इन दिनों फिल्म ‘गदर 2’ में तारा सिंह की बहू मुसकान का किरदार निभा कर सुर्खियों में छाई हुई अभिनेत्री
सिमरत कौर इस से पहले दक्षिण भारत में ‘बी’ ग्रेड की ‘प्रेमथो मी कार्तिक’ (2017), ‘परिचयम’ (2017) और ‘सोनी'(2018) जैसी फिल्मों में अभिनय कर दर्शकों का दिल जीत चुकी हैं. लेकिन 2019 में प्रदर्शित तेलुगु भाषा की कामुक, रोमांटिक व रोमांचक फिल्म ‘डर्टी हरी’ में अभिनेता श्रवण रेड्डी के साथ अंतरंग दृश्यों को निभा कर शोहरत के साथ ही आलोचनाओं का भी शिकार हुईं. इसी वजह से उन्होंने कभी बौलीवुड से जुड़ने का सपना भी नहीं देखा था.

लेकिन उन की मेहनत ने उन्हें फिल्म ‘गदर 2’ से बौलीवुड की हीरोइन बना दिया. इस से वे काफी उत्साहित हैं.

पेश हैं, सिमरत कौर से हुई ऐक्सक्लूसिव बातचीत के अंश…

आप ने अभिनय को कैरियर बनाने की बात कब सोची?

मेरी परवरिश मुंबई ही हुई है. मेरे मातापिता हैं, बड़ी बहन हैं. मेरे पिता अभी अवकाशप्राप्त जिंदगी गुजार रहे हैं. पहले उन की किताबों की दुकान थी. मिलिट्री व केंद्रीय विद्यालय में किताबें सप्लाई किया करते थे. मेरे दादाजी नेवी में थे. मैं ने कंप्यूटर विषय के साथ बीएससी किया है. मैं स्पोर्ट्स से जुड़ी हुई थी. अभिनय में मेरी कभी दिलचस्पी नहीं थी. 2017 में मुझे कैडबरी के प्रिंट विज्ञापन का औफर मिला, तो मैं ने कालेज के दिनों में ‘पौकेट मनी’ मिल रही है, सोच कर कर लिया था. फिर एक दिन ‘प्रेमाथो मी कार्तिक’ के कास्टिंग डाइरैक्टर ने मुझे इंस्टाग्राम पर देख कर संपर्क किया था. पर मैं ने उन से साफसाफ कह दिया था कि अभिनय में मेरी कोई दिलचस्पी नहीं है. पर बाद में उन्होने मेरी मां रंजीत कौर से बात कर उन्हें राजी कर लिया.

मां के कहने पर मैं ने यह फिल्म की। उस वक्त मेरी उम्र 17 साल थी. मेरी मां खुद मुझे ले कर हैदराबाद गईं। हैदराबाद में मेरा औडिशन लिया गया. तब तक मुझे बिलकुल एहसास नहीं था कि मेरे अंदर अभिनय के गुण हैं. मगर मैं ने औडिशन दिया और उस फिल्म के लिए मेरा चयन हो गया. पर जब मुझे बताया गया कि मुझे तेलुगु के संवाद बोलने हैं, तो मैं ने उन से कह दिया कि मेरे बस की बात नहीं है. मैं उत्तर भारतीय लड़की हूं, मुंबई में पलीबङी हूं. इसलिए हिंदी, पंजाबी और मराठी ही बोल सकती हूं. पर उन्होंने मुझे तेलुगु सिखाने की बात की. मेरे लिए तेलुगु बोलना बहुत कठिन था. मैं ने 1 माह तक रोते हुए शूटिंग की. मैं बारबार कह रही थी कि मुझे मुंबई अपने घर जाना है.

खैर, इस 1 माह के दौरान मुझे कैमरे के सामने जाने पर मजा आने लगा. पहले मैं कैमरे से ही घबराती थी पर अब मैं कैमरे के सामने जाने पर घबराती नहीं जबकि इस की स्क्रिप्ट व संवाद को ले कर मेरी काफी समस्याएं थीं. मैं तेलुगु के संवाद रटरट कर बोल रही थी. इस फिल्म की शूटिंग पूरी होने में 1 साल लगा
और तब मुझे एहसास हुआ कि मेरे अंदर अभिनय के गुण थे। मैं इस बात को ले कर खुश हूं कि मुझे मेरे मातापिता का शुरुआती दिनों से ही सहयोग मिला.

स्पोर्ट्स में आप किस खेल से जुड़ी हुई थीं?

मैं कराटे ब्लैकबेल्ट हूं. मैं ने कराटे की विश्व प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया है. कुछ प्रतियोगिताएं जीती हैं. मैं गोल्ड मैडलिस्ट भी हूं. इस के अलावा मैं कराटे सिखाती भी हूं. मैं ने 2 साल तक कुछ लोगों को कराटे की ट्रैनिंग भी दी है. इस के अलावा मैं 100 मीटर और 200 मीटर की दौड़ का हिस्सा रही हूं. तो मैं स्पोर्ट्स में बहुत अलग क्षेत्र में थी और अचानक ग्लमैर वर्ल्ड यानी कि अभिनय जगत में आ गई.

कहा जाता है कि हर लड़की को आत्मरक्षा यानि सैल्फ डिफैंस के लिए कराटे सीखना चाहिए. आप क्या कहती हैं?

लोग ऐसा सोचते हैं. मैं ब्लैक बैल्टधारी हूं इसलिए मेरे इलाके में सभी मुझ से डरते बहुत थे. सच यह है कि मैं ने 7 साल की उम्र से ही कराटे सीखना शुरू किया था. उस वक्त मुझे ज्यादा समझ नहीं थी. पर मां ने कहा तो सीखना पड़ा. 11 साल की उम्र में मैं ने नेपाल जा कर पहली बार कराटे प्रतियोगिता में हिस्सा लिया था. इस प्रतियोगिता में भारत से 23 बच्चे गए थे. हम वहां से ब्राउंज मैडल जीत कर आए थे. मैं भारत की एकमात्र लड़की थी, जो जीत कर आई थी, बाकी 22 बच्चे को कामयाबी नहीं मिली थी।

उस के बाद मुझे लगा कि कराटे सिर्फ लड़कियों को ही नहीं लड़कों को भी सीखना चाहिए. कराटे सीखने पर आप को अपने शरीर पर कंट्रोल करना आ जाता है. गुस्सा आने पर भी आप उस गुस्से पर काबू कर सकते हैं, अपने जज्बातों पर भी कंट्रोल कर सकते हैं. जिंदगी में अनुशासन आ जाता है. इसी के साथ कराटे से आप आत्मसुरक्षा कर सकते हैं. मेरी राय में लड़कियां कमजोर नहीं होतीं.

इस 1 साल के दौरान आप ने क्याक्या सीखा?

-देखिए, मैं स्पोर्ट्स में थी इसलिए टौमबौय वाली मेरी कार्यशैली थी. लड़कियों की तरह चलना, लड़कियों की तरह बात करना मेरे अंदर था ही नहीं. इस की वजह से सब से पहली कठिनाई साड़ी पहनने में आई फिर कानों की बालियां पहनने में. साड़ी पहनने के बाद हमें एक अलग ही लहजे में उठनाबैठना होता है. 1 साल में मैं ने यह सब ज्यादा सीखा. संवाद की प्रैक्टिस करना, लड़कियों की तरह के लुक में खुद को ढालना वगैरह. शुरुआत के 1-2 माह में तो लगा था कि मुझे यह अभिनय वगैरह छोड़ कर मुंबई भाग जाना चाहिए. दक्षिण में शूटिंग करना मुझ से हो ही नहीं रहा था. हमें तेलुगु भाषा के संवाद बोलने होते थे. यह भाषा मुझे नहीं आती थी. हम संवाद रटते थे और निर्देशक के ‘ऐक्शन’ कहने पर कैमरे के सामने बोल देते थे. कई बार निर्देशक के ऐक्शन बोलते ही मैं संवाद भूल जाती थी. मैं पूरी तरह से ब्लैंक हो जाती थी. धीरेधीरे मैं सामने वाले कलाकार के चेहरे के भावों से कुछ समझने लगी थी.

अनिल शर्मा निर्देशित फिल्म ‘गदर 2’ से कैसे जुङीं?

सच तो यह है कि मैं ने सपने में भी बौलीवुड से जुड़ने की बात नहीं सोची थी. मेरे अंदर आत्मविश्वास ही नहीं था कि मैं बौलीवुड फिल्मों में हीरोइन बन सकती हूं. मेरे पास ‘गदर 2’ के लिए औडीशन भेजने का संदेश आया था, पर मैं ने इसलिए नहीं भेजा कि मुझे ‘गदर 2’ जैसी फिल्म कहां से मिलने वाली.

एक दिन मुझे कास्टिंग डाइरैक्टर मुकेश छाबड़ा के कार्यालय से फोन पर औडीशन का संदेश आया और मैं ने फोन पर औडीशन भेज दिया. फिर मुझे अगले औडीशन के लिए पालमपुर, हिमाचल प्रदेश जाने के लिए कहा गया. मैं वहां लुक टेस्ट के लिए गई पर वहां पर भी मोबाइल पर ही टेस्ट हुआ. फिर मैं मुंबई वापस आ गई और 20 दिनों तक टीम से कोई जवाब नहीं मिला.

उस के बाद मुंबई में अनिल शर्मा के औफिस में मेरे 3-4 औडिशन लिए गए. इधर मेरे औडिशन हो रहे थे, उधर मैं सुन रही थी कि ‘गदर 2’ के लिए नई लड़की की तलाश हो रही है. इसलिए मैं कुछ निराश भी थी. एक दिन मैं ने हिम्मत जुटा कर अनिलजी से पूछ लिया कि माजरा क्या है? तब उन्होंने सब से पहले मुझे मिठाई खिलाई और कहा कि तुम्हारा चयन हो गया है. घर जाओ और आज रात ठीक से सो जाओ. मैं ने जा कर अपनी मां को बताया. 3 दिन बाद जब मैं ने अपनी बड़ी बहन को यह सूचना दी, तब मुझे वास्तव में एहसास हुआ कि ‘गदर 2’ के लिए मेरा चयन हो गया है.

आप के मन में ‘गदर 2’ को ले कर हौआ क्यों था?

इस की मूल वजह यह थी कि मैं गैर फिल्मी परिवार से हूं. मतलब मेरा या मेरे परिवार के किसी भी सदस्य का बौलीवुड से कोई नाता नहीं रहा है. मैं अपने खानदान की पहली लड़की हूं जोकि फिल्म इंडस्ट्री से जुड़ी हूं। ‘गदर 2’ बहुत बड़ी फिल्म है. तो स्वाभाविक तौर पर इस में कोई न कोई स्टारकिड ही रहेगा. अथवा किसी मशहूर कलाकार को लेंगे. वे एक नई लड़की को तो फिल्म के साथ नहीं जोड़ेंगे. फिर मुझे साइड करैक्टर या दोस्त का किरदार नहीं निभाना था. मेरे मन में कई विचार चल रहे थे.

ऐसे में जब ‘गदर 2’ में हीरोइन का किरदार मिला, तो मुझे लगा कि मुझ से ज्यादा खुश कोई नहीं हो सकता. अब जबकि ‘गदर 2’ अगस्त महीने में प्रदर्शित होने वाली है, तो मेरा आत्मविश्वास बढ़ गया है.

फिल्म ‘गदर 2’ के किरदार के बारे में बताएं?

मैं ने इस में मुसकान का किरदार निभाया है, जो हमेशा मुसकराती रहती है. अपने मातापिता की प्यारी है. मैं इस से अधिक अभी नहीं बता सकती. मगर मुसकान ‘गदर 2’ की नई सदस्य है. इस फिल्म के तारा सिंह, सकीना व जीते से तो सभी परिचित हैं. इन किरदारों से भारत की जनता को बहुत प्यार है. मगर अब ‘गदर 2’ में एक नई लड़की मुसकान आ रही है। इसे भी लोगों का प्यार मिलेगा, ऐसी मुझे उम्मीद है. मुसकान का किरदार फिल्म में बहुत महत्त्वपूर्ण है.

मुसकान के किरदार में खुद को ढालने के लिए आप ने किस तरह की तैयारी की?

देखिए, फिल्म की कहानी 1971 की पृष्ठभूमि की है. तो मुसकान भी 1971 की लड़की है. इत्तिफाक से मुझे अभिनेत्री बनने से पहले से ही पुरानी फिल्में देखना, पुराने गाने सुनने का शौक रहा है. मैं 40-50 के दशक की फिल्में देखती रही हूं. मैं ने मीना कुमारी, नूतन, मधुबाला, वैजयंती माला की फिल्में काफी देखी हैं. तो मुझे पता है कि उस वक्त की लड़कियां किस तरह की होती थीं. उन का पहनावा, बोलचाल की समझ थी.1971 में लड़कियां दब्बू नहीं थीं. वे स्मार्ट थीं. सर ने कहा कि लड़की 1971 की होते हुए भी मौडर्न है. उस वक्त लड़कियां कौनवैंट में इंग्लिश माध्यम से पढ़ाई करती थीं.

इस के अलावा मैं ने 1 माह की कत्थक नृत्य की ट्रेनिंग ली. वास्तव में 1971 की लड़कियों में ग्रेस बहुत हुआ करता था. उन के बात करने के तरीके, हाथपैर हिलाने आदि में ग्रेस बहुत हुआ करता था और कत्थक नृत्य से ग्रेस आता है.

मुसकान का किरदार निभाते हुए आप ने निजी जीवन के अनुभवों का उपयोग किया?

देखिए, मुसकान के किरदार में मेरी निजी जिंदगी के अनुभव भी काफी हैं. मुसकान की ही तरह मैं यानि कि सिमरत कौर भी अपने मातापिता की लाड़ली है. मैं सब से छोटी बेटी हूं, तो मुझे पता है कि जब आप घर में लाड़ली हो तो किस तरह अपनी बात मनवा सकते हो. वही मैं ने मुसकान का किरदार निभाते हुए उपयोग किया. इस के अलावा हंसमुख लड़की और फिल्मों की दीवानी बनाया मुसकान को.

कत्थक नृत्य सीखने पर उस की क्या उपयोगिता नजर आई? कत्थक नृत्य की तालीम अभिनय में किस तरह से मदद करती है?

कत्थक नृत्य सीखने से चाल में एक लचकपन आ जाता है, जोकि हर लड़की में होनी चाहिए. उस दौर की लड़कियों में यह खूबी कुदरती थी. 70-80 के दशक की हीरोइन में आप देखिए कितना ग्रेस था. कत्थक नृत्य करने के बाद मेरे हाथ हिलाने व मेरी चाल में अंतर आ गया.

इस के अलावा अब हम हर शब्द पर अपनी आंखों व आंखों की भौहों से भाव व्यक्त कर लेतेे हैं. चेहरे, मुंह और आंखों से शरारत करना आ गया.

आप ने कुछ म्यूजिक वीडियो भी किए हैं?

जी हां, मैं ने कुछ पंजाबी म्यूजिक वीडियो काफी पहले किए थे. पर इन में नृत्य नहीं करना था. जैसाकि मैं ने पहले ही कहा कि मैं गैरफिल्मी परिवार से हूं, तो मेरे लिए संघर्ष ज्यादा था. मेरे लिए जरूरी था कि मैं कुछ काम करती रहूं और लोगों की नजरों में आती रहूं. उस वक्त हम ने म्यूजिक वीडियो यह सोच कर किए थे कि 10 जगह काम करेंगे, तो 10 अलगअलग तरह के लोगों की नजरों में आएंगे. मुझे यहां तक पहुंचने के लिए बहुत संघर्ष करना पङा. मुकेश छाबड़ा ने भी मुझे किसी म्यूजिक वीडियो में या कहीं और देखा होगा, तभी उन्होंने मुझ से संपर्क कर ‘गदर 2’ के लिए औडीशन देने को कहा तो तेलुगु फिल्में व पंजाबी म्यूजिक वीडियो करतेकरते इस मुकाम तक पहुंची हूं. पर मैं संघर्ष भूल नहीं सकती. फिल्म ‘गदर 2’ के ट्रेलर लांच के वक्त मेरी आंखों के सामने 15 सैकंड में ही घूम गया था और मेरी आंखों से आंसू निकल आए थे.

तेलुगु फिल्म ‘डर्टी हरी’ के आप के अंतरंग दृश्यों को ले कर काफी कुछ कहा जा रहा है?

जी हां, मुझे पता है. मैं एक कलाकार हूं और इस तरह की बातें तो मुझे आजीवन सुननी पड़ेंगी जिन्हें दूसरों को ट्रोल करने में मजा आता है, वह तो हमेशा अवसर की तलाश में रहते हैं. यह व्यवसाय का एक हिस्सा है. आज किसी चीज के लिए, कल किसी और चीज के लिए. मैं ने ट्रोलिंग को नजरंदाज कर ‘गदर 2’ पर ध्यान केंद्रित करने का फैसला किया. मेरे लिए ‘गदर 2’ का हिस्सा बनना मेरे आसपास किसी भी तरह की नकारात्मकता से कहीं बड़ा है. मुझे उम्मीद नहीं है कि लोग रातोंरात मेरे बारे में अपने विचार बदल देंगे.

हर किसी की एक अलग राय होती है. लोग इसे व्यक्त करने के लिए उत्तरदायी हैं. मैं एक संवेदनशील और भावुक लड़की हूं. जब मैं अभिनेत्री नहीं थी, तब भी मैं दूसरों को जज करती थी और सोशल मीडिया पर अपनी राय व्यक्त करती थी. लेकिन मैं जानती हूं कि जब हम कुछ अभद्र टिप्पणी करते हैं, तो इस से दूसरे व्यक्ति को ठेस पहुंच सकती है. इसलिए मैं सोशल मीडिया पर अपने विचार व्यक्त करने से पहले हमेशा समझदार रही हूं.

वास्तव में एक महिला अभिनेत्री को इस तरह की ट्रोलिंग का सामना करना पड़ता है क्योंकि लोग हमेशा
सुंदरता के बारे में बात करते हैं. लोग इस की ओर आकर्षित होते हैं. मेरा मानना है कि महिलाएं खूबसूरत होती हैं. आज ही नहीं बल्कि 100 साल पहले भी हरकोई महिलाओं के बारे में बात करता था. आज से 100 साल बाद भी वह हमारे बारे में बात करेंगे. मुझे लगता है कि महिला होना गर्व की बात है क्योंकि आप के बारे में हमेशा बात की जाएगी.

इन दिनों ओटीटी पर काफी कलाकार काम कर रहे हैं. आप भी करना चाहेंगी?

मैं किसी भी मीडियम में काम करने के लिए तैयार हूं, बशर्ते किरदार अच्छा हो. मैं मजबूत स्क्रिप्ट की तलाश में रहती हूं, जिस में अच्छी विषयवस्तु हो.

अब कंटैंट प्रधान सिनेमा का जोर है. किस तरह के किरदार निभाना चाहती हैं?

मैं एक खिलाड़ी की भूमिका निभाना चाहती हूं क्योंकि मैं ने राष्ट्रीय स्तर पर कराटे चैंपियनशिप में भाग लिया है. मैं किसी बायोपिक में अपना किरदार निभाना पसंद करूंगी.

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