Loksabha Election 2024: लोकसभा चुनाव में जनता का मत पाने के लिए सभी पार्टियों ने लंबेचौड़े वादों की फेहरिस्त जारी की है. किसी ने अपने लुभावने पत्र को संकल्प पत्र का नाम दिया है तो किसी ने न्याय पत्र का. इन घोषणा पत्रों में आमजन के जीवनस्तर में बदलाव लाने के बड़ेबड़े वादे किए गए हैं. अब इन वादों में कितने पूरे होंगे यह तो भविष्य के गर्भ में है. जिस पार्टी की सरकार केंद्र में बनी उस के घोषणा पत्र की बातें जमीन पर उतरती हैं या नहीं, यह अगले 5 साल जनता परखेगी.

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भारतीय जनता पार्टी ने अपने संकल्प पत्र में गरीब, युवा, किसान और महिलाओं पर ख़ास जोर दिया है. उन के लिए नई योजनाएं बनाने की बात की है. हालांकि यह वक्त था अपनी उपलब्धियां जनता के सामने रखने का. यह वक्त था यह बताने का कि जिन वादों के आधार पर सत्ता में आए थे उन में से कितने पूरे किए. मगर पार्टी के संकल्प पत्र में वही वादे दोबारा नज़र आ रहे हैं जो पिछले लोकसभा चुनावों के दौरान किए गए थे. यानी, अपने शासन के दौरान भाजपा उन लक्ष्यों को नहीं पा सकी, इसीलिए कुछ फेरबदल के साथ दोबारा उन का झुनझुना बजा रही है.

पीएम गरीब कल्याण मुफ्त अन्न योजना के जरिए गरीबों को जो मुफ्त अनाज बांटा जा रहा है, उस की अवधि 5 साल और बढ़ा दी गई है. यानी, गरीब को रोजगार देने की जगह उन्हें भीख देने और निठल्ला बनाए रखने की एक और पंचवर्षीय योजना ले कर भाजपा जनता के सामने वोट के लिए झोली फैलाए खड़ी है.

गौरतलब है कि भाजपा की मुफ्त राशन वाली यह योजना 2020 से चल रही है और दावा है कि हर महीने 80 करोड़ लोगों को मुफ्त राशन बांटा जा रहा है. भारत की जनसंख्या 140 से कुछ ज़्यादा है. इस हिसाब से तो भाजपा आधे से ज़्यादा आबादी को मुफ्त राशन बांट रही है. यानी, देश की आधी से ज़्यादा आबादी गरीबीरेखा से नीचे है. आधी से ज़्यादा आबादी अपने दो वक्त की रोटी नहीं कमा सकती. सरकार द्वारा बांटी जा रही भीख पर उस का गुजारा हो रहा है. जब देश में 80 करोड़ लोग अपना खाना तक अपनी कमाई से खरीद कर नहीं खा सकते तो वे अपने बच्चों को शिक्षा कहां से दे पाएंगे?

एक दशक से भाजपा सत्ता में है. एक दशक से भारत को विश्वगुरु बनाने के ढोल पीटे जा रहे हैं. कहा जा रहा है कि जल्दी ही हम दुनिया की सब से बड़ी अर्थव्यवस्था बनने वाले हैं. जिस देश की 80 करोड़ जनता दो वक्त के खाने के लिए सरकार के आगे हाथ फैलाए बैठी हो, जिस देश की 80 करोड़ जनता को अगले 5 साल भी पेट भरने के लिए मुफ्त राशन की जरूरत पड़े, वह देश क्या विश्वगुरु बनेगा? सब से बड़ी अर्थव्यवस्था क्या ही बनेगा? मोदी सरकार जनता को क्यों फरेब में रखना चाहती है?

भाजपा के विपरीत कांग्रेस के न्याय पत्र से कुछ आशा जगती है. कांग्रेस ने युवाओं के रोजगार, बच्चों की शिक्षा और मजदूरों की मजदूरी पर ज़्यादा जोर दिया है. कांग्रेस ने अपने मैनिफैस्टो में वादा किया है कि वह 30 लाख युवाओं को सरकारी नौकरी देगी. वादा है कि ग्रेजुएशन के बाद पहली नौकरी सरकार देगी. मुफ्त भोजन से यह नौकरी देने का वादा निश्चित ही बहुत सकारात्मक कदम है. युवाओं में शिक्षा के प्रति जोश जगाने वाला है. हालांकि इतनी बड़ी जनसंख्या वाले देश में हर ग्रेजुएट को सरकारी नौकरी मिलना संभव नहीं है, मगर सरकारी नौकरी का आश्वासन उन्हें कम से कम ग्रेजुएट होने और नौकरी का इंटरव्यू देने के लिए तैयार तो करेगा. वह मुफ्त का राशन खाने के बजाय नौकरी पाने की कोशिश तो करेगा, फिर चाहे सरकारी की जगह प्राइवेट नौकरी ही क्यों न मिले, उस की अपनी मेहनत से कमाए पैसे की रोटी उस में आत्मविश्वास तो पैदा करेगी ही.

भाजपा के संकल्प पत्र में 70 साल से अधिक आयु के लोगों के लिए आयुष्मान कार्ड बनाने और 5 लाख रुपए तक फ्री चिकित्सा देने की बात की गई है. यह योजना भी काफी पुरानी है. हैरानी की बात है कि 10 साल (एक दशक) से सत्ता में बैठी भाजपा अब तक बुजुर्गों के लिए आयुष्मान कार्ड नहीं बना पाई? उसे इस योजना को नए रंगरोगन के साथ फिर पेश करने की जरूरत पड़ गई.

उत्तर प्रदेश की योगी सरकार में स्वास्थ्य सेवा के एक उदाहरण से सरकार की स्वास्थ्य योजनाओं की जमीनी हकीकत सामने आ जाती है. लखनऊ के सिविल अस्पताल में मरीज को एक रुपए का परचा बनवाना होता है. यह दशकों से एक रुपए में ही बनता आ रहा है. काउंटर पर लाइन लगा कर बूढ़े, बच्चे, महिला, पुरुष अपना नाम और मर्ज बता कर आराम से अपना परचा बनवाते थे और संबंधित कमरे में जा कर डाक्टर को दिखा लेते थे. दवा के काउंटर पर उन को दवाएं भी मुफ्त मिल जाती थीं. यही सिस्टम लगभग शहर के हर सरकारी अस्पताल में था. सिविल अस्पताल में 40-45 साल से यह सिस्टम चल रहा था. दूरदराज के जिलों से लोग अपने मरीज ले कर यहां आते हैं. मगर अब योगी सरकार में इस सिस्टम को इतना पेचीदा बना दिया गया है कि आधे से ज़्यादा मरीज बिना इलाज के लौट जाते हैं और प्राइवेट डाक्टरों के हाथों लूटे जाते हैं.

दरअसल अब यहां परचा बनवाने के लिए मरीज के पास स्मार्टफ़ोन होना जरूरी है. इस के साथ उस के पास उस का आधारकार्ड होना चाहिए. उस के स्मार्टफ़ोन के जरिए क्यूआर कोड स्कैन करने के बाद उस को एक टोकन नंबर दिया जाता है. फिर वह उस टोकन नंबर को ले कर परचा बनवाने की लाइन में लगेगा. जहां उस का आधारकार्ड नंबर ले कर उस का परचा बनेगा. फिर वह डाक्टर के कमरे के आगे लाइन में लगेगा. उस के बाद दवा की लाइन भी लगानी होगी. कोई टैस्ट वगैरह होने हुए तो हर जगह उस को अपना स्मार्टफ़ोन नंबर और टोकन नंबर लिखवाना होगा. सोचिए, सिविल अस्पताल में एक रुपए का परचा बनवा कर इलाज करवाने के लिए जो गरीब जनता आती है, उस में से कितनों की इतनी औकात कि वह स्मार्टफ़ोन रख सके? अधिकांश ग्रामीण और अनपढ़ महिलाएं जो अपने घर का पता तक ठीक से नहीं बता पातीं, भला स्मार्टफ़ोन कैसे चलाएंगी? और बिना फ़ोन के उन का परचा नहीं बनेगा. इसलिए अब इन सरकारी अस्पतालों में मरीजों की संख्या कम हो गई है. लोग मजबूर हो कर प्राइवेट डाक्टर की शरण में जा रहे हैं और कर्ज ले कर इलाज करवा रहे हैं. सुगम चीजों को कठिन और पेचीदा कर के भाजपा सरकार सिर्फ गरीबों को परेशान कर रही है. यही हाल उस के गरीबों के आयुष्मान कार्ड बनाने और 5 लाख रुपए तक मुफ्त इलाज के लौलीपौप का है.

भाजपा के संकल्प पत्र में कहा गया है कि गरीबों को पक्का घर देने की उस की योजना जारी रहेगी. 3 करोड़ और घर बनाए जाएंगे. बीते 5 साल में कितने मकान बना कर गरीबों को दिए गए, इस का कोई उल्लेख नहीं है. देशभर की स्लम बस्तियां आज भी उसी तरह आबाद हैं जैसी एक दशक पहले थीं. किन गरीबों के लिए सरकार ने घर बनाए और किन गरीबों को दिए? यही नहीं, घरघर पाइपलाइन से सस्ती रसोईगैस पहुंचाने की गारंटी भी भाजपा के मैनिफैस्टो में दी है. इस के बजाय यदि रसोईगैस के दाम कम करने की बात कही होती तो शायद जनता ज्यादा ऐप्रिशिएट करती.

पीएम मोदी ने बीजेपी के घोषणा पत्र में यूसीसी और ‘वन नैशन वन इलैक्शन’ को ले कर बड़ी गारंटी दी है. भाजपा ने देश की जनता से वादा किया है कि पीएम मोदी की सरकार को अगर तीसरा कार्यकाल मिलता है तो वह ‘एक देश, एक चुनाव’ पहल को लागू करने की दिशा में आगे बढ़ेगी. साथ ही, भाजपा ने देशहित में ‘समान नागरिक संहिता’ लागू करने की संभावनाएं तलाशने की भी बात कही है. भला इन बड़ीबड़ी बातों से आम जनता, खासकर एक आम गृहणी, को क्या लेनादेना? आप देश में एक बार इलैक्शन करवाओ या दस बार, अगर महंगाई कम नहीं हो रही, जवान लड़के को रोजगार नहीं मिल रहा, पति की आय नहीं बढ़ रही, बच्चों को शिक्षा नहीं दिलाईजा पा रही, सरकारी अस्पताल में मामूली दवाएं नहीं मिल रहीं तो सरकार के ऐसे दावों और वादों का एक आम गृहिणी क्या अचार डालेगी? देश की 90 फ़ीसदी औरतों और 60 फ़ीसदी से ज़्यादा पुरुषों को ‘समान नागरिक संहिता’ का मतलब नहीं मालूम.

पीएम मोदी ने भाजपा के घोषणा पत्र में गारंटी दी है कि पूरे देश में ‘वंदे भारत’ ट्रेनों का विस्तार किया जाएगा. वंदे भारत ट्रेनों के 3 मौडल देश में संचालित होंगे, जिन में वंदे भारत स्लीपर, वंदे भारत चेयरकार और वंदे भारत मेट्रो शामिल होंगी. इस के अलावा अहमदाबाद-मुंबई बुलेट ट्रेन कौरिडोर के अलावा, देश के उत्तरी, दक्षिणी और पूर्वी हिस्से में भी एकएक हाई स्पीड रेल कौरिडोर बनाए जाएंगे. बता दें कि अहमदाबाद-मुंबई बुलेट ट्रेन कौरिडोर पर तेजी से काम चल रहा है. इस वादे से भी आम जनता का दूरदूर तक कोई फायदा नहीं है. आप की वंदे भारत ट्रेनों में ग्रामीण आदमी तो सफर करेगा नहीं. ये ट्रेनें तो मोदी अपने अमीर उद्योगपतियों-व्यापारियों के लिए चलाएंगे ताकि उन को व्यापार संबंधी यात्राओं में आसानी हो, सुविधा हो. इस से आम आदमी को क्या फायदा जिस की हैसियत जनरल बोगी का टिकट खरीदने तक की नहीं है. हां, अगर मोदी सरकार देश में पैसेंजर ट्रेनें बढ़ाने और टिकट की दरें कम करने की बात कहती तो वह जरूर आम आदमी के फायदे की बात होती. ट्रेनों में जनरल डब्बों की संख्या बढ़ा देती तो गरीब आदमी एक टांग पर खड़ाखड़ा मीलों का सफर करने से थोड़ी राहत पाता. मगर मोदी सरकार को उस गरीब की फ़िक्र कहां जिस के वोट पर वे सत्ता की चाशनी चाट रहे हैं.

भाजपा का घोषणा पत्र कहता है कि देश के किसानों को गारंटी दी जाती है कि कीटनाशकों के प्रयोग, सिंचाई, मिट्टी की गुणवत्ता, मौसम पूर्वानुमान जैसी कृषि संबंधी गतिविधियों के लिए एक स्वदेशी भारत कृषि सैटेलाइट लौंच किया जाएगा. अब मौसम का पूर्वानुमान तो किसान खुद लगा लेता है, उस को सैटेलाइट की जरूरत नहीं है. उस को तो सरकार सस्ती बिजली दे दे जिस से वह अपने ट्यूबवेल चला कर खेतों की सिंचाई कर सके. उस को सरकार सस्ते बीज और सस्ती खाद उपलब्ध करा दे, उस के अनाज पर न्यूनतम समर्थन मूल्य तय कर दे, बाढ़ में फसल तबाह हो जाए तो उस को कुछ मुआवजा देने की गारंटी दे दे, उस को कर्जमाफी दे दे,यही बहुत है. मगर इन चीजों का तो भाजपा के मैनिफैस्टो में कोई जिक्र ही नहीं है.
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इस के विपरीत कांग्रेस का घोषणा पत्र आमजन की ज़रूरतों के ज्यादा करीब नज़र आता है. कांग्रेस ने अपने मैनिफैस्टो में वादा किया है कि वह केंद्र सरकार में विभिन्न स्तरों पर स्वीकृत लगभग 30 लाख रिक्त पदों को भरेगी. साथ ही, उस ने राष्ट्रीय न्यूनतम वेतन रुपए 400 प्रतिदिन करने की गारंटी दी है. इस वादे में दम है. इस से मजदूर वर्ग को फायदा मिलेगा. इसी के साथ कांग्रेस के न्याय पत्र में गारंटी दी गई है कि उस की सरकार आने पर वह लोगों को उन के स्वास्थ्य की देखभाल के लिए 25 लाख रुपए तक के कैशलेस बीमा का राजस्थान मौडल पूरे देश में लागू करेगी. किसानों के लिए स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों के अनुसार न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी देगी.

भाजपा ने जिस तरह देश में बीते 10 सालों में आपसी भाईचारे और सौहार्द को सांप्रदायिकता की आग में भस्म करने की कोशिश की है, जिस प्रकार अल्पसंख्यकों के खानेपीने, पहनावे और धार्मिक आस्था पर चोट की है, उस पर कांग्रेस का घोषणा पत्र मरहम लगाने का काम करता है. कांग्रेस ने अपने मैनिफैस्टो में वादा किया है कि पार्टी यह सुनिश्चित करेगी कि प्रत्येक नागरिक की तरह, अल्पसंख्यकों को भी पहनावे, खानपान, भाषा और व्यक्तिगत कानूनों की पसंद की स्वतंत्रता हो. पार्टी ने अपने घोषणापत्र में कहा है, ‘हम व्यक्तिगत कानूनों में सुधार को प्रोत्साहित करेंगे. और हम ऐसा कोई भी सुधार संबंधित समुदायों की भागीदारी और सहमति से करने की कोशिश करेंगे.’

कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में सरकारी परीक्षाओं और सरकारी पदों के लिए आवेदन शुल्क समाप्त करने का भी वादा किया है. इस से युवाओं को बड़ी राहत महसूस हो रही है. अनगिनत युवा, जिन की जेब में फौर्म खरीदने तक के पैसे नहीं होते हैं, एकाध कंपीटिशन देने के बाद आर्थिक तंगी के चलते हार मान बैठते हैं, उन के लिए यह बहुत बड़ी राहत होगी. साथ ही, पार्टी ने कहा है कि वह 15 मार्च, 2024 तक के सभी एजुकेशन लोन माफ कर देगी और बैंकों को हुई क्षति की पूर्ति सरकार मुआवजा दे कर करेगी. कांग्रेस ने 2025 से महिलाओं के लिए केंद्र सरकार की आधी (50 प्रतिशत) नौकरियां आरक्षित करने का वादा अपने न्याय पत्र में किया है. इस से युवाओं में उत्साह है. कांग्रेस का घोषणा पत्र निसंदेह आम जनता की तकलीफों को कम करता दिखाई देता है. भले 2024 में कांग्रेस या इंडिया गठबंधन की सरकार सत्ता में न आए मगर जनता के प्रति ऐसी सोच रखने वाली राजनीतिक पार्टियां ही जनता के दिलों पर राज करती हैं और एक न एक दिन जनता उन का राज्याभिषेक भी जरूर करती है.

 

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