वालेंसिया के पौलिटैक्निक विश्वविद्यालय में सौर विकिरण अनुसंधान समूह के शोधकर्ताओं ने एक अध्ययन किया. अध्ययन के निष्कर्षों को जर्नल औफ द टोटल एनवायरनमैंट में प्रकाशित किया गया. शोध के अनुसार बसंत और ग्रीष्मकाल में विटामिन डी के लिए धूप में 10 से 20 मिनट बैठना पर्याप्त है. लेकिन सर्दी में एक व्यक्ति को विटामिन डी की पर्याप्त मात्रा लेने के लिए कम से कम 2 घंटे बैठने की आवश्यकता होती है. सर्दी और गरमी के बीच यह अंतर इसलिए है क्योंकि सर्दी में हमारी बौडी सिर्फ 10 फीसदी ही सूर्य की किरणों के संपर्क में आ पाती है. इसलिए सर्दी में विटामिन डी की पर्याप्त मात्रा प्राप्त करने में अधिक समय लगता है. वहीं गरमी में हमारे शरीर का 25 फीसदी भाग सूर्य के प्रकाश के संपर्क में होता है और हमें पोषक तत्त्वों को अवशोषित करने के लिए कम समय की आवश्यकता होती है.

दरअसल सूरज की किरणें विटामिन डी प्राप्त करने का सब से आसान और जबरदस्त स्त्रोत होती हैं. धूप में कुछ देर बैठ कर आसानी से विटामिन डी प्राप्त किया जा सकता है. यह हमारे शरीर के लिए एक बहुत ही आवश्यक पोषक तत्त्व है. जबकि इस विटामिन की कमी न सिर्फ अधिकतर भारतीयों में बल्कि दुनियाभर के लोगों में देखी जाती है. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि लोग गरमी में अलगअलग कारणों से जैसे कि टैनिंग होने का डर, सनबर्न और शरीर में बेचैनी आदि के चलते धूप में नहीं बैठते हैं.

जब शरीर में इस विटामिन की कमी होने लगती है तो शरीर के अंग अलगअलग तरह से प्रभावित होने लगते हैं. हम इस पोषक तत्त्व को भोजन से पर्याप्त रूप से प्राप्त नहीं कर सकते हैं. इसलिए जरूरी है कि विटामिन डी को धूप में बैठ कर ग्रहण किया जाए भले ही मौसम गरमी का हो या सर्दी का.

शरीर के लिए कितना जरूरी है विटामिन डी

जब हमारी त्वचा धूप के संपर्क में आती है तो यह कोलैस्ट्रौल के साथ मिल कर विटामिन डी बनाती है. यह पोषक तत्त्व शरीर में कैल्शियम और फोस्फेट के अवशोषण के लिए भी महत्त्वपूर्ण है. यह आप के दांतों और हड्डियों को मजबूत रखने में मदद करता है. विटामिन डी की कमी से हड्डियों, कमजोर मांसपेशियों, रिकेट्स और औस्टियोपोरोसिस जैसी कई स्वास्थ्य समस्याएं हो जाती हैं.

विटामिन डी एक ऐसा विटामिन है जो कि जो शरीर में मैसेजिंग पावर बढ़ाने में मदद करता है, यानी कि यह विटामिन आप के लिए न्यूरोट्रांसमीटर की तरह काम करता है और ब्रेन से ले कर शरीर के हर अंग तक मैसेजिंग का काम करता है.

इस के अलावा यह हार्मोनल हैल्थ को भी बेहतर बनाने में मदद करता है. जिन लोगों में इस विटामिन की कमी होती है उन की मानसिक सेहत प्रभावित हो जाती है. साथ ही, विटामिन डी शरीर में डोपामाइन के लैवल को भी प्रभावित करता है और डिप्रैशन जैसे मनोरोगों का कारण बन सकता है. ऐसे में जरूरी है कि आप विटामिन डी की कमी से बचें और धूप इस काम में मदद कर सकती है.

रोजाना सुबह की धूप लेने से कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी से भी बचा जा सकता है. सूरज की किरणों में एंटी कैंसर तत्त्व मिले होते हैं जिन से व्यक्ति को कैंसर का खतरा कम हो जाता है. इस के साथ ही जिन लोगों को कैंसर हैं वे भी धूप में आराम कर सकते हैं. लेकिन ध्यान रखें कि सही समय पर ही धूप लें. सूरज की रोशनी में कई ऐसे गुण पाए जाते हैं जो शरीर में मौजूद इंफैक्शन से लड़ने में हमारी मदद करते हैं. धूप सेंकने से शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और शरीर बीमारियों से लड़ने के लिए तैयार हो जाता है. शरीर का ब्लड सर्कुलेशन सही रहता है. शरीर को ऊर्जा मिलती है और शरीर एनर्जेटिक रहता है.

धूप के अलावा विटामिन डी के अन्य स्रोत

यह कहना गलत नहीं होगा कि बहुत कम ऐसी चीजें हैं जिन में विटामिन डी होता है. ओकरा, डेयरी उत्पाद और मशरूम में विटामिन डी पाया जाता है. विटामिन डी का डेली रिकमेंडेशन डाइटरी इनटेक (आरडीआई) लैवल 70 वर्ष से कम उम्र के लोगों के लिए 600 आईयू और 70 वर्ष से ज्यादा उम्र के लोगों के लिए 800 आईयू है. रोजाना कुछ समय धूप में बिताने से आप का शरीर पर्याप्त मात्रा में विटामिन डी बना सकता है और रोजाना की जरूरत पूरी कर सकता है.

विटामिन डी की कमी होने के कारण

विटामिन डी की कमी होने के कई कारण हैं, मसलन गरमी में बाहर धूप में निकलने से बचना, बदन ढकने वाले पहनावे और सिटिंग जौब करने की मजबूरी.

गरमी के मौसम में अकसर लोग धूप में निकलने से बचते हैं क्योंकि सुबह से ही धूप में काफी गरमी होती है. यही नहीं, शरीर को धूप का फायदा मिले, इस के लिए शरीर के एकतिहाई हिस्से का धूप में एक्सपोजर जरूरी होता है. लेकिन भारतीय पहनावे में शरीर का अधिकांश हिस्सा ढका रहता है जिस वजह से शरीर को जरूरी धूप और धूप से मिलने वाली विटामिन डी नहीं मिल पाती.

इस के अलावा इन दिनों सिटिंग जौब का प्रचलन बढ़ गया है. लोग एसी कार या मैट्रो में औफिस आते हैं. दिनभर एसी केबिन में बैठेबैठे काम करते हैं और देर शाम को घर जाते हैं. इस लाइफस्टाइल में उन्हें धूप में निकलने का मौका ही नहीं मिलता.

सही समय महत्त्वपूर्ण

गरमी में सुबह का वक्त धूप लेने के लिए सब से सही माना जाता है. रोजाना सुबह 6 बजे से 9.30 के बीच आप कभी भी 15-20 मिनट तक धूप लें तो यह पर्याप्त होता है. जिस दिन तापमान बहुत अधिक हो उस दिन दोपहर में धूप में निकलने से बचना चाहिए क्योंकि इस से सनबर्न से ले कर स्किन कैंसर जैसी समस्याएं हो सकती हैं. लू लगने का भी खतरा रहता है.

शहरों में धूप कैसे लें

शहरों में ज्यादातर लोगों के घर कई मंजिला होते हैं और आसपास सटे हुए होते हैं जिस से बालकनी, छत या गार्डन में धूप लेना संभव नहीं हो पाता. ऐसे में अगर घर से बाहर निकलना मुमकिन नहीं है तो खिड़की के पास खड़े हो कर भी धूप ली जा सकती है. खिड़कियों के परदे और शेड्स रोजाना कुछ घंटों के लिए खुले छोड़ दें ताकि धूप और ताजी हवा घर के अंदर आ सके.

कांच की खिड़कियां हमेशा साफ रखें ताकि उन के जरिए धूप घर के अंदर आ सके. कांच पर जमी धूल रोशनी के समुचित आगमन को रोकती है. सूरज की रोशनी का प्रभाव बढ़ाने के लिए दीवारों पर हलके रंगों के पेंट का इस्तेमाल करें. ये पेंट सूरज की रोशनी को कमरे में बिखेरते हैं. खिड़की के सामने की दीवार पर बड़े आकार का शीशा लगाएं. इस से कमरे में दाखिल होने वाली धूप रिफ्लेक्ट हो कर बिखर जाएगी.

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