आज सूफी गायक कैलाश खेर का जन्मदिन है. उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले में जन्में कैलाश के बारे में ये बात बहुत कम लोग जानते हैं कि उन्होंने मात्र 13 साल की उम्र में अपना घर छोड़ दिया था. कैलाश की संगीत से लगन बचपन से ही रही है. इसलिए संघर्ष करते, बच्चों को संगीत की ट्यूशन देते और अपने आप को निखारते, बचाते एक दिन कैलाश खेर ने वो मुकाम पा ही लिया जो कभी उनका ख्वाब था.

उनके जीवन की ये एक महत्पूर्ण बात हे कि उन्होंने एक लंबा संघर्ष किया है. ये बात साल 1999 की है, जब वे हर तरफ से निराश होकर अपने एक दोस्त के साथ एक बिजनेस करने लगे. साल 1999 कैलाश के लिए सबसे कठिन वर्षों में से एक रहा. ये वो दौर था जब कैलाश का जीवन अंधेरे में डूब गया था और उम्मीद की कोई किरण नजर नहीं आ रही थी. कैलाश ने इस साल अपने दोस्त के साथ हैंडीक्राफ्ट एक्सपोर्ट बिजनेस शुरू किया. कैलाश और उनके दोस्त को इसमें भारी नुकसान हुआ. कैलाश ने इस गम में आत्महत्या करने की कोशिश भी की थी. डिप्रेशन के चलते उन्होंने ऋषिकेश का रुख किया था.

व्यापार में काफी घाटा हुआ और इसका असर ये हुआ कि कैलाश डिप्रेशन में चले गए. बात इस हद तक बढ़ गई थी कि उन्होंने सुसाइड करने तक सोच लिया था. साल 2001 में दिल्ली यूनिवर्सिटी से पढ़ाई करने के बाद कैलाश खेर मुंबई आ गए. खाली जेब और घिसी हुई चप्पल पहने संघर्ष कर रहे कैलाश में संगीत के लिए कमाल का जूनून था. यहीं एक दिन उनकी मुलाकात संगीतकार राम संपत से हुई. उन्होंने कैलाश को कुछ रेडियो जिंगल गाने का मौका दिया और फिर कहते हैं न कि प्रतिभा के अपने पैर होते हैं, वो अपना मंजिल तलाश ही लेती है.

आज कैलाश खेर किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं. उन्होंने आगे बढ़ने के लिए बहुत मेहनत की. इस मेहनत का फल उन्हें 'अंदाज' फिल्म में मिला. इस फिल्म में कैलाश मे 'रब्बा इश्क न होवे' गाना गाया था. ये गाना आते ही लोगों की जुबान पर चढ़ गया. इसके बाद 'वैसा भी होता है' पार्ट 2 में कैलाश ने गाना 'अल्लाह के बंदे' गाया. इस गाने की लोकप्रियता ऐसी है कि कैलाश आज भी इसी गाने से जाने जाते हैं. इसके बाद कैलाश ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. बॉलीवुड में उन्होंने 'रब्बा', 'ओ सिकंदर' और 'चांद सिफारिश' जैसे गाने गाए हैं. इनमें से दो गानों के लिए कैलाश को फिल्मफेयर का बेस्ट मेल प्लेबैक सिंगर का अवॉर्ड भी मिल चुका है.

अपनी गायकी के लिए 'पद्मश्री' सम्मान से सम्मानित कैलाश ने हिंदी में 500 से ज्यादा गाने गाए हैं. इसके अलावा उन्होंने तमाम क्षेत्रीय भाषाओं में भी गाने गाए हैं. 'तेरी दीवानी' कैलाश के लोकप्रिय गानों में से एक है. गौरतलब है कि कैलाश भगवान शिव के बड़े भक्त हैं और सावन का महीना भी आने वाला है इसलिए उन्होंने इस अवसर पर यह सांग लांच करने का मन बनाया.

कैलाश का 'कैलाशा' नाम से अपना बैंड भी है जो नेशनल और इंटरनेशनल शोज करता है. एल्बम – 'वैसा भी होता है' का 'अल्लाह के बन्दे' ऐसे गीत हैं जो, कैलाश को चाहने वाले हमेशा गुनगुनाते रहते हैं. दो बार फिल्मफेयर से बेस्ट सिंगर का अवार्ड जीत चुके कैलाश खेर के लिए 'सैयां' एल्बम का टाइटल सांग तो जैसे उनकी पहचान है.

हाल में 'बाहुबली 2' में भी कैलाश खेर को आप सबने सुना होगा. बहरहाल, 'बम लहिरी' भी उनके लोकप्रिय गीतों में शामिल है. फिल्म 'दिल्ली 6' का गीत 'अर्जियां सारी' को कैलाश खेर ने जावेद अली के साथ मिलकर गाया है. यह गीत भी काफी पॉपुलर है.

अपने 44 वें जन्मदिन पर कैलाश खेर आप सबके लिए एक नया गीत- 'भोले चले' लांच कर रहे हैं. गौरतलब है कि कैलाश भगवान शिव के बड़े भक्त हैं और सावन का महीना भी शुरू होने आने वाला है इसलिए उन्होंने इस अवसर पर यह सांग लांच करने का मन बनाया. बहरहाल, संगीत के इस जादूगर को हमारी ओर से जन्मदिन पर बहुत सारी शुभकामनाएं!

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