राज्यपालों के माध्यम से विपक्षी दलों की राज्य सरकारों को नियंत्रण करने की असंवैधानिक कोशिश अगर नरेंद्र मोदी सरकार ने की है तो इस पर कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए. सनातन धर्म के मूल सिद्धांतों में से यह भी एक है कि जरूरत पड़ने पर नियमों को धराशायी कर दो और तोड़मरोड़ कर अपनी जिद चला लो. इस के अनेक उदाहरण हमारे पौराणिक ग्रंथों में मिल जाएंगे. एक मुख्य है अर्जुन द्वारा महाभारत के युद्ध के दौरान युधिष्ठिर को मारने की चेष्टा.

हुआ यह था कि उस युद्ध में कर्ण कौरवों का सेनापति था और उस ने पांडवों की सेना की दुर्गति कर रखी थी. कर्ण ने युधिष्ठिर को घायल कर दिया. युधिष्ठिर उस समय खेमे में चला आया और द्रौपदी के कक्ष में चला गया. रणभूमि में युधिष्ठिर को न देख कर अर्जुन ने कृष्ण को खेमे में चलने को कहा और वहां युधिष्ठिर को द्रौपदी के साथ देख कर अर्जुन भड़क गया. तूतूमैंमैं के दौरान युधिष्ठिर ने कह दिया कि अर्जुन (जो अपने गांडीव व धनुष के बल पर जीतने का रोब मारता था), इसे किसी और को दे दे क्योंकि उस के बस का कौरवों को हराना नहीं है. इस पर अर्जुन तलवार ले कर युधिष्ठिर को मारने दौड़ा क्योंकि उस ने प्रतिज्ञा कर रखी थी कि जो भी उसे गांडीव छोड़ने को कहेगा उसे मार देगा.

कृष्ण ने बीचबचाव किया क्योंकि कृष्ण नहीं चाहते थे कि युद्ध समाप्त हो और कौरव जीतें क्योंकि कौरवों को कृष्ण बिलकुल पसंद नहीं थे. कृष्ण ने इस नियम का तोड़ बताया कि अर्जुन अगर युधिष्ठिर का अपमान कर दें तो यह उन की हत्या के बराबर होगा. इस तरह युधिष्ठिर की जान बची.

पौराणिक कहानियों के ज्ञान से बनी सरकार संविधान को भी पौराणिक कथा मानती है और राज्य सरकारों की विधानसभाओं के कानूनों पर औपचारिक हस्ताक्षर करने के संवैधानिक नियमों को कृष्ण की तरह तोड़मरोड़ कर सारे गवर्नर राज्य सरकारों को परेशान करने में लगे हैं. सुप्रीम कोर्ट ने इस पर आपत्ति की है पर गवर्नर तो पौराणिक ज्ञान को सुप्रीम कोर्ट के आदेश से ऊपर मानते हैं.

गैरभाजपा सरकारों की विधानसभाओं के बनाए कितने ही कानून भाजपा सरकार के नियुक्त गवर्नर आज दबाए बैठे हैं. सुप्रीम कोर्ट के कहने पर तमिलनाडु के गवर्नर आर एन रवि के लौटाए 10 बिल फिर विधानसभा ने उसी शक्ल में पास कर के फिर गवर्नर के पास भेजे हैं पर भाजपा को बचाने के प्रयास में गवर्नर कृष्ण की तरह तोड़मरोड़ का नियम लागू करते रहेंगे, इस में संदेह नहीं है.

गवर्नर की नियुक्ति प्रधानमंत्री करते हैं और वे चुनी सरकार से ऊपर नहीं हो सकते पर उन्हें अपने मतलब के लिए इस्तेमाल करना वैसा ही है जैसा संयुक्त परिवार में कर्त्ता के रूप में बड़ा भाई अपनी धौंस चलाता है या सास बहू पर चलाती है. कृष्ण की धोखेबाजी की कूटनीति केवल राजनीति में ही नहीं चल रही वह खुल कर घरों में भी चलती है. घरों में रामायणमहाभारत की कहानियां रोज सुनाई जाती हैं और बेईमानी, धोखा, विपक्षी का नाम, भाइयों में द्वंद्व के पाठ रोजाना घरों में पहले सीखे जाते हैं और फिर घरघर में अपनाए जाते हैं.

हमारे यहां हर संयुक्त परिवार एक रणक्षेत्र बना रहता है जिस में लगातार खेमेबाजी बनती रहती है और चाचाताऊ, मौसी, भाभी सब पासे पलटते रहते हैं. इन की शिक्षा, सीधे पौराणिक ग्रंथों से मिलती है जिन में नैतिकता का पाठ कहीं ढूंढे़ भी नहीं मिलता. यह हमारा दोगलापन है कि हम इसी सनातन धर्म के बल पर अपने को विश्वगुरु होने का दम भरते हैं.

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