कीया को आज अमर की याद आ गई थी. अमर के साथ बिताया वक्त वह भूल नहीं पाई थी लेकिन उसे भूल जाना ही अच्छा था.

क्रौ सिंग पर लालबत्ती यानी ठहरने का सिग्नल होने से पहले ही कीया अपनी गाड़ी निकाल लेना चाहती थी. लेकिन उसी क्षण रैड सिग्नल हो गया, गाड़ी रुक गई और उस के पीछे वाहनों की लंबी कतार. कीया ने अनुभव किया, जब कभी भी वह डेली रूटीन में 2-4 मिनट की चूक करती है, उसे मंजिल तक पहुंचने में देर हो जाती है, ‘लेट लतीफ’ का टाइटल कीया ने दूसरों के लिए संजो रखा है, वह तो ‘मिस राइट टाइम’ के नाम से जानी जाती है.

ट्रैफिक में फंसी कीया की नजर अपनी ही कंपनी द्वारा प्रायोजित एक होर्डिंग पर पड़ी जिस में दूधिया सफेदी लिए एक बच्ची साबुन का विज्ञापन कर रही है, जिस के नीचे लिखे स्लोगन पर कीया के अपने व्यक्तित्व की छाप है, ‘सुबह की कच्ची धूप भी काफी होती है उजाले के लिए. पर तुम तो पूरा सूरज ही उतार देती हो.’

दरअसल, यह स्लोगन अमर ने कीया के संदर्भ में कहा था. दोनों की पहली मुलाकात कुछ कम रोचक नहीं थी.

उस दिन थिएटर के हौल में अंधेरा था. परदे पर गब्बर दहाड़ रहा था, ‘अरे ओ सांभा, कितना मैल था कपड़ों में?’

बदले में सांभा मिमिया रहा था. मैल और साबुन की फाइटिंग चल रही थी, इतने में कोई अजनबी कीया के कानों में फुसफुसाया. रोशनी होने पर उस ने बड़ी ही शालीनता से अपना परिचय दिया, ‘मैं अमर हूं. आप की ही एड कंपनी में पोस्ंिटग हुई है मेरी.’

कीया की अजनबी आंखों में पहचान उभारने के लिए वह आगे भी बोल रहा था, ‘आप से मेरा परिचय नहीं हुआ, पर मैं आप को पहले से ही जानता हूं. बौस आप की बेहद तारीफ करते हैं. क्या आप वाकई उतनी फंटास्टिक वर्कर हैं?’

अमर का शरारती अंदाज कीया को भा गया. मूवी के बाद उस ने कीया को अपनी क्रेटा में साथ चलने का आग्रह किया.

‘ओह सौरी, मेरी गाड़ी सामने ही खड़ी है,’ कीया ने मना करते हुए कहा.

‘उसे बाद में मंगवा लेंगे. हमारी मंजिल एक है, मंसूबे भी एक ही होने चाहिए. आप कंपनी के सेवेंथ ब्लौक में रहतीं हैं न? मु?ो भी वहीं फ्लैट एलौट हुआ है,’ अमर कहने लगा.

कीया को थोड़ी उल?ान होने लगी.

इस बीच अमर आगे बोला, ‘आप को सचमुच अपनी गाड़ी की फिक्र है या आप किसी अजनबी पुरुष के साथ जाना नहीं चाहतीं?’

कीया को लगा अमर के इस वाक्य ने संपूर्ण नारी जाति को चुनौती दे दी है. अगले ही पल अमर कंपनी की मार्केटिंग एग्जीक्युटिव औफिसर मिस कीया के लिए अपनी क्रेटा कार का दरवाजा खोल रहा था. रास्ते में कीया ने जाना कि अमर ने अमेरिका स्थित हार्वर्ड से बिजनैस मैनेजमैंट की डिगरी हासिल की है और यहां मैनेजिंग डायरैक्टर के पद पर उस की पोस्ंिटग हुई है. कंपनी द्वारा बिजनैस कंसलटैंसी की शिक्षा देने के लिए संचालित ट्रेनिंग सैंटर में अकसर अमर के लैक्चर होते रहते हैं.

काम के प्रति लगन और दायित्वबोध ने कुछ ही दिनों में अमर और कीया के रिश्ते को जहां प्रगाढ़ किया, वहीं उन का कैरियर बुलंदी को छूने लगा. यह खुशी अमर कीया के साथ किसी फाइवस्टार होटल में सैलिब्रेट करना चाहता था, पर कीया ने बिना बताए, पहल कर के होटल में टेबल बुक करवा ली. डिनर के बाद अमर ने हमेशा की तरह कार का दरवाजा खोला, तो थैंक्स कहने के बजाय कीया चुपचाप जा कर कार सीट पर बैठ गई. उस की बगल में बैठे अमर के कानों में अपने मित्रों के शब्द गूंज रहे थे, ‘देखो तो, कैसे मर्द बनने की कोशिश कर रही है.’ पर दूसरे ही पल प्रशंसाभरी नजरें उस पर उकेर कर बोला, ‘कीया, तुम्हारा स्टाइल गजब का है. तुम्हारी पलकें गजब की हैं.’

कीया बदले में मुसकराने लगी.

‘तुम कहीं कोई बिजनैस मैनेजमैंट कोर्स क्यों नहीं जौइन कर लेतीं?’

‘क्यों?’
‘अरे बाबा, शादी के बाद घरद्वार संभालना है कि नहीं?’

कीया शरमा गई. उस ने महसूस किया कि अमर उस के प्यार में दीवाना हो रहा है. एक दिन तो हद हो गई जब अमर कह रहा था, ‘कीया, तुम बाल खुले मत रखा करो. दूसरे भी आकर्षित होते हैं.’

‘बस,’ कीया ने खिजाने के लिए कहा.
‘मु?ो द्रौपदी की याद आती है.’

‘वो…वो, उस ने तो पुरुषों को चुनौती देने के लिए बाल खोल रखे थे, पर मैं…मैं… जाने दो… बांध लेती हूं,’ कीया ने ?ोंपते हुए बाल बांध लिए थे.

कभीकभी कीया को लगता कि जैसे अमर के व्यक्तित्व में एक असुरक्षा की भावना पनप रही है, क्योंकि बिजनैस की बात पर बहस करतेकरते अमर अप्रासंगिक बात छेड़ देता. ‘आज की औरत स्वतंत्र नहीं, स्वच्छंद हो गई है.’

सुन कर कीया चिढ़ जाती, ‘तुम्हारे जैसे मर्द, औरत के तन की सुंदरता तो सम?ाते हैं, पर उन की दिमागी श्रेष्ठता को बरदाश्त नहीं कर पाते.’

अमर तमतमा कर उस समय तो चुप हो जाता लेकिन दोचार दिन बाद ऐसी ही किसी बात को ले कर फिर दोनों में बहस छिड़ जाती.

ऐसे ही दिन बीत रहे थे, तभी एकसाथ 2 सुखद घटनाएं घटीं. एक तो अमर को कंपनी द्वारा लंदन टूर पर जाने का औफर मिला, दूसरे कीया को बेस्ट मार्केटिंग का अवार्ड मिला. पर अमर इस खबर में शरीक होने से पहले अपने घरवालों से मिलने अचानक अपने गांव चला गया. कीया को अकेलापन बुरी तरह सता रहा था. उस ने सोचा शायद जाने से पहले अमर कोई मैसेज छोड़ गया हो. उस ने फोन चैक किया तो मैसेज उभरा, ‘जल्दी लौटूंगा. मां चाहती हैं लंदन जाने से पहले मैं शादी कर लूं.’

कीया शरमा गई. उस ने सोचा अमर प्रपोज कर रहा है. वह बेसब्री से अमर की प्रतीक्षा करने लगी. लगभग 2 सप्ताह बाद अमर किसी लड़की के साथ दरवाजे पर खड़ा था.

‘कहां थे अब तक,’ कीया का धीरज जवाब दे रहा था.

‘इन से मिलो, ये हैं रानी.’
इतने में रानी ने आगे बढ़ कर कीया को गले लगा लिया.

‘अरे, अरे, यह क्या कर रही हो?’
‘रानी बहुत अच्छा खाना बना लेती है. आप कहें तो चाय के साथ नाश्ता भी बना लाएगी. आप तब तक अपना अवार्ड दिखाइए,’ अमर ने मुसकराते हुए कहा.

‘कौन है ये, तुम्हारी रिश्तेदार या…?’

‘मां की पसंद है रानी.’

कीया ने जैसे कुछ नहीं सुना. रानी उस की पत्नी है तो क्या अमर गांव शादी करने गया था? लेकिन, कीया ने तो ऐसा नहीं सोचा था, वह तो यही सोचती रही कि अमर उसे प्यार करता है, उस के साथ शादी करना चाहता है.

‘खाना बना देगी, देखभाल करेगी, घर में रहेगी. आखिर हमारा व्यवसाय तो एक ही है. हम अब भी गर्लफ्रैंडबौयफ्रैंड तो रह ही सकते हैं?’

अचानक कीया उठ खड़ी हुई, ‘मिस्टर अमर, हमारा व्यवसाय एक हो सकता है, पर व्यक्तित्व एक नहीं है. मैं नहीं चाहती कि तुम मेरे व्यक्तित्व को व्यवसाय बनाओ. मैं सम?ा गई तुम मु?ो अपनी गर्लफ्रैंड नहीं मिस्ट्रैस बनाना चाहते हो. गेट आउट… गेट लौस्ट,’ कीया दहाड़ रही थी, ‘तुम लोग बुद्धिमान महिला से मिलना तो चाहते हो, पर शादी रसोइए, बावर्चिन से करते हो. बाजार का हिसाबकिताब करती पत्नी तुम्हें अच्छी लगती है, पर शेयर मार्केट का हिसाब अपने कब्जे में रखना चाहते हो.’

अकेले में नाराज कीया को तो अमर कैसे भी मना लेता, पर नवविवाहित पत्नी के सामने वह अपना अपमान बरदाश्त नहीं कर पाया. गुस्से में बोला, ‘आश्चर्य की बात है. आप ने ऐसा कैसे सोच लिया कि मैं आप से शादी करूंगा? आप गलतफहमी की शिकार हुई हैं. जैसा कि महिलाएं अकसर हो जाती हैं. मेरी पत्नी भी एक नारी है. आप उसे रसोइया, बावर्चिन कह रही हैं? आप पुरुषों का तो क्या, नारियों का सम्मान करना भी नहीं जानतीं.’ अमर का स्वर तल्ख हो उठा था.

‘पश्चिम में आप जैसी महिलाओं द्वारा वुमेंस लिबरेशन का दौर चलाया गया था. आप लोग पुरुषों से मिलना तो चाहती हैं मगर समानता के स्तर पर नहीं. आप पुरुषों को हीन बनाना चाहती हैं. घरगृहस्थी दो पहियों पर चलती है. आप लोग दूसरा पहिया बनना नहीं चाहती हैं. मैं 4 साल अमेरिका में रहा हूं. पश्चिम की औरत स्वतंत्र है. मगर आप जैसी महिलाओं की तरह स्वच्छंद नहीं है.’ और पैर पटकते हुए अमर बाहर निकल आया.

गुस्से में कीया ने अपने बालों के रिबन खोल डाले. कभी अमर कहा करता था कि बाल खोल कर वह द्रौपदी सी लगती है, यही सही. पर वह मिस्ट्रैस नहीं बन सकती, कभी नहीं.
अचानक अपनी तंद्रा से बाहर आई कीया ने हरी बत्ती देखी और कार आगे बढ़ा ली.

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