ऊपर वाले और नीचे वालों की बेरहमी का कहर   झेल रहे भगवा गैंग के मुसलिम नेता सैयद शाहनवाज हुसैन के खूबसूरत चेहरे की रंगत उड़ी हुई है. पहले तो बिहार में नीतीश की पलटी से उन का मंत्री पद गया, फिर मोदी-शाह ने पार्टी की केंद्रीय चुनाव समिति से भी चलता कर उन्हें अपने हाल पर छोड़ दिया. तीसरा बखेड़ा दिल्ली की एक महिला ने उन पर बलात्कार का आरोप मढ़ खड़ा कर दिया. अब शाहनवाज गुनगुना सकते हैं कि गम उठाने के लिए मैं तो जिए जाऊंगा.

यह कथित बलात्कार अप्रैल 2018 में दिल्ली के छतरपुर स्थित एक फार्महाउस में नशीले पदार्थ के सेवन के पश्चात संपन्न हुआ था. पुलिस ने पूरी कोशिश की कि वे बच जाएं लेकिन हाईकोर्ट को दाल में कुछ काला लगा तो मामला आगे बढ़ रहा है.

बलात्कारी और डिस्काउंट

बलात्कार की विशेषताओं पर अगर कुछ पौइंट्स लिखे जाएं तो एक ही काफी होगा कि 80 फीसदी मामलों में बलात्कारी ऊंची जाति वाला और पीडि़ता नीची जाति की होती है. पौराणिक काल से यह रिवाज लोकतंत्र तक कायम है जिस का पाक मकसद पतिता के उद्धार का होता है. मामला गुजरात के चर्चित बिलकीस बेगम के साथ 21 जनवरी, 2008 को हुए बलात्कार का है जिस में 11 ब्राह्मण आरोपियों को सजा हुई थी.

अच्छे चालचलन के चलते ये बलात्कारी 15 अगस्त को छोड़ दिए गए तो गोधरा विधायक सी के राउल के भीतर बैठा मनु फनफना कर बोला, ‘बलात्कारी अगर ब्राह्मण समाज से हैं तो संस्कारी होंगे.’ वैसे भी हिंदुओं के संविधान मनु स्मृति में बहुत साफ निर्देश है कि-

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