ऐसे में जरूरी हो जाता है कि पेरैंट्स अपने व्यस्त शेड्यूल से समय निकालें और उन को गाइड करें. उन के साथ बातें करें और उन की समस्याओं पर डिस्कशन करें ताकि उन्हें इस बात का एहसास हो कि पेरैंट्स उन का कितना खयाल रखते हैं और कोई भी मुश्किल आ जाए तो पेरैंट्स उन्हें उस प्रौब्लम से बाहर निकाल लेंगे.

बच्चे आप का समय चाहते हैं और कुछ ऐसा ही आप के जीवनसाथी के साथ भी है. आप का जीवनसाथी भी आप से हर बात शेयर करना चाहता है, कुछ समस्या हो तो डिसकस करना चाहता है और साथ समय बिताना चाहता है. पर अकसर हमारे पास उन के लिए समय नहीं होता और इस का नतीजा अकसर रिश्ते में बढ़ती दूरी के रूप में सामने आता है.

शादी के बाद अकसर कम हो जाता है प्यार

वैसे तो कहा जाता है कि सच्चा प्यार कभी नहीं बदलता लेकिन अकसर देखा गया है कि शादी के बाद पतिपत्नी के बीच प्यार बढ़ने के बजाय कम होने लगता है. एकदूसरे पर जान छिड़कने वाले लोग किसी न किसी वजह से लड़ाई करने लगते हैं.

दरअसल, शादी के कुछ सालों बाद ही सब बदलने लगता है. जैसेजैसे दिन बीतते जाते हैं, पतिपत्नी दोनों को एकदूसरे से शिकायत होने लगती है. पत्नियों को यह लगता है कि पति पहले जैसे रोमांटिक नहीं रहे, प्यार नहीं जताते, साथ समय नहीं बिताते, सरप्राइज नहीं देते, बोरिंग हो गए हैं. वहीं पतियों को लगता है कि पत्नियां अब उन के लिए सजतीसंवरती नहीं हैं, बच्चों के साथ ज्यादा समय बिताती हैं, घर के कामों में लगी रहती हैं, हमेशा थकान का बहाना करती हैं.

रूममेट सिंड्रोम का फंडा

कई दफा हालात ऐसे हो जाते हैं कि पतिपत्नी के रिश्ते में प्यार और भावनात्मक लगाव की कमी हो जाती है. उन के बीच करीबी रिश्ता बनना भी कम हो जाता है लेकिन परिवार या जमाने के दबाव के चलते वे अलग नहीं हो पाते. ऐसे में वे एक छत के नीचे रहते तो हैं, साथ में खातेपीते भी हैं, घर बाहर के काम, खर्च और घर की जिम्मेदारियां भी आधीआधी बांट लेते हैं पर दिल से दूरी बनी रहती है. बाहर से दिखने पर पार्टनर्स की तरह नजर आते हैं लेकिन उन के रिश्ते में प्यार नदारद होता है. दोनों रिश्ते को बोझ की तरह ढोने लगते हैं.

मनोविज्ञान की भाषा में इसे ‘रूममेट सिंड्रोम’ कहते हैं. यह विभिन्न कारणों से किसी भी रिश्ते में पनप सकता है. लेकिन अगर कपल्स के बीच यह सिंड्रोम पैदा हो जाए तो यह रिश्ते को नकारात्मक रूप से प्रभावित करने लगता है.

कभी आप ने सोचा है कि पतिपत्नी के बीच दूरियां क्यों बढ़ जाती हैं? पतिपत्नी के बीच बातचीत करने के लिए कोई कौमन टौपिक क्यों नहीं रहता या फिर वे छोटीछोटी बात पर झगड़ क्यों पड़ते हैं?

बौद्धिक जुड़ाव का अभाव

पतिपत्नी के बीच अकसर बातचीत के लिए कोई बौद्धिक टौपिक नहीं रह जाता. वे घर, परिवार या बच्चों की समस्याएं तो डिस्कस करते हैं मगर देश, समाज या राजनीति में क्या हो रहा है, इस पर बात नहीं करते.

वे किताबें या पत्रिकाएं नहीं पढ़ते, इसलिए नई चीजों से अपडेट नहीं रहते. उन के पास किसी नौवेल, आर्टिकल या कहानी डिस्कस करने की सोच नहीं होती. यानी, वे कुछ रोचक बातें नहीं करते जैसा कि हम दोस्तों के बीच करते हैं. वे कुछ मजेदार गेम्स भी नहीं खेलते और कोई गंभीर या कौमेडी मूवी भी साथ नहीं देखते. कुल मिला कर पतिपत्नी दोस्त नहीं बन पाते, इसलिए रिश्ता बोरिंग होने लगता है. एकदूसरे के लिए चार्म खत्म हो जाता है.

सामाजिक प्रथाओं के हिसाब से चलने पर जोर

शादी 2 परिवारों का मिलन होता है जबकि दोनों परिवारों की प्रथाएं अलग होती हैं. 2 अलग घरों के लोग विवाह के बंधन में बंधते हैं और दोनों के घर का रहनसहन, खानेपीने और त्योहारों को मनाने का तरीका सबकुछ अलग होता है. ऐसे में पति अपने घर की प्रथाओं को अहमियत देता है जबकि पत्नी परिवार को अपने तरीके से चलाना चाहती हैं. यही वजह है कि दोनों के बीच नोंकझोंक शुरू हो जाती है और प्यार कम होता नजर आने लगता है.

जिम्मेदारियों का बढ़ना

शादी के पहले लड़के और लड़कियों की कोई खास पारिवारिक जिम्मेदारी नहीं होती और वे अपनी दुनिया में खोए रहते हैं. लेकिन शादी के बाद रोजमर्रा की जिम्मेदारियां बढ़ने लगती हैं. जिम्मेदारियों का बोझ पतिपत्नी के बीच लड़ाई का बड़ा कारण बन जाता है. लड़के खुद को जिम्मेदार महसूस करने लगते हैं तो नौकरी को सीरियसली लेते हैं और लड़कियां परिवार के सदस्यों का दिल जीतने के लिए घर के कामों में लग जाती हैं. अगर नौकरी करती हैं तो जिम्मेदारी और बढ़ जाती है. ऐसे में कपल को एकदूसरे के लिए वक्त नहीं मिल पाता.

परिवार का हस्तक्षेप

शादी के बाद अकसर कपल्स की जिंदगी में परिवार का ज्यादा इंटरफेरेंस पतिपत्नी के बीच दरार डाल देता है. ज्यादातर लड़कियां मोबाइल पर अपनी मां, भाभी या बहन को अपनी जिंदगी की हर घटना विस्तार से बताती हैं. हर घटना का प्रौपर पोस्टमार्टम होता है और ससुराल वालों की कमियां गिनाई जाती हैं. इधर लड़के की मां भी रिश्तेदारों के जरिए अपनी बहू की कमियों और दोषों का आकलन करती हैं. इस के बाद दोनों के ही घरवाले पतिपत्नी की निजी जिंदगी में हस्तक्षेप करने लगते हैं. इस से घर में तनाव बढ़ता है और पतिपत्नी के रिश्ते में अनायास ही दूरी आने लगती है.

पार्टनर को समय न देना

शादी के बाद पतिपत्नी दोनों अपनी दिनचर्या में इतने उलझ जाते हैं कि उन के पास एकदूसरे के लिए समय ही नहीं होता है. समय की कमी भी एकदूसरे के बीच कम होते प्यार की वजह हो सकती है. पत्नी यदि जौब करने वाली होती है तो वैसे ही उस के पास समय नहीं बचता. वह घरेलू हो तो भी आज के समय में मोबाइल से ही छुट्टी नहीं मिलती. इधर यदि बच्चे हो जाते हैं तब तो वैसे ही पतिपत्नी उस में व्यस्त हो जाते हैं.

हक जमाना

शादी की शुरुआत में तो हर कपल के बीच सबकुछ ठीक देखने को मिलता है, लेकिन वक्त के साथ कई बार अगर वे एकदूसरे पर अधिकार जमाने लगते हैं या पार्टनर का अपमान करने को नौर्मल समझते हैं तो रिश्तों में दूरियां बढ़नी शुरू हो जाती हैं.

एक दूसरे के साथ क्वालिटी टाइम बिताएं

अपने जीवनसाथी के साथ कुछ खूबसूरत समय जरूर बिताएं. इस समय हर काम से छुट्टी लें और केवल एकदूसरे में खो जाएं. किसी पार्क में जाएं या लाइब्रेरी में रोचक किताबें मिल कर पढ़ें. साथ शौपिंग करें या मूवी देखने जाएं. कभीकभी एडवैंचर ट्रिप पर भी निकलें. मतलब जिंदगी के अनमोल लमहे साथ गुजारें.

तारीफ करने से हिचकें नहीं

जब आप गर्लफ्रैंडबौयफ्रैंड की तरह रिलेशनशिप में होते हैं तो अकसर ही एकदूसरे की तारीफ करते हुए नजर आते हैं. लेकिन शादी के बाद कपल्स अकसर इन चीजों को कम करना शुरू कर देते हैं. जबकि किसी बात के लिए धन्यवाद कहना या तारीफ करना बेहद जरूरी होता है. इस से आप न सिर्फ अपने पार्टनर को अच्छा महसूस कराते हैं बल्कि उस के महत्त्व को भी बताते हैं. जब आप का पार्टनर आप के लिए कुछ खास करता है तो आप का उन्हें थैंक्यू करना भी बनता है. लेकिन अकसर लोग इन बातों को ही इग्नोर करते हैं और उन के रिश्ते में एहसास मरने लगते हैं.

ईगो छोड़ सौरी बोलना सीखें

रिश्ते में लोग अकसर जब अपना ईगो ले आते हैं तो पार्टनर के साथ उन का रिश्ता टूटने लगता है. अगर किसी बात पर आप की गलती है, तो आप को उन्हें सौरी बोलने में बिलकुल भी हिचकिचाहट महसूस नहीं करनी चाहिए. आप को यह समझना होगा कि लड़ाईझगड़े हर कपल के बीच होते हैं लेकिन अपने रिश्ते में प्यार को बनाए रखने के लिए बहस को जितनी जल्दी हो, खत्म कर लेना चाहिए. ऐसे में सौरी बोलना सीख लें.

एकदूसरे से प्रौब्लम शेयर करें और एडवाइस लें

पतिपत्नी का एकदूसरे से सलाह लेना बेहद जरूरी है. ऐसे में दोनों के बीच दोस्ती का रिश्ता भी मजबूत होता है. जिन कपल्स के बीच खुल कर बातचीत करने की आदत होती है वे सालों बाद भी अपने रिश्ते को खूबसूरती से निभा पाते हैं. याद रखें, आप का पार्टनर शादी के बाद आप की जिंदगी का हिस्सा होता है. ऐसे में आप को उस से कुछ भी कहने में हिचकिचाहट नहीं महसूस होनी चाहिए.

पार्टनर पर अपना हक जताना बंद करें

शादी के कुछ सालों बाद जब आप अपने पार्टनर के साथ बुरी तरह से बरताव करते हुए उन पर रोकटोक लगाने लगते हैं या अपनी बातों को मनवाने का प्रयास करते हैं तो रिश्ते की गाड़ी डगमगाने लगती है. अपने साथी की भावनाओं का सम्मान करें और उन के विचारों/सोच का सम्मान करें. जब आप अपने पार्टनर को इज्जत देंगे तो वे भी आप के विचारों की कद्र करेंगे.

उम्मीदों पर खरा उतरने का प्रयास करें

पतिपत्नी एकदूसरे से पूछें कि उन की आप से क्या अपेक्षाएं हैं, उन्हें क्या पसंद है और क्या नागवार गुजरता है. दोनों अपनीअपनी उम्मीदें, मजबूरियां, परेशानियां आदि सबकुछ खुल कर शेयर करें बिना झगड़ा, बहस, आवाज ऊंची किए, शांत मन से. इस के बाद बीच का रास्ता निकालें. पतियों को समझना होगा कि पत्नी अपना मायका छोड़ कर उस के लिए आई है. किसी भी मुद्दे को ले कर घरवालों की तरफ हो जाना और उसे अकेला छोड़ देना भी ठीक नहीं है. अगर पत्नी की गलती है तो भी उसे अलग से प्यार से समझाया जा सकता है.

पत्नी को समझना होगा कि वह पति की जिंदगी में अभीअभी आई है जबकि यह परिवार उस के साथ उस के जन्म से है. पति का दिल जीतना है तो परिवार के साथ एडजस्ट करने की कोशिश करनी चाहिए.

जिम्मेदारियां मिल कर निभाएं

शादी के बाद जिम्मेदारियां बढ़ती ही हैं. ऐसे में दोनों को एकदूसरे की जिम्मेदारी समझनी होगी. एकदूसरे के कामों में मदद करनी होगी. इस तरह काम जल्दी होंगे तो दोनों साथ समय गुजार सकेंगे, घूमफिर सकेंगे और बातें भी होंगी. शादी के बाद बोरिंग हो चुके रिश्ते में दोबारा रोमांच भरने के लिए वे सारे काम दोबारा करें जो शादी के पहले करते थे. घूमने जाएं, सरप्राइज गिफ्ट्स दें आदि.

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