Sarita-Election-2024-01 (1)

5 फुट 6 इंच लंबी महुआ मोइत्रा की पहचान एक स्मार्ट और तेजतर्रार नेता के तौर पर होती है जो हमेशा ही लोकसभा में सरकार को घेरती रहती हैं. सदन में दिए जाने वाले उन के भाषण हमेशा ही वायरल होते रहते हैं. महुआ को एक कुशल वक्ता और बेहतरीन नेता के तौर पर जाना जाता है.

महुआ काफी पढ़ीलिखी हैं. उन का जन्म असम के कछार जिले में साल 1974 में हुआ. उन्होंने अपनी पढ़ाई राजधानी कोलकाता से की है. शुरुआती शिक्षा हासिल करने के बाद महुआ को उन के परिवार ने आगे की पढ़ाई के लिए अमेरिका भेज दिया. उन्होंने मैसाचुसेट्स के माउंट होलिओक कालेज से गणित और अर्थशास्त्र में उच्च शिक्षा प्राप्त की है. बहुत ही कम लोगों को मालूम है कि महुआ राजनीति में आने से पहले एक सफल बैंकर हुआ करती थीं और अमेरिकी बहुराष्ट्रीय निवेश बैंक जे पी मौर्गन में काम करती थीं. वहां वे करोड़ों रुपए की सैलरी पर काम कर रही थीं.

राजनीतिक सफर की शुरुआत

महुआ को लंदन और न्यूयौर्क में काम कर के मजा नहीं आ रहा था. वे अब भारतीय राजनीति का हिस्सा बन कर लोगों की सेवा करना चाहती थीं. इसलिए उन्होंने भारत लौटने का फैसला किया. उन्होंने वर्ष 2008 में अपनी शानदार नौकरी छोड़ दी. वे भारत आ गईं. आते ही राहुल गांधी से मिलीं. उन्हें बंगाल में यूथ कांग्रेस में काम करने के लिए कहा गया. जल्दी ही वे बंगाल यूथ कांग्रेस में प्रमुख नेताओं में शामिल हो गईं. राहुल गांधी उन्हें जानते थे. उन पर विश्वास करते थे. उन्होंने बंगाल में बहुत अच्छी तरह कांग्रेस के कार्यक्रमों का संचालन किया था. लेकिन जब कांग्रेस ने वहां चुनावों में लेफ्ट के साथ गठजोड़ किया तो वे क्षुब्ध हो गईं. तब उन्होंने तृणमूल कांग्रेस की ओर रुख किया.

तृणमूल में आने के बाद यहां भी उन का सिक्का चलने लगा. वे पार्टी की महासचिव बनीं. ममता दीदी के करीब आईं. उन का भरोसा जीता. जल्दी ही पार्टी ने उन्हें प्रवक्ता भी बना दिया. टीएमसी ने 2016 में नाडिया जिले के करीमपुर विधानसभा सीट से उन्हें टिकट दिया और महुआ यहां से चुन कर विधानसभा पहुंचीं. टीएमसी ने उन की प्रतिभा को पहचाना और 3 साल बाद हुए 2019 लोकसभा चुनाव के लिए उन्हें पश्चिम बंगाल की कृष्णानगर सीट से टिकट दिया.

महुआ ने पार्टी को निराश नहीं किया. 2019 के लोकसभा चुनावों में महुआ ने अपने लोकसभा संसदीय क्षेत्र में भाजपा के कल्याण चौबे के खिलाफ 60,000 से ज्यादा वोटों से जीत हासिल की.

महुआ पर ममता का भरोसा

महुआ मोइत्रा इस लोकसभा चुनाव में पिछली बार की तरह कृष्णानगर सीट से चुनाव लड़ने जा रही हैं. देखा जाए तो कृष्णानगर सीट तृणमूल के लिए नाक की लड़ाई बन चुकी है. मुख्‍यमंत्री ममता बनर्जी ने महुआ मोइत्रा को यहां दोबारा प्रत्याशी बना कर बड़ा दांव खेला है. ममता की पार्टी हर हाल में इस सीट से जीत दर्ज करना चाहती है और इस के लिए महुआ से बेहतर दावेदार उसे नहीं मिल सकता.

वैसे, पैसे और उपहार ले कर संसद में सवाल पूछने व विदेश में बैठे उद्योगपति को संसद का अपना लौग-इन आईडी व पासवर्ड देने के मामले में दोषी करार देते हुए लोकसभा की आचार समिति महुआ की सदस्यता रद्द कर चुकी है, लेकिन ममता ने महुआ को निर्दोष करार दिया है.

ममता की पार्टी हर हाल में जीत दर्ज कर यह साबित करना चाहती है कि जनता ने महुआ पर लगे आरोपों को नकार दिया है. यही कारण है कि ममता ने पहले चरण में मतदान वाले संसदीय क्षेत्रों के बदले कृष्णानगर से चुनावप्रचार अभियान शुरू किया जहां चौथे चरण में वोट पड़ने हैं.

कांटे की टक्कर के आसार

जाहिर है, कृष्णानगर में इस बार जबरदस्त लड़ाई देखने को मिल सकती है क्योंकि तृणमूल के साथसाथ विरोधी दल भी पूरा दम लगा रहे हैं. भाजपा ने यहां राजा कृष्णचंद्र राय की वंशज अमृता राय को प्रत्याशी बनाया है जिन्हें क्षेत्र में ‘राजमाता’ का दर्जा प्राप्त है. वाममोरचा की अगुआई करने वाली माकपा भी अपना पुराना दुर्ग वापस पाने को बेताब है. उस ने पूर्व पार्टी विधायक एस एम सादी को टिकट दिया है. वाममोरचा को इस बार यहां कांग्रेस का समर्थन मिलने की भी उम्मीद है क्योंकि उस ने अभी तक अपना प्रत्याशी नहीं उतारा है.

देशद्रोही बनाम गद्दार की वंशज

भाजपा जहां लोस प्रकरण को ले कर महुआ को देशद्रोही करार दे रही है. वहीं तृणमूल अमृता राय को ‘गद्दार की वंशज’ बता कर निशाना साध रही है. ममता ने कृष्णानगर की अपनी जनसभा में दावा किया कि 1757 में राजा कृष्ण चंद्र राय ने मीर जाफर के साथ मिल कर साजिश रची थी और खुद को अंगरेजों के हाथों बेच दिया था. अमृता राय उसी परिवार की वंशज हैं. उधर अमृता राय की दलील है कि राजा कृष्ण चंद्र राय ने प्लासी की लड़ाई में इसलिए अंगरेजों का साथ दिया था क्योंकि बंगाल का तत्कालीन नवाब सिराजुद्दौला अत्याचारी था और उस के शासन में सनातन धर्म खतरे में पड़ गया था.

महुआ मोइत्रा से जुड़े विवादों पर एक नजर

महुआ मोइत्रा का विवादों से पुराना नाता रहा है. कभी बंगाल का स्थानीय मीडिया उन की टिप्पणी से नाराज हो जाता है तो कभी बीजेपी से उन की ठन जाती है तो कभी उन पर गलत तरीके से संसद में सवाल पूछने का आरोप लगता है. अब तो खैर वे संसद से निष्कासित ही हो चुकी हैं. महुआ पर कई बार विवादों के छींटे पड़े हैं. वे अपनी कुछ विवादास्पद टिप्पणियों के लिए भी निशाने पर आती रही हैं.

उन पर एक आरोप यह लगा कि संसद में धन्यवाद प्रस्ताव के दौरान मोइत्रा ने आपत्तिजनक शब्द का इस्तेमाल किया जिस के बाद लोकसभा में हंगामा हो गया था.

बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने टीएमसी की महुआ मोइत्रा पर ‘संसद में सवाल पूछने’ के लिए एक व्यापारी से रिश्वत लेने का आरोप लगाया. मोइत्रा ने ऐसे दावों से इनकार किया और दुबे और सुप्रीम कोर्ट के एक वकील पर मुकदमा दायर किया. टीएमसी सांसद ने कहा कि जब भी उन्हें बुलाया जाएगा तो वे सीबीआई और एथिक्स कमेटी के सवालों का जवाब खुशीखुशी देने को तैयार हैं.

मोइत्रा और उन के पूर्व पार्टनर जय आनंत देहद्रई के बीच एक विवाद सामने आया जिस से उन के पारिवारिक मामलों पर लोगों की नजरें टिकीं. तब मोइत्रा ने अपने खिलाफ मानहानि का आरोप लगाने के लिए दुबे, देहाद्राई और कई मीडिया संगठनों को कानूनी नोटिस भेजा था.

काली विवाद के दौरान महुआ मोइत्रा उस निर्देशक का बचाव करने के कारण विवादों में घिर गईं जिस की फिल्म के पोस्टर में एक अभिनेता को देवी काली के रूप में कपड़े पहने और सिगरेट पीते हुए दिखाया गया था. उन्होंने कहा कि मेरे लिए काली, मांस खाने वाली, शराब स्वीकार करने वाली देवी हैं. आप को अपनी देवी की कल्पना करने की स्वतंत्रता है.

महुआ मोइत्रा ने डेनमार्क के रहने वाले एक फाइनैंसर लार्स ब्रोर्सन से शादी की. लेकिन यह शादी ज्यादा दिनों तक टिक नहीं पाई और फिर दोनों ने एकदूसरे को तलाक दे दिया. महुआ खूबसूरत पेंटिंग्स बनाने की शौकीन हैं. उन के व्यक्तिगत कलैक्शन में कई अच्छी पेटिंग्स हैं. आमतौर पर वे साड़ी में नजर आती हैं. हालांकि, जब कौर्पोरेट जगत में नौकरी करती थीं तो स्मार्ट कौर्पोरेट ड्रैस में होती थीं. लेकिन यह उन की खासीयत और क्षमता ही है कि बहुत से लोग उन्हें अब संसद में विपक्ष की आवाज कहने लगे.

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