कोरोना महामारी ने यह साबित कर दिया है कि मेडिकल इमरजेंसी किसी के भी साथ कभी भी आ सकती है, जो व्यक्ति की जेब पर भारी असर डाल सकती है। इसलिए मेडिकल इमरजेंसी का बिना किसी वित्तीय परेशानी के सामना करने के लिए एक पर्याप्त हेल्थ इंश्योरेंस होना बेहद ही जरूरी है।

सिद्धार्थ सिंघल, बिजनेस हेड-हेल्थ इंश्योरेंस, पॉलिसीबाजार डॉट कॉम का कहना है-
कोविड-19 के आने के बाद से इंश्योरेंस इंडस्ट्री में भी काफी बदलाव आया है, साथ ही लोगों में हेल्थ इंश्योरेंस के प्रति जागरूकता भी काफी बढ़ी है। वहीं इंश्योरेंस इकोसिस्टम भी हेल्थ इंश्योरेंस प्रोडक्ट्स को ग्राहकों की जरूरतों के अनुसार तैयार करने और कंज्यूमर सेंट्रिक बनाने के लिए लगातार कार्य कर रहा है।

ओपीडी कवरेज-
आमतौर पर हेल्‍थ इंश्‍योरेंस एक ट्रेडिशनल हेल्‍थ करवरेज प्‍लान होता है, जिसमें पॉलिसीधारक केवल तभी क्लेम कर सकता है, जब उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया हो और उसने अस्पताल में 24 घंटे से ज्यादा समय बिताया हो। लेकिन ओपीडी कवरेज अस्पताल में भर्ती हुए बिना इलाज के दौरान अस्पताल में होने वाले खर्चों के लिए कवरेज प्रदान करता है। इसमें चिकित्सा परामर्श, डायग्नोस्टिक टेस्ट, दवाइयों का खर्च आदि शामिल है। किसी भी हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी में ओपीडी कवरजे शामिल होना बहुत ही फायदेमंद है क्योंकि यह समय-समय पर होने वाले रेगुलर मेडिकल खर्चों के वित्तीय बोझ को कम करता है।

क्यूमलेटिव बोनस-
क्यूमलेटिव बोनस को नो-क्लेम बोनस या NCB का एक और अधिक व्यापक रूप माना जाता है। क्यूमलेटिव बोनस पॉलिसीधारकों को पॉलिसी वर्ष के दौरान कोई क्लेम नहीं करने के लिए पुरस्कृत करता है।
यह पॉलिसीधारकों को एक स्वस्थ जीवन शैली बनाए रखने और अनावश्यक मेडिकल खर्चों से बचने के लिए प्रोत्साहित करता है, जिससे समय के साथ प्रीमियम कम हो सकता है। साथ यह बिना किसी अतिरिक्त प्रीमियम लागत के बीमित राशि को बढ़ाकर सुरक्षा की एक अतिरिक्त लेयर प्रदान करता है। यह लंबे समय में विशेष रूप से फायदेमंद हो सकता है, क्योंकि उम्र के साथ मेडिकल खर्चों में भी वृद्धि होती है।
इसके अलावा, हेल्थ इंश्योरेंस में क्यूमलेटिव बोनस पॉलिसीधारकों को अधिक व्यापक कवरेज और बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं तक पहुंचने में भी मदद कर सकता है।
मेटरनिटी प्लान्स-
गर्भावस्था के दौरान किसी भी तरह की परेशानी न हो इसके लिए, होने वाली मां को शुरू से ही चिकित्सा देखभाल की आवश्यकता होती है। यहीं पर मैटरनिटी बेनिफिट वाली हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी सामने आती है। जिसमें गर्भावस्था से पहले और गर्भावस्था के बाद दोनों समय का खर्च शामिल होता है। वास्तव में, अब ऐसी योजनाएं हैं जो गर्भ धारण करने की कोशिश कर रहे लोगों के लिए आईवीएफ लागत को भी कवर करती हैं। आम तौर पर मैटरनिटी बेनिफिट प्राप्त करने से पहले पॉलिसी के आधार पर दो से चार साल का वेटिंग पीरियड होता है। हालांकि, अब ऐसी पॉलिसी भी उपलब्ध हैं जिन्होंने इस वेटिंग पीरियड को घटाकर एक साल कर दिया है। इसलिए, मैटरनिटी बेनिफिट के साथ हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी जल्दी ही लेनी चाहिए क्योंकि मौजूदा गर्भावस्था को मैटरनिटी बेनिफिट के तहत कवर नहीं किया जाएगा।

मेंटल हेल्थ कवरेज-
मेंटल हेल्थ से जुड़ी परेशानियों को हमेशा से नजरअंदाज किया गया है। कोरोना महामारी के दौरान लोगों द्वारा एकांत में समय बिताने, प्रियजनों की मृत्यु के दुख, सामाजिक मेलजोल की कमी आदि ऐसे कई कारण है जिन्होने लोगों के मेंटल हेल्थ पर काफी नेगेटिव प्रभाव डाला है। लेकिन कोरोना महामारी के आने के बाद से लोगों ने फिजिकल हेल्थ के साथ-साथ मेंटल हेल्थ पर भी ध्यान देना शुरू कर दिया है। इसे ध्यान में रखते हुए, IRDAI ने हेल्थ इंश्योरेंस के दायरे में मेंटल हेल्थ के कवरेज को भी अनिवार्य कर दिया है। मेंटल हेल्थ कवरेज किसी भी हेल्थ इंश्योरेंस प्लान का एक बहुत ही महत्वपूर्ण पहलू है जो साइकेट्रिक ट्रीटमेंट, काउंसलिंग, और थेरेपी आदि के लिए कवरेज प्रदान करता है। मेंटल हेल्थ को व्यापक रूप से कवर करने के लिए ओपीडी कवरेज का विकल्प चुनना चाहिए।

वेलनेस बेनिफिट्स-
कोरोना महामारी ने प्रत्येक व्यक्ति को अपने स्वास्थ्य को लेकर और अधिक जागरूक कर दिया है। अब, हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी भी आपको स्वस्थ रहने के लिए पुरस्कृत करती हैं। यह प्रीमियम पर छूट या अधिक बीमित राशि या वाउचर हो सकता है जिससे ग्राहक को पुरस्कृत किया जाएगा। यह न केवल पॉलिसीधारक को स्वस्थ रहने के लिए प्रोत्साहित करता है बल्कि क्यूमलेटिव बोनस को कम रखने में भी मदद करता है। साथ ही यह पॉलिसीधारक को अपने हेल्थ इंश्योरेंस को भी रिन्यू करने के लिए प्रोत्साहित करता है।
हेल्थ इंश्योरेंस के लिए क्लेम प्रक्रिया
हेल्थ इंश्योरेसं पॉलिसी बीमाकर्ता द्वारा कैशलेस उपचार और मेडिकल खर्चों को कवर करने जैसे अतिरिक्त लाभों के साथ आती है। हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी की सम इंश्योर्ड लिमिट के अनुसार किए गए खर्चों के लिए क्लेम फाइल कर सकता है।
क्लेम फाइल करने के लिए दो प्रक्रियाएं है:

1. कैशलेस क्लेम अगर किसी नेटवर्क अस्पताल या कैशलेस अस्पताल में इलाज कराया जाता है, तो पॉलिसीधारक कैशलेस उपचार सेवाओं का लाभ उठाने के लिए पात्र होगा। साथ ही पॉलिसीधारक को अस्पताल में भर्ती होने के 24 घंटे पहले ही हेल्थ इंश्योरेंस कम्पनी को जानकारी देने की आवश्यकता होती है। जिसमें की इलाज पूरा हो जाने के बाद इंश्योरेंस कंपनी सीधे अस्पताल को बिल का भुगतान करती है।

2. पॉलिसीधारक किसी भी नॉन-नेटवर्क अस्पतालों में हुए इलाज के रिम्बर्समेंट के लिए, क्लेम फाइल कर सकता है। एक बार इलाज पूरा हो जाने के बाद, बीमाधारक को बिल का निपटान करने, सभी दस्तावेजों को इकट्ठा करने और फिर रिमबर्समेंट के लिए बीमाकर्ता या टीपीए के साथ क्लेम फाइल करने की आवश्यकता होती है।

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