जो काम रूस के व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन पर हमला कर के सारे यूरोप और दक्षिणपूर्व एशिया, जापान, आस्ट्रेलिया को एक कर के कर दिखाया वही भारत में हो रहा है. अपनी ताकत दिखाने के चक्कर में पुतिन ने रूस को यूक्रेन से युद्ध करने में झोंक दिया और उन की परेशानी यह रही कि वहां वोलोडिमिर जेलेंस्की जैसा पूर्व कौमेडियन नेता रातोंरात एक हिम्मती सैनिक जनरल बन गया. आज यूरोप के वे देश, जो नाटो संगठन में रूस को नाराज करने के डर के कारण हिचक रहे थे, नाटो हैडक्वार्टर्स के सामने अप्लीकेशन लगाए खड़े हैं.

भारत में चक्रवर्ती बनने के चक्कर में भारतीय जनता पार्टी के मोदीशाह (नरेंद्र मोदी और अमित शाह) ने हरियाणा, मध्य प्रदेश, गोवा, कनार्टक में तोडफ़ोड कर के सरकारें बनाईं. इन सरकारों ने काम तो कुछ नहीं किया पर यह सबक पढ़ा दिया कि ईडी, सीबीआई के बड़े फायदे हैं. और ईडी, सीबीआई का खेल पश्चिम बंगाल व महाराष्ट्र में खेला भी गया. फिलहाल महाराष्ट्र में भाजपा के साथ शिवसेना के एकनाथ शिंदे और नैशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी के अजित पवार का ताज़ा गठबंधन सत्ता में है लेकिन यह गठजोड़ कितने समय तक चलेगा, कुछ पता नहीं.

सब से बड़ी आफत हुई है मणिपुर जैसे छोटे से पूर्व के सुदूर राज्य में जहां भाजपा समर्थक मैत्री समुदाय ने ईसाई बहुल कुकी को समाप्त करने का बीड़ा उठाया और इंफाल घाटी के गांवोंशहरों में उन पर हमले शुरू कर दिए. पहाड़ी कुकी बदले में हिंसा पर उतर आए और नतीजा यह है कि 4 महीने से मणिपुर जल रहा है और हजारों घर जला दिए गए हैं.

अब दुनियाभर में भारत सरकार की थूथू हो रही है. जब जी-20 की अध्यक्षता का ढिंढोरा पीटने का मौका मिला तो पता चला कि वहां से तो कुकी बचाओ, अल्पसंख्यक बचाओ के नारे निकले जो दुनियाभर में गूंजने लगे हैं.

पहले कर्नाटक विधानसभा चुनाव, फिर पश्चिम बंगाल पंचायतों के चुनावों में बुरी हार के बाद विश्व पटल पर भाजपा और नरेंद्र मोदी की जो आलोचना हो रही है उस ने भक्तों का मुंह बंद करना शुरू कर दिया है. उत्तर प्रदेश में बुलडोजर चलने कम हो गए हैं. सडक़ों पर गौरक्षकों के आतंक के समाचार कम हो गए हैं. यहां तक कि भाजपाइयों ने अब धर्म प्रचारक से संबंधित विज्ञापन प्रकाशित कराने बंद कर दिए हैं.
मोदी सरकार अब रोजगार देने वाले, चंद्रयान, सस्ते खाने के विज्ञापन दे रही है, पहले इस घाट या उस धार्मिक कौरिडोर या फलां मूर्ति स्थापना के विज्ञापन होते थे. अब न बात गंगा आरतियों की हो रही है न पटेल के स्टैचू की. न देशवासी पूरी तरह इन के कायल हुए हैं, न ही दुनिया वाले.

भारत की आर्थिक प्रगति ठीकठाक है तो इसलिए कि हम दुनिया के सब से ज्यादा जनसंख्या वाले देश हैं न कि हमारे नागरिक अमीर हैं. हमारे धन्ना सेठ अंबानीअडानी अमीर हैं पर आम भारतीय पूजापाठ के अलावा कोई हुनर नहीं जानता. यूरोपीय पार्लियामैंट ने बहुत सी बातें नहीं कही हैं पर उस ने जो प्रस्ताव पास किया उस का लब्बोलुआब यही है कि मोदी जी फ्रांस में आप का स्वागत है पर आप जो अपने देश में कर रहे हैं वह सही नहीं है. आप अल्पसंख्यक नागरिकों को हिंदू न होने के कारण प्रताड़ित या दंडित नहीं कर सकते. यह बात सारे अमीर देशों में गूंज रही है. उन देशों तक में भी जहां भारतीय मूल के लोग शासन की बागडोर संभाल रहे हैं.

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