पांच दिनों तक तमाम ऊहापोह, बैठकों, फ़ोन कौल्स और मानमुनौवलों के बाद भी जब कोई रास्ता नहीं निकला तो सोनिया गांधी को दखल देना पड़ा और चंद मिनटों में कर्नाटक को अपना किंग मिल गया. तय हो गया कि कर्नाटक में मुख्यमंत्री की कुरसी पर सिद्धारमैया बैठेंगे और डीके शिवकुमार डिप्टी सीएम बनेंगे.बेंगलुरु में 20 मई को दोपहर 12.30 बजे शपथग्रहण समारोह होगा.

कांग्रेस के मजबूत नेता डीके शिवकुमार मुख्यमंत्री की कुरसी पर बैठने के लिए अड़े हुए थे, लेकिन आलाकमान पहले ही सिद्धारमैया का नाम तय कर चुका था क्योंकि समाज के सभी तबकों तक सिद्धारमैया की अच्छी पहुंच है. वे सोशल इंजीनियरिंग में भी माहिर हैं और उनकी छवि भी साफसुथरी है. इसके अलावा सिद्धारमैया अच्छे प्रशासन के लिए जाने जाते हैं. इस से पहले भी वे मुख्यमंत्री रह चुके हैं, जबकि शिवकुमार को मुख्यमंत्री बनाने पर बहुत संभव था कि केंद्र के आदेश पर दिल्ली की तर्ज पर केंद्रीय जांच एजेंसियां शिवकुमार पर शिकंजा कसने और उन्हें जेल भेजने की कवायद में लग जातीं. ऐसे में पार्टी की छवि को राष्ट्रीय स्तर पर बहुत नुकसान पहुंचता.

हालांकि चुनावप्रचार के दौरान दोनों ने ही खूब मेहनत की थी. डीके शिवकुमार ने राज्य के कार्यकर्ताओं में जबरदस्त ऊर्जा भर दी, इसमें शक नहीं है. शिवकुमार पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष थे और सिद्धारमैया साथ थे. दोनों कर्नाटक में पार्टी के लिए बहुत बड़ा कद रखते हैं. दोनों बहुत काबिल हैं. दोनों ही नेता मुख्यमंत्री बनने के काबिल हैं. दोनों ही प्रदेश को अच्छा चला सकते हैं. इसलिए इनमें से किसी को भी निराश नहीं किया जा सकता था.

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