15 नवंबर 2022 का दिन दुनिया के मानव की बढ़ती आबादी का एक ऐसा दिन इतिहास के रूप में दर्ज हो गया जब फिलीपींस में प्रतीकात्मक रूप से आठवां अरबवां बच्चा पैदा हुआ और दुनिया की महत्ती संस्थाओं ने इसे अपनी अपनी तरह उत्सव के रूप में दर्ज किया और यह संदेश दे दिया कि यह जितनी खुशी का क्षण हैउतना ही मनुष्य को सोचने के लिए भी विवश करने वाला है.

महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि मनुष्यता के एक अहम रास्ते पर बीते 12 वर्षों में एक अरब लोगों को जोड़ने के बाद मंगलवार 15 नवंबर को वैश्विक जनसंख्या आठ अरब तक पहुंच कर इतिहास में दर्ज हो गई.

सच तो यह है कि बढ़ती वैश्विक आबादी के बीच चीन को पीछे छोड़ते हुए भारत का अगले साल दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला देश तय माना जा रहा है .  दरअसल,दुनिया की जनसंख्या घड़ी ने 15 नवंबर को आठ अरब का आंकड़ा दर्शाया है. संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (यूएनएफपीए) नं. ट्वीट किसी कवि की कविता की तरह किया -” आठ अरब उम्मीदें आठ अरब सपने आठ अरब संभावनाएं हमारा ग्रह अब आठ अरब लोगों का घर है.”

यही नहीं संयुक्त राष्ट्र ने जनसंख्या के “आठ अरब” तक पहुंचने को मील का पत्थर‘ करार दिया” है.

हमें इस संपूर्ण परिदृश्य को समझने के लिए कुछ आंखों को जानना चाहिए दरअसल मानव आबादी लगभग 1800 सन  तक एक अरब से कम थीऔर एक से दो अरब तक बढ़ने में 100 से अधिक वर्षों का समय लगा. यूएनएफपीए ने कहा -” हमारी आबादी की वृद्धि मानवता की उपलब्धियों का एक प्रमाण हैजिसमें गरीबी और लैंगिक

असमानता में कमीस्वास्थ्य देखभाल में प्रगति और शिक्षा तक पहुंच का विस्तार शामिल है. उसने कहा है-” इनके परिणामस्वरूप अधिक महिलाएं प्रसव के बाद जीवित रहींअधिक बच्चे अपने प्रारंभिक वर्षो में जीवित रहेऔर उनका जीवनकाल दशक दर दशक लंबा व स्वस्थ रहा.”

यहां पाठकों को हम यह भी बताते चलें कि दिलचस्प आंकड़े यह है कि संयुक्त राष्ट्र का अनुमान है वैश्विक जनसंख्या 2037 के आसपास नौ अरब होने तथा 2058 के आसपास 10 अरब से अधिक हो जाएगी. इस साल जुलाई में जनसंख्या विभाग के आर्थिक और सामाजिक मामलों के संयुक्त राष्ट्र विभाग द्वारा जारी विश्व जनसंख्या संभावना 2022 में कहा गया कि वैश्विक जनसंख्या के 2080 के दौरान लगभग 10.4 अरब लोगों के साथ शिखर पर पहुंचेगी और इसके वर्ष 2100 तक उस स्तर पर रहने का अनुमान है.

भारत सरकार नीति निर्धारण करें

उल्लेखनीय है कि आगामी वर्ष भारत में लोकतांत्रिक महोत्सव है अर्थात आम चुनाव का महाकुंभ. ऐसे में भारत के लिए वर्ष 2023 एक ऐतिहासिक वर्ष भी हो सकता है क्योंकि उसके दुनिया के सबसे अधिक आबादी वाले देश के रूप में चीन से आगे निकलने का अनुमान लगाया जा रहा है. आंकड़ों के अनुसार इस वर्ष एक भारतीय की औसत आयु 28.7 वर्षजबकि चीन के लिए औसत आयु 38.4 वर्ष है. जनसंख्या संभावना रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन की 1.426 अरब आबादी की तुलना में 2022 में भारत की जनसंख्या 1.412 अरब है. 2050 में भारत की आबादी 1.668 अरब होने का अनुमान है,

जो सदी के मध्य तक चीन की 1.317 अरब जनसंख्या से काफी आगे है. संयुक्त राष्ट्र के अनुमानों के अनुसारदेश की 27 प्रतिशत से अधिक जनसंख्या 15-29 वर्ष की आयु के बीच है. 25.3 करोड़ के साथ भारत दुनिया की सबसे बड़ी किशोर आबादी (10-19 वर्ष) का भी घर है.  भारत 2030 तक दुनिया की सबसे युवा आबादी वाले देशों में से एक बना रहेगा.वहीं चीन की बात करें तो संयुक्त राष्ट्र अनुमानों के मुताबिकउसकी आबादी 2035 में गंभीर उम्र‘ के दौर में होगी और वहां लगभग 40 करोड़ लोगों की उम्र तब 50 साल से ज्यादा होगी. संयुक्त राष्ट्र संघ के इन आंकड़ों से हटकर के हमें अब यह चिंतन भी करना होगा कि भारत जैसे विकासशील देश के लिए आबादी का यह महा विस्फोट क्या परिणाम लेकर आएगा सच तो यह है कि हमारे देश की सरकार आबादी की इस महा विस्फोट के संदर्भ में एक तरह से कुंभकर्णी निद्रा में है. अब यह सरकार की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है कि वह इस संदर्भ में एक नीति  निर्धारण करें. 

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