महाराष्ट्र की श्रद्धा वालकर की दिल्ली में उस के लिवइन पार्टनर ने हत्या कर दी और उस के टुकड़ेटुकड़े कर जंगल में जा कर फेंक दिया. उस का लिवइन पार्टनर, आफताब पूनावाला, पहले भी कई बार उस पर हिंसक प्रहार कर चुका था और इस बात का जिक्र श्रद्धा ने अपने दोस्तों से किया था कि वह उसे मारतापीटता है और अब वह उस के साथ नहीं रहना चाहती.

एक बार उस ने अपने मैनेजर को व्हाट्सऐप पर लिखा था कि आफताब ने उसे बहुत मारा है जिस से वह उठ भी नहीं पा रही है, इसलिए वह काम पर नहीं आ सकती. श्रद्धा ने आफताब के हिंसक बरताव के बारे में अपने परिवार को भी बताया था लेकिन उन्होंने कुछ नहीं किया.

श्रद्धा ने आफताब के हिंसक बरताव के बारे में 2 साल पहले 23 नवंबर, 2020 को मुंबई की पालघर पुलिस को एक शिकायत पत्र लिखा था कि उस का लिवइन पार्टनर आफताब उसे मारतापीटता है और अगर वक्त पर ऐक्शन नहीं लिया गया तो वह उस के टुकड़ेटुकड़े कर डालेगा. श्रद्धा ने यह भी बताया था कि 6 महीने से आफताब उसे पीट रहा है. इस पत्र से पता चलता है कि भले ही दोनों लिवइन में थे, मगर उन के रिश्ते खराब हो चुके थे.

श्रद्धा ने आफताब के दो फोन नंबर भी पत्र में दिए थे. श्रद्धा के पत्र के मुताबिक, वह पुलिस के पास आने की हिम्मत नहीं जुटा पा रही थी, क्योंकि आफताब ने उसे हत्या की धमकी दी थी. पत्र में उस ने यह भी लिखा था कि अगर मु?ो किसी भी तरह चोट लगती है तो उस के लिए आफताब ही जिम्मेदार होगा.

लेकिन जब श्रद्धा इस रिश्ते में खुश नहीं थी और वह उसे मारतापीटता था, तब वह उस के साथ रह ही क्यों रही थी? छोड़ क्यों नहीं दिया उसे? बताया जा रहा है कि श्रद्धा का उस के बौयफ्रैंड के साथ कई बार ब्रेकअप हो चुका था. लेकिन फिर बाद में दोनों सुलह कर साथ रहने लगते थे. फिर वही सवाल कि जब वह उस के साथ खुश नहीं थी, फिर साथ कैसे रह रही थी? क्यों उस ने कोई कदम नहीं उठाया जब उसे पता था कि आफताब उसे मार देगा.

सच तो यह है कि हम शायद ही कभी किसी रिश्ते के अंधेरे पहलुओं के बारे में सोचते हैं, जहां संदेह, असुरक्षा, चोट और दर्द की दीवारें होती हैं. आदमी जब प्रेम में होता है तो वह एकदूसरे के लिए कुछ भी करने को तैयार होता है. कहा भी गया है- ‘प्यार अंधा होता है’. हम अपने प्यार को हीररां?ा और लैलामजनूं से तुलना करने लगते हैं. हमें लगता है हमारा प्यार भी उतना ही ईमानदार और पाक है लेकिन ऐसा होता नहीं है.

लेकिन इस सब में श्रद्धा की क्या गलती थी? उस की यही गलती थी कि उस ने आफताब जैसे इंसान पर हद से ज्यादा विश्वास किया, उस से प्यार किया और उस की गलतियों को माफ करती आई. वक्त रहते अगर वह उस की जिंदगी से निकल गई होती तो आज वह जिंदा होती.

कुछ रिश्ते लड़कियों का दैहिक, आर्थिक और भावनात्मक दोहन करते हैं लेकिन चाह कर भी वे उस रिश्ते से बाहर नहीं आ पाती हैं. श्रद्धा ने अपनी उलझनों के बीच कई आवाजें दीं होंगी लेकिन किसी ने भी उस की आवाज नहीं सुनी या यह कहें की यह समाज और परिवार उस की आवाज को सुन पाने में असमर्थ थे.

एक श्रद्धा ही अकेली ऐसी लड़की नहीं है जिसे प्यार के बदले मौत मिली. हमारे आसपास ऐसे कई लोग होंगे जो टौक्सिक रिश्ते में जीने को मजबूर हैं लेकिन उस से बाहर नहीं निकल पा रहे होंगे.

क्या है टौक्सिक रिश्ता ?

औक्सफोर्ड डिक्शनरी टौक्सिक रिलेशनशिप को दर्दनाक और हानिकारक रिश्ते के रूप में परिभाषित करती है. जहां एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति को कंट्रोल करना चाहता है और उस रिश्ते में दूसरे व्यक्ति को नकारात्मक रूप से प्रभावित करने की कोशिश करता है. सामने वाले व्यक्ति को कंट्रोल करने के लिए हिंसक व्यवहार पर भी उतर आता है.

राजेश और अनुपमा की शादी 1999 में हुई थी. कुछ सालों बाद दोनों के बीच प्यार की जगह लड़ाई?ागड़ों ने लिया और रिश्ते जहरीले होते चले गए. बातबात पर झगड़ा, मारपीट, एकदूसरे पर लांछन लगाना, दोष मढ़ना, गालीगलौज होते रहने से घर का माहौल खराब होने लगा.

एक दिन ?ागड़ा इतना बढ़ गया कि गुस्से में राजेश ने अपनी पत्नी अनुपमा की हत्या कर दी और अपने जुर्म को छिपाने के लिए एक डीप फ्रीजर में पत्नी का शव रख दिया. जब शव जम गया तब स्टोनकटर मशीन से उस के टुकड़े कर मसूरी के जंगलों में फेंकने लगा.

कैसे पहचानें टौक्सिक रिलेशनशिप को ?

एक अच्छा और प्यारा रिश्ता जहां आप के तन और मन दोनों को प्रसन्नता व पौजिटिविटी से भर देता है वहीं जहरीला रिश्ता आप को तनाव, अवसाद में धकेल देता है. वहीं जब रिश्ते में प्यार की जगह दिखावापन, कड़वाहट, झूठ, धोखा, फरेब, लड़ाईझगड़े, गालीगलौज और मारपीट होने लगे, तब समझ लें कि आप एक टौक्सिक रिलेशनशिप में हैं.

इंगलैंड की विमेन्स कोऔपरेशन कमिटी की सहप्रमुख एडिना क्लेयर ने इन संकेतों को पहचानने का तरीका बताया है.

वे कहती हैं कि किसी को भावनात्मक रूप से प्रताडि़त करना भी घरेलू हिंसा है. इसलिए जरूरी है कि लक्षणों को तुरंत पहचान लिया जाए और उस व्यक्ति से दूरी बना ली जाए. यह समझाना जरूरी है कि उस व्यक्ति के कंट्रोल में रहना जरूरी नहीं है.

कंट्रोलिंग पार्टनर के कुछ लक्षण

  • अपने पार्टनर को बहुत अधिक प्यार करने का दिखावा कर उस से अपने मनमुताबिक काम करवाना. हालांकि  ये रिश्तों के शुरुआती लक्षण हैं.
  • पार्टनर की कामयाबी से ईर्ष्या करना.
  • गलत बरताव करना.
  • गुस्से में समान की तोड़फोड़ करना.
  • किसी भी बात के लिए पार्टनर को जिम्मेदार ठहराना.
  • आप को मानसिक रूप से कमजोर दिखाना.

एडिना का यह भी कहना है कि किसी भी रिलेशनशिप में सब से जरूरी बात है अपने खुद के आत्मसम्मान को गिरने न देना. अगर रिश्ते में आप दबाव या कंट्रोलिंग जैसा फील कर रहे हैं तो यह सही नहीं है.

अगर आप का पार्टनर बातबात पर आप पर ड़ाटता है, आप की बातों का उलटा जवाब देता है, आप पर चिल्लाता है या आप पर हाथ उठाता है तो सम?ा लीजिए कि यह एक टौक्सिक रिलेशनशिप की अलार्मिंग सिचुएशन है. अगर आप अपने रिश्ते में इन सब बातों को देखते हैं तो आप को इस रिश्ते के बारे में सोचने की जरूरत है.

एक रिश्ते में प्यार से ज्यादा जरूरी होता है एकदूसरे को सम?ाना, इज्जत देना. ये सब चीजें आप के रिलेशनशिप को खुशनुमा ही नहीं बनातीं, बल्कि रिश्ते हैल्दी भी बनते हैं. लेकिन इस के उलट, जब रिश्ते में एक पार्टनर दूसरे को कंट्रोल करने की कोशिश करने लगे, आप को आप के परिवार से दूर करने की कोशिश करने लगे तो इस का यह मतलब है कि आप टौक्सिक रिलेशनशिप में जी रहे हैं.

इस के अलावा, अगर पार्टनर के कारण आप थका हुआ, टूटा हुआ, दुखी, असहाय जैसा महसूस करते हैं तो इस का साफ मतलब है कि आप टौक्सिक रिलेशनशिप में जी रहे हैं.

गलतफहमियां होना, रिश्ते में नोंकझोक या तनाव का आ जाना स्वाभाविक है. लेकिन जब आप को लगे कि आप उक्त रिश्ते में घुटन और जिल्लत महसूस कर रहे हैं, तब सोचने की जरूरत है.

अकसर देखा जाता है कि इंसान ऐसी स्थिति में खुद को ही बहलाने लगता है. पार्टनर की गलतियों पर परदा डालते हुए खुद को ही समझाने लगता है कि ‘अरे, तो क्या हो गया अगर उस ने गुस्से में दो बातें बोल ही दीं तो या मैं तो इसी लायक हूं,’ जैसी बातें उसे हिंसक व्यवहार करने को बढ़ावा देती हैं.

साथी अगर जरूरत से ज्यादा कंट्रोलिंग हो तो अपनी गलती मनाने के बजाय वह खुद को ही सम?ाता है कि यह तो उस का नेचर है और वह गलत नहीं है. हालांकि सच इस से उलट होता है. इसलिए समय रहते ऐसे रिश्ते से बाहर निकल जाने में ही भलाई है. हालांकि टौक्सिक रिश्ते से बाहर निकलना आसान नहीं है.

टौक्सिक रिलेशनशिप से बाहर निकलना मुश्किल क्यों ?

काउंसलर डा. तेजस्विली कुलकर्णी के मुताबिक, टौक्सिक रिलेशनशिप हमेशा टौक्सिक नहीं होता है. एक टौक्सिक रिलेशनशिप में पूरा समय बुरा व्यवहार या यातना भर नहीं होता है, बीच में अच्छे पल, प्यारभरे पल, भावनात्मक पल, प्रशंसा के पल भी होते हैं. कभीकभी उन अच्छे अनुभवों और भावनात्मक पल के कारण हमारे दिमाग को रिलेशनशिप की आदत हो जाती है.

लड़ाई के बाद जब पार्टनर दो मीठे बोल कह दे तो एक उम्मीद पैदा होती है कि वह बदल गया है और अब सब ठीक है. लेकिन यह मात्र एक भ्रम है, असल में वह बदला नहीं होता है.

अकेलेपन का डर भी एक कारण है कि ऐसे टौक्सिक रिलेशनशिप में रहने को मजबूर होते हैं आप. आप टूटने और अकेले रहने के बदले बुरे रिश्ते में रहना चुन लेते हैं. अगर आप को पता हो कि आप का परिवार और दोस्त आप के साथ हैं तो टौक्सिक रिलेशनशिप से बाहर निकलना आसान हो जाता है.

टौक्सिक रिश्ते से बाहर कैसे निकलें ?

पहले तो आप को यह स्वीकार करना होगा कि आप का पार्टनर बदला नहीं है, बल्कि बदलने और अच्छे बनने का नाटक कर रहा है. इसलिए कभी भी उस की गलतियों को कवर-अप करने की गलती न करें. माना कि हम सामने वाले को नहीं बदल सकते लेकिन अपना रास्ता तो बदल सकते हैं न? इसलिए भावना में बह कर उस की गलतियों पर परदा मत डालिए, बल्कि खुद के रास्ते अलग कर लीजिए क्योंकि इसी में आप की भलाई है.

वैसे, जहां तक हो सके रिश्ते को सुधार लेना सही है. लेकिन अगर आप का पार्टनर ही सुधरना नहीं चाहता और सोचता है वह अपनी जगह सही है तो फिर अपना अलग रास्ता चुन लें.

अपना आत्मसम्मान अपने हाथ

आप अपने पार्टनर से बहुत प्यार करती हैं तो इस का यह मतलब थोड़े ही है कि वह जैसे चाहे आप को जलील करे? आप को पहले खुद से प्यार करना सीखना होगा. आप किसी को भी यह अधिकार न दें कि वह जैसे चाहे आप के साथ बरताव करे और बदले में आप चुप रहें. आप के आत्मसम्मान को हर्ट करने का किसी को भी हक नहीं बनता.

अगर आप को किसी भी चीज से ठेस पहुंचती है या नकारात्मक असर हो तो उस से खुल कर कहें. खुद के लिए स्टैंड लें. जब आप अपनी सैल्फ रिस्पैक्ट और सैल्फ लव पर ध्यान देंगी तो खुदबखुद टौक्सिक रिश्ते से बाहर आने की हिम्मत आ जाएगी.

जब हम प्यार में होते हैं तो भौतिक चीजों या आर्थिक पक्षों पर ज्यादा ध्यान नहीं देते हैं. जबकि रिश्तों में दरार की बहुत बड़ी वजह आर्थिक मसले भी होते हैं. श्रद्धा और आफताब के बीच ?ागड़े की वजह आर्थिक मसले भी थे. उन के बीच आएदिन इस बात को ले कर भी ?ागड़े होते थे कि घर का समान कौन खरीदेगा.

जिंदगी न मिलेगी दोबारा

हर इंसान को जिंदगी एक बार ही मिलती है. इसीलिए उसे भरपूर हंसते हुए जी लेना चाहिए. इस डर से घुटघुट कर न मरते रहें कि अगर रिश्ता टूट गया तो आप कैसे जिएंगी? बल्कि यह सोचें कि एक टौक्सिक रिश्ते में रहने से अच्छा आप अकेली खुशीखुशी जी सकेंगी और वहां कोई आप को टौर्चर करने वाला नहीं होगा.

एक्सपर्ट की सलाह लें

टौक्सिक रिलेशनशिप में रहना न सिर्फ आप के निजी जीवन को बल्कि आप के प्रोफैशनल लाइफ पर भी बुरा असर डालता है. इसलिए यह जरूरी है कि ऐसे टौक्सिक रिश्ते से छुटकारा के बारे में सोचने से पहले किसी विशेषज्ञ की सलाह ले लें. बहुत सारे रिलेशनशिप काउंसलर होते हैं जो दोनों पक्षों की बात सुन कर कमजोर पहलुओं की ओर ध्यान देते हैं.

कैसे रखें अपना खयाल ?

रिश्ता चाहे कैसा भी हो, टूटने का दर्द तो होता ही है. लेकिन यहां आप को अपनी भावनाओं पर काबू रखना होगा. रिलेशनशिप एक्सपर्ट की मानें तो ऐसे रिश्ते से अगर निकलना ही एकमात्र तरीका बचे तो सब से पहले अपनी भावनाओं पर काबू पाना बेहद जरूरी हो जाता है. किसी भी रिश्ते में खुश रहने के लिए सब से पहले खुद को समय देना, खुद से प्यार करना जरूरी होता है. कई बार पार्टनर पर जरूरत से ज्यादा निर्भरता हमें कमजोर बना देती है. इसलिए पार्टनर पर निर्भरता को कंट्रोल करें.

सोशल मीडिया डिटौक्स हों

एक्सपर्ट कहते हैं कि ऐसे समय में सोशल मीडिया से ब्रेक लेना सही फैसला है क्योंकि यह आप को उन दुखों और बुरी यादों की ओर धकेल सकता है. यह केवल आप की भावनाओं को आहत करने वाला है. ऐसे में इस से ब्रेक लेना सब से अच्छा काम है.

अपना खयाल रखें

आप को पता है कि आप से बेहतर आप का खयाल कोई नहीं रख सकता. अपना खयाल रखना हीलिंग का काम करेगा, खासकर उस समय जब आप स्ट्रैस में हैं. अच्छे स्वास्थ्य के लिए सही पोषक तत्त्व और अच्छी नींद लेना बहुत जरूरी है.

अपने परिवार व दोस्तों से मिलें

अपनों के आसपास होने से न केवल आप को अच्छा महसूस होगा, बल्कि यह आप के दुखों को भी कम करने में मदद करेगा. आप चाहें तो उन के साथ कहीं पिकनिक पर भी जा सकती हैं. यह आप के मानसिक स्वास्थ्य के लिए बेहतर होगा.

अपनी पसंद का काम करें

रिलेशनशिप एक्सपर्ट कहते हैं कि हम सभी में कोई न कोई हौबी होती है जिसे हम करना पसंद करते हैं. अपनी पसंद का काम हमें जीवन में स्फूर्ति देता है. ऐसा करने से आप के मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होगा और आप पुरानी बातों को भूल पाएंगी.

डायरी लिखें

डायरी लिख कर आप अपने विचारों और भावनाओं को बाहर निकाल सकती हैं. आप के दिमाग में जो कुछ भी चल रहा और जिसे आप किसी के साथ शेयर नहीं कर सकतीं, उसे डायरी में लिखें. डायरी लिखना आप के तनावमुक्त करने में मदद कर सकता है.

इस बात को समझाना बहुत जरूरी है कि किसी भी रिश्ते को तोड़ना इतना आसान नहीं होता. लेकिन जब रिश्ते डसने लगें तो उस से अलग हो जाना ही बेहतर है और कहते हैं न, जो बीत गई सो बात गई. टौक्सिक रिश्तों को भुला कर अब आगे बढ़े और खुश रहें.

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