नोटबंदी की घटना उसकी त्रासदी को देश शायद कभी भुला नहीं पाएगा.औचक और बेवजह की गई यह नोटबंदी नरेंद्र दामोदरदास मोदी के व्यक्तिगत इतिहास पर एक ऐसा काला धब्बा है जिसके लिए आज तक उन्होंने कभी देश से माफी नहीं मांगी है और न ही इसे अपनी कोई गलती बताया है. मगर नोटबंदी की त्रासदी को कभी भुलाया नहीं जा सकता. इसके कारण जाने कितने लोग मारे गए, तबाह हो गए. मगर मानो मोदी मुस्कुराते रहे अट्टहास लगाते रहे. मानो यह कहावत भारत में भी चरितार्थ हो रही थी -” जब रोम जल रहा था नीरो बंसी बजा रहा था”.
जब-जब नवंबर का महीना आएगा आवाम 8 नवंबर का वह दिन याद करेंगी और उसके बाद देश की जनता के सामने नरेंद्र दामोदरदास मोदी का चेहरा आ जाएगा. इस दिन रात को 8 बजे अचानक नरेंद्र मोदी देश की टेलीविजन पर अवतरित हुए थे उन्होंने अपने संक्षिप्त भाषण में यह कहा कि आज से देश में चल रही नोट करेंसी लीगल टेंडर नहीं रही.
इस घोषणा के बाद मानो देश में अंधेरा छा गया मगर मोदी लोगों को देश की आवाम को यह ढाढस बंधाते रहे- देश के लिए कुछ तो कुर्बानी आपको देनी चाहिए क्योंकि इस नोट बंदी से आतंकवाद समाप्त हो जाएगा काला धन समाप्त हो जाएगा यह सुनकर के देश वासियों ने मानो खून का घूंट पी लिया. दरअसल, देश का आम नागरिक भी यह मानने को तैयार नहीं था कि नोटबंदी से आतंकवादी और नक्सलवाद समाप्त हो जाएगा, काला धन समाप्त हो जाएगा. जब प्रधानमंत्री कह रहे हैं तो भला लोगों को पास रास्ता क्या था और आखिर हुआ भी वही. आज भी आतंकवाद और नक्सलवाद , काला धन सब कुछ विद्यमान है. याद है तो बस वह नोटबंदी के दो-तीन महीने जब लोग तड़प तड़प कर जी रहे थे और यह सोच रहे थे कि हमने कैसी भारत सरकार बनाई है जो अपने ही देशवासियों के साथ घनघोर अत्याचार कर रही है.
नोट बंदी आर्थिक जन सहार सिद्ध हुआ
दरअसल, देश और दुनिया के बौद्धिक वर्ग ने यह माना है कि भारत में 2016 में लगाई गई नोटबंदी एक तरह से आर्थिक जनसंहार था . इस दरमियान देश में जो बेवजह तबाही हुई उसका कोई रिकॉर्ड नहीं है.
8 नवंबर 2022 को नोटबंदी की वर्षगांठ पर पहले की तरह नरेंद्र दामोदरदास मोदी इस दफा यह साहस नहीं कर पाए की सरकारी खजाने से विज्ञापन जारी करके अपनी पीठ थपथपाते कि आज ही के दिन देश में हमारे द्वारा नोटबंदी लगाई गई थी और हमारी यह सफलता है. इसके बजाय नरेंद्र मोदी की सरकार इस मामले में शुतुरमुर्ग बन गई. मगर विपक्ष यह मौका भला हाथ से जाने कैसे दे सकता था.
अब विपक्षी दलों ने भाजपा नीत केंद्र सरकार द्वारा 2016 में की गई नोटबंदी को आर्थिक जनसंहार और आपराधिक कृत्य करार दे दिया है. तृणमूल कांग्रेस के प्रवक्ता और राज्यसभा में पार्टी के नेता डेरेक ओ ब्रायन ने कहा -” यह कदम एक ‘नौटंकी’ था .”
एक ट्वीट में कहा -” 6 साल पहले, आज ही के दिन एक नौटंकी जो आर्थिक जनसंहार साबित हुई. इस बारे में मैंने 2017 में मेरी किताब इनसाइड पार्लियामेंट में विस्तार से लिखा है. मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव सीताराम येचुरी ने सरकार पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि – ” नरेंद्र मोदी सरकार नोटबंदी के आपराधिक कृत्य पर अपना ढोल पीट रही है.”
इस तरह कहा जा सकता है कि नरेंद्र मोदी का यह व्यक्तिगत फैसला इतिहास में दर्ज हो चुका है उनका पीछा कभी नहीं छोड़ेगा यह जन सहार उन्हें एक खलनायक के रूप में लोगों को याद रह जाएगा.
देश की प्रमुख विपक्षी पार्टी अखिल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने 8 नवंबर की नोटबंदी पर कड़ा प्रहार करते हुए कहा है कि आठ नवंबर 2016 का दिन सबको याद होगा. इतने दिनों के बाद भी सरकार ने नोटबंदी का नाम तक नहीं लिया है. कांग्रेस ने नोटबंदी के छह साल पूरा होने पर केंद्र सरकार से श्वेत पत्र लाने की मांग की है. पार्टी ने कहा कि केंद्र सरकार के इस कदम के बाद चलन में नगदी 72 फीसद बढ़ गई. कांग्रेस मुख्यालय में नवंबर 2016 को नोटबंदी के माध्यम से आयोजित प्रेस वार्ता में कहा गया अगर नरेंद्र मोदी सरकार देश के प्रति जवाबदेह है तो श्वेत पत्र लाना ही चाहिए.
चाहे आज नरेंद्र दामोदरदास मोदी नोटबंदी के मामले पर मौन हैं मगर निसंदेह उन्हें अपने फैसले पर एक दिन देश से माफी मांगनी होगी.