2003 में फिल्म ‘इश्कविश्क’ से अभिनय कैरियर की शुरूआत करने वाले अभिनेता शाहिद कपूर ने बौलीवुड में 20 वर्ष पूरे कर लिए हैं.मशहूर अभिनेता पंकज कपूर और अभिनेत्री नीलिमा अजीम के बेटे शाहिद कपूर का इन 20 वर्षों में अभिनय कैरियर जिस मुकाम पर पहुंचना चाहिए था,वहां तक नहींपहुंच पाया.उनके कैरियर में कई हिचकौले आए,उन्होंने कई बार असफलता का स्वाद चखा,पर वह हाशिए पर कभी नहीं गए.

पंकज कपूर व नीलिमा अजीम के बेटे होने के नाते अभिनय तो उनके खून में है पर वह डांसर के रूप में अपना कैरियर शुरू करना चाहते थे.इसीलिए उन्होंने शामक डावर से नृत्य का प्रशिक्षण लियाफिर 90 के दशक में वह ‘दिल तो पागल है’ व ‘ताल’ सहित कुछ फिल्मों में बैकड्रोप डांसर के रूप में काम किया.

कुमार सानू के स्वरबद्ध गाने के वीडियो मेंउन्हें काफी पसंद किया गया था.उनके कुछ म्यूजिक वीडियो को एडिट करने वाले केन घोष को शाहिद कपूर का चेहरा पसंद आ गया.वह बतौर निर्देशक अपने कैरियर की अगली पारी शुरू करना चाह रहे थेतो उन्होंने2003 में अपने कैरियर की पहली फिल्म ‘इश्कविश्क’ में शाहिद कपूर को अभिनय करने का अवसर दे दिया.इस तरह शाहिद कपूर के अभिनय कैरियर की शुरूआत हुई थी.

इश्कविश्क से शुरुआत

शाहिद कपूर एक अच्छे डांसर व अच्छे अभिनेता हैंपर रोमांस के पीछे भागने व अहम के शिकार होने के चलते उनके कैरियर में काफी उतारचढ़ाव आए.इसके लिए काफी हद तक खुद शाहिद कपूर ही जिम्मेदार हैं.शाहिद कपूर की पहली फिल्म ‘इश्कविश्क’ की लागत साढ़े 8 करोड़ थी और इसने 12 करोड़रुपए की कमाई कर ली थी.जबकि 2004 में आई दूसरी फिल्म ‘फिदा’ महज 10 करोड़रुपए में बनी थी और 16 करोड़ कमाए थे.

इन दोनों फिल्मों के निर्देशक एडीटर से निर्देशक बने केन घोष थे.मगर पूरे 7 वर्ष बाद जब केन घोष ने शाहिद कपूर को लेकर फिल्म‘चांस पे डांस’ बनाई,जिसे रौनी स्क्रूवाला ने बनाया था.30 करोड़ की लागत में बनी यह फिल्म महज 16 करोड़रुपए ही कमा सकी थी.इसके बाद रौनी स्क्रूवाला ने आज तक केन घोष व शाहिद कपूर के साथ कोई फिल्म नहीं बनाई.

उधर ‘चांस पे डांस’ के बाद सभी निर्माताओं ने केन घोष से किनारा कर लिया था. पूरे 7 वर्ष बाद केन घोष को एकता कपूर ने वैब सीरीज ‘देव डी’ निर्देशित करने का अवसर दिया था.उसके बाद से वह 5वैब सीरीज निर्देशित कर चुके हैं.मगर उन्हें फिल्म निर्देशित करने का अवसर नहीं मिला.केन घोष आज भी शाहिद कपूर के नाम से ही दूर भागते हैं.

फिर कपूर की ‘दिल मांगे मोर’, ‘दीवाने हुए पागल’,‘वाह लाइफ हो तो ऐसी’फिल्में आईं.यह तीनों फिल्में अपनी लागत वसूल करने में कामयाब रहीपर अब तक शाहिद कपूर अपनेआपको स्टार मानने लगे थे.लेकिन 2005 में प्रदर्शित छठी फिल्म ‘शिखर’अपनी लागत भी वसूल नहीं कर पाई.इस फिल्म की लागत 14 करोड़ रुपए थी और बौक्स औफिस पर बमुश्किल10 करोड़रुपए ही कमा सकी थी.पर इसके बाद ‘36 चाइना टाउन’ व ‘चुप चुप के’ को जबरदस्त सफलता मिली थी.

इन फिल्मों ने अपनी लागत से दोगुनी कमाई की थीपर 10 नवंबर,2006 को ‘राजश्री प्रोडक्शन’ निर्मित फिल्म ‘विवाह’ ने कमाल किया था. 8 करोड़ रुपए की लागत वाली इस फिल्म ने बौक्स औफिस पर 53 करोड़रुपए कमा कर एक रिकौर्ड बनाया था.पर इस फिल्म की सफलता का सारा श्रेय शाहिद कपूर की बजाय ‘राजश्री प्रोडक्शन’ के हिस्से ही गया थालेकिन इसके बाद उनकी फिल्म ‘फुल एंड फाइनल’ बमुश्किल अपनी लागत वसूल कर पाई.

कैरियर पर पड़ता असर

वास्तव में 2004 में फिदा के फिल्मांकन के दौरान शाहिद कपूर ने करीना कपूर को डेट करना शुरू किया और उन दोनों ने सार्वजनिक रूप से इस रिश्ते के बारे में बात की.शाहिद व करीना के रिश्ते का शाहिद के कैरियर पर असर पड़ रहा था,जिसकी शाहिद को परवाह नहीं थी.2007में इम्तियाज अली ने शाहिद कपूर व करीना कपूर के निजी जीवन को भुनाते हुए दोनों को एक साथ लेकर 2007 में रोमांटिक कौमेडी फिल्म ‘जब वी मेट’बना डाली.

दोनों के निजी जीवन की केमिस्ट्री ने परदे पर भी अपना रंग दिखाया. महज 15 करोड़ रुपए में बनी फिल्म ‘जब वी मेट’ ने 51करोड़ रुपए कमा कर एक बार फिर शाहिद कपूर को सफल कलाकार बना दिया था.

तभी एक अखबार ने सार्वजनिक रूप से चुंबन करते हुए शाहिद कपूर व करीना कपूर की कई तस्वीरें छाप दींतो बवाल हो गया.जोड़े ने दावा किया कि यह फोटो मनगढंत है.पर यहीं से दोनों के रिश्ते में दरार आ गई. दोनों एकदूसरे से दूर हो गए.

कभी उतार कभी चढ़ाव

‘जब वी मेट’ के बाद जब शाहिद कपूर की अजीज मिर्जा निर्देशित फिल्म ‘किस्मत कनेक्शन’ आई,तो इसने निराश किया था.जबकि इस फिल्म में उस वक्त की स्टार जुही चावला व विद्या बालन थी.उसके बाद 2009 में आई विशाल भारद्वाज की फिल्म ‘कमीने’ ने लागत से दोगुनी कमाई की थी.लेकिन यहां भी शाहिद कपूर बदकिस्मत रहेक्योंकि ‘कमीने’ की सफलता की वजह विशाल भारद्वाज माने गए.मगर इस फिल्म से उनकी निजी जिंदगी में बहारें आ गई.

फिल्म ‘कमीने’ में शाहिद कपूर को प्रियंका चोपड़ा संग काम करने का अवसर मिला.दोनों के बीच प्यार का टांका भी भिड़ गया.उसके बाद चर्चाएं गर्म रहीं कि शाहिद कपूर अभिनय की बजाय प्रियंका चोपड़ा संग रोमांस फरमाने में ज्यादा समय बिताते हैं.

‘कमीने’ के बाद मिलिंद उके निर्देशित ‘पाठशाला’के अलावा ‘बदमाश कंपनी’,‘मिलेंगे मिलेंगे’, ‘मौसम’ आदि फिल्में ठीकठाक चली.जबकि 22 जून,2012 को प्रदर्शित30 करोड़ रुपए की लागत में बनी कुणाल कोहली निर्देशित फिल्म ‘तेरी मेरी कहानी’ ने बौक्स औफिस पर 53 करोड़ रुपए कमा कर शाहिद कपूर के कैरियर को एक नई उंचाई दी थी.

इस रोमांटिक कौमेडी फिल्म में शाहिद कपूर और प्रियंका चोपड़ा की जोड़ी थी.निजी जीवन की केमिस्ट्री ने परदे पर भी कमाल दिखाया.शाहिद कपूर के साथ ही प्रियंका चोपड़ा की भी तिहरी भूमिका थी.

फिर वह 30 करोड़ रुपए की लागत में बनी करण जोहर की फिल्म ‘‘बौम्बेटौकीज’ बौक्स औफिस पर महज10 करोड़ रुपए ही कमा सकी थी.इससे शाहिद कपूर के कैरियर पर खास असर नहींपड़ा थाक्योंकि इस फिल्म में शाहिद कपूर ने किसी किरदार को निभाने की बजाय शाहिद कपूर के रूप में ही मौजूद थे.इस फिल्म में रानी मुखर्जी,रणदीप हुडा सहित काफी कलाकार थे.

‘कमीने’ से कला को पहचान

फिर 20 सितंबर,2013 को राज कुमार संतोषी निर्देशित और ‘टिप्स’ कंपनी निर्मित फिल्म ‘फटा पोस्टर निकला हीरो’ में इलियाना डी क्रूज संग शाहिद कपूर नजर आए थे.इस फिल्म ने बौक्स औफिस पर ठीकठाक कमाई कर ली थी.मगर निर्देशक राज कुमार संतोषी शायद शाहिद कपूर के व्यवहार से खुशनहीं थे. क्योंकि इस फिल्म के प्रमोशन के दौरान हमसे राज कुमार संतोषी ने कहा था, ‘‘जल्द ही वह वक्त आने वाला है जब हर कलाकार घर घर जाकर अपने फैंस व दर्शक को टिकट बेचता या मुफ्त में देता हुआ नजर आएगा.’’राज कुमार संतोषी ने उस वक्त जो कुछ कहा था,वह पिछले कुछ माह से होता हुआ नजर आ रहा है.

इसके बाद प्रभूदेवा निर्देशित रोमांटिक एक्शन फिल्म ‘आर राजकुमार’मेंशाहिद कपूर ने सोनाक्षी सिन्हा व सोनू सूद के साथ अभिनय किया था. फिल्म आलोचकों को यह फिल्म पसंद नहीं आई थी. 6 दिसंबर,2013 में प्रदर्शित इस फिल्म की लागत 38 करोड़ रुपए थीपर बौक्स औफिस पर इसने 100 करोड़रुपए कमा लिए थे.

‘कमीने’ को मिली अपार सफलता के बावजूद पूरे 5 वर्ष बाद विशाल भारद्वाज ने फिल्म ‘हैदर’ में शाहिद कपूर को तब्बू,श्रृद्धा कपूर,के के मेनन,इरफान खान जैसे कलाकारों के साथ जोड़ा.2 अक्टूबर,2014 को प्रदर्शित35 करोड़रुपए की लागत में बनी इस फिल्म ने 85 करोड़रुपए कमाकर विशाल भारद्वाज को खुश कर दिया था.यहां से शाहिद कपूर के अंदर ‘स्टार’ हो जाने का भाव ऐसा गहराया कि प्रियंका चोपड़ा संग रिश्ते का खत्मा हो गया.

जीवन में आई मीरा

मार्च 2015 में शाहिद कपूर की मुलाकात अपनी उम्र से 13 साल छोटी नई दिल्ली के एक विश्वविद्यालय की छात्रा मीरा राजपूत से हुई,जिसके सामने शाहिद कपूर ने शादी का प्रस्ताव रखा.फिर इस जोड़े ने 7 जुलाई,2015 को गुड़गांव में एक निजी समारोह में शादी रचा ली. अगस्त 2016 में बेटी मिशा और सितंबर 2018 में बेटे जैन के वह मातापिता बने.

लेकिन अक्टूबर 2015 बाद विकास बहल के निर्देशन में बनी फिल्म ‘शानदार’ ने सब कुछ चौपट कर दिया था.यह फिल्म अपनी लागत वसूल नहीं कर पाई थी.इस फिल्म में शाहिद कपूर के साथ आलिया भट्ट और शाहिद कपूर की सौतेली बहन सना कपूर भी थी.पर उस वक्त ‘हैदर’ की वजह से शाहिद कपूर का पलड़ा इतना भारी था कि फिल्म की असफलता का सारा दोषारोपण विकास बहल के मत्थे मढ़ दिया गया था.दूसरी बात शाहिद कपूर अपनी वैवाहिक जिंदगी में भी रमे हुए थे.

उसके बाद पंजाब में फैले ड्रग्स के कारोबार व ड्रग्स में डूबी युवा पीढ़ी को चित्रित करती फिल्म ‘उड़ता पंजाब’ प्रदर्शित हुई. प्रदर्शन से पहले यह फिल्म काफी विवादों में रही. सैंसर बोर्ड इसे पारित करने को तैयार नहीं था.पर अदालती आदेश के बाद ‘उड़ता पंजाब’ को सैंसर प्रमाणपत्र मिला था.17 जून,2016 को प्रदर्शित फिल्म ‘उड़ता पंजाब’ मेंशाहिद कपूर,आलिया भट्ट के साथ करीना कपूर थी.34 करोड़ रुपए में बनी इस फिल्म ने लगभग 100 करोड़ रुपए कमा लिए थे.पर किस्मत ने शाहिद कपूर का साथ नहीं दिया. लोगों ने कहा कि विवादों की वजह से इस फिल्म को बौक्स औफिस पर सफलता मिली.

‘कमीने’ और ‘हैदर’ की सफलता से उत्साहित विशाल भारद्वाज ने 2017 में शाहिद कपूर को लेकर तीसरी फिल्म ‘रंगून’ बनाई.इसमें सैफ अली खान व कंगना रनौत भी थी. 80 करोड़ रुपए की लागत में बनी यह फिल्म बौक्स औफिस पर अपनी आधी लागत भी वसूल नहीं कर पाई.

2018 में संजय लीला भंसाली की विवादास्पद फिल्म ‘‘पद्मावत’ ने बौक्स औफिस पर अच्छी सफलता दर्ज कराकर एक बार फिर शाहिद कपूर के अंदर उत्साह का संचार किया.यह अलग बात है कि इस फिल्म में शाहिद कपूर के अभिनय की फिल्म आलोचकों ने जमकर आलोचना की थी. लोगों ने फिल्म की सफलता का सारा श्रेय निर्देशक संजय लीला भंसाली के साथ रणवीर सिंह और दीपिका पादुकोण को दिया था.लेकिन 2018 में ही ‘वेलकम टू न्यूयौर्क’ और ‘बत्ती गुल मीटर चालू’ फिल्मों की असफलता ने शाहिद कपूर के कैरियर पर सवालिया निशान लगा दिया था. बौलीवुड में चर्चाएं शुरू हो गई थी कि शाहिद कपूर का कुछ नहीं हो सकता.

अहम का नशा

तभी 2019 में मलयाली फिल्म निर्देशक संदीप रेड्डी वेंगा की फिल्म ‘कबीर सिंह’ में शाहिद कपूर ने शीर्ष भूमिका निभाकर हंगामा बरपा दिया.फिल्म में शाहिद कपूर और किआरा आडवाणी के बीच के चुंबन दृश्यों व शाहिद कपूर के हिंसात्मक रूप सर्वाधिक चर्चा में रहा.महज 8 करोड़ रुपए की लागत से बनी इस फिल्म ने बौक्स औफिस पर 379 करोड़ रुपए कमाकर इतिहास रच दिया था.

मगर इस फिल्म की सफलता के नशे में शाहिद कपूर इस कदर चूर हुए कि खुद ही अपने कैरियर में कील ठोंक दी.वास्तव में लोगों को उम्मीद थी कि ‘कबीर सिंह’ को जितनी बड़ी सफलता मिली है,उसे देखते हुए शाहिद कपूर के पास कम से कम दर्जन भर नई फिल्मों की कतार लग जाएगी.मगर शाहिद कपूर निजी जीवन में भी कबीर सिंह बनकर खुद को ही सब से बड़ा समझदार सुपर स्टार साबित करते हुए निर्माताओं के सामने अजीबोगरीब शर्तें रखने लगे.

शर्ते न माने जाने पर शाहिद कपूर ने पटकथा पसंद नहीं आ रही है,कहकर फिल्में ठुकरानी शुरू कर दी.बड़ी मुश्किल से अक्तूबर 2019 में शाहिद कपूर ने निर्देशक गौतम तिन्नूरी की फिल्म ‘जर्सी’ को साइन किया,जो कि गौतम निर्देशित तेलगू फिल्म ‘जर्सी’ का हिंदी रीमेक थी.

इस फिल्म की शूटिंग के दौरान उनके स्टारी नखरों की जबरदस्त चर्चा रही.22 अप्रैल,2022 को जब यह फिल्म सिनेमाघरों में पहुंची तो 80 करोड़रुपए की लागत में बनी यह फिल्म महज 27 करोड़रुपए ही कमा सकी.जिसका खामियाजा शाहिद कपूर को ही भुगतना पड़ा.माना कि इस फिल्म के कई दृष्यों में शाहिद कपूर ने फिल्म ‘कबीर सिंह’ की ही तरह अभिनय किया था,मगर पूरी फिल्म में उनके अभिनय की तारीफ की गई थी.

‘जर्सी’ की वजह से निर्माता को 60 करोड़ रुपए से अधिक का नुकसान हुआ,जिसके चलते उनकी फिल्म ‘ब्लडी डैडी’ को वितरक नहीं मिले.निर्माता निर्देशक अली अब्बास जफर ने इस फिल्म को ‘जियो सिनेमा’ पर दे दिया.सभी जानते हैं कि जियो सिनेमा मुफ्त में देखा जाने वाला ओटीटी प्लेटफौर्म है.फिर भी इसे दर्शकनहीं मिले.इस फिल्म में शाहिद कपूर के अभिनय की कटु आलोचनाएं भी हुईं.

देवा का क्या होगा

शाहिद कपूर की सबसे बड़ी कमजोरी यह है कि वह अपनी सफलता व असफलता दोनों को ही पचा नहीं पाते.इसके अलावा वह हमेशा अहम में जीते हैं.उन्हें लगता है कि वह जो सोचते हैं,वही सच है.कई बार वह पत्रकारों से भी उलझ जाते हैं.इतना ही नहीं उनके अंदर खुद को महान साबित करने की बड़ी बीमारी है.इसी के चलते शाहिद कपूर से बौलीवुड के कई फिल्म सर्जकों ने दूरी बना ली है.‘कबीर सिंह’ को मिली सफलता के बाद दक्षिण भारत के कुछ फिल्मकार उनको लेकर प्रयोग करना चाहते हैं.मगर शाहिद कपूर हकीकत को समझना नहीं चाहते.उनकी हकरतों की ही वजह से उनकी नई फिल्म ‘देवा’ का भविष्य भी अंधकारमय नजर आने लगा है.

ज्ञातब्य है कि इसी साल दशहरे के अवसर पर खुद शाहिद कपूर ने सोशल मीडिया पर बड़े जोश के साथ घोषणा की थी कि वह मलयालम सिनेमा के लोकप्रिय निर्देशक रोशन एंड्रयूज के निर्देशन में फिल्म ‘देवा’ कर रहे हैं,जिसमें पूजा हेगड़े उनकी हीरोइन हैं और वह इस फिल्म में पुलिस अधिकारी के किरदार में नजर आने वाले हैं.

यह फिल्म अगले वर्ष दशहरे के अवसर पर 11 अक्टूबर,2024 को प्रदर्शित होगीलेकिन इस फिल्म के निर्माण को लेकर अच्छी खबरेंनहीं आ रही हैं.कुछ दिन पहले खबर आई थी कि ‘देवा’ के सेट पर शर्ट पहनने को लेकर शाहिद कपूर व निर्देशक रोशन एंड्रयूजके बीच तूतूमैंमैं हो गई.अंततः शाहिद कपूर को वही शर्ट पहनकर दृष्य फिल्माना चाहते थे,जिसे वह पहनना नहीं चाहते थे,पर रोशनएंड्रयूज उसी शर्ट में वह दृष्य फिल्माना चाहते थेतो शाहिद कपूर को निर्देशक के आगे झुकना पड़ा था.

इस खबर के उड़ने के बाद शाहिद कपूर ने निर्देशक रोशन एंड्रयूजकी प्रशंसा भी की थी.पर ‘देवा’ के सेट पर सब कुछ ठीक नहीं है.फिलहाल खबरें गर्म हैं कि शाहिद कपूर ने 10 दिन लगातार शूटिंग कर जिन दृष्यों को फिल्माया था,उन्हें देखने के बाद अब शाहिद कपूर ने निर्देशक से कहा है कि 10 दिन में से 6 दिन की शूटिंग के दृष्यों को पुनः फिल्माया जाए.

शाहिद कपूर का कहना है कि 6 दिन के दृष्यों में उनके साथ जो दूसरे कलाकार हैं,वह उन्हें पसंद नहींहैं.इसलिए वह उन कलाकारों की जगह नए कलाकारों का चयन कर दृश्यों को पुनः फिल्माए.शाहिद कपूर के इस रवैए से निर्देशक हैरान हैं.कुछ सूत्रों का मानना है कि इस तरह शाहिद कपूर अपनेआपको स्टार साबित करने के साथ ही निर्देशक द्वारा एक दृष्य में उनकी पसंद की शर्ट न पहनने देने के लिए सबक भी सिखाना चाहते हैं.

तो वहीं कुछ सूत्रों का दावा है कि निर्देशक रोशन एंड्रयूज,शाहिद कपूर की बात नहीं मानने वाले हैं.वर्तमान हालात ऐसे हैं जहां फिल्म ‘देवा’ की सबसे ज्यादा जरुरत शाहिद कपूर को हैक्योंकि उनका कैरियर इस वक्त दांव पर लगा हुआ हैजबकि रोशन एंड्रयूजकी गिनतीतो सफलतम निर्देशकों में होती है.

कुछ लोगों की राय में यह मसला आगामी फरवरी माह तक अधर में लटका रह सकता है.क्योंकि शाहिद कपूर व कृति सैनन की एक अनाम फिल्म 9 फरवरी, 2024 को रिलीज होने वाली है,जिसमें कृति सैनन एक रोबोट की भूमिका में और शाहिद कपूर एक वैज्ञानिक की भूमिका में हैं.

धर्मेंद्र इस फिल्म में शाहिद के दादा की भूमिका में हैं.यदि यह फिल्म 9 फरवरी,2024 को प्रदर्शित हो गई और सफलता मिल गई,तब ‘देवा’के बंद होने के आसार पैदा हो सकते हैं.पर यदि फिल्म ने बौक्स औफिस पर पानी भी नहीं मांगा,तब शाहिद कपूर के सामने निर्देशक रोशन एंड्रयूजके आगे घुटने टेकने के अलावा कोई विकल्प नहीं होगा.

समाज सेवा भी

पर्यावरण जागरूकता का समर्थन करने और ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली आपूर्ति में सुधार करने की पहल के तहत 2010 में शाहिद कपूर ने 3 गांव गोद लिए थे.2012 में कपूर ने श्यामक डावर द्वारा स्थापित विक्ट्री आर्ट्स फाउंडेशन एनजीओ को पुनर्जीवित करने में मदद की, जो नृत्य चिकित्सा कार्यक्रमों के माध्यम से वंचित बच्चों की मदद करता है.2012 में ही कैंसर पर जागरूकता पैदा करने के लिए जोया अख्तर की एक लघु फिल्म ‘बिकौज माई वर्ल्ड इज नौट द सेम’ में अन्य बौलीवुड हस्तियों के साथ दिखाई दिए.

खुद को इमेज में न बंधने देने की चुनौती स्वीकार की

शुरूआती दौर में शाहिद कपूर की इमेज ‘बौय नेक्स्ट डोर’ की रही है.राजश्री की फिल्म ‘विवाह’ में भी उनकी यह इमेज उभरकर आई थी.पर धीरेधीरे फिल्म आलोचकों ने शाहिद कपूर की इस इमेज को उनकी कमजोरी कहना शुरू कर दिया.आलोचकों की इस बात का जवाब देने के लिए शाहिद ने 2009 में ‘कमीने’ की और अपनेआपको ‘कमीना’ इंसान के रूप में पेश किया.

इतना ही नहीं शहरी रोमांटिक भूमिकाओं में पहचान हासिल करने के बाद कपूर ने एक्शन फिल्मों में विभिन्न किरदार निभाकर अपनी इमेज को तोड़ा.इस वजह से भी उनके कैरियर में कई उतारचढ़ाव आए.शाहिद कपूर उन कलाकारों में से हैं,जिनके मोम के पुतले का 2019 में मैडम तुसाद सिंगापुर में अनावरण किया गया.

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