हाल ही में किए गए एक अध्ययन के अनुसार जो लोग अक्सर तला हुआ भोजन विशेष रूप से फ्रेंच फ्राइज़ जैसे आलू खाते हैं उन में डिप्रेशन या एंजाइटी का खतरा अधिक होता है. परिणामों से पता चला कि बार बार तले हुए भोजन का सेवन एंग्जाइटी के 12% अधिक जोखिम और डिप्रेशन के 7% अधिक जोखिम से जुड़ा था. सब से अधिक प्रभाव पुरुषों और युवाओं पर पड़ा. पीएनएएस जर्नल में प्रकाशित यह अध्ययन चीन के झेजियांग विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं द्वारा किया गया था. उन्होंने 11 साल की अवधि के दौरान 140,000 से अधिक लोगों के डेटा का मूल्यांकन किया.

अध्ययनकर्ताओं के हिसाब से इस का एक कारण यह हो सकता है कि तले हुए खाद्य पदार्थों में एक्रिलामाइड नामक रसायन होता है जो तब उत्पन्न होता है जब कुछ खाद्य पदार्थों को बहुत अधिक तापमान पर पकाया जाता है. एक्रिलामाइड ब्रेन इन्फ्लेमेशन से संबंधित एंजाइटी- और डिप्रेशन जैसे व्यवहार से जुड़ा हुआ है.

अमेरिकन साइकियाट्रिक एसोसिएशन के अनुसार एंजाइटी डिसऑर्डर सभी डिसऑर्डर में सबसे आम हैं जो इंसान के जीवन में कभी न कभी 30% एडल्ट्स को प्रभावित करते हैं. ये समस्याएं घबराहट या बेचैनी की नॉर्मल फीलिंग्स से भिन्न और तीव्र होती हैं जो सामान्य प्रोडक्टिव जीवन जीने में बाधा डालती हैं.

डिप्रेशन किसी व्यक्ति के सोचने और कार्य करने के तरीके को प्रभावित करता है जिस से उदासी की भावना पैदा होती है या उन गतिविधियों में रुचि कम हो जाती है जिन का पहले आनंद लिया जाता था. डिप्रेशन भावनात्मक और शारीरिक समस्याओं का कारण बन सकता है.

एंग्जाइटी और तनाव से बचना है तो इन चीजों को करें डाइट से बाहर

चीनी

फिजिकल हेल्थ के साथ साथ मेंटल हेल्थ के लिए भी शुगर और डेजर्ट में प्रयोग किये गये एडेड शुगर बहुत अधिक नुकसानदेह है. यह ओबेसिटी, उच्च रक्तचाप के साथ ही यह डिप्रेशन एंजाइटी और मूड स्विंग के लक्षणों को भी बढ़ाता है. चीनी खाने से सुस्ती, लो मूड और अधिक खाने की लालसा बढ़ा देता है. ब्लड शुगर लेवल में लगातार वृद्धि और गिरावट ब्लड फ्लो में एड्रेनालाईन और कोर्टिसोल सीक्रेशन को ट्रिगर कर सकती है. इस से एंग्जायटी और घबराहट के दौरे भी पड़ सकते हैं.

तले हुए खाद्य पदार्थ

जंक फूड और तले हुए खाद्य पदार्थ जैसे पिज्जा, फ्राइड चिकन, हैम्बर्गर और फ्रेंच फ्राइज़ जैसे फ़ूड में बहुत कम पोषक तत्व होते हैं. शरीर के लिए इन्हें पचाना बेहद मुश्किल होता है. जब शरीर भोजन को पचाने में असमर्थ होता है तो गैस, एसिडिटी और अन्य गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल प्रॉब्लम उत्पन्न हो सकते हैं. यह एंग्जाइटी को ट्रिगर कर देता है.

कैफीन और निकोटीन

कॉफी, चाय, एनर्जी ड्रिंक, चॉकलेट और कुछ दर्द निवारक उत्पादों में कैफीन और निकोटीन पाया जा सकता है. कैफीन और निकोटीन सेंट्रल नर्वस सिस्टम को उत्तेजित कर देते हैं. इसके अत्यधिक सेवन से दिल की धड़कन, कंपकंपी, चिड़चिड़ापन, एंजाइटी और अनिद्रा भी हो सकती है.

फ़ूड एडिटिव

एस्पार्टेम , मोनोसोडियम ग्लूटामेट और कुछ फ़ूड कलर एंग्जायटी, डिप्रेशन और मूड स्विंग की एक वजह बन सकते है. एस्पार्टेम एक कृत्रिम स्वीटनर है. इसका उपयोग कई अलग-अलग खाद्य पदार्थों में किया जाता है. इसमें शुगर फ्री कैंडीज, च्युइंग गम और कोल्ड ड्रिंक शामिल हैं.
ये चिंता और अवसाद सहित कई अन्य मेंटल हेल्थ की स्थितियों को बढ़ा सकते हैं.

स्नैक्स, प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थ और पहले से पके हुए तैयार भोजन के स्वाद को बढ़ाने के लिए मोनोसोडियम ग्लूटामेट का प्रयोग किया जाता है. यह थकान, सिरदर्द, अवसाद और एंग्जायटी से जुड़ा हुआ है. सॉफ्ट ड्रिंक, कैंडी, पनीर और अन्य प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थों में इस्तेमाल होने वाले फ़ूड कलर भी एंग्जायटी के लक्षणों को बढ़ा सकते हैं.

डिप्रेशन से छुटकारा पाने में आप की मदद करेंगी ये चीजें

डाइट में कुछ खास चीजों को शामिल कर के भी डिप्रेशन से छुटकारा पाया जा सकता है. अगर आप को डिप्रेशन हो गया है तो अपने आहार में कुछ चीजों को शामिल कर आप इस समस्या को कम कर पाएंगे;

दही

दही में लैक्टोबेसिलस और बिफिडोबैक्टीरिया नामक स्वस्थ बैक्टीरिया होते हैं. कई अध्ययनों में सामने आया है कि ये दोनों बैक्टीरिया मस्तिष्क पर सकारात्मक प्रभाव डालते हैं. रोजाना दही का सेवन कर चिंता, अवसाद और स्ट्रेस को कम किया जा सकता है.

ग्रीन टी

ग्रीन टी में थायमिन नामक अमीनो एसिड होता है जो कि मूड से जुड़े डिसऑर्डर को ठीक करने की शक्ति रखता है. थायमिन में अवसाद-रोधी और दिमाग को कम्फर्ट देने वाले गुण होते हैं और यह फील गुड हार्मोन सेरोटोनिन और डोपामाइन के उत्पादन में भी वृद्धि करता है.

एवोकैडो

मूड को बेहतर करने वाले सेरोटोनिन को एवोकाडो से भी बढ़ाया जा सकता है. इसमें विटामिन-बी के अलावा थायमिन, राइबोफ्लेविन और नियासिन होता है जो कि तंत्रिका तंत्र पर सकारात्मक असर डालता है. इन विटामिनों की कमी की वजह से कुछ लोगों में चिंता यानी एंग्जाइटी के मामले सामने आते हैं.

कद्दू के बीज

कद्दू के बीज पोटेशियम का उत्तम स्रोत होते हैं जो कि शरीर में इलेक्ट्रोलाइट को संतुलित रखने और ब्लड प्रेशर को नियंत्रित रखने के साथ स्ट्रेस और चिंता के लक्षणों को कम करने की शक्ति रखते हैं. इनमें मिनरल जिंक भी होता है जो कि मूड को अच्छा रखता है.

मछली

अगर आप मांसाहारी हैं तो डिप्रेशन से बचने के उपाय के तौर पर मछली का सेवन कर सकते हैं. डिप्रेशन से छुटकारा पाने के लिए साल्मन, मैकरेल और ट्यूना मछली खानी चाहिए. ये डिप्रेशन से लड़ने में मदद करती हैं. इनमें प्रचुर मात्रा में ओमेगा-3 फैट होता है जो कि मस्तिष्क की कोशिकाओं के बीच संबंध बनाने में मदद करता है और न्यूरोट्रांसमीटर के लिए रिसेप्टर नाडियों को मजबूती देता है. आहार में ओमेगा-3 फैटी एसिड लेने से सेरोटोनिन के उत्पादन में वृद्धि होती है और मूड भी अच्छा रहता है.

अंडे

अंडे की जर्दी विटामिन-डी का बेहतरीन स्रोत होती है. इसमें प्रोटीन भी प्रचुर मात्रा में पाया जाता है जिससे शरीर को सभी प्रकार के जरूरी अमीनो एसिड मिलते हैं. ये शरीर के विकास में अहम भूमिका निभाते हैं. अंडे में ट्रिप्टोफेन नामक अमीनो एसिड होता है जो कि फील गुड हार्मोन सेरोटोनिन बनाने में मदद करता है.

ओमेगा-3 फैटी एसिड

एक शोध के मुताबिक जो व्यक्ति अपनी डाइट में ओमेगा-3 फैटी एसिड नहीं लेता है उसे डिप्रेशन का खतरा अधिक रहता है. इसके सेवन से दिमाग सही से काम करता है. इसके लिए डाइट में अलसी के बीज, सोयाबीन तेल, नट्स, फैटी फिश, पत्तेदार हरी सब्जियां जरूर शामिल करें.

सेलेनियम

कई शोध में इस बात का खुलासा हुआ है कि सेलेनियम के सेवन से व्यक्ति की मनोदशा पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है. इससे तनाव के लक्षणों को कम करने में मदद मिलती है. रोजाना करीब 55 माइक्रोग्राम सेलेनियम जरूर सेवन करना चाहिए. इसके लिए डाइट में ब्राज़ील नट्स, समुद्री भोजन और मांस का सेवन कर सकते हैं.

विटामिन-डी

सूर्य की रोशनी यानी धूप भी डिप्रेशन में दवा समान है. सूर्य की रोशनी विटामिन-डी का मुख्य स्त्रोत है. विटामिन-डी के सेवन से भी व्यक्ति की एंजाइटी और अवसाद के भाव घटते हैं. डाइट में ऑयली फिश, ओकरा और डेयरी उत्पादों को जोड़ने से भी विटामिन डी मिलता है.

एंटीऑक्सीडेंट्स और गुड कार्ब्स

अपनी डाइट में एंटीऑक्सिडेंट्स और गुड कार्ब्स युक्त चीज़ों को जरूर जोड़ें. विटामिन-ए, सी और इ में एंटीऑक्सिडेंट्स पाए जाते हैं. जबकि साबुत अनाज, फल और सब्जियों में कार्ब्स पाए जाते हैं. इसके लिए आप फल और सब्जियों का अधिक से अधिक सेवन करें.

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