फिल्में चाहे हिंदी हों या अंग्रेजी, अकसर ऐसे कई सीन्स देखें होंगे, जिस को देख कर आप अवश्य हैरान रह गए होंगे और सोचा होगा कि ये कैसे होना संभव है, कैसे किया होगा? तो इस का उत्तर है VFX यानि विजुअल इफैक्ट.

क्या है वीएफएक्स ?

यह एक ऐसी कंप्यूटर सौफ्टवेर तकनीक है जिस का उपयोग लाइव ऐक्शन शौट्स और डिजिटल छवियों के कौम्बिनेशन से वीडियो बनाने के लिए किया जाता है. ऐक्शन फिल्मों में हीरो को हेलिकौप्टर से कूदते या विशालकाय राक्षसों से लड़ते हुए देखा होगा. ये सभी सीन VFX का इस्तेमाल कर के बनाए जाते हैं. ये इफैक्ट फिल्म को और भी ज्यादा खास बना देते हैं, जिसे दर्शक बिना पलक झपकाए देखते रहते है.
इस सीन्स को रियल में शूट करना नामुमकिन होता है इसलिए इन्हें कंप्यूटर ग्राफिक्स से बनाया जाता है और यही VFX है. फिल्मों के अलावा इसका प्रयोग गेमिंग में भी किया जाता है, जिस के आदि आज के बच्चे और यूथ हो जाते हैं और दिनभर कंप्यूटर या मोबाइल पर खेलते रहते हैं जिस का प्रभाव उन के मानसिक स्थिति पर पड़ता है, उन्हें पढ़ाई में मन नहीं लगता. इस की आदत इतनी खराब होती है कि बच्चे रातरात भर इसे जाग कर खेलते रहते हैं.

वीएफएक्स के तरीके

वीएफएक्स बनाने में Maya, Flame जैसे सौफ्टवेयर इस्तेमाल किए जाते हैं. इसे बनाने वाली टौप कंपनियां प्राइम फोकस लिमिटेड, रेड चिलीज, प्रना स्टूडियोज, रिलायंस मीडिया वर्क्स, मूविंग पिक्चर कंपनी, टाटा एलेक्सी आदि हैं. किसी सीन में विजुअल इफैक्ट्स लाने में कई बड़े सौफ्टवेयर का प्रयोग किया जाता है.

सब से पहले डायरैक्टर और ऐक्टर उस सीन की शूटिंग कर लेते हैं. शूटिंग के समय पीछे की तरफ ब्लू या ग्रीन कलर का पर्दा लगा दिया जाता है. उस सीन को फिल्माने के बाद कम्प्यूटर में मौजूद VFX सौफ्टवेयर और CGI ( इस में कम्प्यूटर की मदद से टू डी और थ्री डी इमेज या बैकग्राउंड बनाए जाते हैं) की मदद से एडिट किया जाता है.

इस सौफ्टवेयर की सहायता से उस ग्रीन या ब्लू पर्दे पर कोई काल्पनिक सीन बना दिया जाता है, जो बिल्कुल वास्तविक सीन्स जैसा दिखता है. स्पेशल इफैक्ट के लिए वीएफएक्स में समय एक महत्वपूर्ण फैक्टर होता है. मसलन कब और कैसे प्रभाव पैदा किया जाना है, यह वीडियो बनाते हुए ही पता लगता जाता है. हरे बैकग्राउंड पर सीन शूट करने के बाद साधारण बैकग्राउंड को समुद्र, जंगल, स्टेडियम आदि में बदल देना आसान होता है.

इस के बाद इस में स्पैशल इफैक्ट्स डाले जाते हैं. इस में सब से पहले किसी भी ऐक्टर को रिकौर्ड किया जाता है, फिर उस को कंप्यूटर जेनरेटेड

– इमेजरी (CGI) के मौडल में ट्रांसफर किया जाता है. इस के लिए ऐक्टर को एक अलग तरह का सूट पहनाया जाता है जिसे मोशन कैप्चर सूट कहा जाता है.

अवतार जैसी फिल्मों को इसी तकनीक से फिल्माया गया है. कई बार इस में प्रोस्थेटिक तकनीक का भी प्रयोग किया जाता है. इस से चरित्र के चेहरे के स्वरूप को बदल दिया जाता है, जैसा कि हिंदी फिल्म ‘पा’ में अभिनेता अमिताभ बच्चन को बच्चे का रूप दिया गया था.

भ्रमित करने वाले दृश्यों की भरमार

पहले वीएफएक्स का प्रयोग अंग्रेजी फिल्मों में अधिक होता था, जिस में हैरी पौटर, जुरासिक पार्क, द लार्ड औफ द रिंग्स, इंसैप्शन, थौर आदि कई फिल्में हैं. सब से अधिक सफल फिल्म बच्चों की फिल्म हैरी पौटर रही, इसे सभी बच्चों और यूथ ने बहुत पसंद किया. इस में एक बस को सकरी गली से स्पीड से प्रवेश कर जाना, अचानक से किसी व्यक्ति का विशालकाय रूप ले लेना, विशालकाय जीव से लड़ाई कर जीत जाना, आदि ऐसे कई भ्रमित करने वाले दृश्य होते हैं, जिसे रियल लाइफ में कल्पना कर पाना मुश्किल होता है.

ऐसे रियलिटी से दूर दृश्यों को आज के दर्शक अधिक पसंद कर रहे हैं लेकिन आज के कुछ हौलीवुड के निर्माता, निर्देशकों का ये भी डर सता रहा है कि वीएफएक्स के अधिक प्रयोग से फिल्मों की कहानी ओरिजिनालिटी से हट जाएगी और कहानी की मुख्य पात्र की भूमिका खत्म हो सकती है, जबकि फिल्म की प्रमुख फाउंडेशन चरित्र ही होता है.

आज के पढ़ेलिखे दर्शक भी ऐसी अनरीयलिस्टिक दृश्यों को कितना सह पाएंगे, ये समझना निर्माताओं के लिए मुश्किल होगा, क्योंकि कोई भी भ्रमित करने वाली कहानियों और फिल्मों को दर्शक कुछ हद तक ही सहन कर सकती है. इस के बाद वे उसका बहिष्कार अवश्य करेंगे और तब सभी को फिर से रियल फिल्मों की ओर आना पड़ेगा.

हिंदी सिनेमा में वीएफएक्स का ट्रेंड

इंडियन सिनेमा में वीएफएक्स का ट्रेंड नया नहीं है. इंडियन सिनेमा में सब से पहले वीएफएक्स का प्रयोग फिल्म प्यार तो होना ही था में किया गया था. बाहुबली सीरीज की दोनों फिल्में भी संभव नहीं हो पाती अगर VFX न होते. इन दोनों फिल्मों को दर्शकों ने काफी पसंद किया. इस के बाद से ही हर बड़ी फिल्म में VFX की खास जगह बन गई है. इन इफैक्ट्स के बिना आजकल फिल्में बनाना शायद किसी भी निर्माता निर्देशक के लिए संभव नहीं.

बनती है फिल्में लार्जर देन लाइफ

जितनी भी हिस्टोरिकल फिल्में बनती हैं, सभी में वीएफएक्स का प्रयोग जम कर किया जाता है. इस तकनीक के द्वारा ही 500 सैनिक 5000 सैनिकों में बदल जाते हैं. बड़ेबड़े महल दिखाए जाते हैं. मुंबई को लन्दन दिखा दिया जाता है. बाहुबली के अलावा पानीपत, जोधा अकबर, केसरी, पद्मावत, हनुमान ऐसी ही फिल्में है जिस में वीएफएक्स के द्वारा ही फिल्मों में जान डाली गई.

बनती है कम बजट की फिल्में

दक्षिण की फिल्मों में वीएफएक्स का प्रयोग आजकल खूब किया जा रहा है. आज जिन फिल्मों का बजट 50 से 60 करोड़ का होता है, उस में VFX का इस्तेमाल किया जाता है. ऐसा माना जाता है कि वीएफएक्स के प्रयोग से फिल्मों का निर्माण कम बजट में हो जाता है और फिल्में देखने में उम्दा होती हैं. वर्ष 2020 में भारत में VFX का 7,900 करोड़ रुपए का कारोबार था और 2024 तक यह आंकड़ा 14,700 करोड़ पर पहुंच सकता है. आज वीएफएक्स पहले से ज्यादा रियलिस्टिक लगने लगे हैं.

साथ ही इस से फिल्म मेकिंग में 2 साल तक का कम वक्त लग रहा है. मेकर्स के 65 करोड़ रुपए. तक बच रहे हैं और इस का काम भी 300 गुना तेजी से हो जाता है. लगभग 80 परसेंट ऐसी फिल्में हैं, जिन में वीएफएक्स का यूज किया जा रहा है. हालांकि छोटी फिल्मों में भी एक या दो शौट ही वीएफएक्स के होते हैं.

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