जब तेरे बारे में दीवारों से कुछ बात हुई

भीगते रह गए हम, कमरे में बरसात हुई

गुल खिले, शाख झुकी और करामात हुई

तू नहीं आई तो खुशबू से बहुत बात हुई

मैं कई बार तेरे जिस्म के घर आया हूं

मगर तुम से अब तक न मुलाकात हुई

कब तेरा आना हुआ, कब बढ़ी है रौनक

कब मुकम्मल महफिल-ए-जज्बात हुई

तीन चीजों के अलावा न नजर आया कुछ

दिन निकला, ढली शाम, जिगर रात हुई.

– जिगर जोशी

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