खेल में भारत पाक का नाम आते ही रोमांच का स्तर ही बढ जाता है. भारत-पाक के बीच मैच का नाम सुनते ही लोग उत्साहित हो जाते हैं. दोनों देशों के बीच मैच देखने के लिए लोग क्या कुछ नहीं करते. फिर चाहे वह क्रिकेट मैच हो, फुटबॉल या हॉकी का मैच.

इसके साथ ही यह खतरा लगा रहता है कि कहीं खेल और रोमांच झगड़े का रूप ना ले ले. इस बात का डर सिर्फ भारत पाकिस्तान को ही नहीं बाकी देशों को भी सताता है. और इसका अंदाजा जर्मनी में हुए समर ओलंपिक से लगाया जा सकता है.

दरअसल साल 1972 के जर्मनी में हुए म्यूनिख समर ओलंपिक को लोग 'ब्लैक सेप्टेम्बर' के आतंकी हमले के लिए ज्यादा याद करते हैं. आपको बता दें कि जब इजरायली टीम पर हमला हुआ तो उसी स्पोर्ट्स विलेज में भारत और पाकिस्तान की टीम भी मौजूद थीं.

जर्मन पुलिस को सुरक्षा के बाकी इंतजाम के साथ इस बात का भी ख्याल रखना पड़ रहा था कि कहीं भारत और पाकिस्तान के खिलाड़ी एक दूसरे को गोली न मार दें.

जानिए क्या था मामला

भारत और पाकिस्तान के बीच 1971 का युद्ध थमे कुछ ही महीने बीते थे और दोनों देशों के बीच काफी अशांति थी. पाकिस्तान अपनी हार से काफी आहत था और किसी भी तरह की बुरी घटना की आशंका लगातार बनी हुई थी.

इसके साथ ही भारत और पाकिस्तान दोनों ही ग्रुप्स में उनकी शूटिंग टीम मौजूद थीं. अब क्योंकि वो सभी शूटर्स थे तो अपने साथ अपनी बंदूकें और प्रैक्टिस के लिए अन्य बंदूकें भी लाए थे.

जर्मन सुरक्षा एजेंसियों को इस बात की खुफिया सूचना मिली थी कि दोनों ही टीमों में बतौर खिलाड़ी कुछ इंटेलीजेंस के लोग शामिल कर भेजे गए हैं. दोनों ही टीमों के पास बंदूकें थीं और कभी भी कुछ हो सकता है इसकी आशंका लगातार बनी हुई थी.

क्या बताते हैं शूटर परिमल चटर्जी

उस वक्त भारत की तरफ से शूटिंग टीम में शामिल खिलाड़ी परिमल बताते हैं कि माहौल में बहुत तनाव था जिसके चलते हमारे कमरों के बाहर हमेशा पुलिस के जवान तैनात रहते थे. पुलिस ने कभी कुछ कहा नहीं लेकिन वे रात भर भी कमरे के बाद पहरा देते थे.

शूटर्स अपनी बंदूकें अपने कमरे में रख सकते थे और उन्हें डर था कि कुछ ही दूर रुके पाकिस्तानी खिलाड़ियों के साथ हमारी कोई खटपट न हो जाए. हालांकि ऐसी कोई घटना नहीं हुई और ये ओलंपिक इजरायली खिलाड़ियों पर हुए आतंकी हमले के लिए जाना गया.

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