वैसे तो भू-विज्ञान मंत्रालय की अपनी महत्ता हैलेकिन किरेन रिजिजू के हाथ से कानून मंत्रालय छीन लिया जाना बताता है कि मोदी कैबिनेट में उनके कद को छांट कर छोटा कर दिया गया है. किरेन रिजिजू का मंत्रालय अब राजस्थान के बड़े दलित नेता और कई मंत्रालय संभाल चुके अर्जुन राम मेघवाल संभालेंगे. दरअसल, रिजिजू द्वारा सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ बारबार टिप्पणी करना और बारबार सुप्रीम कोर्ट से उलझना प्रधानमंत्री मोदी को रास नहीं आ रहा था. इससे सरकार की छवि भी प्रभावित हो रही थी.

गौरतलब है कि 2 साल पहले रविशंकर प्रसाद को हटाकर किरेन रिजिजू को कानून मंत्री की अहम जिम्मेदारी दी गई थी. इससे पहले वे खेल मंत्री थे. किरेन युवा नेता हैं. जुझारू हैं. खूब खेलते हैं, खूब बोलते हैं मगर सुप्रीम कोर्ट के कलीजियम सिस्टम के खिलाफ उनकी बारबार की जाने वाली टिप्पणियां प्रधानमंत्री मोदी को पसंद नहीं आईं क्योंकि इस वक़्त केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट से किसी टकराव के मूड में नहीं है.

आम धारणा है कि जब सुप्रीम कोर्ट कुछ कहता है तो सरकार उसे सुनती है. पलटवार करने, जवाब देने या कोर्ट के खिलाफ खुलकर कुछ भी बोलने से बचा जाता है. लेकिन हाल के दिनों में कानून मंत्री किरेन रिजिजू मीडिया में आकर और सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर भी जिस तरह सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ तीखी टिप्पणियां कर रहे थे, उसने मोदी सरकार को बहुत असहज कर दिया था.

रिजिजू द्वारा जजों की नियुक्ति और अदालतों के काम करने के तौरतरीकों को लेकर की जा रही टिप्पणियों व हस्तक्षेप ने मोदी सरकार के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी थीं. लिहाजा, सरकार को अपनी छवि बचाने के लिए रिजिजू की बलि लेनी पड़ी.

रिजिजू जजों की नियुक्ति के लिए कलीजियम प्रणाली की खुलकर आलोचना कर रहे थे. उन्होंने आरोप लगाया कि जजों की नियुक्ति की कलीजियम प्रणाली पारदर्शी नहीं है. उन्होंने इसे संविधान से अलग भी करार दिया. अपना विरोध करने वालों के लिए यहां तक कह दिया कि रिटायर्ड जज और ऐक्टिविस्ट भारतविरोधी गिरोह का हिस्सा हैं.

यही नहीं, रिजिजू ने दिल्ली हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज आरएस सोढ़ी के एक इंटरव्यू के कुछ अंश भी सोशल मीडिया पर पोस्ट कर डालेजिन में कहा गया था कि-‘कानून बनाने का अधिकार संसद के पास है और सुप्रीम कोर्ट कानून नहीं बना सकता क्योंकि उसके पास ऐसा करने का अधिकार नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने जजों की नियुक्ति का फैसला कर संविधान का अपहरण कर लिया है.’

इसके अलावा रिजिजू ने सुप्रीम कोर्ट को यह मशवरा भी दे डाला कि भारतीय न्यायपालिका में कोई आरक्षण नहीं है. मैं सभी जजों और विशेषरूप से कलीजियम के सदस्यों को याद दिलाना चाहता हूं कि वे पिछड़े समुदायों, महिलाओं और अन्य श्रेणियों के सदस्यों को शामिल करने के लिए नामों की सिफारिश करते समय ध्यान में रखें क्योंकि उनका न्यायपालिका में पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं है.

रिजिजू की इन तमाम बड़बोली बातों से ऐसा संदेश गया कि केंद्र सरकार जजों की नियुक्ति में अपनी भूमिका चाहती है. रिजिजू के बयानों पर विपक्ष भी कहने लगा कि सरकार की तरफ से सुप्रीम कोर्ट को धमकाया जा रहा है.

हाल यह हो गया कि सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू द्वारा कलीजियम सिस्टम के खिलाफ की गई टिप्पणी पर कार्रवाई की मांग की जाने लगी. हालांकि कोर्ट ने बड़ा दिल दिखाते हुए उस याचिका को यह कह कर खारिज कर दिया कि उसके पास इससे निबटने के लिए व्यापक दृष्टिकोण है.

सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज रोहिंटन फली नरीमन ने कलीजियम सिस्टम के खिलाफ बोलने पर किरेन रिजिजू की काफी आलोचना की थी. उन्होंने जजों की नियुक्ति में केंद्र के दखल को लोकतंत्र के लिए घातक बताया था. कलीजियम के नामों को सरकार द्वारा लटकाने पर भी काफी विवाद हुआ था.

रिजिजू को हटाना सरकार की मजबूरी बन गई थी. लिहाजा, रातोंरात राष्ट्रपति भवन की तरफ से विज्ञप्ति जारी कर दी गई कि, “राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने प्रधानमंत्री की सलाह पर केंद्रीय मंत्रिपरिषद के सदस्यों को विभागों का पुन:आवंटन किया है और भू-विज्ञान मंत्रालय की जिम्मेदारी किरेन रिजिजू को सौंपी गई है.”

रिजिजू को हटा कर अर्जुन राम मेघवाल को कानून मंत्री बनाने के पीछे एक वजह और है. मेघवाल दलित समुदाय से हैं और राजस्थान से आते हैं. राजस्थान में कुछ ही समय में चुनाव होने वाले हैं.राजस्थान में दलितों की आबादी 17 फीसदी है. मेघवाल दलितों के बड़े नेता माने जाते हैं. बीकानेर लोकसभा सीट से भाजपा सांसद मेघवाल का कद बढ़ाकर राजस्थान को संदेश देने की भी कोशिश की गई है. अब तक मेघवाल संस्कृति और संसदीय कार्य राज्यमंत्री थे. अर्जुन राम मेघवाल 2009 से बीकानेर से सांसद हैं.

मेघवाल का जन्म बीकानेर के किस्मीदेसर गांव में हुआ था. उन्होंने बीकानेर के डूंगर कालेज से बीए और एलएलबी की पढ़ाई की. इसके बाद उन्होंने इसी कालेज से मास्टर्स डिग्री हासिल कर फिलीपींस विश्वविद्यालय से एमबीए किया.

राजनीति में आने से पहले मेघवाल राजस्थान प्रशासनिक सेवा में थे. प्रमोशन हुआ तो मेघवाल चुरू के जिलाधिकारी भी रहे. वीआरएस लेकर राजनीति में आए और उन्होंने 3 बार लोकसभा चुनाव जीता. उन्हें राजस्थान में अनुसूचित जाति के मजबूत चेहरे के रूप में देखा जाता है.

मेघवाल 2009, 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में बीकानेर से भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर सांसद चुने गए. उन्हें 2013 में सर्वश्रेष्ठ सांसद के पुरस्कार से भी नवाजा गया था.अपने दूसरे कार्यकाल के दौरान वे लोकसभा में भारतीय जनता पार्टी के मुख्य सचेतक थे. मई 2019 मेंमेघवाल को संसदीय मामलों और भारी उद्योग व सार्वजनिक उद्यम राज्यमंत्री बनायागया और अब उन्हें कानून मंत्रालय बड़ा जिम्मा सौंपा गया है.

हालांकि अर्जुन मेघवाल के साथ विवाद भी जुड़े हुए हैं. कोरोनाकाल में उन्होंने ‘भाभीजी पापड़’ लौंच किया और बिना तथ्यों के यह बयान दिया कि इस से कोरोना नहीं होगा. यह वही समय था जब देश में कोरोना पीड़ित अस्पतालों में औक्सीजन और सिलैंडर की कमी के चलते मर रहे थे.

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