प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 21 अप्रैल को राजस्थान के बांसवाडा में थे. जनसभा में ठीकठाक भीड़ थी जो कुछ नया सुनने की चाहत में उमड़ी और उमड़ाई गई थी. चुनावी दिनों में नेताओं के पास नया कुछ कहने को है नहीं क्योंकि चुनाव 7 चरणों में हो रहे हैं. इसलिए प्रचार भी लंबा खिंच रहा है. एक ही बात को घुमाफिरा कर दोहराते रहना नेताओं की भी मजबूरी हो जाती है. अब रोजरोज नई बातें वे लाएं भी तो कहां से लाएं, खासतौर से, सत्ता पक्ष को मुद्दों का टोटा पड़ा रहता है कि कितनी बार अपने किए चंद कामों को गिनाया जाए. उलट इस के, विपक्ष के पास बोलने की रेंज ज्यादा होती है. उस के पास वक्ता भी ज्यादा होते हैं और उन्हें बोलने की आजादी भी रहती है.
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कुछ दिनों से नरेंद्र मोदी ने अपने भाषण सनातन और राम पर फोकस किए हुए थे कि देखो, इंडी गठबंधन वाले और कांग्रेस सनातन और राम विरोधी हैं. इन्होंने प्राणप्रतिष्ठा का भी आमंत्रण ठुकरा दिया था, इन्हें मेरा समुद्र के अंदर जा कर पूजा पाठ करना भी पाखंड लगता है वगैरहवगैरह. सो, बांसवाडा में उन्होंने एकाएक ही एक नई बात अपने हिसाब से कही जबकि पब्लिक सालों से इसे तरहतरह से सुनती आ रही थी. चूंकि बहुत दिनों बाद कही थी और यथासंभव मसाला घोल कर कही थी इसलिए विवाद भी शुरू हो गया जोकि उन का असल मकसद था. नहीं तो वह बात और भाषण भी क्या जिस पर लोग जम्हाइयां लेते ऊंघने लगें और मीटिंग खत्म होने का इंतजार करने लगें.
इंतजार की घड़ियां समाप्त हुईं जब उन्होंने कहा कि ये अर्बन नक्सल वाली सोच… मेरी माताओं, बहनों, ये आप का मंगलसूत्र भी नहीं बचने देंगे, इस हद तक चले जाएंगे. यह कांग्रेस का घोषणापत्र कह रहा है कि वे माताओं, बहनों के सोने का हिसाब करेंगे. उस की जानकारी लेंगे और फिर उस संपत्ति को बांट देंगे. और उन को बांटेंगे जिन के बारे में मनमोहन सिंह की सरकार ने कहा था कि संपत्ति पर पहला हक मुसलमानों का है. इस का मतलब ये संपत्ति इकट्ठी कर के किस को बांटेंगे. जिन के ज्यादा बच्चे हैं उन को बांटेंगे , घुसपैठियों को बांटेंगे. आप की मेहनत की कमाई का पैसा घुसपैठियों को दिया जाएगा. क्या आप को यह मंजूर है. चूंकि बांसवाडा में आदिवासी भी बहुतायत से रहते हैं इसलिए उन्होंने यह भी जोड़ दिया कि उन की चांदी का भी हिसाब लगाया जाएगा.
अब तक सभा में मौजूद शादीशुदा महिलाओं के हाथ अपनेआप ही अपने गले तक पहुंच चुके थे जिसे टटोल कर उन्होंने चैन की सांस ली कि मंगलसूत्र अभी लुटा नहीं है. लेकिन अगर भाजपा को वोट नहीं दिया तो जरूर लुट जाएगा. फ्लश के खेल के ब्लफ की तरह का यह वक्तव्य जल्द ही देशभर में फ़ैल गया और उस की समीक्षाएं होने लगीं. लोगों ने कांग्रेस का घोषणापत्र देखा जिस में कहीं भी प्रौपर्टी के हिसाब और सोने, चांदी व मंगलसूत्र का जिक्र नहीं था. अब मोदी जी कहां से यह सूई ढूंढ लाए, इस का खुलासा एक वीडियो के जरिए किया गया जो वायरल किए जाने की मंशा से सुबह से ही अपलोड किया जा चुका था. इस वीडियो में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह इंग्लिश में दलितों, आदिवासियों और अल्पसंख्यकों के हित की बात कहते हुए नजर आ रहे हैं.
कांग्रेस तो ऐसे ही किसी मौके की तलाश में बैठी ही थी कि इन दिनों कई वजहों से झुंझलाए नरेंद्र मोदी का कोई झूठ जनता के सामने मय सबूतों के पेश किया जाए. सो, उस ने तुरंत ही इस झूठ का परदाफाश कर दिया. कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने कहा कि झूठ के जरिए फिर से हिंदूमुसलमान को बांटने की कोशिश की जा रही है. कांग्रेस के घोषणापत्र में कोई मुसलिमहिंदू संदर्भ नहीं है. हम प्रधानमंत्री को चुनौती देते हैं कि वे हमें दिखाएं कि हमारे घोषणापत्र में कहीं भी हिंदूमुसलिम लिखा है.
उम्मीद के मुताबिक नरेंद्र मोदी ने यह चुनौती नहीं ली लेकिन खिसियाए हुए भाजपाइयों ने मनमोहन सिंह का 9 दिसंबर, 2006 वाला वीडियो वायरल कर दिया. लेकिन उस से भी बात बनी नहीं क्योंकि 15 साल बाद यह मुद्दा बनता नहीं और 2009 में भाजपा ने जाने क्यों बनाया नहीं. दूसरे, उस में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंग्लिश में जो कह रहे हैं उस का हिंदी अनुवाद यह निकलता है- हमें यह सुनिश्चित करने के लिए नवीन योजनाएं बनानी होंगी कि अल्पसंख्यकों विशेष रूप से मुसलिम अल्पसंख्यकों को विकास के लाभों को समानरूप से साझा करने का अधिकार है. संसाधनों पर उन का पहला दावा होना चाहिए. इस पूरे भाषण का निचोड़ देते हुए पवन खेड़ा ने कहा, “इस तरह का हलकापन आप की मानसिकता और आप के राजनीतिक मूल्यों में है हम ने युवाओं, आदिवासियों, महिलाओं, किसानों, मध्यवर्ग और श्रमिकों के लिए न्याय की बात कही है. क्या इस पर भी आप को एतराज है? अगर आप ऐसे ही झूठ बोलते रहे तो आप का नाम कूड़ेदान में चला जाएगा.”
पैसा है कहां
बात घूमफिर पैसे पर आ कर टिक गई है जिस के कहीं अतेपते नहीं. महंगाई के चलते लक्ष्मी, नाम और स्वभाव के मुताबिक, चंचला हो गई है. वह गरीबों के पास से तो देररात तक ही विदा हो कर अगले दिन फिर कुआं खोदने का मैसेज दे कर चली जाती है. वेतनभोगियों के पास से 20 तारीख आतेआते बायबाय करने लग जाती है. जिन के पास स्थाई रूप से मेहरबान है उन की गिनती उंगलियों पर की जा सकती है.
देश की आबादी 140 करोड़ है जिस में से 80 करोड़ तो घोषित तौर पर गरीब हैं जिन्हें सरकार राशन दे रही है. इन के पास लुटने को इन की गरीबी के सिवा कुछ है नहीं जिसे लूटने को कई तैयार नहीं. अब बचे 60 करोड़ में से 20 करोड़ मुसलमान निकाल दें तो बचते हैं 40 करोड़. इन में से भी कोई 8 करोड़ ईसाई, जैनी और बौद्ध, सिख हैं तो लुटने से डरने वाले कुल 32 करोड़ बचते हैं. इन में से भी 25 करोड़ मध्यवर्गीय लोग हैं जो महीने के आखिर तक इतने लुटपिट जाते हैं कि लुटेरों को ही उन पर दया आ जाए. इन के पास जो थोड़ामोड़ा बचता है उसे वे अयोध्या, काशी और उज्जैन जैसे दर्जनभर मंदिरों में चढ़ा आते हैं जिस से हिंदुत्व और पंडेपुजारी फलतेफूलते रहें. ऐसी करोड़ों बूंदों से मंदिरों में जरूर खरबों रुपए इकट्ठा हो रहे हैं जिस की लूटखसोट एक वर्ग विशेष के लोग ही करते हैं.
अब बचे 7 करोड़ जो आयकरदाता इस लिहाज से हैं कि वे इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करते हैं लेकिन उन में से टैक्स 1 करोड़ 50 लाख ही भरते हैं. इन्हें लूटना कोई आसान काम नहीं है क्योंकि ये आर्थिक सुरक्षा की पुख्ता खोल में रहते हैं. ये बचत का पैसा नकद नहीं रखते बल्कि निवेश कर रखते हैं जिस से वह और बढ़ता जाता है. इनकम टैक्स विभाग के आंकड़ों पर यकीन करें तो टैक्स रिटर्न भरने वालों की संख्या में रिकौर्ड 1,579 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. लेकिन लुटने लायक यानी 50 लाख रुपए से ले कर 1 करोड़ रुपए तक की आमदनी वालों की संख्या महज 616 है जो साल 2022 से पूरे साल में 23 बढ़ गई जबकि आम आदमी और गरीब हुआ. एक करोड़ से ज्यादा आमदनी वालों की तादाद सिर्फ 739 है. अब सोना तो इन्हीं का लूटा जा सकता है और ये इतने शक्तिशाली हैं कि कांग्रेस सरकार भी इन्हें छू नहीं सकती. हां, ये भक्त भी हैं और हिंदूमुसलिम सब से ज्यादा यही करते रहते हैं शायद यह सोच कर कि इसी से इन के पाप धुल जाएंगे, क्या ये भी भाजपा से छिटक रहे हैं जो मोदी को इन्हें डराना पड़ा.
ऐसा लगता नहीं कि इन एक हजार के लगभग लोगों को लूट कर इतना पैसा निकल पाएगा कि 20 करोड़ मुसलमानों की दरिद्रता दूर कर सके. वैसे, लूटने वाला अपनी पर आ जाए तो भिखारियों को भी नहीं बख्शता. लेकिन यहां और बांसवाडा में जिस लूट की बात हुई उस का हाल उस गिट्टी जैसा है जिस का छोर या सिरा थूक पर थूक लगाने के बाद भी नहीं मिल रहा. नकद लूट की बात व्यावहारिक नहीं लगी, सो, बात प्रौपर्टी और मंगलसूत्र की कही गई जिसे सुहागिनें उतना ही प्यार करती हैं जितना बाबा भारती अपने घोड़े सुलतान से करते थे. हिंदू औरतें सबकुछ लुटा सकती हैं लेकिन अपना मंगलसूत्र नहीं, इसलिए उन्हें उस के नाम पर ही डराया गया.
क्यों कहा
यह बयान बेमानी था और बेतुका भी जिसे खिसियाहट में भगवा गैंग अभी भी दोहराए जा रहा है जिस का मकसद सिर्फ हिंदूमुसलिम करना है. हालांकि दलित, आदिवासी, पिछड़े भी उस के निशाने पर हैं क्योंकि बच्चे पैदा करने के मामले में वे मुसलमानों से उन्नीस नहीं हैं. चिंता की बात प्रधानमंत्री का इतने निचले स्तर पर आ कर बात करना है जिस की वजह पहले चरण की वोटिंग का पैटर्न है जो सियासी पंडितों की नजर में भाजपा के हक में नहीं गया. मुसलमान तो एकजुट ख़ामोशी के साथ इंडिया गठबंधन को वोट कर ही रहा है लेकिन दलित, पिछड़ा और आदिवासी भी इंडिया गठबंधन को ठीकठाक तादाद में वोट कर रहा है जिस से 400 पार का हसीन ख्वाव टूटने लगा है. हकीकत में भाजपा अब 250 की लड़ाई लड़ रही है. उस के लिए वह कुछ भी करने और कहने को तैयार है तो कोई क्या कर लेगा.