औरत के कदम किस उम्र में बहक जाएं, कह नहीं सकते. सुनीता को ही देखिए वह 2 जवान बेटों की मां थी, बबलू यानी कृष्णेंद्र हट्टाकट्टा लंबीचौड़ी कदकाठी का लगभग 45 वर्षीय एक बलिष्ठ व्यक्ति था. चेहरे पर घनी दाढ़ीमूछें, बड़ा माथा और चमकीली आंखें ही उस की खास पहचान थीं. पेशे से वह ट्रक ड्राइवर था. काम के सिलसिले में अकसर कई दिनों तक घर नहीं लौटता था. हालांकि इस की सूचना वह अपने बीवीबच्चों को फोन पर जरूर दे देता था.

वह मध्य प्रदेश में इंदौर के बाणगंगा इलाके के अंतर्गत उमरीखेड़ा के पास कांकड़ का रहने वाला था. परिवार में पत्नी सुनीता और  2 बेटे थे. उन में बड़ा बेटा 19 साल का प्रशांत और छोटा बेटा निशांत 12 साल का था.

उस के एक सप्ताह से घर नहीं लौटने पर पत्नी सुनीता ने 14 फरवरी, 2022 को बाणगंगा थाने में शिकायत लिखवाई थी. शिकायत में उस ने बताया था कि उस का पति  कृष्णेंद्र उर्फ बबलू 7 फरवरी से ही घर नहीं लौटा है. पति ने फोन कर के देर से आने की सूचना तक नहीं दी है.

पुलिस ने सुनीता से पति के बारे में कई सवाल पूछे. उन सवालों में पति के किसी के साथ पुरानी रंजिश से ले कर उस के साथ व्यक्तिगत रिश्ते तक के बारे में कई सवाल थे. सभी का जवाब सुनीता सहजता से देती चली गई.

किंतु जब उस से महिला पुलिस ने अचानक पूछा कि पति के साथ उस का पिछली बार झगड़ा कब हुआ था, तब वहीं पास खड़ा छोटा बेटा तपाक से बोल पड़ा, ‘‘आंटी, झगड़ा तो रोज ही होता था, मारपीट भी होती थी. मम्मी की कमरा बंद कर कुटाई होती थी.’’

यह सुन कर पुलिस सकते में आ गई. वह तुरंत उसे अलग कमरे में ले गई. बदन पर ढंके कुछ कपड़े हटा कर उस के देह की जांच की गई. पुलिस ने पाया कि उस की पीठ पर छड़ी से पिटाई करने की चोटों के निशान हैं. गरदन के पिछले हिस्से पर भी जख्म हैं. कमर और जांघों पर भी काफी चोटों के कई निशान पाए गए. वे जख्म ज्यादा दिनों के नहीं लग रहे थे.

‘‘यह सब कैसे हुआ? किसी ने तुम्हें मारा, पति ने तो नहीं?’’ महिला पुलिस ने पूछा.

‘‘जाने दीजिए ना मैडम यह सब छोडि़ए. मेरे पति को ढूंढ दीजिए. आखिर है तो मेरा सुहाग ही.’’ सुनीता ने बात को वहीं खत्म करने की कोशिश की.

लेकिन वह पुलिस वाली भी अड़ गई. बोली, ‘‘यह तो घरेलू हिंसा है इस की शिकायत तुम ने पुलिस में क्यों नहीं की? अच्छा रुको, आ जाने दो. मैं उस के खिलाफ मुकदमा दर्ज करूंगी.’’

‘‘मुकदमा क्या कीजिएगा, रहेगा तब न.’’

सुनीता की जुबान से अचानक निकल आई बात से पुलिस ने पूछा, ‘‘रहेगा से क्या मतलब?’’

‘‘नहींनहीं मैडम, इसी तरह जुबान फिसल गई. उन का पता लगा दीजिए, जल्दी दूसरे मकान में काम करवाने जाना है,’’ सुनीता मिन्नत करती हुई बोली.

‘‘अच्छा ठीक है तुम जाओ, लेकिन उस के जानपहचान वालों के नाम और फोन नंबर लिखवाती जाओ, उन से तहकीकात की जाएगी.’’

‘‘जी मैडम, यह लीजिए न मेरे मोबाइल से लिख लीजिए. नाम बताती जाइए, मैं उस के बारे में बता दूंगी,’’ सुनीता बोली.

‘‘लाओ इधर,’’ महिला पुलिसकर्मी बोली और उस का मोबाइल ले कर कौंटैक्ट्स को स्क्राल करने लगी.

सुनीता का मोबाइल चैक करते हुए पुलिस ने पाया कि 2 फोन नंबरों से सुनीता की कई बार बात हुई थी. पुलिस उन के बारे में सवाल पूछने लगी. इस पर सुनीता ने बताया के मजदूरों के नंबर हैं, जो उन के दूसरे मकान में मरम्मत का काम करने आते हैं.

‘‘तुम्हारा पति कहां का सामान लाने के लिए घर से निकला था?’’ पुलिस के अचानक पूछे गए इस सवाल के लिए सुनीता तैयार नहीं थी.

फिर भी उस ने तुरंत जवाब दिया, ‘‘जी, नहीं मालूम. मुझे क्या पता वह कहांकहां जाते थे?’’ उस की आवाज में खीझ थी.

‘‘तुम ने पति की गुमशुदगी की रिपोर्ट लिखवाने में एक सप्ताह का समय क्यों लगा दिया?’’

इस सवाल का कोई ठोस जवाब सुनीता नहीं दे पाई. उस ने सिर्फ इतना ही कहा कि वह कई दिनों के लिए ट्रक से सामान ले कर बाहर जाते रहते थे, इसलिए उस ने ध्यान नहीं दिया.

सुनीता यह भी नहीं बता पाई कि पति कृष्णेंद्र कहां का सामान ले कर निकला था? सामान किस का था? ऐसे ही कई सवाल थे, जो दुविधा वाले थे. पुलिस के सवालजवाब के बीच वह कई बार घबराई, सकपकाई हुई भी दिखी. उस की बौडी लैंग्वेज भी बदलती रही. चेहरे के भाव तेजी से बदल रहे थे.

पुलिस को मुखबिर से मिली अहम जानकारी

सुनीता के जाने के बाद पुलिस ने उस के खिलाफ मुखबिर लगा दिए और फोन नंबरों पर काल कर कृष्णेंद्र के बारे में जानकारी जुटानी शुरू कर दी.

इसी सिलसिले में पुलिस ने उन 2 नंबरों पर भी काल की, जिन पर सुनीता की कई बार बातें हो चुकी थीं. पुलिस चौंक गई. कारण जिसे उस ने मजदूरों का नंबर बताया था, दरसअल वे कसाई भाइयों के थे.

उन के नाम रिजवान कुरैशी और भय्यू उर्फ इरशाद कुरैशी थे. वे जूनी इंदौर क्षेत्र में मटन शौप पर काम करते थे. इसी बीच मुखबिर से मालूम हुआ कि ये दोनों कसाई सुनीता के प्रेमी हैं. सुनीता अपने दूसरे मकान में मरम्मत और प्लास्टर का काम करवा रही है. यहीं से पुलिस ने जांच और कृष्णेंद्र की तलाश का नजरिया बदल दिया.

मुखबिर ने पुलिस को सूचना दी कि सुनीता के 2 मकान हैं. एक कांकड़ में और दूसरा नरवाल में. वह परिवार के साथ कांकड़ में रहती है, लेकिन नरवाल वाले घर में अभीअभी प्लास्टर करवाया है.

पुलिस का माथा ठनका कि जिस औरत का पति हफ्ते भर से गायब है, वह भला घर में प्लास्टर करवाने का काम क्यों करेगी? जरूर दाल में कुछ काला है.

थाने से एसआई स्वराज डाबी और श्रद्धा यादव तुरंत नरवाल स्थित मकान पर पहुंचे. संयोग से सुनीता भी अपने बड़े बेटे प्रशांत के साथ वहीं मिल गई. पुलिस को अचानक वहां आया देख सहम गई.

एसआई डाबी ने आते ही सवाल दागा, ‘‘तुम्हारा पति गायब है और तुम यहां मजे में घर का काम करवा रही हो. चलो दिखाओ, कहांकहां तुम ने मरम्मत का काम करवाया है?’’

खुले जमीन पर एक कोने के थोड़े हिस्से में ताजा फर्श देख कर उसे खुदवाया. एकडेढ़ फीट ही खुदने के बाद पुलिस के होश उड़ गए. वहां मानव शरीर के कुछ अंग काट कर गाड़े गए थे.

पुलिस ने सुनीता और प्रशांत को तुरंत हिरासत में ले लिया. थाने ला कर उन से अलगअलग पूछताछ की गई तो जल्द ही दोनों टूट गए. उस के बाद उन्होंने जो सनसनीखेज वारदात का खुलासा किया, उसे सुन कर पुलिस भी भौचक्की रह गई.

दरअसल, जिस कृष्णेंद्र उर्फ बबलू की गुमशुदगी की रिपोर्ट सुनीता ने 14 फरवरी को यह कह कर दर्ज करवाई थी कि वह 7 फरवरी से गायब है, उस का सुनीता और उस के 2 प्रेमियों ने मिल कर 5 फरवरी को ही कत्ल कर दिया था. बाद में उस की लाश को ठिकाने लगाने में बेटा प्रशांत भी शामिल हो गया था.

सुनीता के दोनों प्रेमी रिजवान कुरैशी और इरशाद कुरैशी ही थे. उन्होंने बेहोश कृष्णेंद्र को मटन काटने वाली छुरी और चापड़ से काट कर कई टुकड़े कर डाले थे. उन्होंने कुछ टुकड़े जंगल में फेंक दिए, जबकि कुछ सुनीता के नरवाल वाले घर में गड्ढा खोद कर दफना दिए. बाद में सुनीता ने मजदूर बुला कर वहां का फर्श बनवा दिया था.

क्यों कराई पति की हत्या

एक सवाल था कि आखिर सुनीता ने अपने पति की हत्या क्यों करवाई? इस बारे में सुनीता ने जो कहानी बताई, वह इस प्रकार निकली—

ट्रक ड्राइवर कृष्णेंद्र की पत्नी और 2 बेटों की मां सुनीता उर्फ सोनू एक कारखाने में काम करती थी. वहीं उस की मुलाकात रिजवान कुरैशी से हुई थी. मुलाकातें पहले दोस्ती में और फिर शारीरिक नजदीकियों में बदल गईं.

सुनीता का पति ट्रक चलाता था, कईकई दिनों तक घर से दूर रहता था. इस के अलावा उसे शराब पीने की लत लगी हुई थी. वह जब भी घर लौटता, तब शराब के नशे में ही होता था. उस का असर बड़े बेटे प्रशांत पर भी हो गया था और वह भी शराब पीने लगा था.

कृष्णेंद्र जब तक घर में होता, एक तूफान की तरह माहौल बना रहता था. सभी उस की आदतों से डरते थे. उस की रौबदार आवाज से थर्राते थे. सुनीता तो भीगी बिल्ली बनी रहती थी. छोटीछोटी गलतियों पर सुनीता समेत बच्चों को भी डांटता रहता था. हालांकि वह घर की सभी जरूरतें पूरी करने में कोई कटौती नहीं करता था.

घर के खर्च के लिए जब भी सुनीता या बच्चे पैसे मांगते थे, वह उन्हें दे देता था. यही उस की एकमात्र खूबी थी. जबकि वह परिवार के सभी सदस्यों की नजर में बुराइयों का पुलिंदा था.

बातबात पर गुस्सा हो जाना उस के स्वभाव में शामिल था. सुनीता से तो हमेशा किसी न किसी बात पर लड़ाई हो जाती थी. वह उस पर हाथ उठा दिया करता था. बच्चों के सामने भी वह सुनीता को कई बार पीट चुका था. इस से सुनीता के मन में पति के प्रति नफरत पैदा हो गई थी.

2 सगे भाई बने सुनीता के प्रेमी

पति से न उसे प्यार मिल पाता था और न ही यौन संतुष्टि ही मिल पाती थी. यही वजह थी कि सुनीता ने रिजवान की ओर अपने कदम बढ़ा लिए थे. सुनीता पति की गैरमौजूदगी में रिजवान को घर बुलाने लगी थी या फिर दूसरे खाली पड़े मकान में मिलने चली जाती थी.

यह सब पति और बेटे की पीठ पीछे चलता रहा. यही नहीं सुनीता ने रिजवान के भाई इरशाद से भी नजदीकियां बढ़ा लीं.

यह जानते हुए भी कि वह गलत राह पर चल पड़ी है, जब पति और 2 प्रेमियों से मिले देहसुख की तुलना करती, तब उसे कुछ भी गलत नहीं लगता. उस के दिमाग में एक ही बात आती थी कि प्रेमियों से कुछ समय के लिए ही सही उस के दिल को सुकून तो मिलता है. मन में खुशी तो आती है.

एक रात अचानक कृष्णेंद्र घर लौट आया था. शराब की लत तो सुनीता को भी लग ही चुकी थी. उस ने सुनीता को रिजवान और इरशाद के साथ शराब के नशे में मौज मनाते पकड़ लिया था. उस रात सुनीता ने अपने बेटों को दूसरे मकान पर भेज दिया था.

सुनीता की रंगरलियां देख कृष्णेंद्र आगबबूला हो गया. दोनों प्रेमी किसी तरह से वहां से निकल भागे, लेकिन सुनीता कहां जाती. तब कृष्णेंद्र ने पत्नी को घूरते हुए कहा, ‘‘साली, हरामजादी बहुत गरमी चढ़ी है जो एक नहीं 2-2 यारों के साथ… मेरे पीछे यह गुल खिलाती है. आज तेरी गरमी ऐसी निकालूंगा कि…’’ इस के बाद उस ने नग्नावस्था में ही खूब पिटाई की. अधमरी सुनीता को छोड़ कर कृष्णेंद्र सुबह होने से पहले ही चला गया.

सुबह किसी तरह से सुनीता ने खुद को संभाला और जैसेतैसे अपने जख्म साफ किए. सुबह बेटे के आने पर उस ने पिता की हरकत के बारे में सारी बात बताई और दवाइयां लाने के लिए कहा. उस की पिटाई का कारण बताया कि उस ने उस की विदेशी शराब पी ली थी.

इसी के साथ सुनीता ने बेटे को यह भी हिदायत दी कि यह घर की बात है किसी को कुछ नहीं बताए. किंतु मां की हालत देख कर प्रशांत विचलित हो गया. उस के मन में पिता के प्रति आक्रोश से भर गया. लेकिन वह अपने पिता के खिलाफ आवाज नहीं उठा सकता था.

पोल खुलने के बाद बढ़ने लगे जुल्म

दूसरी तरफ रिजवान और इरशाद भी रंगेहाथों पकड़े गए थे, इस कारण वे भी डर गए थे. 2 दिनों बाद वे सुनीता से मिले. उस की हालत देख कर बेचैन हो गए, लेकिन उन्होंने कुछ दिनों तक एकदूसरे से दूर रहना उचित समझा.

सुनीता के साथ प्रेमियों को देखने के बाद से कृष्णेंद्र और भी गुस्सा हो गया था. जबतब उस पर जुल्म ढाने लगा. आखिर पति के जुल्म से एक दिन सुनीता ने छुटकारा पाने की ठान ली.

ऐसी योजना बनाई जिसे वह अकेले अंजाम नहीं दे सकती थी. उस ने अपनी यह योजना दोनों प्रेमियों रिजवान और इरशाद को बताई. यही नहीं, उस में बेटे प्रशांत को भी शामिल कर लिया. उस के लिए एक दिन तय किया गया.

वह दिन 5 फरवरी का था. कृष्णेंद्र शाम को घर लौटा तो सुनीता ने उसे दालबाटी खाने को दी. उसे पता था कि दालबाटी कृष्णेंद्र को काफी पसंद थी.

वह तुरंत खाने बैठ गया. मगर इस खाने के तुरंत बाद उसे नींद आने लगी और वह जम्हाई लेने लगा. तुरंत बिछावन पर चला गया. दरअसल, सुनीता ने उस के खाने में नींद की गोलियां मिला दी थीं.

सब कुछ योजना के मुताबिक हो रहा था. कुछ समय में ही रिजवान और इरशाद भी वहां पहुंच गए. दोनों ने मिल कर कृष्णेंद्र को साथ लाए तेज धार वाली छुरी से कत्ल कर दिया. फिर चापड़ से उस के हाथ, पैर, सिर और धड़ सब अलगअलग कर दिए.

बाप के शरीर के टुकड़े करने में बेटे प्रशांत ने भी कातिलों का हाथ बंटाया. कृष्णेंद्र के शरीर के काफी टुकड़े उन लोगों ने पौलीथिन की थैलियों में भर लिए और देव गुराडि़या के नजदीक जंगल में ले जा कर फेंक आए. बाकी बचे टुकड़े सुनीता को ठिकाने लगाने के लिए दे दिए.

यह 5 फरवरी, 2022 की रात की घटना है. तब तक रात काफी हो गई थी. दूसरे दिन यानी 6 फरवरी की सुबह सुनीता ने पड़ोसियों को  नरवल वाले घर पर जाने की बात बोली. उस ने बताया कि वहां उसे कुछ मरम्मत का काम करवाना है.

कृष्णेंद्र के धड़ के बचे टुकड़े एक प्लास्टिक के ड्रम में भर लिए और उस के ऊपर कुछ बरतन रख दिए.

घर में ही दबा दिए पति की लाश के टुकड़े

वहां पहुंच कर उस ने सेप्टिक टैंक की मरम्मत के बहाने मजदूरों से गहरा गड्ढा खुदवा लिया. गड्ढा खोद कर मजदूर शाम को चले गए. उन के जाने के बाद सुनीता ने कृष्णेंद्र की लाश के टुकड़ों को एक बोरे में डाल कर गड्ढे में नमक के साथ दफना दिए.

कुछ दिन बाद जब उस ने उस जगह पर फर्श बनवाने के लिए फिर से मजदूर बुलाया, तब पुलिस के मुखबिर को इस की भनक लग गई.

पति की हत्या करने का सुनीता को कोई अफसोस नहीं है. उस ने पुलिस को रूखेपन सक बताया कि हत्या नहीं करती तो और क्या करती ऐसे आदमी का, जो उसे नंगा कर के लातघूंसों, बेल्ट और जूतों से पीटता था. गंदीगंदी गालियां देता था.

सुनीता और उस के बेटे प्रशांत से पूछताछ करने के बाद पुलिस ने उन्हें कोर्ट में पेश क जेल भेज दिया. इस के बाद पुलिस अन्य आरोपियों को भी खोजने लगी.

पुलिस को सुनीता के प्रेमी रिजवान कुरैशी और इरशाद कुरैशी के टोंककला स्थित मुरसुदा मसजिद में छिपे होने की सूचना मिली थी. पुलिस के वहां पहुंचते ही दोनों खिलचीपुर की ओर निकल भागे थे. पुलिस ने उन की तलाश में कई जगह दबिशें डालीं, लेकिन वे हाथ नहीं आ रहे थे.

फिर पुलिस ने रिजवान के बड़े भाई को बुला कर उस से रिजवान को फोन लगवाया. पुलिस के कहने पर बड़े भाई ने रिजवान को एक जगह आ कर मिलने के लिए कहा. पुलिस ने उस जगह अपनी टीम भेज कर घेराबंदी कर ली.

जैसे ही बताए हुए पते पर रिजवान और इरशाद पहुंचे, पुलिस ने दोनों को गिरफ्तार कर लिया. इंदौर जोन 3 के डीसीपी धर्मेंद्र भदौरिया के अनुसार, दोनों ही आरोपियों पर पुलिस ने 4 हजार रुपए का ईनाम भी घोषित कर दिया था.

उन्होंने पुलिस को देव गुराडि़या के नजदीक जंगल में फेंके गए कृष्णेंद्र की लाश के कुछ अंग के बारे में बता दिया. पुलिस ने बड़ी मुश्किल से खून से सनी प्लास्टिक की कुछ थैलियां बरामद कर लीं.

पुलिस ने सुनीता के दोनों प्रेमियों रिजवान कुरैशी और इरशाद कुरैशी से पूछताछ कर उन्हें भी न्यायालय में पेश किया, जहां से सभी को जेल भेज दिया गया.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

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