पिछले दिनों सिंगर इला अरुण ने फिल्म ‘क्रू’ के ‘चोली के पीछे क्या है…’ गाने की रीमिक्स पर काफी नाराजगी जताई और कहा कि ‘आप भले ही मुझे बूढ़ा कह सकते हैं, लेकिन ओरिजिनल गाना हर किसी के दिल को छूने वाला रहा है. यही वजह है कि इस का रीमिक्स किया गया है. असल में इला अरुण ने सुभाष घई की वर्ष 1993 की फिल्म ‘खलनायक’ का मूल गाना ‘चोली के पीछे क्या है…’ गाया था, जिस में माधुरी दीक्षित और नीना गुप्ता थीं.

इला की नाराजगी

इला अरुण ने फिल्म ‘क्रू’ के लिए अपने फेमस गाना ‘चोली के पीछे क्या है…’ के रीक्रिएशन से दुखी हैं. नए ट्रैक में करीना कपूर हैं जबकि सुभाष घई की 1993 की फिल्म ‘खलनायक’ के ट्रैक में माधुरी दीक्षित व नीना गुप्ता थीं. उन्होंने कहा कि म्यूजिक लेबल टिप्स ने गाने के लौंच से ठीक पहले उन्हें फोन किया और उन का आशीर्वाद मांगा.

अंतिम क्षण में उन्हें आशीर्वाद देने के अलावा और क्या कर सकती थी, मैं अवाक रह गई. लेकिन उन से यह नहीं पूछ सकी कि आप ने ऐसा क्यों किया? आगे इला ने यह भी कहा है कि नए संगीतकारों को नई पीढ़ी के लिए, क्लासिक्स गाने की रीमिक्स के बजाय ओरिजिनल, ऊर्जावान और सशक्त गीत बनाने चाहिए, जो युवा पीढ़ी को पसंद आएं. यहां तक कि डीजे भी सभी क्लासिकल गानों को दोबारा बना कर उन्हें खराब कर देते हैं.

इस गाने को इला और अलका याग्निक ने ओरिजिनल ट्रैक में अपनी आवाज दी थी. इसे लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल ने कंपोज किया था और आनंद बख्शी ने लिखा था. इसे सरोज खान ने कोरियोग्राफ किया था, जबकि नए गाने को अक्षय और आईपी ने रीमिक्स किया है, जिसे दिलजीत दोसांझ और आईपी सिंह ने गाया है और आईपी सिंह ने लिखा है. फराह खान ने इस ट्रैक को कोरियोग्राफ किया है. गाने में करीना एक नाइट क्लब में गुलाबी रंग के आउटफिट में गाने पर थिरकती और लिप-सिंक करती नजर आ रही हैं.

उठते रहे कई और विवाद

यह सही है कि आएदिन पुराने चर्चित गानों को ले कर रीमिक्स करने पर विवाद उठते रहे हैं. गायिका नेहा कक्कड़ ने भी कई रीमिक्स गानों मे अपनी आवाज दी है. नेहा कक्कड़ का ‘ओ सजना…’ जब से रिलीज हुआ, तो उन्हें जम कर ट्रोल किया गया, क्योंकि यह गाना सिंगर फाल्गुनी पाठक के आइकौनिक गाने ‘मैं ने पायल है छनकाई…’ का रीमिक्स वर्जन है. नेहा कक्कड़ का गाना जैसे ही रिलीज हुआ, यूजर्स से ले कर फाल्गुनी पाठक तक ने उन पर इस गाने को ‘बरबाद’ करने का आरोप लगाया. इस के जवाब में नेहा कक्कड़ ने कहा कि लोग उन की खुशी देख कर परेशान है.

इस सभी सिंगर की नाराजगी में म्यूजिक कंपोजर ए आर रहमान ने भी कहा है कि मैं जितना अधिक इन रीमिक्स को देखता हूं, उतना ही अधिक खराब लगता है. खुद को संगीतकार कहलाए जाने वाले नए जमाने के कंपोजर क्लासिक संगीत को खराब कर रहे हैं, साथ ही, वे यह भी कह रहे हैं कि वे इन क्लासिक गीतों को री-इमेजिन कर रहे हैं. मेरा उन से पूछना है, वे होते कौन हैं री–इमेजिन करने वाले? मैं किसी के काम को जब प्रयोग करता हूं, तो सावधानी बरतता हूं, क्योंकि यह एक ग्रे एरिया है, जिसे सुलझाने की जरूरत है.

चलन रीमिक्स का

यह सही है कि इन गानों का आज बहुत अधिक चलन भी हो चुका है और फिल्मों मे भी इन गानों को ग्लैमरस तरीके से फिल्माया जाता है, जिसे युवा पीढ़ी पसंद करती है, लेकिन वे इन गानों के ओरिजिनल सिंगर को नहीं पहचान पाते, क्योंकि क्लासिक गाने की केवल ट्यून को ले कर कई बार उस में दूसरे शब्दसंग्रह का प्रयोग कर लिया जाता है और आज के यूथ, रीमिक्स गाने वाले को ही उस गायक कलाकार की आवाज मान बैठते हैं और यह ओरिजिनल गायकों के लिए असम्मानजनक होता है. आइए जानते हैं रीमिक्स है क्या?

रीमिक्स के तरीके

रीमिक्स किसी मूल गीत का नया संस्करण है, जिसे कलाकार एक नए तरीके से वाद्य और गायन ट्रैक को फिर से व्यवस्थित कर के बनाते हैं. गायिका और कंपोजर सोमा बनर्जी रीमिक्स के बारे में बताती हैं कि किसी भी पौपुलर गाने को पहले चुन लिया जाता है, इस के बाद ओरिजिनल गाने की ट्यून को हटा कर उसी सिंक और उसी फ्लो के आधार पर नई ट्यून को क्रिएट कर रिदम को बदल दिया जाता है.

इस के बाद उस गाने का न्यू लुक तैयार किया जाता है. जिन लोगों का म्यूजिक सैंस अच्छा है, वे एक अच्छा रीमिक्स बना सकते हैं, लेकिन कोई अनाड़ी जब इसे बनाने की कोशिश करता है तो डिजास्टर हो जाता है.

बेकार हो रहे हैं कंपोजर

आज कंपोजर के पास कोई काम नहीं है, क्योंकि उन्होंने पहले से गाने को कंपोज़ कर रखा है. इस में वे ट्यून को बदल नहीं रहे हैं बल्कि उस में कुछ नया जोड़ रहे हैं. इसे नया रूप देने वाले अरेंजर ही होते हैं. नएनए साउंड को ले कर छानबीन करने वाले अरेंजर ही इसे अधिकतर करते हैं. संगीत निर्देशक अगर अरेंजर है, तो सोने पर सुहागा होता है.

नई तकनीक का चतुराई से प्रयोग

रीमिक्स करने वाले सभी अरेंजर एक या दो व्यक्ति की सहायता से ‘कीबोर्ड’ की सहायता से करते हैं क्योंकि फिल्म ‘रौकी और रानी’ की प्रेमकहानी में ‘अभी न जाओ…’ गीत को धर्मेंद्र और शबाना आजमी के लिए गाया गया था, जो एक अलग गाना रहा. सोमा कहती हैं कि पहले उस की ट्यून अलग थी, लेकिन अभी रीमिक्स की वजह से उस का इन्सट्रूमेंशन बदल चुका है.

इस की अरेंजमेंट प्रीतम ने किया है, जबकि इस के गीतकार साहिर लुधियानवी, संगीतकार जयदेव हैं और इसे गाने वाले मोहम्मद रफी व आशा भोंसले हैं. यहां उसी गाने को मैं ने और अनुपम ने गाया है, क्लासिक लोगों के नाम कैप्शन पर जा रहे हैं, लेकिन प्रीतम अपनी काबिलीयत को इस गाने के जरिए दर्शा रहे हैं. इस प्रकार आवाज और अरेंजमेंट दोनों ही पूरी तरह से बदल गया है और इस गाने ने नए वस्त्र पहन लिए हैं. फिल्म ‘क्रू’ में भी सभी पुराने गानों को रीमिक्स कर नया रूप दिया गया है.

नया गाना बनाना भी हुआ आसान

अब अकेला व्यक्ति भी इस टैक्नोलौजी के इस्तेमाल से कंपोजीशन तैयार करने के साथ मोबाइल फोन की एप्लीकेशन के जरिए रिकौर्डिंग कर सकता है. उस रिकौर्डिग में भी अब सिर्फ लीड पर्सन के अलावा बाकी सौफ्टवेयर से कंपोज किया जाता है. लाइव म्यूजिक रिकौर्डिग कौन्सेप्ट पीछे छूटते हुए अब लेटेस्ट सौफ्टवेयर रिकौर्डिंग को डैवलप और प्ले कर रहे हैं. ये सब इंटरनैट पर यूट्यूब और सोशल नैटवर्किग साइट्स से मिलने वाली सुविधाएं हर किसी के दायरे में आने से काम आसान होने लगा है. साउंड कार्ड की सहायता से टेपलेस इस्तेमाल ने वर्कलोड आसान करने के साथ एक्सपैरिमैंट पर जोर दिया है.

पहले वर्चुअल इंस्ट्रूमेंट टैक्निक (वीएसटी) सिर्फ वैस्टर्न इंस्ट्रूमेंट को ही सपोर्ट करते थे, पर अब इंडियन इंस्ट्रृमेंट जैसे तबला, तानपूरा, हारमोनियम में भी मददगार साबित हो रहे हैं. वैस्टर्न में आए सौफ्टवेयर इंटरनैट के माध्यम से सौफ्टवेयर डाउनलोड किए जा रहे हैं. इंस्ट्रूमेंट्स से कनैक्ट होने के बाद वे सिंगल कंप्यूटर प्रोसैस करते हैं. इस में कंप्यूटर के सहयोग से अलगअलग साउंड इफैक्ट क्रिएट होते हैं, जिस से कंपोजर को इफैक्ट में वैरायटी मिलते हुए कंपोजीशन तैयार करने में मदद मिलती है.

गिटार के लिए गिटार रिग 5, एंप्लीत्यूब, कैबिनैट इंपल्स लोडर प्रमुख सौफ्टवेयर हैं. वहीं सिंथेसाइजर में प्रोपैलर हैड रीजन, नेटिव इंस्ट्रूमेंट, ट्रक्टर प्रो, कांटेक्ट है. रिदम के लिए नेटिव इंस्ट्रूमेंट बैटरी, टून ट्रैक, सुपीरियर ड्रमर, ईजी ड्रमर और एडिटिव ड्रमर प्रमुख सौफ्टवेयर हैं. आईफोन में भी तबला और हारमोनियम होता है, अब रियाज करने के लिए किसी को तबला, हारमोनियम या कोई वाद्ययंत्र खरीदने की जरूरत नहीं होती, क्योंकि अब आईफोन के एप्स और एंड्रायड एप्लीकेशन में तानपूरा, तबला तरंग, स्वर पेटी आदि सभी रागों का साथ मिल जाता है.

एक नया ट्रैंड रीमिक्स का

आजकल एक नया ट्रैंड भी रीमिक्स में आ चुका है, जिस में एक नया लिरिक्स लिखा जाता है, उस में ओरिजिनल ट्यून से हट कर नए ट्यून में जा कर फिर ओरिजिनल सुर में आना पड़ता है. हुक लाइन पुराने गानों से ही लेते हैं, क्योंकि कुछ नया क्रिएट करना अरेंजर के वश में नहीं होता, मसलन फिल्म ‘रौकी और रानी की प्रेमकहानी’ में ‘झुमका गिरा रे बरेली के बाजार में…’ में व्हाट झुमका? को गाने में लाना इसी प्रकार का प्रयोग है. जिस में ओरिजिनल गाने से हट कर यह प्रयोग हुआ है.

ऐड वर्ल्ड में यह काफी दिनों से चल रहा है, जिस में गाना पुराना होता है, लेकिन गवाया किसी नए से जाता है और वीडियो नया बनाया जाता है. इस में ओरिजिनल सिंगर को पूरी तरह से नजरअंदाज किया जाता है, जो बहुत गलत हो रहा है. यह सब काम मशीन से होता है, संगीत निर्देशक अब म्यूजिक प्रोड्यूसर हो चुके हैं. म्यूजिक प्रोड्यूसर में अरेंजमैंट भी आ जाता है. नए युवा खुद को म्यूजिक प्रोड्यूसर ही कहते हैं. वे सबकुछ करते हैं.

आजकल ऐसे प्रसिद्ध संगीत निर्देशक प्रीतम, सलीम सुलेमान, शंकर एहसान लौय आदि सभी ऐसे ही संगीत बना रहे हैं.
ए आर रहमान, संजय लीला भंसाली, अमित त्रिवेदी, हिमेश रेशमिया आदि कई संगीतकार हैं जो रीमिक्स करना पसंद नहीं करते. किसी भी गाने की बंदिश को पौपुलर करने वाले संजय लीला भंसाली हैं और ऐसे संगीतकारों की आज कमी है. यह क्रिएटिविटी इंडस्ट्री के लिए बहुत बड़ा खतरा है.

फिल्म प्रोड्यूसर की होती है डिमांड

 

इसे करने का मुख्य उद्देशय फिल्म प्रोडयूसर ही होते हैं, जो ऐसे गानों को रीमिक्स के लिए बाध्य करते हैं. सालों पहले भी ऐसा प्रयोग फिल्मों के साथ हुआ करता था. हालांकि यह काम आसान नहीं होता, क्योंकि बहुत सारे कानूनी परमीशन उस गाने के प्रयोग के लिए म्यूजिक कंपनी से लेने पड़ते हैं, जिस में गाने की प्रति खरीदनी, कौपीराइट धारक से अनुमति लेनी, लिखित या वौयस रिकौर्डिंग में अनुमति आदि लेनी होती है. बिना अनुमति के रीमिक्सिंग को तकनीकी रूप से ‘बूटलेग’ कहा जाता है और इस के कानूनी परिणाम हो सकते हैं.

 

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