मां की जगह कोई नहीं ले सकता. मां ऐसी दौलत है जो अनमोल है. जिस के पास यह दौलत है वह सब से धनी है. जन्म से ही बच्चा मां को पहचानने लगता है क्योंकि उस के दिल की धड़कन मां की धड़कन से मिलती है. यही वजह है कि बच्चे की किसी मुश्किल घड़ी में मां को सब से पहले उस का एहसास हो जाता है. चाहे सैलिब्रिटी मां हो या साधारण मां, हर मां में वही प्यार, दुलार, अपनापन समाया रहता है जिस का वर्णन करना आसान नहीं.

मांबेटी का रिश्ता बहुत ही प्यारा रिश्ता है

बेटाबेटा करती हैं और कितनी ही औरतें गर्भ में बेटी को जान से मार डालती हैं. एक बेटी मां के जितना करीब होती है शायद कोई और नहीं. बातें शेयर करना, एकजैसे कपड़ेगहने पहनना सबकुछ एकजैसा होता है.

कुछ मांएं अपनी सब बातें बेटी से शेयर करती हैं तो कोई कुछ बातें अपनी सहेलियों के साथ शेयर करना पसंद करती हैं, पर जब बेटी शादीशुदा हो जाती हैं उसे मां की सारी बातें सम?ाने में आसानी होती है. फिर जहां जेनरेशन गैप होता है वहां बच्चे मां की बातों को गंभीरता से नहीं ले पाते. उन्हें अजीब लगता है. आज की बेटियां जल्दी गुस्सा भी हो जाती हैं और वह गुस्सा बाप पर उतरेगा या मां पर, कहा नहीं जा सकता.

मदर्स डे तो एक तरह से दीवाली और करवाचौथ से भी ज्यादा महत्त्वपूर्ण है. इस दिन की एक विशेष खासीयत है जो एक मां को दासी या देवी से अलग बनाती है.

मां के साथ रह कर बातचीत करना, एकदूसरे की भावना को सम?ाना प्रमुख है. मां की आर्थिक स्थिति सम?ाना तो बहुत जरूरी है. कई बार जब मां बेटों को ज्यादा भाव दे तो बेटियों को कठिनाई होती है कि मां को कैसे दुलारें. अगर संपत्ति मां के नाम हो तो कई भाई मां को बेटी से मिलने नहीं देते कि कहीं वह संपत्ति अपने नाम न करा ले.

एक मेधावी बेटी की मां का सीना ज्यादा चौड़ा होता है, इसलिए मांबेटी के रिश्ते में बेटी की पढ़ाई पर कहीं कोई आंच नहीं आनी चाहिए. मां पार्टी में जाए तो वहां बेटी की प्रशंसा सुनना मां के लिए सब से ज्यादा सुखदायी होता है. बेटी को सही राह का ज्ञान हो, इसलिए उसे पढ़ते रहने की सलाह दी जानी चाहिए. वह मोबाइल में ही न घुसी रहे.

आज की मां को हमेशा बेटी को आजादी देनी चाहिए. उस से कहें कि तुम हर बात खुद सीखो और हमेशा खुश रहो, कैरियर को खुद चुनो, बौयफ्रैंड खुद चुनो. हां, जीवन में कभी तनाव हो तो मां संभाले और अगर बेटी गलत रास्ते पर जा रही हो तो उसे सही तरफ आगे ले जाना भी मां का काम है. भाई, बहन या बहनें आपस में कभी ना न कहें. यह शिक्षा देना मां का काम है. अगर किसी बेटी के साथ दूसरे की अनबन रहे तो दोनोंतीनों के बीच सम?ाते टैक्टफुली कराने चाहिए.

कुछ बेटियां चाहती हैं कि अपनी चीज न दें जबकि दूसरे की ले लें. वे हमेशा एकदूसरे से आगे रहना चाहती हैं और यह बात आपस में तकरार को जन्म देती है जिस पर मांएं अकसर मनाने के लिए आगे आती हैं.

वे साल मांओं के लिए बड़े चुनौतीपूर्ण होते हैं जब बेटियों का अपना कैरियर चढ़ाव पर होता है. पिता ज्यादा ध्यान नहीं दे पाते और बेटी के लिए समस्याएं खड़ी हो जाती हैं. हर बच्चे को अपना दोस्त चुनने की आजादी हो पर मांएं बच्चे से उस के दोस्त के बारे में चर्चा कर अपनी राय अवश्य दें. बेटी के दोस्त, चाहे लड़कियां हों या लड़के, मां से मिल अवश्य लें.

आजकल के मातापिता बच्चों से कुछ अधिक उम्मीद रखते हैं?

पहले महिलाओं को घर से बाहर जाने की अनुमति नहीं थी, आज है, इसलिए उम्मीदें भी बढ़ी हैं. बेटी के साथ मातापिता का हमेशा दोस्ताना अंदाज होना चाहिए ताकि बेटी भी अपनी किसी बात को मां से बांट सके. जरूरत से अधिक रोकटोक बगावत को जन्म देती है. जरूरत से ज्यादा हैलिकौप्टर मौम बनना भी गलत है.

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