एक बार हम अपने रिश्तेदार की शादी  में शामिल होने के लिए कार से गुहाना गए. हम काफी सारे लोग थे और सभी अपनीअपनी कार से चले. सभी कारें आगेपीछे होने के कारण ठीक से रास्ता पता न होने पर भी हम सही जगह पहुंच गए.
परंतु वापसी के समय काफी रात हो गई और जब चलने लगे तो पता चला कि सभी कारें अभीअभी निकल गईं. बस, हमारी ही कार रह गई. किसी तरह हम वहां से चले परंतु रास्ता न पता होने की वजह से हम भटक गए और ऐसी जगह पहुंच गए जहां पर घर तो बहुत सारे थे परंतु गली अंदर से बंद थी. रात का 1 बज रहा था और हमें समझ नहीं आ रहा था कि हम किधर की तरफ जाएं, किस से पूछें, डर भी बहुत लग रहा था.

तभी पता नहीं कहां से एक व्यक्ति अपनी कार से वहां से जा रहा था. इतनी रात को हमें देख कर रुक गया. जब हम ने उस से रास्ता भूल जाने की बात कही तो उस ने हमें जी टी रोड का रास्ता समझाया, जो काफी मुश्किल था. 

कुछ दूरी पर जा कर फिर अटक गए जहां 2 रास्ते थे. हमें समझ ही नहीं आया कि किधर जाएं परंतु शायद उस व्यक्ति को हमारी समस्या पता चल गई थी कि हम अच्छे से समझ नहीं सके हैं, इसलिए वह कार ले कर आ गया और बोला, ‘‘आप लोग मेरी कार के पीछेपीछे आओ, मैं आप को जी टी रोड तक छोड़ देता हूं.’’ उस ने हमें सही राह दिखाई. हम सभी ने उन सज्जन का बहुतबहुत धन्यवाद किया. आज भी उस सफर की याद आती है तो उस के लिए दिल से अनेक दुआएं निकलती हैं. पूनम जैन, पानीपत (हरियाणा)

हम लोग ग्वालियर से भोपाल आ रहे थे. ट्रेन विदिशा स्टेशन पर रुकी. हमारे सामने वाली सीट पर बैठे अंकल अपनी पत्नी के लिए अमरूद लेने ट्रेन से नीचे उतरे. ट्रेन बहुत कम समय के लिए रुकी थी. ट्रेन धीरेधीरे चलने लगी. अंकलजी अमरूद ले कर दौड़ते हुए चढ़ने लगे. उन का पैर ट्रेन की सीढ़ी से फिसल गया. सब लोग चिल्लाने लगे, ‘‘अरे, अंकलजी गिर गए.’’ आंटीजी भी बहुत घबरा गईं क्योंकि वे खिड़की से उन्हें देख रही थीं. तभी किसी ने ट्रेन की चैन खींच कर गाड़ी को रुकवा दिया.

अंकलजी प्लेटफार्म की दीवार और ट्रेन के बीच सकुशल खड़े थे. किसी ने ट्रेन रुकते ही कहा, ‘‘अरे, अंकलजी तो बिलकुल ठीक हैं.’’ और वहां उपस्थित सभी लोगों के चेहरों पर खुशी छा गई. हम लोग अपनी सीट पर वापस आए, देखा तो आंटीजी बेहोश थीं. हमारे ही कंपार्टमैंट में एक महिला ने ग्लूकोज का पानी उन्हें पिलाया. उन्होंने 2-3 मिनट बाद आंखें खोलीं और अंकलजी को खुद के सामने सुरक्षित पा कर खुश हो गईं.अल्पिता घोंगे, भोपाल (म.प्र.)

और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...