2024 के लोकसभा चुनाव का ऐलान अब कभी भी हो सकता है और सभी राजनीतिक दल भी अपनेअपने प्रचार में जोरशोर से जुटे हुए हैं. इसी बीच एक ऐसी खबर सामने आई जिस ने सभी को चौंका कर रख दिया है. दरअसल, चुनाव आयुक्त अरुण गोयल ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया, जिसे राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने स्वीकार भी कर लिया.

बता दें कि गोयल का कार्यकाल दिसंबर 2027 तक था और उन का अचानक इस्तीफा देना सभी के लिए चौंकाने वाला है. गोयल के इस्तीफे की वजह अभी तक साफ नहीं है. हालांकि कहा जा रहा है कि गोयल ने इस्तीफे का कारण निजी बताया है.

गोयल के इस्तीफे के बाद 3 सदस्यों वाले निर्वाचन आयोग में अब केवल मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार हैं. गोयल के इस्तीफे के बाद दो निर्वाचन आयुक्त के पद खाली हो गए हैं. इस से पहले पिछले महीने में अनूप चंद्र पांडेय के सेवानिवृत्त होने की वजह से एक पद पहले से ही खाली था. अरुण गोयल के इस्तीफे के बाद आम लोगों के मन में कई सवाल पैदा हो गए हैं. आइए इस से से जुड़ी जानकारियां आप को बताते हैं.

क्या चुनाव आयुक्त के इस्तीफे के बाद चुनावों में देरी होगी?

चुनाव आयुक्त अरुण गोयल के इस्तीफे से चुनाव प्रक्रिया में देरी की संभावना कम है. विशेषज्ञों की मानें, तो चुनाव आयोग में अन्य सदस्य और अध्यक्ष होते हैं जो चुनाव संचालन की जिम्मेदारी संभाल सकते हैं. ऐसे में चुनाव में देरी नहीं होगी.

अब कौन करेगा चुनावों की तारीखों का ऐलान?

अरुण गोयल के इस्तीफे के बाद अब 3 चुनाव आयुक्तों में से सिर्फ मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार बचे हैं. ऐसे में राजीव कुमार ही चुनावों की तारीखों का ऐलान करेंगे. हालांकि, आयोग में एक से अधिक सदस्य होते हैं जो सामूहिक तौर पर चर्चा कर के फैसला करते हैं.

लोकसभा चुनाव से पहले क्या कोई और बनेगा चुनाव आयुक्त?

विशेषज्ञों के मुताबिक, सरकार अन्य चुनाव आयुक्त के पदों पर भरती के लिए नियुक्ति की प्रकिया शुरू कर सकती है.

कौन हैं अरुण गोयल?

7 दिसंबर, 1962 को पटियाला में जन्मे अरुण गोयल 1985 बैच के पंजाब कैडर के IAS औफिसर थे. वे नवंबर 2022 में भारत निर्वाचन आयोग में शामिल हुए थे. गोयल ने अपनी पढ़ाई गणित में MSC से पूरी की. पंजाब यूनिवर्सिटी की सभी परीक्षाओं में टौप करने का रिकौर्ड कायम करने के लिए गोयल को चांसलर मैडल औफ ऐक्सीलैंस से भी सम्मानित किया जा चुका है.

अरुण गोयल ने इंगलैंड की कैंब्रिज यूनिवर्सिटी स्थित चर्चिल कालेज से विकास अर्थशास्त्र में विशिष्टता के साथ पोस्टग्रेजुएशन किया है और अमेरिका की प्रतिष्ठित हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के जौन एफ कैनेडी स्कूल औफ गवर्नमैंट से प्रशिक्षण प्राप्त किया है. अरुण गोयल ने 18 नवंबर, 2022 को स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली थी.

कंट्रोवर्सी से जुड़ी थी अरुण गोयल की नियुक्ति

निर्वाचन आयुक्त के पद पर अरुण गोयल की नियुक्ति के समय से ही विवाद शुरू हो गया था, जिस का मामला सुप्रीम कोर्ट भी पहुंचा था. दरअसल, गोयल के सेवानिवृत्ति लेने के अगले दिन ही उन्हें निर्वाचन आयुक्त नियुक्त कर दिया गया. इस कारण जल्दबाजी को ले कर मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा और कोर्ट ने नियुक्ति में हुई जल्दबाजी को ले कर सवाल उठाए. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने बाद में इस मामले में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया.

मुख्य चुनाव आयुक्त बनने की कतार में थे गोयल

इस साल फरवरी में अनूप पांडे की सेवानिवृत्त और अब गोयल के इस्तीफे के बाद 3 सदस्यीय निर्वाचन आयोग में अब केवल मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार रह गए हैं. अरुण गोयल मुख्य चुनाव आयुक्त बनने की कतार में थे, उन का कार्यकाल 5 दिसंबर, 2027 तक था. मौजूदा CEC राजीव कुमार अगले साल फरवरी में सेवानिवृत्त होने वाले हैं. उन के बाद गोयल ही अगले मुख्य निर्वाचन आयुक्त बनने वाले थे.

अरुण गोयल के इस्तीफे को ले कर विपक्ष का सरकार पर आरोप

अरुण गोयल के इस्तीफे के बाद कांग्रेस समेत पूरा विपक्ष केंद्र सरकार को घेरते हुए हमला बोल रहा है. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा, “जैसा कि मैं ने पहले ही कहा था कि यदि हम स्वतंत्र संस्थाओं की सुनियोजित बरबादी को नहीं रोकते हैं तो तानाशाही द्वारा हमारे लोकतंत्र पर कब्जा कर लिया जाएगा.”

कैसे बनते हैं चुनाव आयुक्त?

चुनाव आयुक्त की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा प्रधानमंत्री, लोकसभा में विपक्ष के नेता और प्रधानमंत्री द्वारा नामित एक केंद्रीय कैबिनेट मंत्री के पैनल की सिफारिश पर की जाती है. इस नियुक्ति को ले कर पिछले साल केंद्र सरकार ने एक कानून बनाया था जिस में सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को इस नियुक्ति प्रक्रिया से बाहर कर दिया गया था.

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