भारत के आॢथक विशेषज्ञ 2014 से राग अलाप रहे हैं कि भारत दुनिया की सब से तेज गति से बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था है. अरुण जेटली तो इसे नरेंद्र मोदी का कमाल मानते रहे हैं जबकि अर्थव्यवस्था तो पिछले एक दशक से खासी गति से बढ़ रही है.
इस तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था की एक कमी अरुण जेटली भी छिपा जाते थे और अब निर्मला सीतारमण भी छिपा जाती हैं. दूसरे देशों के मुकाबले आखिर हमारे नागरिक कितनी तेजी से विकास कर रहे है यह तो बताया. जिसे प्रति व्यक्ति सफल उत्पादन या अंग्रेजी में परकैपिटी जीडीपी कहते हैं उस पर मंत्रियों को सांप सूंघ जाता है, होठों पर ताले लग जाते हैं, जबरन रख कर लडख़ड़ाने लगती है.
भारतीय नेता भूल कर भी प्रति व्यक्ति आय की बात नहीं करते. भारतीय नेता यह भी कहने से कतराते हैं कि आखिर कितना पैसा भारतीय नेता मजदूर विदेशों में रगड़ खा कर कमा कर अपने रिश्तेदारों को भेज रहे हैं जिसे भारत सरकार असल में अपना कारनामा मानती है जबकि है यह गुलामी के व्यापार का फायदा. भारत सरकार 107 अरब डालर हर साल विदेशी मजदूरों का पचा रही है जिस से विदेशों में भारतीय अमीर अपने बच्चों को पढ़ा रहे हैं, सैर कर रहे हैं, मकान खरीद रहे हैं, अरबों का सैनिक सामान खरीदा जा रहा है.
आम आदमी की चाल में भारत दूसरे देशों से हर साल पिछडऩे वालों में सब से तेज है, अर्थव्यवस्था बढ़ाने में नहीं. कुछ अपने पड़ोसी देशों का उदाहरण लें. चीन का प्रति व्यक्ति आय 2014 में 7636 डौलर थी और 2021 में 21,556 यानी 7 सालों से हर चीनी के पास हर साल 4920 डौलर ज्यादा आए. कजाकिस्तान जैसे छोटे पिछड़े एशियाई देश कि 2016 में प्रति व्यक्ति आय 7715 जो 2021 में 10,374 हो गई, 2016 के मुकाबले 2.659 डौलर ज्यादा.
थाईलैंड बहुत अमीर देश नहीं है. 2014 में यहां प्रति व्यक्ति आय 5822 डौलर थी जो 2021 में 7068 डौलर हो गई यानी 1246 डौलर ज्यादा.
इस दौरान भारत के प्रति व्यक्ति की डौलर में आय 700 डौलर से भी कम बड़ी है, 1560 से 2100-2200 हुई है. मनमोहन ङ्क्षसह सरकार के 10 सालों में जब इस का हल्ला नहीं मचाया जा रहा था. प्रति व्यक्ति आय 84 डालर 2005 से 2014 तक बढ़ी थी.
यह न भूले 2014 से 2021 के बीच अमेरिकी नागरिक को प्रति व्यक्ति आय 15,165 डौलर बढ़ गई थी यानी हर आम भारतीय से 35 गुना अमीर हो गया था.
जापान को उस व्यक्ति बूढ़ी होती जनता के कारण घट रही है फिर भी भारतीयों के मुकाबले वे 17 गुने अमीर है, इजरायल भी एशियाई देश है. वहां का नागरिक 26 गुना अमीर है. सिंगापुर का नागरिक भारतीय नागरिक से 36 गुना अमीर है और 2014 के मुकाबले अब 1500 डौलर अतिरिक्त पा रहा है. हम झूठ के लबादे के इतने आदी हो गए हैं कि यह हमारे कणकण में समा गया है. हम झूठे नेताओं पर आंख दिमाग मूंद कर भरोसा करते हैं, झूठे पंडों की बातें सुन कर मंदिरों में दान करते हैं. झूठे क्रिकेट मैचों में पैसा लगाते हैं, झूठ पर आधारित शेयर बाजार में इनवैस्ट करते हैं.
पिछले सालों में जो उन्नति हुई भी है वह भी यहां की सरकार के रहम पर टिके अमीरों ने गरीबों से छीन ली है. गरीब और गरीब हो गए हैं, अमीरों की अमीरी तो विख्यात हो गई है. हमारे कई अमीर स्वीजरलैंड के अमीरों का मुकाबला करते हैं जबकि आम आदमी की आय 40-45 गुना कम है.
भारत विश्वगुरू है पर झूठ पर ङ्क्षजदा रहने वालों के लिए.