अभी तक यह माना जाता रहा है कि किसी भी राजनीतिक दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष अथवा कहें “आलाकमान” या फिर “सुप्रीमो” का पद सबसे अहम और महत्वपूर्ण होता है. मगर अखिल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष का पद सोने की प्लेट में सजाकर के अशोक गहलोत को दिया जा रहा था जिसे उन्होंने ठुकरा दिया. और वह भी कुछ इस तरह की राजस्थान मुख्यमंत्री का पद बड़ा है और इसके लिए उन्होंने अपनी 50 साल की राजनीतिक जीवन की प्रतिष्ठा को दांव पर लगा दिया और चाहत है कि मुख्यमंत्री पद बना रहे.

भारतीय राजनीति में यह एक ऐसा समय है, जब राजनीति विज्ञान के छात्रों को साथ ही देश को यह देखने समझने को मिल रहा है कि एक राजनीतिक पार्टी जिस का लंबा इतिहास है और जो सबसे लंबे समय तक देश की सत्ता पर बनी रही अखिल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष पद के लिए लगभग राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का नाम तय था.

मगर देखा यह जा रहा था कि जैसे ही अध्यक्ष पद के लिए अशोक गहलोत का नाम आगे बढ़ने लगा वह स्वयं पीछे हटने लगे और यह बात खुलकर कहीं की मुख्यमंत्री पद और राष्ट्रीय अध्यक्ष दोनों पदों पर अशोक गहलोत रह सकते हैं.

ऐसे समय में राहुल गांधी परिदृश्य में उभरते हैं और कहते हैं कि कांग्रेस का यह नियम है कि “एक व्यक्ति एक पद” जिसे अशोक गहलोत बिना नानुकुर के स्वीकार कर लेते हैं.

यहां सब ठीक-ठाक दिखाई देता रहा मगर कांग्रेस के अंदर खाने में कुछ और ही खिचड़ी पक रही थी. आज देश के सामने जो दृश्य- ब- दृश्य राजनीतिक खेल देखा गया वह अपने आप में राजनीति का एक ऐसा अध्याय है जिसे शायद कभी भुलाया नहीं जा पाएगा और जब जब राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव होगा अशोक गहलोत की चर्चा होगी. इस तरह उन्होंने अपने मुख्यमंत्री पद को बनाए रखने के लिए एक खेल खेला, यह खेल सब ने देखा है, मगर उसके भीतर का सच, आपको हम इस रिपोर्ट में बताने जा रहे है.

एक राजनीतिक जादूगर

सच तो यह है कि अशोक गहलोत राजनीति में आने से पूर्व एक छोटे से जादूगर थे और सड़कों पर जादू का खेल दिखाया करते थे . किसी फिल्म के सुखद अंत की तरह उनकी जिंदगी में ट्विस्ट हुआ और कांग्रेस पार्टी में आने के बाद  धीरे-धीरे आगे बढ़ते चले गए और राजस्थान के मुख्यमंत्री बन गए. सभी जानते हैं कि वर्तमान में कांग्रेस गांधी परिवार आलाकमान के सबसे चहेते शख्स हैं. यही कारण है कि अशोक गहलोत को सोनिया गांधी राहुल गांधी कांग्रेस पार्टी का अध्यक्ष बनाने के लिए तैयार थे. अंदर खाने का सच राजनीति के पैंतरे बाजी को देखने वाले समझते हैं. मगर जैसे कि किसी कहानी में आपने पढ़ा होगा कि किसी एक शख्स की जान तोते में थी वैसे ही शायद मुख्यमंत्री के रूप में अशोक गहलोत की जान या कहें राजनीति में उनकी चाहत मुख्यमंत्री पद तक सीमित थी या यह भी कह सकते हैं कि अशोक गहलोत यह जानते हैं कि  कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद कितना कांटो भरा है और मुख्यमंत्री पद की सुख सुविधाओं को छोड़कर प्रदेश की राजनीति से राष्ट्रीय राजनीति में अध्यक्ष की भूमिका का निर्वाहन उनके लिए कितना चुनौती भरा होगा और हो सकता है वे सारी बाजी ही हार जाए.

तो राजनीति के पटल पर राजस्थान के इस जादूगर ने जो खेल दिखाया उसे देख कर के सब दंग रह गए राजस्थान में जिस तरह विधायकों ने सचिन पायलट के खिलाफ खड़े होकर के विधानसभा अध्यक्ष को अपना इस्तीफा सौंप दिया यह दृश्य देख कर के लोगों की मानो धड़कन बढ़ गई.

और तो और कांग्रेसी आलाकमान श्रीमती सोनिया गांधी और राहुल गांधी दोनों ही मानो क्षुब्ध हो उठे. मगर राजनीति की त्रासदी देखिए इसके बाद जैसा कि होना था अशोक गहलोत अध्यक्ष पद से छुटकारा तो पा ही गए उन पर आलाकमान ने कोई गाज भी नहीं गिराई है.

हां, कहने के लिए आलाकमान ने राजस्थान के 3 बड़े कांग्रेस के चेहरों को नोटिस जो थमा दिया है. हो सकता है छोटी बड़ी कार्रवाई भी हो मगर सबसे बड़ी बात यह है कि इस सारे जादू को दिखाने वाले जादूगर अशोक गहलोत का बाल भी बांका नहीं हुआ और वह अपना खेल दिखा कर मुस्कुराते हुए मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठे शान से अट्टहास लगा रहे हैं .

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