जम्मूकश्मीर से धारा370 हटाए जाने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दर्ज 22 याचिकाओं पर 16 दिन बहुत तेजी से सुनवाई चली और आज सभी याचिकाओं को खारिज करते हुए कोर्ट ने जम्मूकश्मीर से धारा370 हटाए जाने के केंद्र सरकार के फैसले को सही बताया. अपना फैसला सुनाते हुए सीजेआई के नेतृत्व वाली संविधान पीठ ने कहा कि 5 अगस्त, 2019 को केंद्र सरकार द्वारा जम्मूकश्मीर से धारा 370 हटाए जाने का फैसला बरकरार रहेगा.

राष्ट्रपति के पास जम्मूकश्मीर से धारा 370 हटाने का अधिकार है और यह अधिकार विधानसभा भंग होने के बाद भी कायम रहेगा. सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने फैसला सुनाते हुए कहा कि युद्ध के हालात में धारा 370 हटाने का फैसला अंतरिम फैसला था और जम्मूकश्मीर भारत का अभिन्न अंग है.

सुप्रीम कोर्ट में फैसला आने की संभावना को देखते हुए आज जम्मूकश्मीर में सुरक्षा बढ़ा दी गई थी. सुरक्षाबलों को सख्त निर्देश थे कि कहीं भी किसी तरह की अराजकता पैदा न होने दी जाए. पीडीपी नेत्री मेहबूबा मुफ्ती भी आज सुबह से अपने घर में नजरबंद रखी गईं.

जम्मू में भी व्यापक प्रबंध किए गए हैं. सोशल मीडिया पर खास नजर रखी जा रही है. पूरी घाटी में सुरक्षा बलों के काफिले की रवानगी पर रोक लगा दी गई है. साथ ही, वीआईपीज की सुरक्षा में लगे काफिले पर भी रोक लगा दी गई है. आईजी कश्मीर की ओर से सेना के साथ ही बीएसएफ, सीआरपीएफ, आईटीबीपी, एसएसबी तथा अन्य सुरक्षा बलों के अधिकारियों व सभी पुलिस प्रमुखों को संदेश भेज कर कहा गया है कि जम्मूश्रीनगर हाईवे तथा अन्य हाईवेज पर कोई भी काफिला नहीं निकलेगा. पूरे दिन ड्राई डे रहेगा.

दिशानिर्देश जारी

इस के साथ ही वीआईपी तथा सुरक्षाप्राप्त व्यक्तियों के काफिले को निकलने से पूरी तरह बचने को कहा गया है. इस बीच अफवाह फैलाने के आरोप में एक न्यूज पोर्टल के 2 संस्थापक सदस्यों को गिरफ्तार किया गया है. उन की पहचान जहूर अहमद खान निवासी मनवान अवूरा और अब्दुल रऊफ पीर निवासी अवूरा कुपवाड़ा के रूप में हुई है. दोनों पर फर्जी समाचार प्रसारित करने व अफवाहें फैलाने का आरोप है. उन पर कानून की संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है और उन के डिजिटल उपकरणों का विश्लेषण व जांच शुरू कर दी गई है.

पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों का कहना है कि शांति को सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था की गई है. यहां के अधिकारियों ने सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील या आतंकवाद व अलगाववाद को बढ़ावा देने वाली किसी भी सामग्री के सोशल मीडिया पर प्रसार किये जाने को रोकने के लिए सीआरपीसी की धारा 144 के तहत सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं के लिए दिशानिर्देश जारी किए हैं. दिशानिर्देशों का उद्देश्य सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर आतंकवाद,अलगाववाद, धमकियों, धमकी या सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील सामग्री का उपयोग करते समय नागरिकों द्वारा उठाए जाने वाले कदमों पर स्पष्टता प्रदान करना है.

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट की संविधानपीठ ने सुनवाई करने के बाद फैसला 5 सितंबर को ही सुरक्षित रख लिया था. सुप्रीम कोर्ट की वैबसाइट पर अपलोड की गई 11 दिसंबर की कौज लिस्ट में कहा गया था कि चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली 5 जजों की संविधान पीठ फैसला सुनाएगी.

सुप्रीम कोर्ट के फैसले की बड़ी बातें –

– राष्ट्रपति को आर्टिकल 370 हटाने का हक है. आर्टिकल 370 हटाने का फैसला संवैधानिक तौर पर सही था.

– संविधान के सभी प्रावधान जम्मूकश्मीर पर लागू होते हैं. यह फैसला जम्मूकश्मीर के एकीकरण के लिए था.

– अनुच्छेद 370 हटाने में कोई दुर्भावना नहीं थी. जम्मूकश्मीर में जल्द चुनाव के लिए कदम उठाए जाएं. 30 सितंबर,2024 तक जम्मूकश्मीर में चुनाव हों.

– जम्मूकश्मीर में जल्द राज्य का दर्जा बहाल हो. आर्टिकल 370 एक अस्थाई प्रावधान था. जम्मूकश्मीर भारत का अभिन्न अंग है. जम्मूकश्मीर के पास कोई आंतरिक संप्रभुता नहीं थी.

– सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि लद्दाख को अलग करने का फैसला भी वैध था.

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