देवेश कुमार विषय वस्तु विशेषज्ञ (कृषि इंजीनियरिंग),

राघवेंद्र विक्रम सिंह विषय वस्तु विशेषज्ञ (कृषि प्रसार),

अरविंद कुमार सिंह वरिष्ठ वैज्ञानिक और प्रधान, कृषि विज्ञान केंद्र, संत कबीर नगर

देश के किसान हर महीने अलगअलग फसलों की खेती कर अपनी आजीविका चला रहे हैं. इस के चलते किसानों के लिए जून और आने वाला महीना जुलाई सब से अहम होता है.

भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि मुख्य व्यवसाय है. देश में लगभग आधी आबादी अपनी आजीविका के लिए कृषि पर ही निर्भर है. यही वजह है कि देश के किसान पूरे साल अलगअलग फसलों की खेती करते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि जूनजुलाई का महीना किसानों के लिए बहुत ही महत्त्वपूर्ण होता है. वह इसलिए, क्योंकि इस महीने में

किसान अपनी खेती के लिए सब से अहम काम करते हैं.

जूनजुलाई में होती है मुख्य फसल की खेती

दरअसल, भारतीय फसल को मौसम के आधार पर 3 भागों में बांटा गया है. पहला खरीफ सीजन, दूसरा रबी सीजन और तीसरा जायद सीजन. खरीफ की खेती का मौसम मानसून के दौरान जून से ले कर अक्तूबर तक चलता है, वहीं रबी की खेती का मौसम नवंबर से ले कर अप्रैल तक चलता है.

ऐसे में अभी किसानों के लिए खरीफ का सीजन चल रहा है. खरीफ के सीजन में ही भारत की सब से मुख्य फसलों में से एक धान की खेती की जाती है.

किस फसल की कब रोपाई करें, इस को ले कर किसान चिंतित रहते हैं. यहां हम किसानों को उन फसलों के बारे में बताएंगे, जिन की इन महीनों में खेती कर आप लाखों रुपए का मुनाफा कमा सकते हैं. खरीफ की फसलों की बोआई की शुरुआत हो चुकी है.

इस बीच किसानों के जेहन में फसलों की बोआई को ले कर कई सारी चिंताएं सामने आती हैं. इन सब के अलावा इस बार किसानों को सिंचाई से ले कर जलवायु संकट तक से गुजरना पड़ सकता है. इस बीच सरकार इन सब स्थितियों को देखते हुए किसानों को अपने स्तर पर प्रयास करती हुई दिख रही है.

बोआई संबंधी काम

धान की सीधी बिजाई : इस विधि द्वारा पानी व श्रम की बचत होती है. सीधी बिजाई भूमिगत जल को रिचार्ज करने में भी सहायक सिद्ध होती है.

धान की सीधी बिजाई वाली फसल रोपाई कर के लगाई गई धान की फसल की तुलना में 7 से 10 दिन पहले पक कर तैयार हो जाती है. इस वजह से धान की पराली संभालने व कनक की बिजाई करने के लिए अधिक समय मिल पाता?है.

सीधी बिजाई वाले खेत में बीमारियों की समस्या भी कम देखने को मिलती है. सीधी बिजाई वाली नई तकनीक, जिस में तरबतर खेत में धान की सीधी बिजाई की जाती?है, को साल 2020 में बड़े स्तर पर किसानों द्वारा अपनाया गया. नई तकनीक में पहला पानी बिजाई के लगभग 21 दिन बाद लगाया जाता है, जिस के कई फायदे हैं जैसे कि :

* पानी की ज्यादा बचत (15-20 फीसदी)

* खरपतवारों की कम समस्या.

* जड़ें गहरी चले जाने के कारण लोह तत्त्व की समस्या बहुत कम आती है.

* राज्य का 87 फीसदी इलाका बिजाई के अनुकूल है.

* पैदावार रोपाई कर के लगाए गए धान के बराबर आती है. अगर पैदावार में थोड़ी कमी आए, तो भी मुनाफा अधिक होता है, क्योंकि इस तरीके से लागत कम आती है.

धान की खेती पारंपरिक विधि से

पारंपरिक रोपाई के तहत सब से पहले किसानों द्वारा नर्सरी (पूरे खेत का 5-10 फीसदी क्षेत्र) तैयार कर धान के बीज की बोआई की जाती है और 25-35 दिनों के पश्चात इन धान के छोटेछोटे पौधों को नर्सरी से हटा कर पूरे खेत में रोप दिया जाता है.

बारिश होने की स्थिति में धान में लगभग 4-5 सैंटीमीटर पानी की गहराई बनाए रखने के लिए रोजाना सिंचाई करनी पड़ती है. जून के महीने में धान की नर्सरी से ले कर इस की बोआई संबंधी सारी प्रक्रिया पूरी कर लें.

बता दें कि इस की खेती में सिंचाई की बेहद आवश्यकता पड़ती है. ऐसे में इस की सुविधा बेहतर रखनी चाहिए.

धान

* जुलाई माह में किसान धान की रोपाई का काम निबटा लें.

* रोपाई के लिए 20 से 30 दिन पुरानी पौध का उपयोग करें.

* रोपाई को कतारों में ही करें.

इस के अलावा मक्का की खेती को भी इस मौसम की प्रमुख फसल माना जाता है. कृषि विशेषज्ञों के अनुसार, 25 जुलाई तक मक्का की बोआई कर दें. यदि सिंचाई की सुविधा हो, तो इस की बोआई का काम 15 जुलाई तक भी पूरा किया जा सकता है. इस के अलावा अरहर की बोआई भी इसी महीने पूरी की जा सकती?है.

मूंगफली

* इस फसल की बोआई जुलाई के मध्य तक पूरी कर लें.

* औसतन प्रति हेक्टेयर 80 से 100 किलोग्राम बीज का उपयोग करें.

बाजरा

* इस की बोआई के लिए जुलाई का दूसरा या तीसरा सप्ताह उपयुक्त रहता है.

* देश के उत्तरी क्षेत्रों में बारिश के होते ही इस की बोआई कर दी जाती है.

ज्वार

* एक हेक्टेयर में इस फसल की बोआई के लिए 12 से 15 किलोग्राम बीज का उपयोग कर सकते हैं.

अरहर

* इस फसल की कम समय में पकने वाली किस्मों की बोआई करें.

* बोआई जुलाई के पहले सप्ताह में

कर लें.

* एक हेक्टेयर के लिए 12 से

15 किलोग्राम बीज का उपयोग करें.

सोयाबीन

* देश के उत्तरी, मैदानी और मध्य क्षेत्रों में जुलाई के पहले सप्ताह में इस की बोआई कर देनी चाहिए.

* बीज की मात्रा 75 से 80 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से होनी चाहिए.

* जुलाई माह में टमाटर, बैंगन, मिर्च, अगेती फूलगोभी की पौध लगा सकते हैं. भिंडी की बोआई का भी यह उपयुक्त समय है. इस के अलावा लौकी, खीरा, चिकनी तोरई, आरा तोरई, करेला व टिंडा की बोआई भी इस माह में की जा सकती है.

गन्ना

* फसल को गिरने से बचाने की व्यवस्था कर लें.

* खेतों से पानी निकालने की व्यवस्था कर लें.

* फसल में लगी बेल को काट कर अलग कर दें.

मक्का

* फसल से खरपतवार निकालते रहना चाहिए.

* अतिरिक्त पौधों की छंटाई कर देनी चाहिए.

* खेत में नमी का ध्यान रखना चाहिए.

* अगर फसल की बोआई नहीं की गई है, तो जल्दी ही बो दें.

आम

* नए बाग लगा सकते हैं.

* रोपाई का काम शुरू कर सकते हैं.

* फलों को तोड़ कर बाजार में भेज

सकते हैं.

* इस के साथ ही साथ बाग में जल निकास की व्यवस्था कर लें.

अमरूद

* जुलाई माह में नए बाग की रोपाई का काम शुरू कर सकते हैं.

इन फसलों से जुड़े कामों को जुलाई

माह में पूरा कर लिया जाए, तो फसल की गुणवत्ता और उत्पादकता को बढ़ाया जा सकता है. इस से किसानों को बाजार में फसलों का भाव अच्छा मिल पाएगा, साथ ही साथ अच्छी आमदनी हो पाएगी.

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