महाराष्ट्र में पुणे के कल्याणी नगर में एक रईसजादे वेदांत अग्रवाल ने रात के करीब 2.30 बजे अपनी महंगी पोर्शे कार से बाइक सवार अनीस अवधिया और अश्विनी कोष्टा को टक्कर मार दी. इस घटना में दोनों की मौत हो गई है. इस घटना के बाद वहां लोगों ने रईसजादे की जम कर पिटाई की. वेदांत के पिता विशाल अग्रवाल मशहूर ब्रह्मा रियलिटी कंपनी के मालिक हैं जो बिल्डिंग बनाने का काम करती है.
पुलिस ने वेदांत अग्रवाल के खिलाफ यरवड़ा पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज कर ली. इस घटना के बाद मृतकों के दोस्त एकिब रमजान मुल्ला ने पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई. अश्विनी और अनीस दोस्तों के साथ अपनी मोटरसाइकिल पर कल्याणीनगर से यरवड़ा की ओर यात्रा कर रहे थे. वेदांत अपनी पोर्शे कार को तेज गति से चला रहा था. इस बीच वह कार से नियंत्रण खो बैठा. इस के बाद कार एक बाइक और अन्य वाहनों से टकरा गई.
रईसजादे का शिकार बने 2 इंजीनियर
पुणे पोर्श कार हादसे का आरोपी वेदांत अग्रवाल के बालिग और नाबालिग होने पर सवाल उठ रहे हैं. वेदांत ने अपनी कार से जिन बाइक सवार को रौंद दिया वेह दोनों इंजीनियर थे. पुलिस ने वेदांत के पिता विशाल अग्रवाल को गिरफ्तार कर लिया. विशाल के पिता सुरेंद्र कुमार अग्रवाल ने अपने भाई से संपत्ति विवाद में अंडरवर्ल्ड डौन छोटा राजन की मदद ली थी. राजन के गुर्गे ने गोलीबारी भी की थी. पहले पुलिस ने जांच की. बाद में सीबीआई को मामला सौंपा गया. यह केस कोर्ट में विचाराधीन है. इस से यह साफ जाहिर होता है कि आरोपी वेंदात का परिवार दबंग किस्म का था. उस के लिए इस तरह के हादसे कोई बड़ी बात नहीं.
हमारी अदालतों में मुकदमे सालोंसाल चलते हैं. जिस वजह से सही समय पर न्याय नहीं मिल पाते. 5 करोड़ से अधिक के मामले आदलतों में लंबित हैं. अमीर आदमी के मामलों में विवेचना से ले कर जिरह तक में इतना घालमेल हो जाता है कि आरोपी बरी हो जाता है. पीड़ित को न्याय नहीं मिल पाता. उन परिवारों के बारे में कोई नहीं सोच रहा जिन के बाइक सवार 2 बच्चे दुर्घटना का शिकार हुए हैं.
17 साल के लड़के ने पहले शराब के नशे में अपनी पोर्शे कार से बाइक सवार 2 इंजीनियरों को रौंद दिया. हादसे में दोनों लड़कालड़की की मौत हो गई. मरने वालों की पहचान 24 साल के अनीश अवधिया और 24 साल की अश्विनी कोष्टा के रूप में हुई है. दोनों मध्य प्रदेश के रहने वाले थे. पुणे में काम करते थे.
इस मामले में जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड ने कुछ शर्तों के साथ आरोपी नाबालिग को रिहा कर दिया. बाद में पुलिस ने आरोपी नाबालिग के पिता विशाल अग्रवाल को छत्रपति संभाजीनगर से गिरफ्तार किया. विशाल अग्रवाल की कार बिना रजिस्ट्रेशन सड़कों पर दौड़ रही थी. इस से साफ पता चलता है कि विशाल अग्रवाल कितना पहुंच वाला आदमी है.
पोर्शे कार की कीमत
भारत में इस समय पोर्शे कार के 8 मौडल्स बिक्री के लिए उपलब्ध है. इन में 3 एसयूवी, 4 कूपे और 1 वैगन शामिल हैं. पोर्शे ने पोर्शे टायकन भी 2024 लौंच की है. इंडिया में पोर्शे कारों की कीमत 88.06 लाख से शुरू होती है. भारत में पोर्शे की सब से महंगी कार 911 है जो 4.26 करोड़ रुपए में उपलब्ध है. पोर्शे के लाइनअप में सब से लेटेस्ट मौडल क्यान है जिस की कीमत 1.36 से 2 करोड़ रुपए है. पोर्शे की मौजूदा कारों में मैकन, क्यान, केएन कूप, 718, टायकन, मैकन ईवी, पैनामेरा और 911 जैसी कारें शामिल हैं.
पोर्शे जरमनी की औटोमोबाइल कंपनी है जो हाई परफौर्मेंस स्पोर्ट्स कार, एसयूवी और सेडान बनाने के लिए मशहूर है. इस कंपनी का स्वामित्व आस्ट्रियन पोर्श और पाइक फैमिली (आस्ट्रियन बिजनैस फैमिली पोर्श) के पास है. मई 2006 के एक सर्वे में पोर्श को लग्जरी इंस्टिट्यूट, न्यूयौर्क द्वारा सब से प्रतिष्ठित औटोमोबाइल ब्रैंड का खिताब दिया गया. इस सर्वे में 7,20,000 अमेरिकी डौलर की कुल संपत्ति वाले 500 से अधिक परिवारों ने हिस्सा लिया था जिन की वार्षिक आय न्यूनतम 200,000 अमेरिकी डौलर थी.
भारत में बढ़ रहा है महंगी कारों का शौक
सस्ती और टिकाऊ गाड़ियों के बजाय अब भारतीयों को महंगी गाड़ियां पंसद आ रही हैं. देश में लग्जरी कारों की बिक्री में 41 फीसदी बढ़ोतरी हुई है. इन कारों में लुक और सेफ्टी फीचर्स के साथ ही साथ दिखावा भी होता है. साल 2022 में कुल गाड़ियों के मुकाबले 41 फीसदी गाड़ियां 10 लाख रुपए से अधिक कीमत की थीं.
क्रिकेट खिलाडी ऋषभ पंत के साथ कार का हादसा हुआ था. उस में उस को गंभीर चोटें आईं थीं. दिल्लीदेहरादून एक्सप्रेसवे पर हुए हादसे के समय में ऋषभ मर्सिडीज कार से सफर कर रहे थे. इस हादसे में ऋषभ की जान बच गई. जिस का श्रेय उन की महंगी गाड़ी को दे रहे हैं. अगर मर्सिडीज जैसी लग्जरी कार की जगह किसी साधारण कार में वे होते तो इतने भयानक हादसे में बच पाना मुश्किल था. महंगी कारों के सेफ्टी फीचर्स लोगों को लुभा रहे हैं.
पहले लोग सस्ती और टिकाऊ गाड़ियां पसंद करते थे. वहीं अब भारत में महंगी गाड़ियों का क्रेज बढ़ रहा है. टोयोटा, फोर्ड, इनोवा, सकोडा, सिकैड, औडी और मर्सिडीज जैसी गाड़ियों की डिमांड तेजी से बढ़ रही है. साल 2018 के मुकाबले साल 2022 में इन लग्जरी और महंगी गाड़ियों की डिमांड में 41 फीसदी की तेजी आई है. ग्रामीण इलाकों में भी स्कौर्पियो और फारच्युनर जैसी गाडियां लोगों की पंसद बनती रही हैं.
आंकड़ों को देखें तो 10 लाख रुपए से ऊपर के महंगी कारों को खरीदने वालों की संख्या बढ़ रही है. शौकीन लोग 25 लाख से 60 लाख रुपए तक की रेंज में गाडियां खरीद रहे हैं. इन में 3 श्रेणी के लोग हैं. पहले बिजनैसमैन हैं. दूसरे नेता और तीसरे अफसर हैं. इन की गाड़ियां इन के अपने नाम से कम होती हैं. माफिया टाइप लोगों के पास एक गाड़ी का मतलब नहीं होता, उन को अपने काफिले में एकजैसी 6-7 गाड़ियां चलने के लिए चाहिए. ये गाडियां बड़ी आसानी से बैंक लोन से मिल जाती हैं.
साल 2018 में 10 लाख से अधिक महंगी कारों की सेल 5.4 लाख थी तो वहीं साल 2022 में यह आंकड़ा 15.5 लाख के ऊपर पहुंच गया. अगर तुलना करें तो साल 2008 में करीब 34 लाख कारों की बिक्री हुई, जिन में से 16 फीसदी गाड़ियां ऐसी थीं जो 10 लाख रुपए से अधिक कीमत की थीं. वहीं साल 2022 में 38 लाख गाड़ियों की बिक्री हुई, लेकिन इस दौरान 10 लाख से महंगी कारों की संख्या 15 लाख रुपए को पार कर गई. यानी, महंगी कारें खरीदने वालों में 41 फीसदी का इजाफा हुआ.
शान और साख बढ़ाती हैं महंगी गाड़ियां
महंगी गाड़ियों की बढ़ती खरीदारी की 3 वजहें हैं. पहली, दिखावा यानी शान. जिस तरह से अमीर औरतों को अपने गहने और साड़ी दिखाने में खुशी होती है उसी तरह से पुरुष अपनी महंगी कार दिखा कर दूसरों पर रोब डालता है. जब वह अपनी महंगी कार से उतरता है तो मन में अलग किस्म की खुशी होती है. घर कितना भी अच्छा हो, उसे दिखाने के लिए लोगों को बुलाना पड़ता है. महंगी कार दिखाने के लिए किसी को बुलाना नहीं पड़ता.
महंगी गाड़ियों के फीचर्स लोगों को लुभा रहे हैं. सनरूफ, ड्राइविंग असिस्ट फीचर्स, 360 डिग्री कैमरा, इंफोर्मेशन स्क्रीन, 6 एयरबैग्स फीचर्स, महंगे साउंड फीचर्स भारतीयों को लुभा रहे हैं. इस के अलावा महंगी गाड़ियों के सेफ्टी फीचर्स लोगों को खूब लुभा रहे हैं. महंगी गाड़ियां समाज में साख को बढ़ाती हैं. लोग आप पर भरोसा करने लगते हैं. जिस बिजनैस में आप हैं उस में 20 प्रतिशत की बढ़ोतरी इस से संभव होती है.
अच्छी सड़कें होने से एक शहर से दूसरे शहर की दूरी कम हो गई है. अच्छी कारों से यह सफर कम समय में तय हो जाता है. यह बात और है कि महंगी कारें दुर्घटना का कारण बनती हैं. सुरक्षा कारणों से कार चलाने वाला भले ही बच जाएं पर सड़क पर चलने वाले इस की चपेट में आ ही जाता है. पुणे में 2 परिवार तबाह हो गए, जिन के बच्चे अपने परिवार की मदद के लिए इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के बाद जौब कर रहे थे.
कानून और अदालतें गुनाहगार को दंड देने से अधिक उस के बचाने का काम करती है. वेदांत अग्रवाल को नाबालिग मान कर उसे छोड़ दिया है. उस के पिता को पुलिस ने पकड़ा है. पिता के खिलाफ केवल यह आरोप है कि उस ने नाबालिग बेटे को गाड़ी चलाने को दी और गाड़ी का रजिस्ट्रेशन नहीं था. इस मामले में मामूली सजा के बाद आरोपी छूट जाएगा. जिन परिवार के बच्चे हादसे का शिकार हुए, 2-4 दिन रोपीट कर उन के परिवार वाले चुप हो जाएंगे.
क्या कहता है कानून
लापरवाही और तेज गति से व्हीकल ड्राइविंग दूसरों के जीवन खतरे में डालने वालों को जेल जाना होगा. केंद्र सरकार के नए प्रस्ताव के मुताबिक जानलेवा दुर्घटना गैरजमानती अपराध होगा. ऐसे प्रकरणों में दोष सिद्ध होने पर अधिकतम 2 साल की सजा की जगह नए कानून में न्यूनतम 2 साल से ले कर अधिकतम 7 साल तक की सजा भुगतनी पड़ सकती है. सजा को सख्त बनाने के पीछे सड़क दुर्घटनाओं में कमी ला कर यात्रा को सुरक्षित बनाना है.
गृह मंत्रालय ने कहा की आईपीसी (भारतीय दंड संहिता 1860) की सड़क दुर्घटनाओं से संबंधित धाराओं में सुधार किया जा रहा है. आईपीसीसी की धारा 304 में दुर्घटना से मौत या असावधानी से किसी की मृत्यु होने पर अधिकतम 2 वर्ष तक की सजा का प्रावधान था, साथ ही पुलिस को थाने में जमानत पर छोड़ने का अधिकार था. अब आईपीसी की धारा 304 में उपधारा जोड़ कर इसे 304 ए किया किया जा रहा है. कानून तक मसले पहुंचते कम हैं, जो पहुंचते हैं उन को चक्कर लगाने पड़ते हैं. पीड़ित को न्याय नहीं मिलता.